Tareef Me Shayari In Hindi : ख्वाहिश ये नहीं की मेरी तारीफ हर कोई करे, बस कोशिश ये है की मुझे कोई बुरा न कहे !! मासूम सी सूरत तेरी दिल में उतर जाती है, भूल जाऊं कैसे मैं तुझे, तू मुझे हर जगह नजर आती है !
सुरमे से लदी उनकी आंखें कत्ले आम करती हैं,जिसे देख ले मुस्कुरा कर उसे अपना गुलाम बना लेती हैं।
तेरे हुस्न का दीवाना तो हर कोई होगा, लेकिन मेरे जैसी दीवानगी हर किसी में नहीं होगी !
महोब्बत करने वालों को दिखावे की ज़रूरत नहीं पड़ती,सच्चाई आँखों में दिखती है बताने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
फिज़ाओ में रंग बिखेरे तुम्हारा चाँद सा चेहरा मुझे बेचैन कर जाये तुम्हारा मासूम चाँद सा चेहरा मेरी खातिर सँवरता है तुम्हारा चाँद सा चेहरा.
मेरे लफ्जों में है तारीफ एक चेहरे कीमेरे महबूब की मुस्कराहट से चलती है शायरी मेरी
तक़दीर से तब हमे हिस्सा मिलता है,प्यार भरा कोई जब रिश्ता मिलता है,रोशन हो जाती है सारी दुनिआ,जब रिश्तों में आप जैसा फ़रिश्ता मिलता है।
इस सादगी पर कौन नमर जाएं ऐ खुदा,लड़ते हैं और हाथ मेंतलवार भी नहीं..!!
कितना खूबसूरत चेहरा है तुम्हारा, ये दिल तो बस दीवाना है तुम्हारा, लोग कहते है चाँद का टुकड़ा तुम्हें, पर मैं कहता हूँ चाँद भी टुकड़ा है तुम्हारा।
खूबसूरती तो समय के साथ खत्म हो जाती हैं, पर सच्चा प्यार ज़िन्दगी भर साथ रहता हैं।
रुख से पर्दा हटा तो, हुस्न बेनकाब हो गया, उनसे मिली नज़र तो, दिल बेकरार हो गया..!!
सब हे तारीफ करते है मेरी शायरीकभी कोई नहीं सुनता मेरे लफ़्ज़ों की सिसकियाँ।
मैं इज़्ज़त करता हूँ सिर्फ दिल से चाहने वाले की..!!हुस्न तो आज कल बाज़ार में भी बिकते हैं..!!!
ये आईने ना दे सकेंगे तुझे तेरे हुस्न की खबर,कभी मेरी आँखों से आकर पूछो के कितनी हसीन हों तुम…!!
नज़रों की नज़ाकत के क्या कहने जनाब,उनका गुस्से से देखना भी शहद लगता है।
तेरी नज़रें बयाँ करती हैं मेरी खूबसूरती, अब मुझे आइनों की ज़रूरत न रही।
ग़ज़ल या शायरी की चाह नहीं, प्यार भरे तेरे दो बोल ही काफी है,मुझे क्या लेना है तारीफों से, तेरा इक नज़र भर देखना ही काफी है।
सुना है रब कि कायनात में,एक से बढ़कर एक चेहरे हैं… मगर मेरी आँखों के लिए सारे जहाँ में, सबसे खुबसुरत सिर्फ तुम हो…
तेरे हुस्न को परदे कि जरुरत क्या है,कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद।
क्या लिखूं तेरी तारीफ-ए-सूरत में यार,अलफ़ाज़ कम पड़ रहे हैं तेरी मासूमियत देखकर।
उनकी हर अदा हमें तो मुहब्बत सी लगती है, अब तो उनसे एक पल की जुदाई मुद्दत सी लगती है।
नसीहत वो सच्ची बात है..जिसे हम कभी ग़ौर से नहीं सुनते..और तारीफ वह धोखा है….जिसे हम पूरे ध्यान से सुनते हैं..
