1866+ Shayari On Beauty In Hindi | Beauty Shayari

Shayari On Beauty In Hindi , Beauty Shayari
Author: Quotes And Status Post Published at: August 9, 2023 Post Updated at: October 13, 2023

Shayari On Beauty In Hindi : सोचता हु हर कागज पे तेरी तारीफ करु, फिर खयाल आया कहीँ पढ़ने वाला भी तेरा दीवाना ना हो जाए। तेरे खुबसुरती पे तो लाखों मरते होंगे, लेकिन हम तेरी बाते सुनने के लिए तड़पते हैं।

आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन,मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।

देख कर तेरी आँखों को मदहोश मै हो जाता हूँ.तेरी तारीफ किये बिना मै रह नहीं पता हूँ.

धीरे से लबों पे आया एक सवाल हैतू ज्यादा खूबसूरत ये तेरा ख्याल है

जरा उन की शोख़ी तो देखना,लिए ज़ुल्फ़-ए-ख़म-शुदा हाथ में।मेरे पास आए दबे दबे,मुझे साँप कह के डरा दिया।

तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा,चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ.

बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,आपको देखा और छुआ तो ख्वाहिशे पूरी हुयी।।

खूबसूरत क्या कहा दिया उनको,हमको छोड़ कर वो शीशे की हो गयी।तराश नहीं था तो पत्थर जैसी थी,तराश दिया तो खुदा हो गयी।

हमारे दर आ जाओ सदा बरसात रहती हैं कभी बादल बरसते हैं कभी आँखे बरसती हैं

तू जरा सी कम खूबसूरत होतीतो भी बहुत खूबसूरत होती.

जलवों की साजिशों को न रखो हिजाब में,ये बिजलियाँ हैं रुक न सकेंगीं नक़ाब में।

तुम्हारी सादग़ी ही है, तुम्हारी खूबसूरती, वरना हमारी ये आँखे, तुम्हे यूँ ना घूरती।

बहक जाती है शराब भी, जब महकता है तेरा “शबाब”, उफ्फ़…! तेरे गुलाबी होंठ हैं या तेरे होंठों जैसा गुलाब…!!

मेकअप है ऐसी जादू की छड़ीचुड़ैल भी लगती है परी,देखना ऐसे ही मिस इंडिया बनेगीएक दिन राम लाल जी की बकरी..

अब आ गये हो आप तो आता नहीं कुछ याद, वरना कुछ हमको आपसे कहना जरुर था !!

खूबसूरती किसी के चेहरों व कपड़ो में नहीं होती ….बस ये निगाहें जिसे चाहे उसे खुबसूरत बना दें..!!

तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की,ना जाने देखते-देखते कब तुम लत बन गये।

ये उड़ती ज़ुल्फें और ये बिखरी मुस्कान,एक अदा से संभलूँ तो दूसरी होश उड़ा देती है

तू अपनी निगाहों से न देख खुद को,चमकता हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा,सब कहते होंगे चाँद का टुकड़ा है तू,मेरी नजर से चाँद तेरा टुकड़ा लगेगा..!!

वो बे-नकाब जो फिरती है गली-कूंचों में,तो कैसे शहर के लोगों में क़त्ल-ए-आम न हो।

तुम्हे देखने की जो आदत पड़ी हैं न…. की हर चेहरा ही हमे अब तुमसा दिखता हैं…

ये दिल फरेब तबस्सुम ये मस्त नजर,तुम्हारे दम से चमन में बहार बाकी है।

हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मुहब्बत का,कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो..!!

तुम आओगी तो फुलों की बरसात करेंगे मौसम के फरिश्तों से मेरी बात हुई है..

आफत तो है वो नाज़ भी अंदाज भी लेकिन,मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।

हुस्न वालो को क्या ,ज़रुरत है सवारने की।वो तो सादगी में भी,क़यामत की अदा रखते है।

तीर अपने ना आज़माएँ आप, मैं किसी और का निशाना हूँ..!

