Shikayat Shayari In Hindi : जो दूसरों की कभी शिकायत न करे,उन्हें खुद से शिकायतें बहुत होती है !! शिकवा तो हमें अपनी ज़िंदगी से हैं,न जाने मौत किस बात पर रूठ के बैठी है !!
चले जायेंगे तुझे तेरे हाल पर छोड़कर,कदर क्या होती है ये तुझे वक़्त सिखाएगा !!
उसकी दुश्मनी का शोर, मुद्दतों से मेरे कानों में गूंजता रहा, और मैं पागलों के जैसे, उसकी दोस्ती को यादों में ढूंढता रहा।
अगर इतनी नफरत है मुझसे तो दिल से ऐसी दुआ मांगो कि तेरी दुआ भी पूरी हो जाए और मेरी जिंदगी भी।
प्यार तो मैं अपने आप से करता था,खामखाँ तुम क्यू बिच में आ गए ?
किसी मोड़ पर उसका दीदार हो जाये,काश उसे भी मुझ पर एतवार हो जाये,उसकी पलके झुकें और इकरार हो जाये,काश उसे भी मुझ से प्यार हो जाये.
काश् इंसान भी नोटों की तरह होते,रोशनी की तरफ करके देख लेते की असली है या नकली !!
बातों में आकर किसी की मुझे छोड़ तो रहे हो तुम, लेकिन याद रखना मैं याद आऊंगा बहुत !!
हमने तेरी तस्वीर में वो रंग भरा है,की लोग देखेंगे तुझे और पूछेंगे मुझे.
मोहब्बत थी मगर एक तरफ़ा थी अब ना एक भी आस बची है मर गए सारे जज़्बात दिल के दिल में अब बस सीने में राख बची है
उम्र नहीं थी इश्क़ करने की बस एक चेहरा देखा और गुनाह कर बैठे। umar nahi thi ishq karne ki bas wk chehra dekha aur gunah kar bethe.
तुम जलते रहोगे आग की तरह,और हम खिलते रहेंगे गुलाब की तरह !
दुश्मनों ने सोचा कि नहीं आऊंगा मैं, क्योंकि बहुत गहरी चोट खाया हूं, नजरें उठाकर सलाम करो मुझे, क्योंकि मैं वापस लौट आया हूं।
महंगाई का दौर है जनाबअब रिश्ते सिर्फ मुनाफा देखते है !
कभी-कभी खुद पर ही गुस्सा आ जाता है ,कि मुझे इतना गुस्सा क्यो आता है ।
आग का दरिया ज़फ़ा उनकी हर दिन लगाने गोते हैं
एक बूँद पानी भी न निकला उन आँखों से हमारे जाने के बाद,तमाम उम्र जिन आँखों को हम झील कहते रहे !!
ना शिकवा करनाना शिकायत करना,ज़िंदगी इनायत है रब कीहो सके तो इबादत करना.
अगर लंका चाहिएतो रावण तो बनना पडेगा ना.!
मुझे गरीब समझ कर महफिल से निकाल दिया,क्या चाँद की महफिल में सितारे नहीं होते !!
तेरा रूठ जाना क्या…उस चाँद का शर्मना क्या,बदल दूँ या बदल जाऊं,फिर मैं क्या…जमाना क्या
जो पागल हुए थे तेरी सूरत देख कर तेरी नीयत देख कर सब ठीक हो गए
पहले लगता था तुम ही दुनिया हो,अब लगता है तुम भी दुनिया हो।।
तुमसे भी तो गलतियां हो सकती है ना हर बार मुझपे इलज़ाम ज़रूरी है क्या
पीठ हमेशा मजबूत रखनी चाहिएक्यूंकि शाबासी और धोखादोनों पीछे से ही मिलते हैं.
जिसने भी कहा हैं,सच ही कहा हैं,सुकून तो मरने केबाद ही आता हैं..Jisne bhi kaha hain,Sach hi kaha hain,Sukoon toh marne keBaad hi aata hain..
कुछ इस तरह तेरे चेहरे सेअब नकाब उतर गया है!!..जिस प्यार को मैंदो तरफा समझा करता थावह प्यार एकतरफा हो गया है!!..
