Tareef Me Shayari In Hindi : ख्वाहिश ये नहीं की मेरी तारीफ हर कोई करे, बस कोशिश ये है की मुझे कोई बुरा न कहे !! मासूम सी सूरत तेरी दिल में उतर जाती है, भूल जाऊं कैसे मैं तुझे, तू मुझे हर जगह नजर आती है !
दर्द और उमंग लिखता हूँ हर खूबसूरत दिल काकिसी की महफिल का तो किसी की तन्हाई का…
नायब था अंदाज उसकाजमीन से आसमान तकहर चीज में तारीफ करतेखुदा ने बनाया है हसीन आपको !
तुझे देखकर ऐसा लगा जैसे किसी जन्नत में आ गया, देख कर तेरी खूबसूरती वह चांद भी शरमा गया।
तेरे हुस्न का दीवाना तो हर कोई होगा, लेकिन मेरे जैसी दीवानगी हर किसी में नहीं होगी !
तुम आईना क्यूं देखती हो?बेरोज़गास करोगी क्या मेरी आँखों को..
कंठ बिराजें सरस्वती, जिह्वा पर बिराजें राम,युगों-युगों तक अमर रहेगा लता जी आपका नाम ।।
इतना नाज़ुक हो तुम, क्या खूबसूरत हो तुम,बनाया तुझे रब ने इतनी बड़ी नज़ाक़त से,की इंतेहा हो तुम हुस्न का.
एक हुस्न की परी को मैं अपना दिल दे बैठा अपनी ज़िन्दगी को एक मकसद दे बैठा पता नहीं वो मुझे चाहती है या नहीं बस यही ख्याल मुझे भी ले बैठा.
रूठ कर कुछ और भी हसीन लगते हो,बस एहि सोच कर तुमको खफा रखा है
“यूँ ना निकला करो आज कल रात को चाँद चुप जायेगा देख कर आपको।”
यूँ ही देख के उनको फ़िदा हो गए है हम,खुदाया जो हंस दे वो तो हस्र क्या होगा।
कहाँ से लाऊँ वो लफ्ज़ जो सिर्फ तुझे सुनाई दे , दुनियाँ देखे अपने चाँद को मुझे बस तूही दिखाई दे ।
ज़रा स्माइल रखो चेहरे पे… क्यूँकि, रात में सपनों को हँसते हुए चेहरे पसंद हैं……!!
बहुत खूबसूरत है आँखें तुम्हारीइन्हें बना दो किस्मत हमारी
कैसी थी वो रात कुछ कह सकता नहीं मैं चाहूँ कहना तो बयां कर सकता नहीं मैं ,
कैसे करुं बयाँ मै खुबसुरती उसकी, मेने तो उसे बिना देखे ही प्यार किया है।
यह तेरा हुस्न और ये अदाएं तेरी, मार जाते हैं इन्हें देख मुहल्ले के सारे आशिक, उतर आते है ।
कितना हसीन चाँद सा चेहरा हैं,उसपे सबाब का रंग गहरा हैं,खुदा को यकीन ना था वफ़ा पे,तभी चाँद पर तारों का पहरा हैं।
बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,आपको देखा वो ख्वाहिश जाती रही।
जरा जरा सा था पर था कमाल कावो तेरा मुस्कराना जो हम ले डूबा।
रुख से पर्दा हटा तो, हुस्न बेनकाब हो गया, उनसे मिली नज़र तो, दिल बेकरार हो गया
नज़र इस हुस्न पर ठहरे तो आखिर किस तरह ठहरे,कभी जो फूल बन जाये कभी रुखसार हो जाये।
तारीफ क्या करू में तुम्हारी क्यूंकि, तुम्हीं एक तारीफ हो !
उसके मीठे होठ और मुझे शुगर का रोगहकीम साहब तुम रहने दो हमसे नहीं होता परहेज
निगाह उठे तो सुबह हो,झुके तो शाम हो जाएँ,एक बार मुस्कुरा भर दो तो कत्ले-आम हो जाएँ।
किसी ने कहा बहुत ही खूबसूरत लिखते हो यार*मैंने कहा खूबसूरत तो बो है जिसके लिए अब हम लिखते है
“दुनिया के मालिक एक एहसान कर, जो परेशान है उसे और न परेशान कर।”
मुझको चाँद से खूबसूरत लगने वालेअब तो मेरी जान लेंगे वो संवरने वाले
हम क्या तारीफ करे तुम बहुत खुबसूरत हो, तुम तो मेरे दिल में बसी मुरत हो।
तेरी खूबसूरती में कल तक मै,कितनी कहानियाँ लिखा करता था,तेरी सुन्दरता देख कर आज मै घबरा गया,ये तूने अपना हाल ऐसा क्यों बना लिया..!
“ ममता की तारीफ न पूछिए साहब,वक्त आने पर चिड़िया सांप से लड़ जाती है…!!!
इज़्ज़त और तारीफ मांगी नहीं जाती कमाई जाती है..!!
मुस्क़ुरते हैं तो बिजलिया गिरा देती हैं,बात करते हैं तो दीवाना बना देती हैं।हुस्न वालो की नज़र काम नहीं क़यामत से,आग पानी में वो नज़रों से लगा देती हैं।
लिखी कुछ शायरी ऐसी तेरे नामसे…. कि जिसने तुम्हे देखा भीनही,उसने भी तेरी तारीफ कर दी..!!