आँखों पर तुमने कुछ ऐसे जुल्फ गिरा दीबेचारे से कुछ ख्वाबों की नींद उड़ा दी
उनकी तारीफ़ क्या पूछते हो उम्र सारी गुनाहों में गुजरीअब शरीफ बन रहे है वो ऐसे जैसे गंगा नहाये हुए है
अल्फ़ाज नये है बात वही पुरानी है, उनकी तारीफों में चल पड़ी कलम हमारी है.
अगर खूबसूरती वही है जिसे देख नज़रे ठहर जाए, तो कह दो अपनी नज़रो से, हमारा दीदार कर जाए।
मेरा हर पल आज खूबसूरत हैं,दिल में जो सिर्फ तेरी ही सूरत हैं,कुछ भी कहे ये दुनिया गम नहीं,दुनिया से ज्यादा हमें तेरी जरुरत है।
जब उनको बरसात में देखा तो ऐसा लगा की गुलाब पर पानी की बूंदे।
तुझे देखने के बादशराबी भी पीना छोड़ दे ऐसा नशा है तेरे खूबसूरत से चेहरे में।
खूबसूरती में उनकी कोई कमी तो होती, खुदा कसम वो फिर और ज्यादा खूबसूरत होती
तेरी तारीफ में क्या लिखूं ए-सनम, तुम्हारी अदाएं देखकर मेरे अल्फाज गुम हो जाते हैं।
कैसे करुं बयाँ मै खुबसुरती उसकी, मेने तो उसे बिना देखे ही प्यार किया है।
तेरी तस्वीर ज़रूर है मेरे पास मग़र उसकी कोई ज़रुरत नहीं क्युकी तेरे खूबसूरत चहरे को हमने आँखों में बसा रखा है।
अब क्या लिखूं तेरी तारीफ में मेरे हमदम, अलफाज कम पड़ जाते है तेरी मासूमियत देखकर.
इजाज़त ही नहीं कुछ और हमको देखने की,अभी तो ख़्वाब आँखों में तुम्हारा चल रहा है..!!
निगाहें उठे तो सुबह हो,झुके तो शाम हो जाए,एक बार मुस्कुरा भर दो,तो कत्ले-आम हो जाए..!!
अभी भी तेरा हुस्न डालता है मुझको हैरत में मुझे दीवाना कर देता है जलवा जानेमन तेरा
पहनावे की खूबसूरती तो पहनावे तक ही रहती है, मुखड़े पे खुसी हो तो जिंदगी के हर पल में ख़ुशी रहती है।
चाहता तो हूँ कि अब चूम लूँ तुम्हारे इन गालों को मैं पर अपने ही लबों से ख़ुद जल भी तो मैं ही जाता हूँ
तेरे हुस्न ने हमारे होश फाख्ता कर दिए, वरना बंदे तो हम भी काम के हुआ करते थे।
उफ़ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं
उसने होठों से छू कर दरिया का पानी गुलाबी कर दिया, हमारी तो बात और थी, उसने मछलियों को भी शराबी कर दिया।
खूबसूरत हैं आपकी आंखे और इनमें हया है,बस इन्हीं की जादूगरी से तो मेरा दिल गया है।
“ कैसे कहे के आप कितनी खूबसूरत है,कैसे कहे के हम आप पे मरते है,यहतो सिर्फ़ मेरा दिल ही जनता है,के हमआप पे हमारी जवानी क़ुरबान करते है….!!
