1123+ Shayari Poem In Hindi | Best Hindi Poems

Shayari Poem In Hindi , Best Hindi Poems
Author: Quotes And Status Post Published at: September 19, 2023 Post Updated at: September 19, 2023

Shayari Poem In Hindi : मैंने कहा वो मेरी हार हैं दिल ने कहा यही तो प्यार हैं ! तू प्यार करे या ना करे, मैं इजहार हर लम्हा करता रहूंगा !

तुम हैरान कर दो हाल पूछ कर मेरा, बता के खैरियत मै भी कमाल कर दू।🥰

जैसे मीरा का कान्हा से,जैसे शिव का पार्वती से,मुझे भी तुझसे बेपनाह प्यार है ।।

न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी हैकि उस से हम ने तुझे देखने की करनी है।

अब कोई हक़ से हाथ पकड़कर महफ़िल में दोबारा नहीं बैठाता, सितारों के बीच से सूरज बनने के कुछ अपने ही नुकसान हुआ करते है..

कहो नहीं करके दिखलाओउपदेशों से काम न होगाजो उपदिष्ट वही अपनाओकहो नहीं, करके दिखलाओ।

ख़ुद पर हो विश्वास अगर, एक पल क्या… वक़्त बदल जाए।

मैं जो कभी अन्दर से टूट कर बिखरूवो मुझे थामने के लिए हाथ बढ़ा देता है,

हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़नजान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदमजिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है

लहरों पर मोती चमक रहे, झोंके भी तुझ तक सिमट रहे ।

वो आमादा हुए क्यों ख़ुदकुशी परजो कहते थे कि जीना आ गया है।

कहीं चीख उठी है अभी कहीं नाच शुरू हुआ है अभीकहीं बच्चा हुआ है अभीकहीं फौजें चल पड़ी हैं अभी

तू प्यार करे या ना करे, मैं इजहार हर लम्हा करता रहूंगा !

तेरी राहों में हर बार रुक करहम ने अपना ही इन्तज़ार किया।

तुम्हें लगता है प्यार कम है मेरा,तुम कहो तो तुम्हें जताऊं क्या ।

ये मुकाम नहीं हासिल तो क्या ? नये ठिकाने ढूंढ लेंगे, हम वो शय नहीं जो अपनी तलाश छोड़ देंगे !!

नहीं शामिल मैं उसकी आरजू में, मेरे हाँथो में फिर उसकी लकीर क्यूँ है ।। बात सिर्फ इतनी सी है तो क्यूँ है उसे नहीं मुझसे मुहब्बत, मुझे अब तक क्यूँ है ।।

तू इजाजत दे या न दे,तेरी इबादत करता रहूंगा।

हम सीख न पाये ‘फ़रेबऔर दील बच्चा ही रह गया…।

ऐ दिल तू भी संभल जा अब हुआ वही था होना जो हिज्र पे कैसा मातम है हुआ वही था होना जो

कोई वादा नहीं किया लेकिनक्यों तेरा इंतजार रहता हैबेवजह जब क़रार मिल जाएदिल बड़ा बेकरार रहता है

हम पंछी उन्मुक्त गगन केपिंजरबद्ध न गा पाऍंगेकनक-तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाऍंगे ।

तेरे होंठो से जो निकले हर बात ग़ज़ल बन जाती है चाँद भी फिका लगता है जब जब तू शर्माती है जो कभी रूठ जाएगी तू तो मनाऊंगा मै

पिंजरे के जो आदी हो उन पंछी को आसमान में छोड़ देना ठीक नहीं अच्छी अच्छी बस्ती डूब जाती है दरियाओं से बैर करना ठीक नहीं

मैं नीर भरी दुःख की बदली,स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,क्रंदन में आहत विश्व हँसा,नयनो में दीपक से जलते,पलकों में निर्झनी मचली !मैं नीर भरी दुःख की बदली !

हज़ारो जख्म है मुझमे जो उसकी निशानी है, मुझे उसकी फिर भी ज़रुरत क्यूँ है बात सिर्फ इतनी सी है तो क्यूँ है उसे नहीं मुझसे मुहब्बत, मुझे अब तक क्यूँ है ।।

भर गए जो थे पुराने ज़ख्म अब फिर नए बना रहे हो जाओ ना पास कब्र के ही बैठे रहोगे क्या बुला रही है ज़िन्दगी जाओ ना

अगर आँसुओ की किम्मत होती।तो कल रात का तकिया अरबों का होता।।

लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान सेहमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से

अज़ल से इन हथेलियों में हिज्र की लकीर थीतुम्हारा दुःख तो जैसे मेरे हाथ में बड़ा हुआ।

मैं तेरा हूँ तू रखना मुझको सम्हाल कर तेरा ही नाम लिख्खा है दिल की रुमाल पर

हो इतने सहमे-सहमे क्यों, बता किस बात का डर है। चलो कुछ दूर संग मेरे, जहाँ मंज़िल का भी घर है।

तुम्हें अपना खुदा मानाजुदा फिर हो जाऊँ कैसे..

