Waqt Ke Sath Badalna Shayari In Hindi : किसी के सपने किसी का प्यार पूरा न हो,इंसान का वक़्त इतना भी बुरा न हो !! दिल खोल कर हंसना तो मैं भी चाहता थाजिम्मेदारियों के बीच कभी वक़्त ही नही मिला !!
वक्त की रफ़्तार रुक गयी होती, शर्म से आँखें झुक गयी होती, अगर दर्द जानती शम्मा परवाने का, तो जलने से पहले ही वो बुझ गयी होती !
ज़िन्दगी की मेरी तस्वीर बदल जाए, तू मिल जाएगी तो तक़दीर बदल जाएगी।
प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता,ना वक्त के साथ ना हालात के साथ।।
रास्ते बदले हैं मंज़िल एक ही है, तरीके बदले है तुझे पाने के लिए इरादे नेक ही है।
बुरा वक्त तो सबका आता हैं, ऐ दोस्तकोई बिखर जाता हैं, तो कोई निखर जाता हैं।
वक्त की हाथो में सबकी तकदीर है ऐना झूठा है सच्ची तस्वीरे है Waqt ki hatho me sabki takdeere hai Aina jhootha hai sachi tasveere hai
अपना सब कुछ देदो मगर वक्त अपना ही रखना बेहतर होगा Apna sab kuchh dedo magar waqt apna hi rakhna behtar hoga
वक़्त पे जो इंसान काम आता हैं,उसका चेहरा तो भुलाये से भी भुला नहीं जाता हैं।
तुझे वक्त के साथ चलना पड़ेगा, जो बदलेगा रूट तो बदलना पड़ेगा !
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमां,हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में हैं।।
बुरा हो वक्त तो सब आजमाने लगते हैं,बड़ो को छोटे भी आँखे दिखाने लगते हैं,नये अमीरों के घर भूल कर भी मत जाना,हर एक चीज की कीमत बताने लगते हैं।
अच्छा वक़्त देख सहारा लेते हैं लोग,कुछ वक़्त बिता के छोड़ जाने के लिए।
हर बार वक्त को दोष देना ठीक नहीं हैं,कभी कभी ये लोग ही बुरे होते हैं।
अभी साथ था अब खिलाफ है,वक्त का भी आदमी जैसा हाल है।।
बदलते इंसानों की तुलना मौसम से की जाए तो गलत तो नहीं होगा, उन्हें सबसे अलग कहा जाए तो कुछ अलग तो नहीं आएगी।
कुछ इस क़दर बदल जाऊंगा मैं, देखना भी चाहोगे तो भी नहीं नज़र आऊंगा मैं।
वक़्त अजीब चीज़ है, वक़्त के साथ ढल गए,तुम भी बहुत करीब थे, अब बहुत बदल गए।
तुम कह रहे हो मैं बदल गया, तुम्हे तो याद भी नहीं मैं कैसा था पहले।
जब आप का नाम जुबान पर आता हैं,पता नहीं दिल क्यों मुस्कुराता हैं,तसल्ली होती है मन को, कोई तो है अपना,जो हँसते हुए हर वक्त याद आता हैं।
जनाब तौबा करना अपना वक़्त किसी का करने से,खुद की ज़िन्दगी का हिसाब नही कराया जाता औरों से।
जो बातें वक्त सीखता है किताबो में ढूढना मुस्किल होता है Jo baatein waqt sikhata hai kitabo me dhudhna muskil hota hai
सुना है कुछ लोगो का वक़्त बुरा सा चल रहा है,और वो हैं कि नफरत हम ही से कर रहे हैं।
वक़्त का एक अलग ही दस्तूर है,जिसे दिलों -जान से चाहा, वही सबसे दूर है !!