“मैं तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूँ, सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम।”
“कातिल तेरी अदाओं ने लूटा है, मुझे तेरी वफाओं ने लूटा है, शौंक नहीं था मुझे मर मिटने का, मुझे तो आपकी इन्ही निगाहों ने लूटा है।”
तस्वीर बना कर तेरी आसमान पर टांग कर आया हूँ, और लोग पूछते है आज चाँद इतना बेदाग कैसे है
ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है,जहां कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है।
नज़र इस हुस्न पर ठहरे तो आखिर किस तरह ठहरे,कभी जो फूल बन जाये कभी रुखसार हो जाये।
यूं मुझ पे अपनी नजरों का कहर न ढाओ,मैं हर जाम को भुल जाता हुँ,जब इन मे मैं डुब जाता हुँ…!!
“ तुझे पलकों पे बिठाने को जी चाहता हैतेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है,खूबसूरती की इंतेहा हैं तू,तुझे ज़िन्दगीमें बसाने को जी चाहता है….!!!
आँखों मे आँसुओं की लकीर बन गई,जैसी चाहिए थी वैसी तकदीर बन गई,हमने तो सिर्फ रेत में उँगलियाँ घुमाई थीं,गौर से देखा तो आप की तस्वीर बन गई।।
ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डालेतन्हाई मे खुद अपनी तस्वीर न देखा कर !
“बड़ा हैरान हूं देखकर आईने का ज़िगर, एक तो तेरी कातिल नज़र और उस पर काज़ल का कहर।”
तेरी खूबसूरती की तारीफ में क्या लिखूं,कुछ खूबसूरत शब्दों की अभी तलाश है मुझे।
तेरी तरफ जो नजर उठीवो तापिशे हुस्न से जल गयीतुझे देख सकता नहीं कोईतेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं.
तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूँइस सारे जहां में बेमिसाल हो तुम
“ तुम्हारे गालों पर एक तिल का पहरा भी जरूरी है,डर है की इस चहरे को किसी की नज़र न लग जाए…!!
लगता है मेरी आंखों को तेरा नशा हो गया है, जब से तुम्हें देखा है इन्हें कुछ और खूबसूरत लगता ही नहीं है।
इतनी अदाएं कम थीं, जो एक और शामिल है, कातिल सूरत पहले ही थी, अब तो तेरी नजर भी कातिल है।
तेरी आँखों में कुछ ऐसा नशा है… तुम दिल में , दिल आंखों में बसा है…
हटा के जुल्फ़ चहरे से ,न तुम छत पर शाम को जाना ,कहीं कोई ईद ना करले सनम ,अभी रमज़ान बांकी है ।
तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है, तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है, खूबसूरती की इंतेहा है तू… तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है..!!
बया करने को बाकी है बहुत कुछ अभी,बया करने बेथु तो जमाना बिट जाए।
यूं तो दुनिया में देखने लायक बहुत कुछ है, पर पता नहीं क्यों ये आंखे सिर्फ तुम्हारी आंखों पर आकर ही रुक जाती है।
सब तारीफ कर रहे थे अपने प्यार कीहम नींद का बहाना दे कर महफ़िल छोड़ आये।
“ निगाह उठे तो सुबह हो,झुके तोशाम हो जाएँ,एक बार मुस्कुरा भरदो तो कत्ले-आम हो जाएँ….!!
मेरी शायरी से सबको अपनी सी कहानी मिल गई, दुख बस इतना है कि वो न मिली जिसके लिए ये लिखी गई थी।
“तेरे हुस्न को किसी परदे की जरूरत ही क्या है, कौन रहता है होश में… तुझे देखने के बाद।”
कुछ चीज़ दिल में बस जाती है जिसमे सबसे पहले आपका चेहरा है।
वो अचानक सामने यूं आए तो हम रास्ता भूल गए, उनका साथ ही मंजिल तक पहुंचाएगा, ये सोच हम उनके पीछे-पीछे भटकते रहे।
ये आईने नही दे सकते तुम्हे तुम्हारी खूबसूरती की सच्ची ख़बर, कभी मेरी इन आँखों में झांक कर देखो की कितनी हसीन हो…..!
“गले मिला है वो मस्त-ए-शबाब बरसों में, हुआ है दिल को सुरूर-ए-शराब बरसों में,