Shayari Poetry In Hindi : ना दुनिया की है खबर, ना मेरी ये सुनती है बेवजह बहकता रहता हूं, एक शराब है मेरी जिंदगी ना खुशियों की कद्र है, ना राहत से दोस्ती है मेरा सुकून ओढ़े रहती है, एक हिजाब है मेरी जिंदगी
उस चांद को बहुत गुरूर है,कि उसके पास नूर है।अब मैं उसे कैसे समझाऊं,मेरे पास कोहिनूर है।
चूम कर बदन को होंठो से अपने गुलाबी कर दो !!तेरे होंठो की तलब है छू कर मुझे श़राबी कर दो !!
दर्द की भी अपनी अदा है,वह बस सहने वालों पर फिदा है।
दर्द तो बिछड़ने का सब को होता है । मगर दर्द दिल किसी किसी को होता है
गुज़र रहे हैं उम्र के उस पहर से ख्वाहिशें जहाँ ज़रा रंगीन होती हैं शरारतों के बाद वाला सफर है ये जहाँ गलतियां भी संगीन होती है
आती है तेरी याद अंधेरे की तरह,उदास करती है मुझे गम की तरह।मुझे तो अब बस उस दिन का इंतजार है,जब तू आएगी मेरी ज़िन्दगी में सवेरे की तरह।
सवर जाते हम भी दरिया-ए-इश्क़ में दिल में तुम्हें पनाह दी खता हमसे हुयी बड़ा गुरूर था मोहब्बत पर हमको नसीब तो देखो मोहब्बत तुमसे हुयी
हमे फिर सुहाना नज़ारा मिला है, क्योंकि जिंदगी में साथ तुम्हारा मिला है, अब जिंदगी में कोई ख्वाइश नही रही, जबसे हमे तुम्हारी बाहों का सहारा मिला है।
पल पल उसका साथ निभाते हम,एक इशारे पर दुनिया छोड़ जाते हम।समन्दर के बीच में फरेब किया उसने,कहते तो किनारे पर ही डूब जाते हम।
मेरे इश्क पर मुझे इतना यकीन है मुझे याद करके तुम आंसु बहाओगे लोग पूछेंगे कि तुम्हारा मर्ज क्या है तुम मेरी तरफ नजर घुमाओगे
अब गया है वो एक ठंडे शहर में उसकी छाओं को भी हमने धुप समझा किसी का होकर वो खुश बहुत है वो खुश तो हमने खुदको खुश समझा
घर में भी दिल नहीं लग रहा, काम पर भी नहीं जा रहाजाने क्या ख़ौफ़ है जो तुझे चूम कर भी नहीं जा रहा।
कोई लम्बी छोड़ी बात नहीं है, बस यही कहना चाहती हूँ तेरे हाथों में हाथ देकर, मेह्फूस रहना चाहती हूँ..!!
क्या टाइम चल रहा है हमारा दुखी होकर भी हसना पड़ता है।।
पहले प्यार हो जाने पे नींद नहीं आती है, और प्यार के बिछड़ जाने पे भी नींद नहीं आती है..!!!
