Zakir Khan Shayari In Hindi : इश्क़ को मासूम रहने दो नोटबुक के आखिरी पन्ने पर, आप उसे किताबो में डालकर मुश्किल न कीजिये.. ज़िन्दगी से कुछ ज्यादा नहीं बास इतनी सी फरमाइश है , अब तस्वीर से नहीं, तफ्सील से मिलने की ख्वाइश है…
ये तो परिंदों की मासूमियत है,वरना दूसरों के घर अब आता जाता कौन हैं!
हज़ारो खुआइसे ऐसी की कर खुवाईसे में दम निकले,बहुत निकल गए अरमान फिर भी कम निकले..!!
दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहींदोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शोहरत,तेरा ज़िक्र ही कहां था ; मेरी दास्तान से पहले!
मेरी अपनी और उसकी आरज़ू में फर्क ये थामुझे बस वो और उसे सारा जमाना चाहिए था!
बस का इन्तज़ार करते हुए मेट्रो में खड़े खड़े,रिक्शा में बैठे हुए गहरे शून्य में क्या देखते हो,गुम सा चेहरा लिए हुए क्या सोचते रहते हो..!!
क्या वो आग नहीं रही न सोलो से दहकता हु,रंग भी सब जैसा है सब जैसा ही तो महकता हु..!!
गर्मी तो इस कदर पड़ रही है कि!!कल एक मच्छर कान में आ कर पूछता!!भाई तेरा खून ठंडा है या गरम!!
मेरी ज़मीन तुमसे गहरी है!!याद रखना मेरा आसमान भी!!तुमसे ऊँचा होगा!!
कौन कहता है कि गर्मी अच्छी नहीं होती!!इसके भी अपने फायदे हैं!!इसमें आपको नहाने से डर नहीं लगता!!
जितना तेज़ाब मिला दुनिया से, उसी की शराब बेचता हूँ,ज़िल्लतें छतों पर टांग, अस्मा को खाब बेचता हूँ..!!
एकतरफा प्यार की खूबसूरती ये हैकि आप हर दिन जीतते हो और हर दिन हारते हो
वेबजह वेबफ़ाओ को याद किया है,गलत लोगो पर बहुत वक़्त बर्वाद किया है..!!
मोहब्बत करो बहोत, लेकिन खुद के इज्जत के साथ करो
खुदा के वास्ते उसे कभी टोकना मत,उसकी आज़ादी से उसे कभी रोक न देना,क्यकि अब मैं नहीं तुम उसके दिलदार हो तो सुन लो,उसे अच्छा नहीं लगता..!!
हम दोनों में बस इतना सा फर्क है!!उसके सब लेकिन मेरे नाम से शुरू होते है!!और मेरे सारे काश उस पर आ कर रुकते है!!
ज़िन्दगी से कुछ ज़ादा नहीं!!बस इतनी सी फ़रमाइश है!!अब तस्वीर से नहीं!!तफ्सील से मिलने की ख्वाहिश है!!
जानते हो वो अगर हजार बार जुल्फे ना संवारे तो उसका गुजारा नही होतावैसे दिल बहुत साफ है उसका,इन हरकतो मे कोई इशारा नही होता
वह न केवल कवि, कलाकार कलाकार, स्टैंड अप कॉमेडियन हैं, बल्कि वे स्वाभिमान, प्रेम, दोस्ती और कई मूल्यों पर बात करते हैं जिनकी समाज में सभी को जरूरत है।
अपने आप से भी पीछे खड़ा हूँ मैंजिंदगी कितना धीरे चला हूँ मैं
ये कुछ सवाल हैं जो सिर्फ क़यामत के रोज पूछूंगा ,क्योंकि उससे पहले तुम्हारी और मेरी बात हो सके इस लायक नहीं हो तुम
जिसे प्यार होता है, उसे होता हैकोई लॉजिक तो होता नहीं है
हालत की बंजर ज़मी फार कर निकला हु,बेफिकर रहिये मैं सोहरत के धुप में नही जलूँगा..!!
