554+ Sufi Shayari In Hindi | बेहतरीन सूफ़ी शेर

Sufi Shayari In Hindi , बेहतरीन सूफ़ी शेर
Author: Quotes And Status Post Published at: September 19, 2023 Post Updated at: August 29, 2024

Sufi Shayari In Hindi : उनकी वज़ाहत क्या लिखूँ, जो भी है बे-मिसाल है वो, एक सूफ़ी का तसव्वुर, एक आशिक़ का ख़्याल है वो। जब कमान तेरे हाथों में हो फिर कैसा डर मुझे तीर से, मुर्शिद मैं जानता हूँ तुम इश्क़ करती हो मुझ फ़क़ीर से।

“ तेरी आरजू में हो जाऊं ऐसे मस्त मलंग,बेफिक्र हो जाऊं दुनिया से किनारा करके…!!

ईश्वर का# संदेश#सोने से पहले तुम सब# को माफ कर दिया करो,#तुम्हारे जागने से पहले मैं#तुम्हें माफ कर दूँगा ?।

“ इश्क़ में आराम हराम है,इश्क़ में सूफ़ी के सुल्फ़े कीतरह हर वक़्त जलनाहोता हैं….!!!

तिरी चाहत के भीगे जंगलों मेंमिरा तन मोर बन कर नाचता है

अंगना तो परबत भयो देहरी भई विदेस,जा बाबुल घर आपने मैं चली पिया के देस।

“ अगर इश्क़ में वफ़ा केबदले तू वफ़ा चाहता है,तो तू अभी काबिल नहीं हुआजो वो देना चाहता है….!!

लाख पर्दे झूठ के खींच दो ज़माने के सामने,क्या कहोगे क़यामत के दिन ख़ुदा के सामने।

तेरे बाद कोई है ना तुझसे पहले ही, अब बिछड़ के तुझसे मौला जाऊं भी कहां।

जरा करीब से गुजरा तो हमने पहचानावो अजनबी भी कोई आशना पुराण था.

#सोचता हूँ कि अब अंजाम-इ-सफर क्या होगा, #लोग भी कांच के हैं, राह भी #पथरीली है..

“ पास रह कर मेरे मौलादे सज़ा जो चाहे मुझको,तेरे वादे पूरे हों मेरीतलब भी करना पूरी…!!

चुप – चाप  बैठे है, आज सपने मेरे लगता है हकीकत ने सबक सिखाया है…

जिंदगी# छोटी है,#कड़ी प्रार्थना करो?।

कोई चाहत नही मेरी इस ज़माने से,चाहत तो है अब सिर्फ खुदा को पाने की ।।

मंदिर #में ढूंढा,मस्जिद में ढूंढापर तू मिला# वही जब खुद# में ढूंढा?।

विश्वास करो…#मैंने तुम्हारे लिए वही विधान किया,#जो तुम्हारे लिए #उचित था…मैंने आज #तक जो कुछ किया##तुम्हारे मंगल के# लिए किया?।

भगवा भी है रंग उसका सूफी भी,इश्क की होती है ऐसी खूबी ही।

दिल भी सूफी है साहब शब्द बिखेर कर इबाददत करता है।

अपनी छवी बनाय के जो मैं पी के पास गई जब छवी देखी पीहू की तो अपनी भूल गई

“ जाम हाथ में हो और होंठ सूखे हुये,मुआफ करना यारोइतने सूफी हम नहीं हुये…!!

अब कब्र में भी होगा ठिकाना याद रख,आएगा ऐसा भी ज़माना जरूर याद रख।।

बयान नहीं होता अब हाल-इ-दिल हमसे तुम समझ जाओ खुद से तो खुदा की रहमत समझें हम..!!

तुम्हारी असल हस्ती तुम्हारी सोच हैबाकी तो सिर्फ़ हड्डियां और खाली गोस्त हैरूमी

मेहरबां महबूब ने दुनिया के हर गम से छुड़ा दिया,मैं तो कमज़रफ थी, उसने फिर भी सीने से लगा लिया।

आ साजन मोरे नयनन में, सो पलक ढाप तोहे दूँ,न मैं देखूँ और न को, न तोहे देखन दूँ।

“ तेरे इश्क़ में खुद को यूँ भूल जाएँ,जब भी जुबान खोलेतो तेरा नाम आएं….!!!

इश्क़ में आराम हराम है, इश्क़ में सूफ़ी के सुल्फ़े की तरह हर वक़्त जलनाहोता हैं,

जाम हाथ में हो और होंठ सूखे हुये,मुआफ करना यारो इतने सूफी हम नहीं हुये।

इल्मे सफीना को आज तुम इल्मे सीना में तब्दील कीजिए, सूफियाना अंदाज में खुद को सूफी काव्य से रूबरू कीजिए।

दिल भी सूफी है साहब शब्दबिखेर कर इबाददत करता है।

आज की शाम में सबसे पहले हम अपने अतिथिगढ़ का स्वागत करते है। (सभी अतिथियों का नाम ले)

तेरी चाहत के भीगे जंगलों मेंमेरा तन मोर बनकर नाचते है.

“ अतीत के गर्त में भविष्यतलाश करना एक बेवकूफी है,जो वर्तमान में रहकरभविष्य संवारे, वो सच्चा सूफी है…!!

