Two Line Urdu Shayari In Hindi : इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता शिकवा-ए-ग़म तिरे हुज़ूर किया हम ने बे-शक बड़ा क़ुसूर किया
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है, भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है।
मैं न कहता था कि मेरे घर में भी आएगी बहार, शर्त बस इतनी थी कि पहले तुझे आना होगा।
कितनी कातिल है ये आरज़ू जिंदगी की, मर जाते हैं किसी पर लोग, जीने के लिए ।
मेरे दिल के करीब रहोगे तुमजान हो जान बन कर रहोगे तुम
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ, कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई।
उसे बताना था तेरे बगैर भी खुश हूँ उसे दिखाना पड़ा एक दिन संवर के मुझे☺️😁
हुआ सवेरा तो हम उनके नाम तक भूल गए जो बुझ गए रात में चरागों की लौ बढ़ाते हुए।
कुछ बेगाने है इसलिए चुप हैंकुछ चुप है इसलिए बेगाने है
हम भी क्या ज़िंदगी गुज़ार गए, दिल की बाज़ी लगा के हार गए।
दौड़ में दौलत की तुम्हें जो भी मुक़ाम मिल जाये, नाम बदल देना मेरा जो इत्मिनान मिल जाये।🙂
बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ मेंजब से हुआ है, कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता
शानदार रिश्ते चाहिए तो उन्हें गहराई से निभाइये.. लाजवाब मोती” कभी किनारों पे नही मिलते🙂
बे-वक्त बे-वजह सी बेरुखी तेरीफिर भी बे-इंतहा चाहने की बेबसी मेरी
दिल तो करता हैं की रूठ जाऊँ कभी बच्चों की तरह, फिर सोचता हूँ कि मनाएगा कौन.
दिल को ग़म और यूँ गुल को सबा हो जैसेअब तो दर्द की सूरत ही दवा हो जैसे।
छतरियाँ हटा के मिलिए इनसे, ये जो बूँदें हैं…बहुत दूर से आईं हैं__!!
इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और, या इस में रौशनी का करो इंतिज़ाम और।
यूँ देखते रहना उसे अच्छा नहीं ‘मोहसिन’। वो काँच का पैकर है तो पत्थर तिरी आँखें ।।
हमें अहमियत तक न दी गईहम तो जान दे रहे थे
तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरेउतनी ही तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ
तुम्हारे पास ही तो हूँ, ज़रा ख्याल करके देखो.. आँखों की जगह दिल का इस्तेमाल करके देखो…
वो भी जिन्दा है ,मैं भी जिन्दा हूँ , क़त्ल सिर्फ इश्क़ का हुआ है…..
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गईं आई गई
“इश्क़ करने का भुगता खाम्याज़ा जा रहा है, आज फ़िर किसी आशिक़ का जनाज़ा जा रहा है”
मेरी मुस्कराहट को हकीकत ना समझ ऐ दोस्तदिल में झांक कर देख कितने उदास हैं हम
जागना भी कबूल है तेरी यादो में रात भर, तेरे एहसासों में जो मज़ा है वो नींद में कहा!!
ना जाने कौन मेरे हक में दुआ पढता है डूबता भी हूँ तो समुंदर उछाल देता है !!
रहने दे एक मुलाकात अधूरा यू ही, सुना है उधार वालो को लोग भुलाया नहीं करते…।।
करीब आ, तेरी आंखो में देख लू खुद को बहुत दिनो से कोई आईना नही देखा
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ, मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे।
कभी फुरसत मिले तो देख लेना एक बारकिसी नज़र को तेरा इंतजार आज भी है
चिंगारियाँ ना डालो मिरे दिल के घाव मेंमैं तो ख़ुद ही जल रहा हूँ, ग़मों के दर्द में ।
तेरी आँखों से गुफ्तगू करकेमेरी आँखों ने बोलना सीखा है!!
