Tajurba Shayari In Hindi : गलतियों को कैसे गलत कह दे, जब गलतियों की दूकान से ही तजुर्बा मिलता है। वफ़ा के चक्कर में कई बार बेज़ार हुआ हूँ, मैं यूँ ही नहीं मैं तजुर्बेकार हुआ हूँ।
अब समझ लेता हूँ मीठे लफ़्ज़ों की कड़वाहट, हो गया है ज़िन्दगी का तज़ुर्बा थोड़ा थोड़ा।
बुज़ुर्गों की बातें ज़रा गौर से सुना कीजिए, वो बातें ज़ुबान से नहीं तजुर्बे से कहते हैं।
हार और जीत मिले ना मिले ये तो तय है की कुछ भी हो जाए तजुर्बा मिलेगा।
सोने चांदी से भी क़ीमती होती है तजुर्बे की क़ीमत, मगर उसका इस्तेमाल ना किया जाए तो लग जाती है उसपर भी दीमक।
“तजुर्बे ने एक बात सिखाई है एक नया दर्द ही पुराने दर्द की दवाई है”
बातों क बनावट में कुछ अलग ही नकाशी है तुम बातूनी मुझे तजुर्बेकार लगते हो।
नए शहर नए कसबे होंगे, थोड़ा घुमा फिरा भी करो नए तजुर्बे होंगे।
थोड़ी सी आहें अलग थीं और थोड़ा सा टीस का फ़र्क़ था,उसकी मेरी जिंदगी के तजुर्बों में फ़र्क बस उन्नीस-बीस का था!
सीधा सा सवाल था मेरा…इश्क़ क्या है तुम्हारे लिएउसने “तुम” कहकर बोलती बंद कर दी मेरी
निकल पड़े है घर सेमंजिल की तलास मेया तो मंजिल मिलेगीया तो फिर तजुर्बा
“ये जो तुम्हारा पलट के देखना और फिर अचानक से नजरे घुमा लेना भी हिट एंड रन का ही केस है”
“उसने आज पूछा आपके मन में क्या है??हम आज भी ना कह पाए कि”तुम”…!!”
ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का है, ना तो किसी को गम चाहिए और ना ही किसी को कम चाहिए।
तजुर्बा ना तुम्हारा कम हैं ना हमारा, बात तो बस बेवक्त आनेवाले वक्त औरजिंदगी के सख़्त बर्ताव की हैं।
बस आँखें ही तो नहीं होती वरना देखा तो अंधे ने भी बहुत कुछ होता है अपनी ज़िन्दगी में।
तजुर्बा वो गहना है जनाब जो लिया तो जा सकता है मगर छीना नहीं जा सकता।
ज़िन्दगी यूँ ही नहीं मुश्किलों का क़स्बा देती है, ज़िन्दगी पहले मुश्किलें देती है उसके बाद तजुर्बा देती है।
ज़िन्दगी क्या है एक तजुर्बा ही तो है, जैसे ही पूरा मिल जाएगा हम अपनी ज़िन्दगी खो देंगे।
तजुर्बा कर चूका हूँ मैं धोका खाने का, बस इसीलिए अब मोहोब्बत की भूख नहीं लगती।
अपनों ने दिया है ये तजुर्बा मुझे, की सभी पराए हैं।
गरीबी का बचपन भी आसान कहाँ, बहुत कुछ देखना पड़ता है उन छोटी सी आँखों से।
एक तजुर्बा ऐसा भी ज़रूरी था, उसका मुझे नज़रअंदाज़ करने का लहज़ा भी ज़रूरी था।
तजुर्बा इंसान को गलत फैंसलो से बचाता है, मगर तजुर्बा भी गलत फैसलो से ही आता है !!
“सुबह होती रही शाम होती रही उम्र यूँ ही तमाम होती रही।”
इंसान जो तजुर्बे दार होता है वो जानता है की प्यार कितना बेकार होता है।
“वहम से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते, कसूर हर बार गल्तियों का नही होता।”
मुश्किल हालात से कह दो आज हमसे ना उलझे, दुआओं से हाथ भरे है मेरे तुम्हें कहाँ संभाल पाउँगा।
तजुर्बा तो हर और मिलेगा, तुम्हे किस और जाना है राही।
“ये तजुर्बा भी हुआ है, बुझे चिरागो से ! के हर अंधेरा हमे देखना सिखाता है !!”