मेरा आपकी #कृपा से सब #काम हो रहा है,#करते हो तुम शनि देव# मेरा नाम हो रहा है.जय शनि देव?।

“बुल्ल्हा शौह दी मजलस बह के, सभ करनी मेरी छुट्टी कुड़े, मैनूं दस्सो पिया दा देस।”

माप्यां दे घर बाल इञाणी, पीत लगा लुट्टी कुड़े, मैनूं दस्सो पिया दा देस।

पोछा था मैं ने दर्द से की बता तू सही मुझकोये खनुमान ख़राब है तेरे भी घर कही

जब सबने ?साथ छोड़ा है,तूने ही अपनाया है,भटकती इन राहों #को मेरी तूने रास्ता #दिखाया है?।

ख़ुदाया आज़ाद करदे, मुझे ख़ुद अपना ही दीदार दे दे, मदीना हक़ में करदे, सूफ़ियों वाला क़िरदार दे दे।

तुम रक्स में डूबा हुआ कलंदर तो देख रहे हो,तुम नहीं जानते लज्जते इश्के हकीकी क्या है?

कट जाते हैं #कर्मफल मिटते #कष्ट अपार…#जिस पर कृपा श्याम #की उसका बेड़ा पार…जय श्री राधे रमन?।

दुख में भगवान को #याद करने का हक# उसी को है जो,#सुख में उसका शुक्रिया #अदा किया हो?।

जिस तरह चाहे नचाले तेरे इशारो पे ऐ मालिक मुझे तेरे ही लिखे हुए अफ़साने की किरदार हु मै।”

खुदा से एक एहसास का नाम है जो रहे सामने और दिखाई न दे.

लाख पर्दे झूठ के खींच दो ज़माने के सामने, क्या कहोगे क़यामत के दिन ख़ुदा के सामने।

ज़हर वैख के पीता ते के पीता? इश्क़ सोच के कीता ते के कीता? दिल दे के, दिल लेन दी आस रखी? प्यार इहो जिया कीता, ते के कीता”

दिल के दरवाजे पर उस वक्त तकचोट खाते रहो , जब तक वह खुल न जाएरूमी

खुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलूँ पी के संग,जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।

शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर, या वो जगह बता जहाँ पर खुदा नहीं

तेरे इश्क़ में खुद को यूँ भूल जाएँ,जब भी जुबान खोले तो तेरा नाम आएं.

इल्मे सफीना को आज तुम इल्मे सीना में तब्दील कीजिए, सूफियाना अंदाज में खुद को सूफी काव्य से रूबरू कीजिए।

“ फीके पड जाते हैं दुनियाभर केतमाम नज़ारे उस वक़्त,सजदे में तेरे झुकता हूँ तो मुझेजन्नत नज़र आती हैं….!!

ख्वाहिश जन्नत की,एक सजदा गिरां गुजरता है,दिल में है खुदा मौजूद,क्यूं जा-ब-जा फिरता है।

पास रह कर मेरे मौला दे सज़ा जो चाहे मुझको,तेरे वादे पूरे हों मेरी तलब भी करना पूरी।

ॐ में ही आस्था हैं,# ॐ में ही विश्वास हैं,#ॐ में ही शक्ति हैं, #ॐ में ही संसार,#ॐ से होती हैं अच्छे #दिन की शुरूआत?।

सामने है जो उसे लोग बुरा कहते है,जिस को देखा ही नहीं उसको खुदा कहते है.

कतरे कतरे पर खुदा की निगाहे करम है..न तुम पर ज्यादा न हम पर कम है

तेरी आवाज है कि सूफी का कोई नग्मा है, जिसे सुनूँ तो सुकूँ जन्नतों सा मिलता है।

इस जहाँ में खुदा है तो उसे माने कैसे,राह में मिल जायें अगर तो पहचाने कैसे?

समशान में जाते ही मिट गए, सारे लकीर, पास पास जल रहे थे राजा और फकीर ।।

ईश्वर हमें #कभी सजा नहीं देते,#हमारे कर्म ही #हमें सजा देते हैं?।

न ले हिज़्र का मुझसे तू इम्तिहां अब, लगे जी ना मेरा तेरे इस दहर में।

कितने ना समझ है दुनिया वालेकल के लिए क्या-क्या जुटा कर रक्खा है,चाहता खुशियाँ है मगर दुखों को बटोर रक्खा है.

शुरू होती है मगर कभी खत्म नहीं होती है,इस जहाँ में खुदा से मोहब्बत ऐसे ही होती है.

दिल मे है जो दर्द वो दर्द किसे बताये,हस्ते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाए ।।ये दुनिया कहती है हमे खुशनसीबलेकिन ये दांस्ता नसीब की किसे सुनाये ।।

कांटो के साथ फुल जो सबर करता हैवहीं इसको खुशबूदार बनाता हैरूमी

इल्मे सफीना को आज तुम इल्मे सीना में तब्दील कीजिए, सूफियाना अंदाज में खुद को सूफी काव्य से रूबरू कीजिए।

हतो या प्रपश्यति स्वर्गम, #जित्वा या भक्षयसे महीम।तस्मात् उत्तिष्ठां काल्यन्ते युध्य #कृतानिश्चया#गुड मार्निंग, आपका# दिन अच्छा हो?।

इल्मे सफीना को आज तुमइल्मे सीना में तब्दील कीजिए,सूफियाना अंदाज में खुदको सूफी काव्य से रूबरू कीजिए।

“ उनकी वज़ाहत क्या लिखूँ,जो भी है बे-मिसाल है वो,एक सूफ़ी का तसव्वुर,एक आशिक़ का ख़्याल है वो…!!

अब मैं हमारे मुख्य अतिथि का स्वागत करूंगा और उनसे मंच पर आकर दीप प्रज्वलन करने का अनुरोध करूंगा।

मैं रोज गुनाह #करता हूँ, वो रोज़#बख्श देता है,मैं आदत से #मजबूर हूँ, वो#रहमत से मशहूर है?।

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