Welcome Shayari In Hindi For Chief Guest : महक उठा ये घर आंगन जब से आप पधारे हैं, ऐसा एहसास होता है जन्मों से आप हमारे हैं। धन्य हुए आज तो हम मिट गए सारे अधियारे, आँखो को बहुत सुकून आया जो आप हमारे घर पधारे।
अजीज के इन्तजार में ही पलके बिछाते हैं, महफ़िलो की रौनक खास लोग ही बढ़ाते हैं.
हमारी महफ़िल में लोग बिन बुलायें आते हैं, क्योकि यहाँ स्वागत में फूल नहीं पलकें बिछाये जाते हैं।
उमड़ पड़ी है ख़ुशियों की लहरें, छाई है खुशबूओं की महक,जमकर मनाया जाए ये दिन, बनाया जाए ख़ुशियों का शहर।
हार को जीत की एक दुआ मिल गई तपन मौसम में ठंडी हवा मिल गई। आप आये श्री मान जी यू लगा, जैसे तकलीफ को कुछ दवा मिल गई।
ये और बात कि रस्ते भी हो गए रौशनदिए तो हम ने तिरे वास्ते जलाए थे
भावी मन संचालकों को वक्ताओं को मेरा हार्दिक प्रणाम
सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगीतुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी
हसरतों से हम आपकी राह सजातें है सपनों की दौलत हम आप पर लुटातें है ना कोई फूल है आज हमारे दामन में आपके आने पर हम पलकें बिछातें हैं
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा हैतुम्हारे बा’द ये मौसम बहुत सताएगाबशीर बद्र
सबके दिलों में हो सबके लिए प्यार,आने वाला हर पल लाये खुशियों का बहार,इस उम्मीद के साथ भुलाके सारे गमइस आयोजन का करें वेलकम.
हर तरह की बे-सर-ओ-सामानियों के बावजूदआज वो आया तो मुझ को अपना घर अच्छा लगाअहमद फ़राज़
सजाई महफिल में भी लगती है कुछ कमी,आपके आने से मुक्कमल महफिल सजी.
आये वो हमारी महफ़िल में कुछ इस तरह कि हर तरफ़ चाँद-तारे झिलमिलाने लगे। देखकर दिल उनको झूमने लगा, सब के मन जैसे खिलखिलाने लगे।
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में हैअक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में हैफ़रहत एहसास
मीठी बात और चेहरे पर मुस्कान,ऐसे लोग ही है हमारी महफ़िल के शान.
फितरत बन चुकी हैदिल-ए-बेकरार कीअब तो आदत सी हो गई हैआपके इंतजार की
जो अच्छे और दिल के बड़े होते है,वो स्वागत के लिए खड़े होते है.
आये वो हमारी महफ़िल में कुछ इस तरह कि हर तरफ़ चाँद-तारे झिलमिलाने लगे। देखकर दिल उनको झूमने लगा, सब के मन जैसे खिलखिलाने लगे।।।
ऐसा स्वागत कही हुई ही नहीं है,जैसी स्वागत मेरी प्यारी माँ करती है.
दिलों में विश्वास पैदा करता है, हम सुब में कुछ आस पैदा करता है… मिटटी की बात तो अलग है, इश्वर तो पत्थरों में भी घास पैदा करता है|
आये वो हमारी महफ़िल में कुछ इस तरहकि हर तरफ़ चाँद-तारे झिलमिलाने लगे,देखकर दिल उनको झूमने लगासब के मन जैसे खिलखिलाने लगे.
दिल को सुकून मिलता हैं मुस्कुराने से.महफ़िल में रौनक आती है दोस्तों के आने से,
हम सभी उस अलौकिक शक्ति, अदृश्य शक्ति को याद करें और धन्यवाद करें कि हमें यह सुंदर जीवन मिला है |
अतिथि सत्कार बिना हर प्यार अधूरी होती हैये वो फरिश्ते हैं जिनके आने से आस पूरी होती है
तुम दोस्त ही नहीं मेरी जान हो,मेरी दिल के महफ़िल की शान हो.
मीठी बातें और चेहरे पर मुस्कान ऐसे ही अतिथि हैं हमारी महफ़िल की शान
शादी का दिन है आज, बज रही है शहनाई,बारात लेकर आए हैं दुल्हन के घर दुल्हा और नाई।
स्वीकार आमंत्रण किया, रखा हमारा मान,कैसे करे कृतज्ञता, स्वागत है श्री मान..।
क्या आपको पता है किकौन है महफिल की शान?,यहाँ पर आये हुए हर मेहमान.
सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगीतुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी
आपकी रचना कमाल की होती है और निस्संदेह हमें मंच संचालन में भी काफी मदद मिलती है हार्दिक शुभकामनाएं।
इस उम्मीद के साथ भुलाके सारे गम, इस आयोजन का आओ हम करें Welcome.
अजीज के इन्तजार में ही पलके बिछाते हैं, महफ़िलो की रौनक खास लोग ही बढ़ाते हैं.
कौन आया, रौशन हो गयी महफ़िल किसके नाम से मेरे घर में जैसे सूरज निकला है शाम से.
दोस्तों आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।इस बार 2023 में भारत में 74वा गणतंत्र दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस…
स्वीकार आमंत्रण किया,रखा हमारा मान,कैसे करे कृतज्ञता,स्वागत है श्री मान.
