Shayari On Clouds In Hindi : अगर मेरी चाहते के मुताबिक़ज़माने में हर बात होतीतो बस में होता और वो होतीऔर सारि रात बरसाद होती। अब तू ही बता की किस कोने मेंसुखाऊ तेरी यादे ,बरसाद बहार भी हे औरभीतर भी हे।
ए बारिश कहीं और जाकेबरसा करमेरा दिल बहुत कमजोर हैबात बात पर रोया करता है।
बारिश की बूंदों में झलकती है उसकी तस्वीर !!आज फिर भीग बैठे है उसे पाने की चाहत में !!
दिल तोड़ के वो चला गया खुद को उसने रोका ही नहीं उसके बाद मेरा होगा क्या उस बेगैरत ने ये सोचा ही नहीं
मोहब्बत तो वो बारिश है जिससेछूने की चाहत मैं ! हथेलियां तो गीलीहो जाती है पर हाथ खाली ही रह जाते है !!
कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास कम आये !!और कुछ तेरी मिटटी में बगावत भी बहुत थी !!
अगर पसंद नहीं मेरा साथ तो दूर हो जाओ यूँ रोज़ रोज़ कोई नया बहाना मत बनाओ
सीधी सीधी बात करो बहाने बनाने से क्या मतलब आने वालों की बात करो जाने वालों से क्या मतलब
मौसम चल रहा है इश्क का साहिबजरा सम्भल कर के रहियेगा !
खुद को टीना बेचारा बनाया ना कर हर कहीं आंसू बहाया ना कर सारी मेरी गलती हो कैसे मुमकिन है झूठे किस्से लोगों को बताया ना कर
बादल सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हैं, इसलिए वे सफेद दिखाई देते हैं.
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा, तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ आज शाम से मैं…
इश्क़ भी अब एक सजा हो गया है किसी को “ना” कहना भी गुनाह हो गया है
कितना अधूरा लगता है तब,जब बादल हो पर बारिश ना हो,जब जिंदगी हो पर प्यार ना हो,जब आँखे हो पर ख्वाब ना हो,और जब कोई अपना हो पर साथ ना हो.
मेरा शहर बैरन का घर हुआ करता था,एहान की आंखें या दिल बहुत बहे।
गुलाबी ये सुबह,सर्द मौसम में आई है।बहारों के रंग,अपने साथ लाई है।
कितनी अजीब है ये बारिश,पूरे शरीर को भिगो देता है,पर उसके सामने आंसुओं को छुपाने में,मेरी मदद नहीं कर सकता।
मुझे आग भी अपनी लगती है मुझे धुप से भी अब प्यार है मुझे दर्द भी मीठा लगता है अब गम ही मेरा यार है
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगातो इंतज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से ही मैं !
आग का दरिया ज़फ़ा उनकी हर दिन लगाने गोते हैं
घुल जाऊंगा तुझमे मैं पानी की तरह !!ना बदलेगी चाहत मेरी मौसम की तरह !!
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों मेंरुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।
सुनो सावन चल रहा हैइजाजत हो तोभोले से मांग लूतुमको अगले जन्म के लिए।
तू चाँद और मैं सितारा होता, आसमान में एक आशियाना हमारा होता, लोग तुम्हे दूर से देखते,नज़दीक़ से देखने का, हक़ बस हमारा होता..
गाँव की धुल की याद आती है शहर की इमारतों में सुकून नहीं मिलता
नशे की बूंदों को गिरते देखा,बादल का हाल बताता है,तड़प में बारिश अपनी हो जाती है,वे धरा से मिलने आते हैं।
आज यहाँ वो कल वहां सोते होंगे रात बदलने पर शख्स बदलते होंगे जिन्हें प्यार के बदले प्यार ही मिले वो ज़माने में क़िस्मत वाले होते होंगे
आपकी जिन्दगी उस रफ़्तार से चलेकि आपको कोई गम ना हो पाए।कोई खुशी आपसे रह ना जाएऔर सारे सितारे आपके कदमो तले आ जाएं।
सपनो के जहां को अब,अलविदा कह दीजिए।नई सुबह आपके इंतजार में है,इस सुबह को नमन कीजिए।
झूठी मोहब्बत के साथ तनहाई भी लाया है !!भीगा मौसम तेरी भीगी यादें लेकर आया है !!
मुझसे वो दूरी बनाने लगी है फिर भी कहता हूँ उसकी खता कुछ नहीं इश्क़ किसी से होने लगा उसे उसे लगता है मुझे पता कुछ नहीं
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
उसकी चौखट पर मेरी ख्वाहिशें मर गयी और वो पूछ रहे हैं तुम रो क्यों रहे हो
माना कि थोड़ा मुश्किल होता है पर टूट कर समझने की… कोशिश तो कर सकते हैं ना
बादल चाँद को छुपा सकता हैआकाश को नहीं हम सब कोभुला सकते हैं आपको नहीं !
क्या मस्त मौसम आया हैहर तरफ पानी ही पानी लाया हैतुम घर से बाहर मत निकलनावरना लोग कहेंगे बरसात हुई नहींऔर मेढक निकल आया है।
फिर किया था भरोसा मैंने जो उसने तोड़ दिया !!फिर बारिश के मौसम में वो मुझे तन्हा छोड़ गया !!
