Train Safar Shayari In Hindi : रेल की पटरियों की माफ़िक है ये जिन्दगी, साथ-साथ चलती है फिर भी कोसो दूर है ये जिन्दगी. तू आता है और बारिश आ बरस जाता है, मैं पत्ते पर बूँद सी ठहर जाती हूँ तू रेल सा गुजर जाता है.
आज मैंने ट्रेन के सफ़र में ये जाना, कितना मुश्किल होता ट्रेन का पंचर बनाना.Train Shayari
शहर में किराए का कमरा घर नहीं लगता है,भीड़ इतनी होती है कि अब ट्रैन में डर नहीं लगता है.
कभी सांस थकी तो कभी सर दुखा, ज़िन्दगी वो सफर है जहाँ कभी पैर थके तो कभी दिल दुखा ||
रिश्तें भी नफा-नुकसान के खेल बन गये है, प्लेटफार्म पर आती-जाती रेल बन गये है.
सफर भले ही अकेले कट रहा है पर जैसा भी कट रहा है क्या खूब कट रहा है।
वो क्या पहुंचेगा मंज़िल पर भला जिसे सफर पर निकलने से डर लगता है।
सरफिरे मुसाफिर हैं हम,मंजिलो की चाह नहीं सफर का शौक रखते हैं।– Gagan SinghSarfire mushafhir hai hum,Manjilon ki chaah nahi safar ka shaukh rkhte hai.
आज फिर तेरी यादों के सफर में खो गया ना मंजिल मिली ना सफर पूरा हुआ।
इक तेज़ तीर था कि लगा और निकल गया मारी जो चीख़ रेल ने जंगल दहल गया
जिन्दगी के सफर में ये बात भी आम रही की मोड़ तो आये कई मगर मंजिले गुमनाम रही !
मंजिल दूर और सफ़र बहुत है,छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है मार डालती ये दुनिया कब की हमे लेकिन माँ की दुआओं में असर बहुत है ||
वो मंजिल ही क्या जिसके रास्ते में मजा न हो।
लोग चाहे जितना भी करीब हो, लेकिन हर कोई अकेला है ज़िंदगी के इस सफर में ||
जिंदगी के सफर में साथ लेकर चलते रहो, वरना जिंदगी आपकी सोच से भरी रहेगी।
रेल की पटरियों पर दौड़ती जिन्दगी की रेल, रेल की पटरियों पर दम तोडती जिन्दगी की खेल.
कितने दुख हैं इस जीवन में, पर सफर पर निकल के देखो कितनी खुशियां है।
मंजिल का तो ध्यान नहीं रहता,सफर में ही उलझा रहना अच्छा लगता है।– sohil_linesManzil ka toh dhayaan nahi rehta,Safar mein hi uljha rehna acha lagta hai.
अभी रेल के सफ़र में हैं बहुत निहाल दोनों कहीं रोग बन न जाए यही साथ दो घड़ी का
ज़िन्दगी का सफर थामना नहीं चाहिए तब तक, साँसे ना थम जाए जब तक।
इश्क ना हुआ रेल हो गई, देरी से भी आती है, इंतजार भी कराती है और अगले ही स्टेशन पर बेवफा भी हो जाती है.
उड़ना पसंद है मुझे गिरना पसंद है !!ठहरना नहीं मुझे घूमना फिरना पसंद है !!
ये रास्ता मुझे समझ नहीं आता, मुसाफ़िर हूँ मैं और मंजिल का कुछ पता नहीं।
सफर भला छोटा हो मगर अधूरा नहीं होना चाहिए।
बूढ़े ने हाथ जोड़ कर कहा, "साहब" मैंने जंजीर खींची है, लेकिन मेरी बहुत मजबूरी थी।"
दिन कुछ ऐसे गुज़र रहे हैं,जैसे पटरी को छूकर गुज़र जाती हैराजधानी एक्सप्रेस।
उम्र भर मंजिल की तलाश में रहे हम सफर गुजर गया मगर फिर भी मंजिल की आश में रहे हम।
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो - निदा फ़ाज़ली
चले थे जिस की तरफ़ वो निशान ख़त्म हुआ सफ़र अधूरा रहा आसमान ख़त्म हुआ - ग़ुलाम मुर्तज़ा राही
हम जितनी दुनिया देखते जाते है, हमारी नजरिया का दायरा उतना ही, बढ़ जाता है !
ये रास्ते कहां तक हैं इनका कोई किनारा क्यों नहीं दिखता, इस तन्हाई में कोई सहारा क्यों नहीं दिखता।
नफरत सी होने लगी है, इस सफर से अब जिंदगी कहीं तो, पहुँचा दे खत्म होने से पहले !