ज़मीन पर आ गिरे जब आसमां से ख़्वाब मेरे,ज़मीन ने पूछा क्या बनने की कोशिश कर रहे थे..!!
रात गुजरी फिर महकती सुबह आई!!दिल धड़का फिर आपकी याद आई!!हमने महसूस किया उस हवा को!!जो आपको छूकर हमारे पास आई!!
इश्क़ को मासूम रहने दो नोटबुक के आखिरी पन्ने पर, आप उसे किताबो में डालकर मुश्किल न कीजिये..
हर एक दस्तूर से बेवफाई,मैं शिद्दत से है निभाई.
काम्याबी तेरे लिए खुद को कुछ यूं तैयार कर लिया मैंने!!घंटे जज्बात बाजार में रख कर इश्तेहार कर लिया मैने!!
वो तितली की तरह आयी और जिंदिगी बाग़ कर गयीमेरे जितने नापाक थे इरादे उन्हें भी पाक कर गयी
मेरी औकात मेरे सपनों से इतनी बार हारी हैं के,अब उसने बीच में बोलना ही बंद कर दिया है..!!
बोहोत मासूम लड़की है इश्क़ की बात नही समझती,ना जाने किस दिन में खोयी रहती हैमेरी रात नही समझती!!
इश्क़ को मासूम रहने दो नोटबुक के आख़री पन्ने परआप उसे किताबों म डाल कर मुस्किल ना कीजिए।
तुमसे बड़ी नाराजगी है मुझे!!अब देखो ना तुम्हारे नरम होते ही!!मिसाल नहीं मिलती!!और मेरे असर अधूरे रह रहे हैं!!
मैं जाउ इस दुनिया से तोँ दास्तान सुनाना,ये भी बताना की समंदर जितने से पहले,कैसे मैं छोटी छोटी नदियों से हारा था..!!
तुम भी कमाल करते हों ,उम्मीदें इंसान से लगा करशिकवे भगवान से करते हो।
जब कभी याद आया करे तुमको तो मेरी लिखी कविताएं पढ़ लेना,बस एक वही तो जगह है, जहाँ झूठ नहीं बोले है मैंने कभी.
उसूलो पर जाहा बात आये टकराना जरुरी हैजो जिन्दा हो तो, जिन्दा नजर आना जरुरी है।
“बेवजह बेवफ़ाओं को याद किया है, गलत लोगों पे बहुत वक़्त बर्बाद किया है.”
दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं,दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं..!!
ज़िन्दगी से कुछ ज्यादा नहीं बास इतनी सी फरमाइश है ,अब तस्वीर से नहीं, तफ्सील से मिलने की ख्वाइश है…
मार डाला मुस्कुरा कर नाज़ सेहाँ मिरी जाँ फिर उसी अंदाज़ से
वो रिश्ता मेरे लिए 2 के पहाड़े जैसा,पर उसे लिए 19 का टेबल हो गया है,मुझसे भूला नहीं जाता, उसे याद दिलाना पड़ता है..!!
तेरा बेवफा होना मेरे रब को भा गया,तूने मुझे छोड़ा देख मैं कहाँ आ गया..!!
बड़ी कश्मकश में है ये जिंदगी की,तेरा मिलना मिलना इश्क़ था या फरेब।
भूख देखी है तिरस्कार करती आँखे!!कदमो से चल के!!रास्तो को नाम बदलते देखा है!!