हार और जीत सब झूठ होता है सच तो बस तजुर्बा होता है।
क्या हुआ जो कोशिशों का काफिला कुर्बान हुआ, काफी नहीं क्या जो तजुर्बा हुआ।
नफरत पर हंसी और प्यार पर ताज्जुब होता है, ऐसे ही होता है जब बार बार दिल टूटने का तजुर्बा होता है।
“आँखों में न धुडो हमे दिल में बस जायेंगे, तमन्ना हो अगर मिलने की तो बंद आँखों में भी नज़र आयेंगे।”
आज एक नौसिखिए लड़के को झुर्रियों वाले बाप को कहते सुना आप नहीं समझ पाओगे।
असल जिंदगी में असली तज़ुर्बे जिंदगी ने ही दिए हमें,आख़िर तूने भी दोस्ती रसूखों वाली ही निभाई है हमसें।
हर एक लकीर यहाँ एक तजुर्बा है साहब, झुर्रियां चेहरों पर यूं ही आया नहीं करती!
“बड़ी बेवफ़ा हो जाती है , ये घड़ी भी सर्दियों में, 5 मिनट और सोने की सोचो तो, 30 मिनट आगे बढ़ जाती है.”
“तेरे प्यार की दौलत को कमा नहीं पाया, किसी और का हो कर भी तुझे भुला नहीं पाया।”
चलते रहिए ज़िन्दगी के सफर में, कब कहाँ से क्या तजुर्बा मिलेगा कोई नहीं जानता।
उदासियों की वजह तो बहुत है ज़िन्दगी में, पर बेवजह खुश रहने का मज़ा ही कुछ और है।
काम के थे हम भी कभी, प्यार में क्या पड़े बेकार हो गए।
हर आशिक़ का यही तजुर्बा होता है, मोहोब्बत का अंत बस धोका होता है।
"उम्र" पूछ के क्या होगा "जनाब",पूछना ही है तो लोगों से "तजुर्बे" पूछिए..!!!!
हंसना भी ज़रूरी है रोना भी ज़रूरी है, हर चीज़ का तजुर्बा होना भी ज़रूरी है ।
कुछ को दौलत तो कुछ को रुतबा मिला, मैं भी खाली हाथ ना रहा मुझे तजुर्बा मिला।
तजुर्बा ही ज़िन्दगी का तर्जुमा है।
ज़िन्दगी में चीज़ें पैसे लगाकर मिलती है, मगर तजुर्बा ज़िन्दगी लगाकर मिलता है।
गलतियों को कैसे गलत कह दे, जब गलतियों की दूकान से ही तजुर्बा मिलता है।
चलो अब ज़िंदगी का, एक तजुर्बा लिया जाए..जिससे दूर जाना हो, उससे इश्क़ किया जाए..
पहले पहल तो गलती होती है जनाब फिर कहीं जाकर तजुर्बा होता है।
एक बात सीखी है मैंने तजुर्बे से की सीखने की कोई उम्र नहीं होती।
लोग पूछते हैं हारकर फिर कोशिश करने से भला क्या मिलता है, मैं कहता हूँ जीतना कैसे है ये तजुर्बा मिलता है।
उम्र भर ख्वाबों की मंज़िल कासफ़र जारी रहा,जिंदगी भर तजुर्बों के जख़्मकाम आते रहे।
उम्र में छोटा हूं,पर तजुर्बा बहुत रखता हूं,मुझे आंकने कि गलती मत करना,बस देखने में बच्चा लगता हूं।
तजुर्बा होने पर मालूम पड़ता है, इश्क़ की खाई में बस मासूम पड़ता है।
तजुर्बा उम्र देखकर नहीं हालात देखकर आता है।
ज्यादा तजुर्बा तो नहीं मेरे पास मगर सुना है की दिल लगाने का अंजाम बुरा ही होता है।
वफ़ा के चक्कर में कई बार बेज़ार हुआ हूँ, मैं यूँ ही नहीं मैं तजुर्बेकार हुआ हूँ।
तजुर्बेदार लोगों से तजुर्बा हुआ है, की इश्क़ की गली में जो भी गया कुर्बान हुआ है।
उम्र तो कभी आड़े,नहीं है आती जीवन के तजुर्बे की,जब बात आती।
शांत समुद्र की सतह सा,ठहराव चाहिए मन की चंचल लहरों पर,लगाम चाहिए।
जब-जब ज़िंदगी में,कठिन दौर आया न जाने किस की दुआ का,असर पाया।
बिन प्रयास होते हैं,जब सारे काज आशीर्वाद वाला हाथ ही,तो था साथ।
अज्मते-गोयाई में बहुत बड़ी,ताक़त होती है दुख के वक्त में सबको,साथ लिए होती है।
आवश्कताओं की सूची,जितनी कम ज़िंदगी में रहते,उतने ही कम फिर ग़म।
अपने ग़मों को जज्ब करना,जैसे ही अपनाया समझदार व्यक्ति का ख़िताब,झोली में पाया।
दौरे-ख़िज़ाँ में धैर्य ही,साथ देता है बसंत भी फिर पीछे से आ,खिलता है।
मन को जिसने जाना जीवन को भी पहचाना।
ईश्वर कड़े इम्तिहान लेते गए तजुर्बे भी अपनेआप होते गए।