जा ओ बेवफा तुझसे क्या शिकायत तूने तो मोहब्बत को धंधा बना कर रखा है
ना छत पर है कभी आताना घर से कभी निकलता हैमेरा महबूब जैसे चांद साघटाओ में छिपता है..!
माना तेरी नज़रों में तेरे काबिल नहीं हूँ मैं मैं क्या हूँ उनसे पूछ जिन्हें हासिल नहीं हूँ मैं
क्यों ख़तम हुआ ये रिश्ता जो तेरे मेरे दरमिया था तुझे तो अब घुटन होने लगी थी तेरे लिए ये रिश्ता और क्या था
कितने ज़हर से बात करते हो सबसे ये लहजा है या हमसे ख़ास करते हो
उधर से इधर तक अधर तक हो तुम मगर हिज्र के अब सफर पर हो तुम
मोहब्बत भी चाँद की तरह दिखता हैं,जब पूरा होता हैं तो फिर घटने लगता हैं.
साफ़ दिल नहीं उसे महंगा प्यार चाहिए था मैं सारंगी और उसे गिटार चाहिए था
तेरे प्रेम की बारिश हो, मैं जलमग्न हो जाऊं,तुम घटा बन चली आओ, मैं बादल बन जाऊं।
झिलमिलाते हुए अश्कों की लङी टूट गई जगमगाती हुई बरसात ने दम तोड़ दिया
एक खोया खोया चाँद हे जो हे खफा खफा… एक टुटा टुटा ख्वाब हे जो हे तुझसे हे जुड़ा… एक आधी आधी आस हे जो अधूरी रह गयी…
सुबह ही दिन का आरंभ है,आपका ये सफर,इस सुबह की तरहमंगलमय हो।
न चाहकर भी मेरे लब परये फरियाद आ जाती हैऐ चाँद सामने न आकिसी की याद आ जाती है।
स्याही का सा एक दाग है दिल में, जो धुलता नहीं अश्कों की बरसात में भी
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश है,न चाहते हुए भी कोई शिद्दत से याद आता है!
मेरे दिल की जमीन बरसों से बंजर पडी हैमै तो आज भी बारिश का इन्तेजार कर रहा हूँ
आपकी नयी सुबह सुहानी हो जाएआपसे हर दुख दूर हो जाए।ईश्वर मेहरबान हो आप पर इतनाआपकी खुशी की दुनिया दीवानी हो जाए।
एक दिन वो बात भी होगी मोहब्बत वाली बरसात भी होगी प्यार में तुझे भी प्यार मिलेगा उससे वो वाली मुलाकात भी होगी
रात में एक टूटता तारा देखा बिलकुल मेरे जैसा था, चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा बिलकुल तेरे जैसा था….
तुमको क्या खबर हाल मेरा है क्या मैं कह भी नहीं सकता कुछ मुझे सहना भी सब है
चाँद तारो में नज़र आये चेहरा आपका, जब से मेरे दिल पे हुआ है पहरा आपका…..
वाह मौसम आज तेरी अदा पर दिल खुश हो गया !!याद मुझे आई और बरस तू ग !!
ये दिल न जाने क्या कर बैठा, मुझसे बिना पूछे ही फैसला कर बैठा, इस ज़मीन पर टूटा सितारा भी नहीं गिरता, और ये पागल चाँद से मोहब्बत कर बैठा..
चलती हैं 🌿दिल के शहर में ,यूँ हुकूमत उनकी,बस जो भी उसने कह दिया,दस्तूर हो गया
ऐसे ना जाओ छोड़कर मुँह मोड़कर दिल तोड़कर बैठे हैं जले दिल के पास तेरी ही दी शौल ओढ़कर
मौसम ए इश्क़ है ये जरा खुश्क हो जायेगा !!ना उलझिये हमसे जनाब वर्ना इश्क हो जायेगा !!
रात बैठी थी आग के पास !!फिर याद आई वो शिमला की रात !!वो तेरे प्यार की गर्मी थी !!उस साल कहाँ सर्दी थी!!
बड़े अजीब से हो गए हैं 🌿रिश्ते आज कल ,सब फुर्सत में हैं 🌿लेकिन वक्त किसी के पास नहीं ! 🍁
कहीं फिसल ना जाओ ज़रा संभल के रहना,मौसम बारिश का भी है और मुहब्बत का भी.
तुम्हारे चेहरे का मौसम बड़ा सुहाना लगे !!मैं थोडा लुफ्त उठा लू अगर बुरा न लगे !!
मत सहल हमें जानो फिरता है फ़लक बरसों तब ख़ाक के पर्दे से इंसान निकलते हैं
तेरे शहर में आये बरसात हो गई !!फिर एक अजनबी से मुलाक़ात हो गई !!
अगर आपको एअरपोर्ट पर और फ्लाइट में खाना महँगा लगे,तो समझ लीजिये कि आपकी कमाई हवाई यात्रा के लिए पर्याप्त नही है.
कुछ नशा तेरी बात का हैकुछ नशा धीमी बरसात का हैहमे तुम यूँही पागल मत समझोयह दिल पर असर पहली मुलाकात का है
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है, उस पर शबाबका रंग गहरा है, खुदा को यकीन न था वफ़ा परतभी चाँद पर तारों का पहरा है !
यक़ीन चाँद पे सूर में एश्तिबार भी रखमगर निगाह में थोड़ा सा इंतिज़ार भी रख!