Ustad Shayari In Hindi : अहले बीनिश को है तूफ़ान ए हवादिस मकतबलतमा ए मौज कम अज़ सेलि ए उस्ताद नहींग़ालिब देखना क्या है, नज़र अंदाज़ करना है किसेमंज़रों की ख़ुद ब ख़ुद पहचान होती जाएगी
न रोक ले हमें रोता हुआ कोई चेहराचले तो मुड़ के गली की तरफ़ नहीं देखा
जो इज्ज़त देगा उसी को इज्ज़त मिलेगी, हम हैसियत देखकर सर नही झुकाते। jo izzat dega usi ko izzat milegi hum hesiyat dekhkar sar nahi jhukta.
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँमिरी सादगी देख क्या चाहता हूँये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों कोकि मैं आप का सामना चाहता हूँ
कोई मस्जिद ना होती, कोई मंदिर ना होता कोई दलित ना होता, कोई काफ़िर ना होता
दौर-ए-वाबस्तगी गुज़ार के मैं अहद-ए-वाबस्तगी को भूल गया यानी तुम वो हो, वाकई, हद है मैं तो सचमुच सभी को भूल गया
वहीं हाली जो कि ग़ालिब के शागिर्द थे, उन्होंने ग़ालिब की वफ़ात पर मर्सिया लिखा जिसके कुछ मिसरे यूँ हैं,
मैने देखा है ज़माने को शराबें पी कर, दम निकल जाये अगर होश में आकर देखूँ…
निगाह-ए-इश्क़ दिल-ए-ज़िंदा की तलाश में हैशिकार-ए-मुर्दा सज़ा-वार-ए-शाहबाज़ नहीं
जौन जुदा तो रहना होगा तुझको अपने यारों बीचयार ही तू यारों का नहीं है यारों का उस्ताद भी है
कितनी अकड़ है आप मे हमें मार सके इतना दम नही है किसी के बाप में. Kitni akad hai ap me humein mar sake itna dam nahi hai kisi ke baap me.
न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने कीनशेमन सैकड़ों मैं ने बना कर फूँक डाले हैं
दो बातें कभी मत भूलना अपनी औकात और हमारी हैसियत. do batein kabhi mat bhulana apni aukat aur humari hesiyat.
था बिसात ए सुख़न में शातिर एकहमको चालें बताएगा अब कौनशेर में ना तमाम है हालीग़ज़ल इसकी बनाएगा अब कौन
कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखातुम्हारे बाद किसी की तरफ़ नहीं देखा
फ़ैसला जो होगा देखा जायेगा लेकिन तोड़ने में कोई कमी नही छोड़ेंगे। fesla jo hoga dekha jayega lekin todne me koi kami nahi chodenge.
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैंतू मेरा शौक़ देख मेरा इंतज़ार देख
तेरे बारे में सुना ये है के तू सूरज है, मैं ज़रा देर तेरे साये में आ कर देखूँ….
उधर शुरुआती दौर में ही मौलवी-मुल्ला, उस्ताद के खिलाफ फतवे जारी करने लगे। उनकी एक नज्म पर कट्टरपंथियों ने खूब हो-हल्ला मचाया। नज्म थी–
रेगिस्तान का रंग भी हरा हो जाता है, जब अपने साथ भाई खड़ा हो जाता है। Registan ka rang bhi hara ho jata hai, Jab apne sath bhai khada ho jata hai.
मिरी निगाह में वो रिंद ही नहीं साक़ीजो होशियारी ओ मस्ती में इम्तियाज़ करे
शागिर्द हैं हम ‘मीर’ से उस्ताद के ‘रासिख़’उस्तादों का उस्ताद है उस्ताद हमारा
इक हल्की सी बग़ावत है रग़ों में मेरी मैं तेरे इश्क़ में बरबाद हो नहीं सकता
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहलेख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
बहुत मुश्किल है मुझे गिराना दोस्त मैंने चलना ही ठोकरों से सीखा है. bahut mushkil hai mujhe girana dost mene chalna hi thokaro se sikha ha.
ना ही गीता होती , और ना कुरान होती, ना ही अल्लाह होता, ना भगवान होता
किसी से गुफ़्तुगू करने को जी नहीं करता मेरी ख़मोशी ही मेरा कलाम हो गई
रविश* बुज़ुर्गों की शामिल है मेरी घुट्टी मेंज़रूरतन भी सख़ी* की तरफ़ नहीं देखा
दुश्मनो को जरा खबर कर दो बदमाश फिर से जंगल में आ गया। Dushmano ko jara khabar kar do badmash fir se jungle me aa gaya.
कभी चुपके से चला आऊँ तेरी खिलवत में, और तुझे तेरी निगाहों से बचा कर देखूँ….
आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहींमहव-ए-हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी
सौदा-गरी नहीं ये इबादत ख़ुदा की हैऐ बे-ख़बर जज़ा की तमन्ना भी छोड़ दे
कुछ सही तो कुछ खराब कहते है लोग हमे बिगड़ा हुआ नवाब कहते है. Kuch sahi to kuch kharab kehte hai log hume bigda hua naqab kehte hain..