प्यार मोहब्बत नहीं हमने तो इबादत की है,रस्मों और रिवाजों से बगावत की है।माँगा था हमने जिसे अपनी दुआओं में,उसी ने मुझसे जुदा होने की चाहत की है।
कहते हैं पत्थर दिल रोया नहीं करतेतो फिर पहाड़ों से ही झरने क्यूं बहा करते हैं।
एक सपने की तरह सजा कर रखुअपने इस दिल में हमेशा छुपा कर रखुमेरी तक़दीर मेरे साथ नहीं वर्नाज़िंदगी भर के लिए उसे अपना बना कर रखु।
बी़च आ़समाँ में था़ बात़ करते़- करते ही,चांद इ़स त़रह बु़झा जै़से फूंक़ से दिया,देखो़ तुम इ़तनी ल़म्बी सांस म़त लिया़ क़रो।।
प्रेम पर कुछ हिंदी कवितालिखता रहूं तुझे मै जीवन भरमैं लेखक तो लेखनी तुम बन जाओ
ना समझो कि हम आपको भुला सकेंगे,आप नही जानते की दिल मे छुपा कर रखेंगे।देख ना ले आपको कोई हमारी आँखों मे दूर से,इसलिए हम पलके झुका के रहेंगे।
ये़ इ़श्क़ मोहब्बत की़ रिवाय़त भी अ़जीब हैपाया ऩही है़ जिस़को उ़से खोना़ भी ऩही चाह़ते।।
वो आँखों से अपनी शरारत करते हैंवो अपनी अदाओं से कयामत करतें हैं।हमारी निगाहें उनके चहरे से हठतीं नही,और वो हमारी निगाहों की शिकायत करतें हैं।
तेरी यादों की खुशबू से, हम महकते रहतें हैं, जब जब तुझको सोचते हैं, बहकते रहतें हैं।
उदास कर देती है हर रोज ये शाम मुझे,लगता है तू भूल रहा है मुझे धीर-धीरे।
ज़िन्दगी एक गम है जिसमें प्यार है,जिसको मिला वो खुशनसीब है,,और जिसको नहीं मिला वो बेक़रार है।
इश्क़ ऐसा था कि उनको बता ना सके,चोट थी दिल पे जो दिखा ना सके।नहीं चाहते थे हम उनसे दूर होना,लेकिन दूरी इतनी थी कि हम मिटा ना सके।
*तेरे न होने से**ज़िन्दगी में बस इतनी सी कमी रहती है**मैं चाहे लाख मुस्कुराऊं**इन आँखों में नमी रहती है*
परायों से जीतने में इतनी ख़ुशी नहीं मिलती जितनी कभी-कभी अपनों से हार कर मिल जाती है।
खुले दरीचे के पीछे दो आँखें झाँकती हैंअभी मेरे इंतज़ार में वो भी जागती हैं।
ताउम्र चलती है कभी पूरी नहीं होती, यह मोहब्बत है यारो कभी पूरी नहीं होती।
मुस्कराहट का कोई मोल नहीं होता,कुछ रिश्तो का कोई तोल नहीं होता,वैसे लोग तो मिल जाते है हर मोड़ पर,पर कोई आप की तरह अनमोल नहीं होता।
किसी ने क्या खूब लिखा हैमोहब्बत नहीं, यादें रुलाती हैं.!
मोहब्बत में हम उन्हें हारे हैं,जो कहते थे बस हम तुम्हारे हैं…Mohabbat mein hum unhe haare hain,Jo kahte the bas hum tumhare hain…
सच्ची मोहब्बत को वही समझ सकता है…,जीस ने अपनी सच्ची मोहब्बत खो दी हों….
आगे ही बढ़ना है अब मुड़ना ना रुकना है अब शीशे से लेके इरादे पत्थर से लड़ना है अब
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं, रात भी आयी थी और चाँद भी था , हाँ मगर नींद नहीं।
मुझे ये डर है तेरी आरजू न मिट जाये,बहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं।
ये मेरी महोब्बत और उसकी नफरत का मामला है,ऐ मेरे नसीब तू बीच में दखल-अंदाज़ी मत कर।
शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले, नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास,सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए।“ख़ुमार बाराबंकवी”
चलता रहा खेल यूँ ही मेरे और प्यार के बिचकभी मै तो कभी प्यार ने मन बहलाया थालेकिन दिल मेरा हमेशा प्यार को तरसता रहा
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है, मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
तेरे न होने से बस इतनी सी कमी रहती है,में लाख मुस्कुराऊ आँखों में नमी रहती है !
मंजिल मुश्किल थी पर हम खोए नहीं,दर्द था दिल में पर हम रोए नहीं।कोई नहीं यहां हमारा जो हमसे पूछे,जाग रहे हो किसी के लिए या किसी के लिए सोए नहीं।
बार बार क्यू पूछते हो “मुकाम” अपना कह दिया ना जिदंगी हो तुम..!!
मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दी,सिर्फ एक कागज़ पर लफ्जे माँ रहने दिया।
अच्छे चेहरे की तलाश में हमसे दूर तो हो जाओगे, लेकिन जब दिल की बात आएगी तो हार जाओगे।
क्या खूब ही होता अगर दुःख रेत के होते ,मुट्ठी-से गिरा देते पैरों से उड़ा देते।
चल मेरे हमनशीं अब कहीं और चल,इस चमन में अब अपना गुजारा नहीं।बात होती गुलों तक तो सह लेते हम,अब काँटों पे भी हक हमारा नहीं।
जाने कब आपसे प्यार का इज़हार होगा,जाने कब आपको हमसे प्यार जोगा,गुजर रही हैं आपकी ही याद में ये रातें,जाने कब आपको भी हमारा इंतज़ार होगा।
मैं दबाऊँ तो बेतहाशा दर्द और थोड़ी हरारत है !!तुम दबाओ तो लुत्फ़ होंठो कैसी की श़रारत है !!
गुलाम थे तोहम सब हिंदुस्तानी थेआज़ादी ने हमेंहिन्दू मुसलमान बना दियाGulam the to Hum Sab Hindustani theAzadi Ne HamenHindu Musalman bana diya
सोचा रुक जाएगी ज़िन्दगी, जब उसने मेरे दिल को तोडालेकिन तूने आके मेरी ज़िन्दगी में इसका टुकड़ा टुकड़ा जोड़ा
ज़िंदगी लहर थी आप साहिल हुए,ना जाने कैसे हम आपके काबिल हुए,ना भुला पाएंगे हम उस हसीं पल को,जब आप हमारी ज़िंदगी में शामिल हुए।
ये किस तरह का ताल्लुक है आपका मेरे साथमुझे ही छोड़ के जाने का मशवरा मेरे साथ।
लकीरें हैं तो रहने दो, किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी, उन्ही को अब बनाओ पाला, और आओ कबड्डी खेलते हैं।।
ख्वाहिश इतनी है कि कुछऐसा मेरे नसीब में हो,वक्त चाहे जैसा भी होबस तू मेरे करीब हो।
वो इस अंदाज़ में मुझसे मोहब्बत चाहती हैं,मेरे ख्वाब में भी अपनी हुकूमत चाहती है.!!
यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँजो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया
अगर आँसुओ की किम्मत होती।तो कल रात का तकिया अरबों का होता।।
मिजाज हो गए तल्ख जब मतलब निकल गया,ना हुई दुआ कबूल तो मजहब बदल गया।वो जो कहते थे कि मेरी चाहत कि खुदा तुम हो,कभी बदली उनकी चाहत कभी खुदा बदल गया।
छीनकर मेरी जिंदगी का चैनों सुकून कर के मेरे दिल का कई बार खून जाने आजकल वो क्या सोचते है
फरेब दे कर तेरा जिस्म जीत लूँ लेकिनमैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊंगा।
जब नम हवाएं चलें तो सोच लेना! कि हम तुम्हे कितना याद करते है !!
क्या मिला मुझसे दूर रह करलोग आज भी तुझे मेरीमोहब्बत कहते हैं।
आंसूओ तले मेरे सारे अरमान बह गये,जिनसे उमीद लगाए थे वही बेवफा हो गये।थी हमे जिन चिरागो से उजाले की चाह,वो चिराग ना जाने किन अंधेरो में खो गये।
दोबारा मिलें जिंदगी में यह दुआ करेंगे, दूर रहकर भी नजदीक होने की चाह करेंगे।
ज़रूरी नहीं कि हम दोनों के फेरे हो, छोटी सी चाहत है हर जन्म में हम सिर्फ तेरे हो ।
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता, हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
ये भी शायद इश्क की एक अदा है दोस्तों !जिसे कोई मिल गया वो और तन्हा हो गया !!
अपने साये से चौंक जाते हैंउम्र गुजरी है इस क़दर तनहा।।