Tareef Me Shayari In Hindi : ख्वाहिश ये नहीं की मेरी तारीफ हर कोई करे, बस कोशिश ये है की मुझे कोई बुरा न कहे !! मासूम सी सूरत तेरी दिल में उतर जाती है, भूल जाऊं कैसे मैं तुझे, तू मुझे हर जगह नजर आती है !
वही चहरा वही आँखे वही रंगत निकले जब भी कोई ख़्वाब तराशु तेरी ही मूरत निकले।
क्या हुस्न था कि आँख से देखा हजार बार,फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी।
उसके चेहरे के तिल पर फिदा मेरा दिल है, हंसती है तो जान ले लेती है, इस दुनिया में वो सबसे खूबसूरत है।
उसके बोलने के अंदाज ने हमें सब कुछ करवा दिया, उसकी तारीफ ने क्या करें हमें सब कुछ भुला दिया।
नशीली आँखों से वो जब हमें देखते हैंहम घबराकर आँखें झुका लेते हैंकौन मिलाए उनकी आँखों से आँखेंसुना है वो आँखों से अपना बना लेते है
हम तो उनकी तारीफ में लिखते रहे,वो बस उन्हें पड़ते रहे, और सुनते रहे,हाल ए दिल कह दिया अपना हमने,और वो अंत में वाह वाह करते रहे।
कुछ अपना अंदाज हैं कुछ मौसम रंगीन हैं,तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो ही संगीन हैं! ?
क्युकी में तुम्हे वैसे ही पसंद किया है जैसे तुम हो कल तुम्हारा तारीफ करना अच्छा लगता था तोह आज दूर रहना,रुक जाना यह भी सही है।
सोचा की कुछ अपनी तारीफ में लिख दूँ, फिर सोचा की तुम्हे ही अपनी तारीफ में लिख दूँ
क्या शब्द चुनूं तुम्हारी आन-बान-शान में,ये कहना काफी नहीं कि, तूम सबसे कमाल हो इस जहान में।
निगाह उठे तो सुबह हो,झुके तो शाम हो जाएँ,एक बार मुस्कुरा भर दो तो कत्ले-आम हो जाएँ.
कातिल आपकी अदाओं ने लूटा है,मुझे आपकी वफाओं ने लूटा है,शौक नहीं था हमें आशिक़ी का,मुझे तो अपकी निगाहों ने लूटा है..!!
सुना है रब कि कायनात में,एक से बढ़कर एक चेहरे हैं…मगर मेरी आँखों के लिए सारे जहाँ में, सबसे खुबसुरत सिर्फ तुम हो…
अब क्या लिखूं तेरी तारीफ में मेरे हमदम, अलफ़ाज़ कम पड़ जाते है तेरी मासूमियत देखकर।
अब क्या ही तारीफ करे हम आपकी, पूरी जिंदगी कम पड़ जाएगी तरीफ में आपकी।
तेरी हर मुस्कान के पीछे, दुनिया की सारी खुशियाँ छिपी हुई हैं.
आँखे बयां करती है, दिल में छिपे राज़ जब बज रहे हो दिल में मोहब्बत के साज़
हटा के जुल्फ़ चहरे सेना तुम छत पर शाम को जानाकहीं कोई ईद ना करले सनमअभी रमज़ान बाकी है जानेमन
तेरा हुस्न जब से मेरी आँखों में समाया है,मेरी पलकों पे एक सुरूर सा छाया है,मेरे चेहरे को हसीन नूर देने वाले,ये तेरे दीदार के लम्हों का सरमाया है!
क्या हुस्न था… कि आँखों से देखा हजार बार,फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी।
तेरे जिस्म की तारीफ़ तो हजारों करेंगे, तारीफ़ रूह की सुननी हो तो हमें बुला लेना.
