Tanha Shayari In Hindi : तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ,के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए।
तनहा तारों में तेरा चेहरा ढूंढता हूँ, हर तारे में तेरा चेहरा नज़र आता है।
तन्हाई से आती नहीं दिन रात मुझे नींद या-रब मिरा हम-ख़्वाब ओ हम-आग़ोश कहाँ है
हम अपना दर्द किसी को कहते नही, वो सोचते हैं कि हम तन्हाई सहते नहीं, आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे, क्योंकि सूखे हुए दरिया कभी बहते नहीं.,
दोस्त बनकर भी साथ नहींनिभाने वालेवो अंदाज़ है ज़ालिम काज़माने वालेतेरे होते हुए आ जाती थीदुनिया सारीआज तन्हा हु तो कोई नहींआने वाले।
मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए
ना ढूंढ़ मेरा किरदार दुनियाँ की भीड़ में, वफादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते है.,
अब तो उन की याद भी आती नहीं कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ फ़िराक़ गोरखपुरी
मै तनहा था मगर इतना नहीं थामेरी तन्हाई मुकम्मल तेरे आने सी हुई
मेरी पलकों का अब नीद कहो कोई तालुक नहीं रहा मेरा कोन है यह सोचने में रात गुजर जाती है
हुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूम, कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी।
हम भी फूलों की तरह अक्सर तनहा ही रहते हैं, कभी खुद से टूट जाते है तो कभी कोई और तोड़ जाता है…
बहुत सोचा बहुत समझा, बहुत ही देर तक परखा, कि तन्हा हो के जी लेना, मोहब्बत से तो बेहतर है.,
जिनके पास होती है उम्र भर की यादेंवो लोग तन्हाई में भी तन्हा नहीं होते।
मेरी तन्हाई_मार डालेगी दे दे कर तानें मुझको , एक बार आ जाओ इसे_तुम खामोश कर दो…
और तो सब ठीक है लेकिन, कभी-कभी यूँ ही, चलता फिरता शहर अचानक तन्हा लगता है।।
मैं और मेरी तन्हाई शायरी के नाम हैं खाने को ज़ख्म पीने को अश्कों के जाम हैं
तेरी यादों से घिरी है मेरी तनहाईयाँ मेरे साथ होती है तेरी परछाईयाँ नहीं गुजरता इक पल भी तेरे बिन पल पल याद आती है तेरी नादानीयाँ..
तुमसे दूर जाने का इरादा न था;पर साथ रहने का तुम्हारा वादा न था;याद न करोगे अक्सर लगता था ऐसाभूलने में इतनी जल्दी करोगे अंदाजा न था
जब से देखा है चाँद को तन्हा, तुम से भी कोई शिकायत ना रही। Jab Se Dekha Hai Chand Ko Tanha Tum Se Bhi Koi Shikayat Na Rahi.
यार अंदर की उदासी पुनीत पाठक हुई अभी जिंदगी बेजान से लगने लगी अभी तन्हाई वीरान सी लगने लगी है
किसी हालत में भी तन्हा नहीं होने देतीहै यही एक ख़राबी मिरी तन्हाई की।
किसी के लिए आंसूं बहाने से कोईअपना नहीं होता जो अपनाहोता है वो कभी रोने नहीं देता।
कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे, अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे।
मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें ये लीजे आप का घर आ गया है हात छोड़ें जावेद सबा
छोड कर जाना सोची समझी साजिश थी …वर्ना तुम तो झगड़ा भी कर सकती थी…!
तेरा हँसता चेहरा दिल को सुकून देता हैहर डैम तेरी मेरी जुदाई को सहायता हैबस इस जनम में तेरे को पाना चाहता हूँमेरे दिल हमेशा कटा रहता है.!
रोते हैं तन्हा देख कर मुझको वो रास्ते,जिन पे तेरे बगैर मैं गुजरा कभी न था।
दीपक में अगर लौ ना होतागिनती में अगर सौ ना होतामिलने आ जाते आज हम आपसे ,बिना पार्किंग में गाडी अगर टो ना होता
प्यार के चक्की में जो पड़ा वह पीस गया।हम तो क्या पीसे, सारा जमाना पीस गया।
यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , क्या कहिये
ज़माने से नहीं, तन्हाई से डरते हैं, प्यार से नहीं, रुसवाई से डरते हैं, मिलने की उमंग है दिल में लेकिन, मिलने के बाद तेरी जुदाई से डरते हैं
उसने कहा था आँख भर के देख लो मुझे लेकिन भरी आँखों से वो आते नहीं नज़र
प्यासी ये निगाहें तरसती रहती है तेरी याद मे अक़्सर बरसती रहती है हम तेरे खयालों मे डूबे रहते है और ये ज़ालिम दुनियां हम पर हंसती रहती है
वो भी तनहा रोती है और इधर खुश में भी नहीं, सायद पियार की मंजिल यहाँ भी नहीं वहां भी नहीं.,
तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया
देख लिया जमाना निचोड़कर, बूँद बूँद टपकी हूँ तन्हा-तन्हा होकर।।
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की हैदोस्तों ने भी क्या कमी की है.!