बहुत खूबसूरत लग रही थी वो,मगर माथे पे सिंदूर था।
उसे अपनी खूबसूरती पर बड़ा नाज था,अपनी ही तारीफ सुनने के लिए बेक़रार था,मोड़ कुछ ऐसा बदल गया सब कुछ ख़त्म कर गया.!
मोहब्बत के लिए खूबसूरत होने की कैसी शर्त, इश्क़ हो जाये तो बस सब कुछ खूबसूरत लगने लगता है।
सुबह का मतलब मेरे लिए सूरज निकलना नही,तेरी मुस्कराहट से दिन शुरू होना है।
कातिल तेरी अदाओं ने लूटा है,मुझे तेरी जफ़ाओं ने लूटा है।शौक नही था मुझे मर मिटने का ,मुझे तो इन नसिली निगाहों ने लूटा हैं ।
जो पल तेरे साथ गुज़ारे हैं उनको मैं गिनु कैसे, मैंने सुना है ख़ूबसूरती की कोई सीमा नहीं होती।
घर सजाने का काम बाकी है,आप अपनी तस्वीर क्यूँ नही देती….!!!
हुस्न को भी कहाँ नसीब ‘जिगर’ वो जो इक शय मिरी निगाह में है
रहमी जुल्फों के बंधन में बंधे मुझे,तेरी हुस्न की माधोसी में कोई गुनाह ना हो जाए।
तेरी नज़रें बयाँ करती हैं मेरी खूबसूरती, अब मुझे आइनों की ज़रूरत न रही।
तेरे हुस्न की आग में कहीं जल ना जाऊ,कर मोहब्बत तू मुझसे जरा धीरे धीरे..
इक अदा आपकी दिल चुराने की,एक अदा आपकी दिल में बस जाने की,चेहरा आपका चाँद जैसा और इक ज़िदहमारी उस चाँद को पाने की.
सुबह का मतलब मेरे लिए सूरज निकलना नहीतेरी मुस्कराहट से दिन शुरू होना है
आँखों में तेरी कोई करिश्मा ज़रूर है… तू जिसको देख ले; वो बहकता ज़रूर है…
उसने होठों से छू कर दरिया का पानी गुलाबी कर दिया, हमारी तो बात और थी, उसने मछलियों को भी शराबी कर दिया।
बिन तुम्हारे कभी नहीं आयी… क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है…
अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत नज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत हैदर अली आतिश
तुम्हे देख के ऐसा लगा चाँद को जमीन पर देख लिया तेरे हुस्न तेरे शबाब में सनम हमने कयामत को देख लिया
उफ्फ ये नज़ाकत ये शोखियाँ ये तकल्लुफ़,कहीं तू उर्दू का कोई हसीन लफ्ज़ तो नहीं।
कितनी खूबसूरत हैं आँखें तुम्हारी,बना दीजिये इनको किस्मत हमारी,इस ज़िंदगी में हमें और क्या चाहिए,अगर मिल जाए मोहब्बत तुम्हारी।
अलग ही अदा है तेरा अलग ही रुतबा है, समझ ये नहीं आता तू चाँद का टुकड़ा है या फिर चाँद तेरा टुकड़ा है।
मासूम सी सूरत तेरी दिल में उतर जाती है, भूल जाऊं कैसे मैं तुझे, तू मुझे हर जगह नजर आती है !
तेरी हर मुस्कान के पीछे, दुनिया की सारी खुशियाँ छिपी हुई हैं.
इतनी खूबसूरत है वो कि हम खुद को रोक नहीं पाते, जितना भी दूर जाना चाहें उसके और करीब पहुंच जाते।
जंगली जड़ी बूटी सी मैं दोस्तों किसी को जहर, किसी को दवा सी लगती हूं
सुना है… बहुत लम्बी कतार है तुम्हारे चाहने वालों की, कभी फुर्सत मिले तो हमें भी याद कर लेना.!!
बहुत खूबसूरत वो रातें होती थी..!!जब तुमसे दिल की बातें होतीं थी..
तेरी जुल्फों की छाँव में मुझे एक नया जहाँ मिला है, तेरे हौंसलों की हंसी में मुझे एक नया सुकून मिला है।
तेरे गुणों की जितनी तारीफ करूं उतनी ही कम है, तेरे साथ रहने के लायक हम है।
बया करने को बाकी है बहुत कुछ अभी,बया करने बेथु तो जमाना बिट जाए।
तेरे इश्क की जंग में, हम मुस्कुराके डट गए,तलवार से तो बच गए, तेरी मुस्कान से कट गए
वो गुस्सा होती है तो और भी हसीन लगती है, उसकी खूबसूरती के कायल हम हर बार खता कर देते हैं।
तू जरा सी कम खूबसूरत होतीतो भी बहुत खूबसूरत होती
उनके क़तल करने की तरक़ीब तो देखो जब गुज़रे उनके क़रीब से तो नक़ाब हटा दिया।
हम अपनी तारीफ उनके लफ़्ज़ों में ढूंढ़ते रह गए,और वो आँखों ही आँखों में सब बयां कर गए ।
यू तारीफ ना किया करो मेरी शायरी की, दिल टूट जाता है मेरा जब तुम मेरे दर्द पर वाह-वाह करते हो !!
उसके चेहरे की चमक के सामने सादा लगा, आसमा पर चांद पूरा था मगर आधा लगा,
मेरा इश्क भी, तेरा हुस्न भी,गजलों में आके घुल गई,मेरी शायरी की किताब तू,कभी खो गई, कभी मिल गई.