कैसे कहे के आप कितनी खूबसूरत है,कैसे कहे के हम आप पे मरते है,यह।तो सिर्फ़ मेरा दिल ही जनता है,के हम,आप पे हमारी जवानी क़ुरबान करते है।
बात क्या करे उसकी खुबसूरती की,फुलो को भी उसे देखकर शर्माते देखा है मैने।
बेताब कर देगी मुझे उनकी वो जादू भरी नज़रजब हम उनके देखने की अदा देखते ही रह जायेंगे.
सुबह का मतलब मेरे लिए सूरज निकलना नही,तेरी मुस्कराहट से दिन शुरू होना है।
इज़्ज़त और तारीफ मांगी नहीं जाती कमाई जाती है..!!
मैं जहाँ हूँ तिरे ख़याल में हूँ तू जहाँ है मिरी निगाह में है
तुम हर मायने में खूबसूरत हो तुम्हे किसी मायने की ज़रुरत नहीं, तुम्हे दुनिया ही बता देगी तुम कितनी खूबसूरत हो तुम्हे किसी आईने की ज़रुरत नहीं।
इश्क के फूल खिलते हैं तेरी खूबसूरत आंखों में,जहां देखे तू एक नजर वहां खुशबू बिखर जाए
तमन्ना थी जो कभी वो हसरत बन गईकभी दोस्ती थी अब मोहब्बत बन गईकुछ इस तरह तुम शामिल हुवे ज़िन्दगी मेंतुझे सोचते रहना अब मेरी आदत बन गई
तेरे हुस्न का दीवाना हर कोई होगा, पर मेरे जैसा आशिक कोई और न होगा।
कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं, कि परेशान लोग उन्हें देख कर खुश हो जाते हैं, उनकी बातों का अजी क्या कहिये, अल्फ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं।
तेरी मुस्कराहट की मिठास से मोहब्बत है, तू है वो ख्वाब जो हर पल याद आत है।
तेरी तरफ जो नजर उठीवो तापिशे हुस्न से जल गयीतुझे देख सकता नहीं कोईतेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं
इश्क के फूल खिलते हैं तेरी खूबसूरत आंखों में,जहां देखे तू एक नजर वहां खुशबू बिखर जाए।
कुछ मौसम रंगीन है कुछ आप हसीन हैं,तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।
बिल्कुल चांद की तरह हैनूर भी, गुरुर भी, दूर भी…
क्या ख़ाक करू उस चाँद की तारीफ में,जो हर लम्हा डूब जाता है, अब तोह चाँदको भी तैरना सीखना है।
उनके चेहरे का ये काला तिल हुस्न पर पहरा देता है, दुनिया की आंखें कहीं दाग न लगा दे इस पर, इसलिए नजर का टीका बन जाता है।
हम पर यूँ बार बार इश्क का इल्जाम न लगाया कर,कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो
आँखों को जब तेरा दीदार हो गया, दिन आम था अब तक अब त्यौहार हो गया।
यह मुस्कुराती हुई आँखें,जिनमें रक्स करती है बहार।शफक की, गुल की,बिजलियों की शोखियाँ लिये हुए।
तेरी सूरत में चांद नज़र आया तेरी बातों में ईमान नज़र आया तू मेरे क़रीब आजा इस कदर क्युकी हर रात तेरा हुस्न नज़र आया।
पानी से प्यास न बुझी तो,मैं खाने की तरफ चल निकला।सोचा शिकायत करुं तेरी खुदा से पर,खुदा भी तेरा आशिक निकला।
तुम्हारी तारीफ करने के लिए हमारे पास कोई अल्फाज नही होते, तुम मेरे यार फरिश्ता हो जो हर किसी की किस्मत में नही होते।
किसी ने मुझ से कहा बहुत खुबसूरत लिखते हो यार, मैंने कहा खुबसूरत मैं नहीं वो है जिसके लिए हम लिखा करते है.
तू बेमिसाल है तेरी क्या मिसाल दूं ! आसमां से आई है, यही कह के टाल दूं !
हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मुहब्बत का, कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो।
आँखो मे आँसुओ की लकीर बन गईजैसी चाहिए थी वैसी तकदीर बन गई !
तेरी सादगी को मैं तेरी सबसे बड़ी खूबी मानता हूँ, तू भी इस बात से वाखिफ़ है इस बात को मैं भी बखूबी जानता हूँ।
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हेंतुम्हारी शख्सियत की खबर,कभी हमारी आँखो से आकर पूछोकितने लाजवाब हो तुम
“ यह मुस्कुराती हुई आँखें जिनमेंरक्स करती है बहार,शफक की,गुल की,बिजलियों की शोखियाँ लिये हुए…!!
देख कर तुमको याकिन होता है,कोई इतना भी हसीन होता है।देख पाते हैं कहा हम तुमको,दिल कहीं होश कहीं गरम है।
जवान दिलों की भी आगे तेरे सांस ख़त्म हो जाए, तू कोहिनूर से बढ़ कर है तेरे आगे हीरों की तराश ख़त्म हो जाए।
लगता है कि खुदा ने तुम्हें बड़ी खूबसूरती से बनाया है,फूल, खुशबू, झील ये चांद इन सब का अक्स तुझमें समाया है।
सादगी भी कमाल है उनकी, बिना सँवरें चमकना जानती है। Sadgi bhi kamal hai unki bina sanwachamakna janti hai.re
इतने हिजाबों पर तो ये आलम है हुस्न का क्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम
ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज, ये निगाहें,आखिर तुम्हीं बताओ क्यों कर न तुमको चाहें।
तेरी खूबसूरती इन आँखे में कुछ इस तरह समायी, जब भी आँखे बंद करूँ, देती है बस तू ही तू दिखायी.
तुमको देखा तो मुझे मोहब्बत समझ में आयी,वरना औरों से ही तुम्हारी तारीफ सुना करते थे।
देखते ही उनको फिदा हो जाएं, इतनी हसीन हैं वो, न गहने न श्रृंगार, फिर भी वो बला की खूबसूरत है.
तुझे देख जी ही नहीं भरता है, तू जब चलती हैसड़कों पर ऐसा लगता है चाँद ज़मीन पर उतरता है।
जो जीवनभर सीखने की इच्छा रखता है,वही जीवन में आगे जाने की क्षमता रखता है।
तेरी तारीफ मेरी शायरी में जब हो जाएगी चाँद की भी कदर कम हो जाएगी।
आइना देख के कहते हैं सँवरने वाले आज बे-मौत मरेंगे मुझ पर मरने वाले
मेरी निगाह-ए-इश्क भी कुछ कम नही, मगर, फिर भी तेरा हुस्न तेरा ही हुस्न है…
तराशा है उनको बड़ी फ़ुर्सत से,ज़ूलफें जो उनकी बादल की याद दिला दें।नज़र भर देख ले जो वो किसी को,किसी नेक दिल इंसान की भी नियत बिगड़ जाए।
शब में आँखों को तलब लगा कर,सेहर को जाने की बात कर देगा।ये इक खूबसूरत सा चाँद,न जाने कितनों को बरबाद कर देगा।
सबके चेहरे में वह बात नहीं होती,थोड़े से अँधेरे में रात नहीं होती,ज़िन्दगी में कुछ लोग बहुत प्यारे होते है,क्या करे उन्ही से आजकल मुलाकात नहीं होती।
जब सुनाते हैं वो किस्से अपने, तो निगाहें चुपचाप उन्हें देखा करती हैं, किसी से सुना था कि इबादत में कुछ भी कहने की मनाही होती है।
कोई चांद सितारा है तो कोई फूल से प्यारा है, जो दूर रहकर भी हमारा है वो नाम सिर्फ तुम्हारा है.
ढाया है खुदा ने ज़ुल्म हम दोनों पर,तुम्हें हुस्न देकर मुझे इश्क़ देकर।