Shayari On Shaam In Hindi : शाम जो ढलना छोड़ दे, तो हर रात तेरी याद में हम जलना छोड़ दे। सुबह से कब शाम और शाम से कब रात हुई, नौकरी करते-करते मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हुई।
आशियां बनाने में बहुत मुश्किल होती है अपनों को समझाने में एक पल में किसी को भुला मत देना जिंदगी लग जाती है किसी को अपना बनाने में
जितना गहरा प्यार होता हैउतना ही गहरा वार होता है।
शाम की शमा जब बुझ जाए इन आँखों में आंसू आते हैं नींद की जगह।
“ज़िंदगी” नहीं “रूलाती” है रुलाते तो वह,“लोग” हैं जिन्हें हम अपनी …ज़िन्दगी “समझ” बैठते हैं ..!!
ले चलो फिर मुझको पहाड़ों पे यारों,ये शहरों की हवाएं अब चुभने सी लगी हैं।
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है, मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो, दिन की चादर अभी उतारी है।
एक शाम ऐसी भी गुज़रे जिसमे कल की परवाह ना हो।
आज तक बहुत भरोसे टूटेमगर भरोसे की आदत नही छूटी।
जिन्दगी क्या है एक सबर ही तो हैहर शक्स किसी ना किसी के इंतेजार में है ।
मै उस से प्यार करता था और वो मुझेबस अच्छा दोस्त मानती थी।
क्रोध भी क्या करू तुमसे,आज भी हस्ते हुए अच्छी लगती हो…Krodh bhi kya karoon tumse,Aaj bhi hastein hue acchi lagti ho…
मेरे लिए वो पल सबसे खास है,जिस पल ने मुझे तुमसे मिलाया..!
उदास कर देती है हर रोज ये ढलती हुई शाम !ऐसा लगता है जैसे भूल रहा है कोई धीरे धीरे !!
मेरा खालीपन बताता है मुझे,कितनी जगह दे रखी थी उसे..।
दर्द हल्का है साँस भारी है,जिए जाने की रस्म जारी है।Dard Halka Hai Saans Bhari Hai Jiye Jaane Ki Rachna Jari hai
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
लोग कहते हैं। जिन्दगी छोटी सी हैं।भगर मुझे सदियाँ हो गयी उसके बिना जीते जीते।।
उसने पूछा कि कौनसा तोहफा है मनपसंद? मैंने कहा वो शाम जो अब तक उधार है।
इश्क़ कहाँ देखता है सही ग़लत के पैमानेजिससे होता है वही शख़्स सही लगता है।
यदि सहने की हिम्मत रखता हूं तो तबाह करने के हौसले भी रखता हूं।
चाँद का पक्का आशिक है सूरज, रोज़ जल्दी डूब जाता है चाँद आने के इंतज़ार में।
एक सो सोलह चाँद की रातें ,एक तुम्हारे कंधे का तिल। गीली मेहँदी की खुश्बू झूठ मूठ के वादे,सब याद करादो, सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो।।
खुश रहो उनके साथजो आपको हमसे ज्यादा खुशियाँ दे।
तेरी याद में बर्बाद नाजाने कितनी शाम की है मैंने, कुछ यूँ ही अपनी ज़िन्दगी तमाम की है मैंने।
खुशबू से भरी शाम में जुगनू के कलम सेइक नज़्म तेरे वास्ते लिक्खेंगे किसी दिन
शामें कई आई गई तेरा इंतज़ार में, अपनी ज़िन्दगी से लबा लग रहा है इम्तेहान ये।
” नफरत सी हो गई है, इसजिंदगी से…अब बस आखिरी … दिन का इंतजार है!
डूबा हूँ गम में इस तरह से, जिस तरह सूरज डूब जाता है हर शाम में।
ज़रा ये धुप ढल जाए ,तो हाल पूछेंगे ,यहाँ कुछ साये , खुद को खुदा बताते हैं।
दिल सा मस्कन छोड़ के जाना इतना भी आसान नहींसुब्ह को रस्ता भूल गए तो शाम को वापस आओगे
क्या सुबह क्या शाम और फिर क्या रात मेरे लिए, कुछ भी अच्छा नहीं सब बर्बाद है मेरे लिए।
जो सब करते हैं तुमने भी वही कियापहले आदत डाली फिर छोड़ दिया..।
पूछा जो हमने किसी और की होने लगी हो क्या,वो मुस्कराकर बोली पहले तुम्हारी थी क्या ….
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।
मत मिलाया कर उन्हेंए-ख़ुदाजिन्हें तू मिला नही सकता.!
मोहब्बत होने में कुछ लम्हे लगते हैपूरी उम्र लग जाती है उसे भुलाने में
जिसका मिलना किस्मत में नहीं होती,उससे मोहब्बत भी बेइंतहा होती हैं..Jisse milna kismat me nahi hoti,Usse mohabbat bhi beimtaha hoti hain..