मेरी फितरत में नहीं था तमाशा करना बहुत कुछ जानते थे मगर खामोश रहे
उसके सिर्फ बाल बिखरे हैंहमारी तो जिंदगी ही बिखरी हुई है
किस तरह अपनी मोहब्बत की मैं तकमील करूँ ग़म-ए-हस्ती भी तो शामिल है ग़म-ए-यार के साथ
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नही छोड़ा करते, वक्त की शाख से लम्हे नही तोड़ा करते।
यह रिहाई मुझे नहीं मंजूरअपनी आंखों से मत निकालना मुझे
चलो बाँट लेते है अपनी सज़ाएं ना तुम याद आओ न हम याद आएं
हारा हुआ सा लगता है वजूद मेरा ,हर एक ने लूटा है दिल का वास्ता देकर !
मुझसे कहता है वो अब कि ऐसे वक्त ना मरनाकि मैं तुम्हें देखने भी ना पाउ मतलब हमारी मौत भी सस्ती हो गई
जब तुम्हारी याद आती हैतब मैं तकिये में मुंह करके सो जाता हूं
आओ की याद आती रही रात भर चांदनी दिल दुखाती रही रात भर
अगर नींद आ जाये तो सो भी लिया करोयूँ रातों को जागने से मोहब्बत लौटा नहीं करती
बस एक ही झिझक है तेरे हाल-ए-दिल सुनाने में,इतना कि तेरा भी जिक्र आ जाएगा मेरे इस फसाने में।
कुछ रिश्तों को मुलाकातों की जरुरत नहीं होतीदिल से ही याद करो वो निखर आया करतें हैं
इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्या कम था कि इश्क़ भेज दिया जान-ए-मुब्तला के लिए
किस तरह से अपनी मोहब्बत का मैं तकमील करूँग़म-ए-हस्ती भी तो शामिल है यारो ग़म-ए-यार के साथ।
ये एहतराम-ए-तमन्ना ये एहतियात-ए-जुनून के तेरा जिक्र भी करू, और तेरा नाम भी न लु।।
इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है…. लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर
अजब सा चराग़ हूँ में दिन रात जलता रहता हूँ में,थक गया हूँ अब जरा हवा से कह दो बुझा दो मुझे।
मेरे हमसफ़र की नज़र मुझ पर ही रहे अल्लाह करे ये सील सिला ताउम्र चलता रहे
तकमील-ए-आरज़ू से भी होता है ग़म कभी ऐसी दुआ न माँग जिसे बद-दुआ कहें
ग़म-ए-दिल अब किसी के बस का नहीं क्या दवा क्या दुआ करे कोई
“कौन हूँ मैं…. ऐ जिंदगी तू ही बता, थक गया हूँ मैं खुद का पता ढूँढते ढूंढ़ते।”
लोग कहते है की बिना मेहनत कुछ पा नही सकतेना जाने ये गम पाने के लिये कौन सी महेनत कर ली हमनेHanuman Chalisa in Hindi
अक्सर दिखावे का प्यार ही शोर करता हैसच्ची मोहब्बत तो इशारों में ही सिमट जाती है
कौन रोयेगा हमारे खातिर हम तो वो है जो कभी कभी खुद पर ही हस लेते है
कभी-कभी जिंदगी इस कदर तनहा कर देती हैफिर जिन्दगी से प्यारी मौत लगने लगती है
दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमकोहम तो दोस्तों के रूठ जाने से डरते हैं
जब तुम्हारी याद आती है तब मैं तकिये में मुंह करके सो जाता हूं
आखिरी मुलाकात” के लिए बुलाया था उसने मुझे. मैंने ना जाकर वो “आखिरी मुलाकात” बचा रखी है..
क्या कहूँ अब किस तरह से जीता हूँ में ग़म को खाता हूँ और आँसू पीता हूँ में।
शोर की तो उम्र होती हैं । ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।।
या तो दीवाना हँसे,,,,,या तू जिसे तौफ़ीक़ दे वर्ना इस दुनिया में आ कर मुस्कुराता कौन है.
लाग् हो तो उसको हम समझे लगाव । जब न हो कुछ भी , तो धोखा खायें क्या ।।
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन । उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा ।।
काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’। शर्म तुम को मगर नहीं आती।।
सारी दुनियां के हैं वो मेरे सिवा मैंने दुनियां छोड़ दी जिनके लिए
अपने हर एक लफ़्ज़ का खुद आइना हो जाऊंगा। उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊंगा।।
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं । कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं ।।
मैं उसको ख्वाबों में भीअब बेचैन पाता हूं