स्वीकार आमंत्रण किया,रखा हमारा मान,कैसे करे कृतज्ञता,स्वागत है श्री मान.
आये हो तुम हमारी महफ़िल में इस तरहलगता है हर तारे तरफ टिमटिमाने लगे है
ये कौन आया, रौशन हो गयी महफ़िल किसके नाम से मेरे घर में जैसे सूरज निकला है शाम से.
पहली मुलाक़ात में थोड़ा डर लगता है,पर मुस्कुराकर शुरूआत हो तो अपना घर लगता है.
आपका स्वागत करने हम सब मिलकर आये है,चेहरे पर मुस्कान और हाथों में फूलों की माला लाये है.
शब्दों का वजन तो हमारे बोलने के भाव से पता चलता हैं, वैसे तो, दीवारों पर भी “वेलकम” लिखा होता हैं.
उस ने वा’दा किया है आने कारंग देखो ग़रीब ख़ाने काजोश मलीहाबादी
जो दिल का हो ख़ूबसूरत ख़ुदा ऐसे लोग कम बनाये हैं,जिन्हें ऐसा बनाया है आज वो हमारी महफ़िल में आये हैं.
धन्य धन्य हुए आज तो हम, मिट गये सारे अन्धियारें,आँखों को बहुत सुकून आया, जो आप हमारे द्वार पधारें.
ज्यों मरुस्थल में रंगीन गुल खिल गये ज्यों समंदर में भटकों को तट मिल गये हमको सानिध्य ऐसा लगा आपका जैसे शबरी को उसके प्रभु मिल गये।
कौन आया कि निगाहों में चमक जाग उठी,दिल के सोये हुए तरानों में खनक जाग उठी,किसके आने की खबर ले कर हवाएँ आई कि,रूह खिलने लगी साँसों में महक जाग उठी |
जिन दोस्तों की वजह से मेरे चेहरे पर ख़ुशी है,उन दोस्तों का मेरे घर पर हमेशा स्वागत है.
सबके दिलों में हो सबके लिए प्यार, आने वाला हर पल लाये खुशियों का बहार, इस उम्मीद के साथ भुलाके सारे गम इस आयोजन का करें वेलकम.
आप आए तो बहारों ने लुटाई ख़ुश्बू फूल तो फूल थे काँटों से भी आई ख़ुश्बू।
इस महफ़िल में कुछ लोग बिन बुलायें आते हैं,हम वो है जोआपके स्वागत मेंपलकें बिछाते हैं।
मीठी बात और चेहरे पर मुस्कान, ऐसे लोग ही है हमारी महफ़िल के शान.
उस ने वा’दा किया है आने कारंग देखो ग़रीब ख़ाने काजोश मलीहाबादी
आप आये श्री मान तो ऐसा लगा जैसे तकलीफों को दवा मिल गई।
आपके आने से आज ये शाम खाश हो गई, सारे दिन की परेशानियाँ पल भर में ख़त्म हो गई।
ये कौन आया, रौशन हो गयी महफ़िल किसके नाम से मेरे घर में जैसे सूरज निकला है शाम से.
शब्दों का वजन तो बोलने के भाव से मिलता हैं,वैसे तो दरवाजे पर भी “वेलकम” लिखा होता हैं
अजीज के इन्तजार में ही पलके बिछाते हैं, महफ़िलो की रौनक खास लोग ही बढ़ाते हैं.
आप आये श्रीमान तो ऐसा लगातकलीफों को जैसे दवा मिल गई.
क्या आपको पता है किकौन है महफिल की शान?,यहाँ पर आये हुए हर मेहमान.
स्वीकार आमंत्रण किया, रखा हमारा मान, कैसे करे कृतज्ञता, स्वागत है श्री मान..।।।
हर गली अच्छी लगी हर एक घर अच्छा लगा, वो जो आया शहर में तो शहर भर अच्छा लगा।
हम लाए हैं खुशियों की बारात,दिल में जो जश्न का एहसास है उसके साथ।आए हम शादी का त्योहार मनाने,आप सबको दिल से खुश रखने की दुआएं मांगने।
पहली मुलाक़ात में थोड़ा डर लगता है,पर मुस्कुराकर शुरूआत हो तो अपना घर लगता है.
हसरतो ने फिर से करवट बदली है, आप आये तो बलखा के बहारें आईं।
सबके दिलों में हो सबके लिए प्यार, आने वाला हर पल लाये खुशियों का बहार, इस उम्मीद के साथ भुलाके सारे गम इस आयोजन का करें वेलकम.
हार को जीत की एक दुआ मिल गई तपन मौसम में ठंडी हवा मिल गई। आप आये श्री मान जी यू लगा, जैसे तकलीफ को कुछ दवा मिल गई।
नग़में वफ़ा के हर साज़ पर गा नहीं सकतेज़िंदग़ी में कभी आपको बुला नहीं सकते
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चलेचले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चलेफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
धन्य धन्य हुए आज तो हम, मिट गये सारे अन्धियारें,आँखों को बहुत सुकून आया, जो आप हमारे द्वार पधारें.
जिन दोस्तों की वजह से मेरे चेहरे पर ख़ुशी है,उन दोस्तों का मेरे घर पर हमेशा स्वागत है.
ऐसा स्वागत कही हुई ही नहीं है,जैसी स्वागत मेरी प्यारी माँ करती है.