सोचता हूँ दोस्तों पर मुकदमा कर दूँ, इसी बहाने तारीखों पर मुलाक़ात तो होगी..!!!
इश्क़ चख लिया था इत्तेफ़ाक सेज़बान पर आज भी दर्द के छाले है.!
ख़ूबसूरत पहाड़ हों तुम हों हम हों ज़िंदगी में ना फिर कोई ग़म हो
फिजाओं में आज फिर से खूबसूरती दिखने लगी हैं,शायद शाम-ए-लखनऊ का आग़ाज़ हो गया है.
तू भी एक शाम मिलने को बेक़रार हो, कई शामें बीत गई उस शाम का इंतज़ार करते हुए।
खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।
एक आरजू है अगर पूरी परवरदिगार करें एक आरजू है अगर पूरी परवरदिगार करें मैं देर से जाऊं और वह मेरा इंतजार करें
जिन्दगी की हर सुबह कुछ शर्ते लेकर आती हैंऔर जिन्दगी की हर शाम कुछ तजुर्बे देकर जाती हैं
मुस्कुराना हमारी मजबूरी हैं,जिंदगी तो ऐसे भी हमसे नाराज रहती हैं…Muskurana hamari majboori hain,Zindagi toh aisi bhi hamse naraj rahti hain..
मोहब्बत एक दम ग़म का एहसास होने नही देती,ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता-आहिस्ता !!
कह जाते हैं यार सुबह अगर आंखों की समझो तो यह सब कुछ कह जाते हैं यारों दिल के बोझ को करते हैं हल्का खुद सबके गम सह
कौन कहता है कफ़न सफेद होता हैमैंने लाल जोड़े में भी जनाजा देखा है.!
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़, किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
सूरज थोड़ी देर अब और ठहर जा,अभी आँखें तैयार नहीं है अँधेरा देखने को।
एक शाम आती है जब अपने रूठ जाते हैं साथ एक दोस्त है होता जो हंस कर भूल जाते हैं ।
एक बार फिर इश्क़ करेंगे हम,अभी सिर्फ भरोसा उठा है जनाजा नहीं।।
मुहब्बत लिबास नहीं जो हर रोज बदल जाए मोहब्बत कफन है जो पहन कर उतारा नहीं जाता।।
बस यूं ही उम्मीद दिलाते हैं जमाने वाले बस यूं ही उम्मीद दिलाते हैं जमाने वाले कब लौट के आते हैं छोड़कर जाने वाले
अगर, मगर, और काश में हूं….फिलहाल में अपनी ही तलाश में हूं…
शायर बनना बहुत आसान हैं,बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।
कुछ अनहोनी कुछ तो बात होने वाली है, आज शाम जल्दी ढल गई लगता है काली रात होने वाली है।
बनारस की शाम सबसे सुंदर होती है,जब माँ गंगा की आरती शुरू होती हैतो मन मन्त्र मुग्ध हो जाता है औरहृदय में अध्यात्म जागृत हो जाता है.
रोज़ ढलती हुई शाम से डर लगता है, अब मुझे इश्क के अंजाम से डर लगता है… जब से तुमने मुझे धोखा दिया, तबसे मोहब्बत के नाम से भी डर लगता है !
किसी की ज़िन्दगी में रात को ही सवेरा हो गया, किसी की ज़िन्दगी में वक़्त हो गया मगर उजाला नहीं हुआ।
लोग कहते है कीखुश रहोमगर मजाल हैकी रहने देLog Kehte Hain Ki khush rahoMagar majal hai ki Rahane De
थक कर बहुत सो चुके हो अब हर दिन हँस कर जागना शुरू कर दो।
प्यार, एहसास, हँसी और शरारत बनाए रखनाखुद में जरा सा बच्चा हर हाल में बचाए रखना ।
वह जो सूरत पर सबकी हंसते है,उनको तोहफे में एक आईना दीजिए Vah Jo Surat per Sabki Hanste Hain unko tohfe me ek aaina dijiye
दिल जलाओ या जिए आंखों के दरवाजे पर वक्त से पहले तो आती नहीं आने वाली,tera intezaar shayari
मेरी आँखों के आगे से सूरज ढला जब, मेरी आँखों ने तब कई अंधेरे देखे।
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
कभी तो शाम ढले अपने घर गए होतेकिसी की आँख में रह कर सँवर गए होते
जिस उस दिन मिली थी वो मैं नहीं था, एक शाम मिलो फुर्सत से तुम्हे खुद से मिलाएंगे।
तेरे न होने से बस इतनी सी कमी रहती है,में लाख मुस्कुराऊ आँखों में नमी रहती है !