अकेले मैं उनके बिना रहने की जब भी बात आयी साथ उनके बिताए हर एक पल यादो मैं दौड़े दौड़े चले आयी ।।
मजबूरियां तेरी थी और तनहा हम रह गए
तन्हाई में एक बात तो आसान हो गयी, अपने और बेगाने की पहचान हो गयी
कोसते रहते हैं अपनी जिंदगी को उम्रभर
तन्हाई मैं जो चूमता है मेरे नाम को,हरफ़ महफ़िल में वो शख्स मेरी तरफ देखता नहीं..!
गलतियां की थी मेने परइतनी भी बड़ी नहीं जितनी बड़ीसजा मिल रही है।
ज़िन्दगी को मेरी यूँ ही तब्हा रहने दो, मैं जहाँ हूँ मुझे वहां रहने दो।
सिलसिला उल्फत का चलता ही रह गया, दिल चाह में दिलबर के मचलता ही रह गया, कुछ देर को जल के शमां खामोश हो गई, परवाना मगर सदियों तक जलता ही रह गया..!!
तन्हाइओं के आलम की ना बात करो दोस्त,वर्ना बन उठेगा जाम और बदनाम शराब होगी।
आज रोना पड़ता है तन्हाई में बिना वजह महफिल में मुस्कुराने आए हैं कभी जीते थे जिनके नाम पे हम आज वही हमें गम हजार देने आए हैं…
आपका दिल आपके लिए सबसे बहुमूल्य है, इसे कभी किसी ऐसे व्यक्ति को न दें जो इसके काबिल नहीं है.. वरना तन्हाई ही मिलेगी
कितनी अजीब है मेरे अंदर की तन्हाई भीहज़ारों अपने है मगर याद तुम ही आते हो।
लोग आज भी तेरे बारे में पूछते है,,,,की कहाँ है वो,,,,मैं बस दिल पर हाथ रख देता हूँ…!!
ऐ सनम तू साथ है मेरे मेरी हर तन्हाई में कोई गम नहीं की तुमने वफ़ा नहीं की इतना ही बहुत है की तू शामिल है मेरी तबाही में।
वफ़ा वो सौदा है जनाब जिसमे घाटा ईमानदार का होता है।
हमें भुलाकर सोना तो तेरी आदत ही बन गई है, अय सनम;किसी दिन हम सो गए तो तुझे नींद से नफ़रत हो जायेगी।
उन लोगों को चूमना तो सपना सा है इस लॉकडाउन में पास आना भी गुनाह है उन लोगों को चूमना को सपना आता है इस लॉकडाउन में पास आना भी गुनाह है,lockdown
अकेला रहता हूँ अकेला जीता हूँ मैं, महफिलों में नहीं जाता अकेला ही पीता हूँ मैं।
मुश्किल की घडी जहन में उनकानाम आता है जमाना छोड़ देता हैजब भी वो काम आता है।
दूर-दूर तक मायूसी है, फैला एक सन्नाटा है मेरे कमरे में न कोई आता और न यहाँ से जाता है
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा
मेरी नज़रियत मुझे तन्हा करता है मुनाफिक हो जौ तो अबो भीर लग जाए
तन्हाई कुछ इस तरह डसने लगी मुझेमैं क़िताब के पन्नों की आहात से डर गया।
दश्त-ए-तन्हाई में जीने का सलीक़ा सीखिए ये शिकस्ता बाम-ओ-दर भी हम-सफ़र हो जाएँगे
आसान समझते हो क्या तन्हाई के रास्ते को चुनना, खुद ही कहना खुद ही सुनना।
अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात… खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता हैऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है
हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही खता थी…..लकीरों को मिटाना चाहा किसी को पाने की खातिर….!!
तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया।
अब एक जगह बस गया तो अब ना तुझे उजाड़ेंगे ज़िन्दगी, अब जैसा भी हाल हो बस तनहा गुज़रेंगे ज़िन्दगी।
देख के दुनिया अब हम भी बदलेंगे मिजाज़ रिश्ता सब से होगा लेकिन वास्ता किसी से नहीं
चाँद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का रंग बदले किसी सूरत शब-ए-तन्हाई का
बहारों के सीने में थी जो जलन चरागों से रोशन था जो चमन उजालों से तूने मुंह फेरकर अंधेरा ही सही, कुछ तो दिया
लाज़िम नहीं कि उसको भी मेरा ख्याल हो ! मेरा जो हाल है वही उसका भी वही हो !!
तेरी बेरुखी का सदा ज़हर पिया हम नेतेरी बेवफाई का गिला ना किया हम नेतुझे मिली महफिलें मुझे मिली तन्हाईचुपचाप दिल के ज़ख्मों को सिया हम ने