सफर भले ही अकेला कट रहा है,लेकिन क्या खूब कट रहा है।
धुप खिलती गई बादल छंटते गए, मुश्किलें बहुत आई पर क़दम बढ़ते रहे और रास्ते कटते रहे ||
"अगर अपने आप से ऊब जाए तो जरूर सफर पर निकल जाय, हो सकता है की आपकी ज़िंदगी संवर जाए।"
"आरज़ू थी मिले हमसफ़र मुझे भी ज़िंदगी के सफर में, तलाश मेरी पूरी हुई जब ज़िंदगी ने मिलाया मुझे तुमसे इस सफर में।"
चलती रेल से भागती हुई पेड़ को जो गिनते है, वो अपनी जिन्दगी में गजब की तरक्की करते हैं.
सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी, मेरे हर सफर को है तू लाज़मी।
थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ ज़िन्दगी अब बेहतर होगा तू मेरा हिसाब कर दे ||
चलती रेल से भागती हुई पेड़ को जो गिनते है, वो अपनी जिन्दगी में गजब की तरक्की करते हैं.
ये बस तेरी इन दुआओ का असर है की आज इस बेजान जिन्दगी में भी थोड़ा सफर है।
फासलें तेरे सफर को और मुश्किल बनाएंगे नजदीकियों से तेरी देखना हम मंजिले के और करीब जायेंगे।
मैं रेल सा, मुश्किलें पटरी सी, छोर के अंत में थोड़ा सा सुकून फिर मीलों ला तन्हा सफर.
तुम ठहरी CBSE टॉपर, मैं बिहार बोर्ड में फिल प्रिये, मैं हूँ भोजपुरिया खांटी, तू इंग्लिश में रेलम रेल प्रिये.
हमे तो पता था की तू कहीं, और का मुसाफीर था, हमारा शहर तो बस यूं ही तेरे, रास्ते मैं आ गया था !
अब घर में मैं मेहमान हो गया हूँ, रोज़ आता जाता हूँ, यूही लगता है अब बेघर हो गया हूँ मैं।
यूँ ही नहीं आगे हूँ मैं ज़िन्दगी के सफर में, की पीछे हटना मुझे नहीं आता।
अलग चला आहिस्ते चला, पर जब चला खुद के बनाए रास्ते पर चला ||
मत रोको मुझे बेफिज़ूल में, बेफिज़ूल में रुकना मुझे बेफिज़ूल लगता है।
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बीत गई सो बात गई, जो बाकी है वही काफी है।
ख्वाहिश इतनी है कि मंजिल मिल जाए औरों से पहले।
उस एक छोटे से क़स्बे पे रेल ठहरी नहीं वहाँ भी चंद मुसाफ़िर उतरने वाले थे
जीते जी न हो सकेगा अपना ये मेल प्रिये, चाहे तेरे पापा लेकर दे दे रेल प्रिये.
तू मेरी रात की आख़िरी ख्वाब है काश मैं तेरा सुबह का पहला ख़्याल होता
मैं तो यूँ ही सफर पर निकला था, एक अजनबी मिला और, उसने अपना बना लिया !
कितने दुख हैं इस जीवन में, पर सफ़र पर निकल के देखो कितनी खुशियां हैं ||
मायूस हो गया हूँ जिंदगी के सफर से, कुछ इस कदर, कि ना खुद से मिल पा रहा हूँ ना मंजिल से !
सफर भले ही अकेले कट रहा है, पर जैसा भी कट रहा है क्या खूब कट रहा है।
"ज़िंदगी एक सुहाना सफर है अगर साथ एक मनचाहा हमसफ़र है।"
Safar ka kya hai ,Aaj chal raha haikal mere sath katam ho jayega.सफर का क्या है,आज चल रहा है,कल मेरे साथ खत्म हो जाएगा।
अपनी मर्जी से कहां अपने सफर के हम हैं, रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं !
ज़िन्दगी के सफ़र में सबको साथ लेकर चलते रहो, वरना ज़िन्दगी अफ़सोस से भरी रहेगी ||
तू किसी रेल सी गुज़रती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ
रस्ते कहाँ ख़त्म होते हैं जिंदगी के सफर में, मंजिल भी वहीं है जहाँ ख्वाहिशें थम जाएँ ।
रिश्तें भी नफा-नुकसान के खेल बन गये है, प्लेटफार्म पर आती-जाती रेल बन गये है.
इन अजनबी सी राहों में जो तू मेरा, हमसफ़र हो जाये बीत जाए पल भर में, ये वक्त और हसीन सफर हो जाये !
ट्रेन को कहते है लोहपथगामिनी, तुम मेरी दिल की धड़कन हो यामिनी.
अपनी जिन्दगी भारतीय रेल की तरह है, लेट हो सकती है पर मंजिल पर जरूर पहुंचेगी. Train Shayari
तेरी रूह है से ज्यादा साथ जीने का मज़ा तेरी परछाई में है जीवन में साथ सफर से ज्यादा जीने का मज़ा तेरी तन्हाई में है।
मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगर सफ़र सफ़र है मेरा इंतजार मत करना - साहिल सहरी नैनीताली
रेल की पटरियों की माफ़िक है ये जिन्दगी, साथ-साथ चलती है फिर भी कोसो दूर है ये जिन्दगी.