हम से पूछो न दोस्ती का सिलादुश्मनों का भी दिल हिला देगा
हम आपको इस शुभ अवसर पर बहुत-बहुत बधाई देते हैं। साथ ही, आपके अच्छे स्वास्थ्य और सफल जीवन की कामना करते हैं।
दरअसल उसे ऐसे ही पसंद है,उसकी आजादी उसकी खुली जुल्फो मे बंद है
देर लगेगी मगर सही होगा,तुम्हे जो चाहिए वही होगा,दिन बुरे हैं जिंदगी नहीं ,सब्र रखो सब सही होगा
मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शोहरत,तेरा ज़िक्र ही कहां था , मेरी दास्तान से पहले।
और जाकिर के माता जी का नाम कुलसुम खान है जो एक गृहिणी है इसके परिवार मे इनके दादा जी का नाम उस्ताद मोइनुद्दीन खान है जो एक म्यूजिसियन रह चुके हैं।
अब तस्वीर से नहीं,तफ्सील से मिलने की ख्वाहिश है.
ऐ अदम के मुसाफ़िरो होशियारराह में ज़िंदगी खड़ी होगी
कितनी पामाल उमंगों का है मदफ़न मत पूछवो तबस्सुम जो हक़ीक़त में फ़ुग़ाँ होता है
अगर अपने कोशिश ही नहीं की तो क्या फेलियर और क्या सक्सेस
भाई ब्रेकअप होने के बाद एक!! छोटी सी चीज होती है!!तुमको गानो के लिरिक्स समझ आने लग जाती है!!
मेरे कुछ सवाल है जो सिर्फ क़यामतट के रोज पूछूँगा तुमसे, क्युकी उसके पहले तुम्हारी और मेरी बात हो सके इस लायक नहीं हो तुम…
हर एक दस्तूर से बेवफाई, मैं शिद्दत से है निभाई,रास्ते भी खुद है ढूँढे, और मंज़िल भी खुद बनायीं..!!
दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे,इश्क़ की ऐसी रिवायात ने दिल तोड़ दिया..!!
मित्रता कभी दर्पण से अधिक समय तक नहीं रहती है,इस तरह की ईमानदारी भी रिश्तों के लिए ठीक नहीं है..!!
दिल ने कहा कोई याद कर रहा है!!मैंने सोचा दिल मज़ाक कर रहा है!!फिर आईं हिचकी मैंने सोचा!!अपना ही कोई मैसेज का इंतज़ार कर रहा है!!
हम से पूछो न दोस्ती का सिला,दुश्मनों का भी दिल हिला देगा..!!
माना कि तुमको इश्क का तजुर्बा भी कम नहींहमने भी बाग़ में हैं , कई तितलियाँ उड़ाईं
जरूरी नहीं कि हर मेहनत कामयाबी ले आए,कुछ कोशिशें तैयारी के लिए भी होती है..!!
मेरी अपनी और उसकी आरज़ू में फर्क ये थामुझे बस वो…और उसे सारा जमाना चाहिए था।
मेरे कुछ सवाल हैं जो सिर्फ क़यामत के रोज़ पूछूंगा तुमसे क्योंकि उसके पहले तुम्हारी और मेरी बात हो सके इस लायक नहीं हो तुम।
यु तो भूले हैं हमे लोग कई हमे पहले भी बहुत से,पर तुम जितना उनमे से कभी कोई याद नहीं या..!!
मई वक़्त और तुम क़यामत देखना!!जब हम मिलेंगे तोह!!इस कायनात में सब कुछ रुक जायेगा!!मेरे इश्क़ में उम्मीद है!!
तेरी बेवफ़ाई के अंगारों में लिपटी रही यह रूह मेरी,मैं इस तरह आग न होता, जो होजाती तू मेरी.
की कितनी झूटी है मोहोब्बत की कस्मे ,कितनी झूटी है मोहोब्बत की कस्मेदेखो तुम भी ज़िंदा हो और हम भी
मेरे घर से दफ्तर के रास्ते में , तुम्हारे नाम की इक दूकान पड़ती है , विडंबना तो देखो वहा दवाइया मिला करती है
वो तितली की तरह आयी और ज़िन्दगी को बाग कर गयीमेरे जितने भी नापाक थे इरादे, उन्हें भी पाक कर गयी।