वो झांकता नहीं खिड़की से दिन निकलता हैतुझे यकीन नहीं आ रहा तो आ मेरे साथ।

जिन्दगी एक सफ़र हैं यादें जिसकी हमसफ़र हैं सुख दुःख ही हैं इन यादों के पन्ने कभी धूप कभी छाव से भरे हैं जिन्दगी के कलमे

कोई होता तो देता जवाब किसी बात कालाश मिली थी उसकी एक खाली मकान में

गर नहीं तो फिर कैसे चूके हम राष्ट्र नया गढ़ने मेंजिस आज़ादी के लिए लड़े उसकी इज्जत करने में

ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसारअब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैदेखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है

बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन सेयूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है।।

मित्रहोता है हरदमलोटे में पानी – चूल्हे में आगजलन में झमाझम – उदासी में राग

तू इजाजत दे या न दे, तेरी इबादत करता रहूंगा !

एक चेहरा जो मेरे ख़्वाब सजा देता है।मुझे खुश रहने की वजह देता है,

गरदन पर किसका पाप वीर ! ढोते हो ?शोणित से तुम किसका कलंक धोते हो ?

रूढूँगा मैं तुमसे इक दिन इस बात पेजब रूठा था मैं तो मनाया क्यूँ नही

हौसले बुलंद होते जिनके,वो ही तो जीता पाते हैं।जो इरादे रखें मजबूत अपने,उन्हें कहां कोई हराते हैं।

ज्यों निकल कर बादलों की गोद सेथी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी।सोचने फिर-फिर यही जी में लगी,आह ! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी ?

उसे मैं क्या, मेरा खुमार भी मिले तो बेरहमी से तोड़ देती है, वो ख्वाब में आती है मेरे, फिर आकर मुझे छोड़ देती है….

वह देख रही है दूर-दूर तक नाम मात्र की राहत है, पैरों से धक्का डाली पर, पंखों से हवा ढकेली है। वो आसमानों में तूफानों से लड़ती जान अकेली है।

उस लड़ाई में दोनों तरफ कुछ सिपाही थे जो नींद में बोलते थेजंग टलती नहीं थी सिरों से मगर ख्वाब में फ़ाख्ता देखते थे।

आखिर खत्म हो गया एक किस्सा मेरी जिंदगानीका पर नाज रहेगा हमेशा अपनी कहानी पर ।

जब से पारस मेरा गैर हाथों गया, तब से लेकर अभी तक ही रोना हुआ।

कोई जगह होगी, जहाँ से न जाना होगा,इस परिंदे का कहीं तो आशियाना होगा।

असर ये हुआ उसके जाने से आवाज़ आने लगी मैखाने से बातें करने लगा मैं रातों से धूल उड़ने लगी किताबों से

हद से बढ़ी उड़ान की ख़्वाहिश तो यूं लगाजैसे कोई परों को कुतरता चला गया

सब बुझे दीपक जला लूंघिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूं!

ज़ंजीरों से चले बाँधनेआज़ादी की चाह।घी से आग बुझाने कीसोची है सीधी राह!

जो छूट गया उसका क्या मलाल करें,जो हासिल है, चल उस से ही सवाल करें |

देव! तुम्हारे कई उपासककई ढंग से आते हैं ।सेवा में बहुमूल्य भेंट वेकई रंग की लाते हैं ॥

बहन का प्यार माँ की ममता दो चीखती आँखें यही तोहफ़े थे वो जिनको मैं अक्सर याद करता था

मिल जाए मुझे चाहे बिछड़ने के लिए वो आये दिल तोड़ने के लिए कहता है ना जाने उसकी शकल-ओ-सूरत कैसी होगी ना जाने वो किसी से इश्क़ कैसे करता है

आरजुये दिल की जैसे सिमट सी गयी है जिंदगी ने भी जैसे जीने का इशारा कर दिया

अकबर का है कहाँ आज मरकत सिंहासन? भौम राज्य वह, उच्च भवन, चार, वंदीजन;

कहो तो यह कैसी है रीति? तुम विश्वम्भर हो, ऐसी, तो होतो नहीं प्रतीति॥

बरसों बाद लौटा हूँअपने बचपन के स्कूल मेंजहाँ बरसों पुराने किसी क्लास-रूम में सेझाँक रहा हैस्कूल-बैग उठाएएक जाना-पहचाना बच्चा

मिरी इक जिंदगी के कितने हिस्सेदार हैं लेकिनकिसी की जिंदगी में मेरा हिस्सा क्यूँ नहीं होता

अपना बना के छोड़ दिया मेहरबानियां तूने दिल मेरा तोड़ दिया मेहरबानियां घर जलाया मोहब्बत का मेहरबानियां है तू कितना बेगैरत सा मेहरबानियां

पकड कर तेरे हाथ पुहूँगा मैं तुमसे हकअपना मुझ पर तुमने जताया क्यूँ नही

इस बार एक और भी दीवार गिर गयीबारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया

ना ही दिल बदला है मेरा, ना ही मेरे ज़ज्बात बदले हैं!! कुछ ऐसा शुरू हुआ ग़मों का दौर, आज मेरे ये जो हालात बदलें हैं!!

भीड़ हैशब्द हैं,नगाड़े हैं।लेकिन, गुम है--इंसान, ओज और ताल।खोजिए, मिल जाएं शायद--भीड़ में इंसानशब्दों में ओजऔरनगाड़ों में ताल।

मेरा घर था जिस गली में वहां उसका कुछ नहीं था वो फिर भी मुझे देखने आया करती थी उस पर भी ज़माने की नजर थी लेकिन वो रोज़ कोई बहाना घर बनाया करती थी

चाँद सितारे कभी न देखें पलकों में तुम्हें छुपाता हूँ। बस तार दिलों के मैं जोड़ूँ प्यार की बात बताता हूँ।

Recent Posts