ना उसने मुड़ कर देखा ना हमने पलट कर आवाज दी,अजीब सा वक्त था जिसने दोनो को पत्थर बना दिया।।
वक़्त बहुत कुछ, छीन लेता है,खैर मेरी तो सिर्फ़ मुस्कुराहट थी।
इश्क़ का लम्हा महज़ एक वक़्त का फ़साना है,और वक़्त की तो फ़ितरत ही बदल जाना है।
वक़्त कहता है के फिर न आऊंगा,तेरी आँखों को अब न रुलाऊंगा,अगर जीना है तो इस पल को जी ले,शायद मैं कल तक नहीं रुक पाउँगा।
बगल वाले दोस्त कब बदल जाते है सच पता ही नहीं लगता।
खफा हम किसी से नहीं जनाब बस जरा वक़्त की कमी है,आसमान में उड़ने का एक ख्वाब है और पैरों तले जमीं है।
वक़्त का ख़ास होना जरुरुई नहीं,ख़ास लोगों के लिए वक़्त का होना जरुरी हैं।
तू मुझे बनते बिगड़ते हुए अब ग़ौर से देख,वक़्त कल चाक पे रहने दे न रहने दे मुझे।।
आगे वही बढ़ पायेगाजो जिंदगी को अपने हिसाब से चलाएगा,कौन रहेगा मैदान में, कौन बाजी हारेगाकिसमें है कितना दम, ये वक्त ही बताएगा।
वक्त के साथ बदलना सीखो अपनी मुसीबतों से लड़ना सीखो Waqt ke sath badlana sikho apani musibato se ladna sikho
बुरा वक्त भी कमाल का होता है जब भी आता है संभलना सीखा जाता है Bura waqt bhi Kamal ka hota hai jab bhi ata hai sambhalna sikha jata hai
ना करो हिमाकत किसी के वक़्त पर हसने कीये वक़्त है जनाब चेहरे याद रखता है
दुनिया समझती है बेकार जिसे,वो खोटा सिक्का भी एक दिन चल जायेगा,मंजिल चुन कर बढ़ चुका हूँ मैं,हौसले बढ़ रहे हैं मेरे और वक्त भी बदल जायेगा।
गम के अंधेरे में,खुद को बेकार ना कर,सुबह जरूर आएगी,सुबह का इंतजार कर।Gam ke andhere mein,khud Ko bekar Na kar,subah jarur aaegi,subah ka intezar kar.
तुम दगा करो तब भी गद्दार नहीं,हम खफा करें तो भी गुनाहगार हैं,खता तेरी नहीं ओ सनम मेरे,ये तो वक़्त वक़्त की मार हैं।
मिलकर देखा है हमने भी हर एक से, जानता हूँ वक़्त के साथ नहीं रहते लोग एक से।
सुनो, कभी तोहफे में घड़ी दी थी तुमने,अब जब भी देखती हूं तो यही ख्याल आता है,की काश तुम मुझे थोड़ा वक़्त भी देते।
बेवजह तुम्हें यु याद करना,बेवजह दोस्तो को यु परेशान करना,फिजूल ही था तुम पर वक्त बर्बाद करना।
वो बदले कुछ इस क़दर की खबर भी ना लगी।
ये वक्त गुजरता रहता है,इंसान भी बदलता रहता है,संभाल लो खुद को तुम जनाब,वक्त खुद चीख कर कहता है।
ज़िन्दगी ने मेरे दर्द का क्या खूब ईलाज़ सुझाया,समय को दवा बताया,और ख्वाइशों को परहेज बताया।
कितना भी समेट लो हाथों से फिसलता ज़रूर है,ये वक्त है दोस्तों बदलता ज़रूर है।।
ज़िन्दगी की जरूरतें समझिए वक्त कम है फरमाइश लम्बी हैं,झूठ-सच, जीत-हार की बातें छोड़िये दास्तान बहुत लम्बी है।।
घड़ी के सुई के जैसी हो गई है ज़िन्दगी,रुकना कहा है, पता ही नहीं !!