उसने एक ही बार कहा दोस्त हूं फिर मैंने कभी नहीं कहा व्यस्त हूं।।
प्यार है इसलिये तेरी इतनी फ़िक्र करता हूँ,जिस दिन तू दिल से उतर गई, तेरा जिक्र भी नहींकरूँगा..!!
गुरुर-ए-हुस्न की मदहोशी में उनको ये भी खबर नहीं,कौन चाहेगा मेरे सिवा उनको उम्र ढल जाने के बाद !!
मुझे हर कोई अपना दिखता है, पर मेरी तरफ कोई, तभी देखता है जब उसे मुझमे कोई फायदा दिखता है !
दुश्मनों को भी खबर है मेरी, तभी तो मेरा नाम हमेशा लिया करते हैं, छुपा लेते हैं मेरे आते ही अपने खंजर को, नजरें उठाने पर सलाम किया करते हैं।
न कर सका खुदा से शिकायत तुम्हारी,आखिर मैंने माँगा भी तो तुम्हे ही था अपनी दुआओं में !!
यादों को मरने में वक़्त लगता है दिल को संभलने में वक़्त लगता है
मेरा प्यार एक तरफा ही सहीलेकिन मैंने दिल से प्यार किया है तुम्हें…तुमको मुझसे प्यार ना सहीलेकिन मैंने सच्चा प्यार किया है तुम्हें!!
जाए कहाँ अपना ये शहर छोड़ कर मगर इस शहर में अब अपना कोई नहीं
हाथों में कुछ नहीं छाले ही छाले थे और फिर उसने हवा में कांटें उछाले थे वो तो चला गया अपने रंग दिखाकर मेरे दिल के तुकड़े भी उसके हवाले थे
प्यार तो मैं अपने आप से करता था,खामखाँ तुम क्यू बिच में आ गए ?
जब कोई फरियाब सुनने वाला ना हो, तब इंसान जुबां होते हुए भी गूंगा बनकर रहने लगता है।
किस्सा नही कहानी हूँ मैंशरीफ नही हरामी हुँ मैं.!
बहोत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नहीं होती !!
काश चाहने वाले हमेशा चाहने वाले ही रहते पर लोग अक्सर बदल जाते है मोहब्बत हो जाने के बाद
हर एक आंख ने देखा आंसू गिरता मेरी आंख से पर इन गिरते आंसुओं को समझने वाली कोई आंख ना दिखी।
थोड़ा सब्र कर मेरे भाईउड़ेंगे मगर अपने दम पर…!
बहुत सकून मिलता है जलने वालोंको और जलाने में ।।
प्यार इतना कि मुझे पाने को हरवक्त खुदा से इबादत किया करती थी,और गुस्सा इतना कि मुझसेलिपटकर मेरी शिकायत किया करती थी।
जहाँ जाओगे तुम सताए जाओगे अब तुम कही नहीं आराम पाओगे तोड़ा है तुम्हारा भी टूटेगा दिल जो दिया है वही वापिस पाओगे
बन्द आँखों में चले आते हो मेरी अपनों की तरह,और आंख खुलतें ही चले जाते हो सपनो की तरह.
खुद से ये शिकायत रहेगी सदा, खुदा को छोड़कर उसे क्यों खुदा माना मैंने।
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,जब अपनों से उम्मीद कम हो गईंTaklif Khud ki kam ho gai Jab Apno Se ummid Kam ho gai
मुझे तुम्हारा किस्सा पसंद है,इस किससे में मेरा हिस्सा पसंद है,ये जो तुम चेहरा लाल कर देखती हो मुझे,खुदा कसम ! मुझे ये तुम्हारा गुस्सा पसंद है।
मैं अकेला जरूर हू पर अपनेदिल का बादशाह हू!💯🔥🤞🏻
इन होंठो की भी न जाने क्या मजबूरी होती है,वही बात छुपाते है जो कहनी जरुरी होती है !!
मत करो शिकायत लोगों से किवज़ीर-ए-आज़म क्या करता है,उठा हाथ “खुदा” के सामने औरदेख, “खुदा” फिर क्या करता है.