एक तुम के तुम को फ़िक्र-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ हैएक हम के चल पड़े तो बहरहाल चल पड़े
मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ, सोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ……
चलता आ रहा था सिलसिला प्यार में बर्बाद होने का भीड़ देखकर हम भी शामिल हो गए साहब
जिस दिन अपनी एंट्री शेर जैसी होगी उस दिन शोर काम खौफ ज़ादा होगा। jis din apni entry sher jesi hogi us din shor kam khof jyada hoga.
अजब था उसकी दिलज़ारी का अन्दाज़ वो बरसों बाद जब मुझ से मिला है भला मैं पूछता उससे तो कैसे मताए-जां तुम्हारा नाम क्या है?
लौट कर आया हूँ हिसाब कर के जाऊंगा हर एक को उसकी औकात दिखा कर जाऊँगा. Laut Kr Aaya Hun Hisab Kr Ke Jaonga Har Ek Ko Uski Aukaat Dikha Kr Jaonga.
ख्वाइशों ने सिखाया है कि मचलना कैसे है, हकीकतों ने चुप रहकर जिना सीखा दिया
शिकार तो सभी करते हैं लेकिन बादशाह से बेहतर शिकार कोई नहीं करता. shikar to sabhi karte ha lekin nawabon se behtar shikar koi nahi karta.
यहाँ तो जो भी है आबे-रवाँ* का आशिक़ हैकिसी ने ख़ुश्क नदी की तरफ़ नहीं देखा
उस्ताद अपने समकालीनों में, पूरे उपमहाद्वीप के बीच सौहार्द के मामले में ज्यादा अग्रणी थे।
दिल तो आशिक़ों के पास होता है हम तो बादशाह लोग हैं जिगरा रखते हैं। Dil to Ashiqon ke pass hota ha hum to badshah log ha jigara rkhte ha.
हम अपना Attitude तो वक्त आने पर दिखाएंगे,शहर तू खरीद उस पर राज़ करके हम दिखाएंगे।
अभी अकड़ में चूर हूँ, इसीलिए तो इतना मशहूर हूँ. Abhi akad me chur huun isliye to itna mashahur hun.
आग लगा देंगे उस महफ़िल में जहाँ बगावत हमारे खिलाफ होगी. Aag laga denge us mahfil me jahan bagawat humare khilf hogi.
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है, सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगा कर देखूँ….
तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता, …….काश कोई धर्म ना होता….. …….काश कोई मजहब ना होता….
होता है होश, तो वो नहीं होते, होते है वो, तो होश नहीं होते .
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ,पंडित भया न कोयढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय
नशा पिला के गिराना तो सब को आता हैमज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
वो आयेगा दिल से दुआ तो करो, नमाजे- मोहब्बत अदा तो करो..
बैठ के बिचार कर लोगे तो थी रहेगा वार्ना समाधान तो हम कर ही देंगे। beth ke bichar kar loge to thik rahega varna samadhan to hum kar hi denge..
इसके साथ ही अपने उस्तादों पर फ़ख़्र भी ख़ूब किया जाता था, रासिख़ अज़ीमाबादी का ये शेर मीर के बारे में देखिए,
कुछ नेकियाँ ऐसी भी होनी चाहिए जिनका खुदा के सिवा औऱ कोई गवाह ना हो
दिल में जिनका निशान भी न रहा क्यूं न चेहरों पे अब वो रंग खिलें अब तो खाली है रूह, जज़्बों से अब भी क्या हम तपाक से न मिलें
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना हैसिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना हैजिगर
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़मयूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े
ना कोई झुठा काजी होता, ना लफंगा साधु होता ईन्सानीयत के दरबार मे, सबका भला होता
जँहा से तेरी बादशाही खत्म होंती हे वहा से मेरी नवाबी शुरू होती हे. jahan se teri badmashi khtm hoti ha waha se meri nawabi shuru hoti hai.
मुश्किल था कुछ तो इश्क़ की बाज़ी को जीतना कुछ जीतने के ख़ौफ से हारे चले गए
उसकी बस एक ख़ुशी की खातिर, मैंने अपने ही हक़ में बददुआ कर ली .
माना तू Attitude की रानी हें तेरी Cuteness खानदानी है पर फिर भी तुझ से ज्यादा मेरी ये दुनिया दिवानी है.
‘की करी जानैऐवें मरी जानैकिदे शिमले जानैकिदे मरी, जानैकी करी जानैऐवें मरी जानै’
इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़ेहँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़े
जहाँ तुम्हारी ना चले न प्रधान वह हमारा एक बार नाम ले देना। jahan tumhari naa chale na pradhan wah humara ek bar naam le dena.
नशेड़ी तो यहाँ सब है जनाब, बस सबका नशा अलग अलग है
कोई बेबस ना होता, कोई बेघर ना होता किसी के दर्द से कोई बेखबर ना होता
तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता, …….काश कोई धर्म ना होता…. …….काश कोई मजहब ना होता….
जहाँ पैदा हुयी थी मुहब्बत,वहीं शहीद हो गयी, मेरा मुहर्रम हो गया,उनकी ईद हो गयी
बाप के सामने अय्याशी, और हमारे सामने BADMASHI, बेटा भूल कर भी मत करना. Baap ke samne ayyashi aur humare samne badmashi beta bhul kar bhi mt krna.
तेरा इमाम बे-हुज़ूर तेरी नमाज़ बे-सुरूरऐसी नमाज़ से गुज़र ऐसे इमाम से गुज़र