वक्त बहुत कम है साथ बिताने में,इसे न गवांना कभी रूठने मनाने में,रिश्ता तो हमने बांध ही लिया है आप से,बस थोड़ा सा साथ दे देना इसे निभाने में।
वक़्त लगता है खुद को बनाने में,इसलिए वक़्त बर्बाद मत करो,बेवजह किसी को मनाने में।
सोचा वक़्त से कुछ सौदे कर लूं,मुझे क्या पता था की उसकी कीमत बचपन की नादानियां होगी !!
वक्त का मारा और बेसहारा बेफिजूल की बातो में अपना समय बर्बाद नही करते Waqt ka mara aur besahara befijul ki baato me apna samay barbaad nahi karte
ख़फा हम किसी से नहीं जनाब,बस जरा वक़्त की कमी है,आसमान में उड़ने का एक ख्वाब है,और पैरों तले हमारे जमीं है।
हाल ये नहीं होता अगर साथ छोड़ दोगे बता देते हमे चलने से पहले, हमेशा ऐसे नहीं रहोगे अगर बता देते हमे बदलने से पहले।
जब आपका बुरा वक्त आता है तो लोगो का बात करने का तरीका बदल जाता है Jab apka bura waqt ata hai to logo ka baat karne ka trika badal jata hai
अब अच्छा लग रहा है जो बदल रहा हूँ, जब से अकल आई है अकेला चल रहा हूँ।
वक्त इशारा देता रहा और हम इत्तेफाक समझते रहे,बस यूँही धोके खाते रहे, और इस्तेमाल होते रहे।।
बदला वो मौसम ही तरह, मौन हो गया मैं मातम की तरह।
बुरा वक्त तो सबका आता हैं,कोई बिखर जाता हैं कोई निखर जाता हैं…
कितना भी सता ले हमें ये वक़्त,हम खुद को टूटने नहीं देंगे,बस इसी मोड़ पर एक दिनतुझे भी बदलने को मजबूर कर देंगे।
औरों की मर्जी से कभी जिया नहीं करते, हम वक्त पर अफसोस किया नहीं करते !
आप के दुश्मन रहें वक़्त-ए-ख़लिश सर्फ़-ए-तपिश,आप क्यों ग़म-ख़्वारी-ए-बीमार-ए-हिजराँ कीजिये।।
आँखों की नमी बढ़ गई,बातों के सिलसिले कम हो गए,जनाब ये वक़्त बुरा नहीं है,बुरे तो हम हो गए।
पैसा कमाने के लिए इतना वक़्त खर्च ना करो की,पैसा खर्च करने के लिए ज़िन्दगी में वक़्त ही न मिले।।
दूर जाने वाले आज नहीं तो कल चल ही जाएंगे, कितनी भी कोशिश कर लो रिश्ता बरकरार रखने की बदलने वाले बदल ही जाएंगे।
राब्ता लाख सही क़ाफ़िला-सालार के साथ,हम को चलना है मगर वक़्त की रफ़्तार के साथ।।
मोड़ आ जाए तो मुड़ना पड़ता है मेरी जान उसे रास्ता बदलना नहीं कहते।
सब कुछ तो था उसके पास काश वक्त भी होता हमारे लिए उनके पास Sab kuchh to tha usake paas kaash waqt bhi hota hamare liye unake paas
ये जरूरी नहीं कि वक्त के हाथों हर दफा जफा हो,कई मजबूरियां भी होती हैं किसी की,हर शख्स बेवफा नहीं होता।
बदल कर क्या खूब बदला लिया तूने, कोई किसी का नहीं होता आखिर बतला दिया तूने।
वक्त बहुत कम है साथ बिताने में,इसे न गवांना कभी रूठने मनाने में,रिस्ता तो हमने बांध ही लिया है आप से,बस थोड़ा सा साथ दे देना इसे निभाने में।
वक़्त का बोझ तब बढ़ जाता है,जब इंतज़ार किसी का सिद्दत से होता है !!
वक़्त मिले गर तो थोड़ा हिसाब भी कर देना ऐ जिंदगी,ये बिना पगार की नौकरी अब मुझसे नहीं होगी !!