उस हुस्न-ए-बेमिसाल को देखा न आज तक,जिस के तसुव्वरात ने जीना सिखा दिया।

हुस्न वालो को संवरने की जरुरत क्या है,वो ओ सादगी में भी कयामत की अदा रखते हैं।

जनाब बड़े नखरे होते है दूसरों के इश्क में, इसलिए मैं खुद से ही मोहब्बत करता हूँ !

उल्फ़त में कभी यह हाल होता है, आँखें हस्ती हैं मगर दिल रोता है, मानते हैं हम जिसे मंज़िल अपनी, हमसफ़र उसका कोई और होता है।

ज़रा स्माइल रखो चेहरे पे… क्यूँकि,रात में सपनों को हँसते हुए चेहरे पसंद हैं……!!

अपने होठों को किसी परदे में छुपा लिया करोहम गुस्ताख़ लोग नजरों से चूम लिया करते हैं

तेरी नज़रें बयाँ करती हैं मेरी खूबसूरती, अब मुझे आइनों की ज़रूरत न रही।

दरिया ने झरने से पूछातुझे समन्दर नहीं बनना है क्या?झरने ने बड़ी नम्रता से कहाबड़ा बनकर खारा हो जाने से अच्छा हैछोटा रह कर मीठा ही रहूँ…

हर सुबह जिसे आईने में देखते हो, उस चेहरे की मुस्कुराहट, कम मत होने देना !

उसके हुस्न से मिली है मेरे इश्क को ये शौहरत,मुझे जानता ही कौन था तेरी आशिक़ी से पहले।

कुछ फिजायें रंगीन हैं, कुछ आप हसीन हैं,तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं..!!

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा

इश्क़ किया है तभाई से मत डर , अगर तबाह हो चुका तो जमके इश्क़ कर.!

खिलना कम कम कली ने सीखा है,उस की आँखों की नीम-ख्वाबी से।

ये गेशुओं कि घटायें ये लबों के महखाने,निगाह-ए-शौक खुदाया कहाँ कहाँ ठेहरे।

इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको​,​​​कहते हैं लग जाती है अपनों की नजर भी​

सुर्ख आंखों से जब वो देखते है, हम घबराकर आँखे झुका लेते है, क्यूं मिलाए उन आंखों से आखें, सुना है वो आखों से अपना बना लेते हैं।

मेरी हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की, और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की,शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है, क्या जरूरत थी तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की।

उनके हुस्न का आलम न पूछिये,बस तस्वीर हो गया हूँ, तस्वीर देखकर।

सौंदर्य सत्य की मुस्कराहट है जब सत्य खुद अपना चेहरा एक उत्तम दर्पण में देखता है।

खुवाहिश ये नहीं की ,मेरी तारीफ हर कोई करे ,,कोशिश ये ज़रूर है, कोई बुरा न कहे।

हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का,कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो?

तुम दिल मे रहो इतना ही बहुत है••• मुलाकात की हमे इतनी भी जरूरत नही•••

साथ शोखी के कुछ हिजाब भी है,इस अदा का कहीं जवाब भी है?

मैं तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूँ,इस सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम।

जब भी तुझे सोचता हु तो तेरी कमी महसूस होने लगती है जब तेरी तस्वीर को बया करता हूं तो अल्फ़ाज़ों की कमी होने लगती है।

तुम्हारा तो गुस्सा भी इतना प्यारा है की,जी चाहता है की दिनभर तंग करता रहू !!

ढाया है खुदा ने ज़ुल्म हम दोनों पर,तुम्हें हुस्न देकर मुझे इश्क़ देकर।

भाता नहीं है कोई और अब तेरे सिवा मुझे,तुझे चाहना और देखते रहना जरुरी हो गया है।

हुस्न दिखा कर भला कब हुई है मोहब्बत,वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी।

ज़िन्दगी एक ऐसी किताब है ! जिसके हजारो पन्ने अभी तक आपने नहीं पढ़े हैं !

हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का,कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो?

क्या ख़ाक करू उस चाँद की तारीफ में,जो हर लम्हा डूब जाता है, अब तोह चाँद,,को भी तैरना सीखना है।

तुम्हे हर वक़्त देखना मेरी आदत बन गई है तुम्हे खुदा से मांगना मेरी इबादत बन गई है।

रूठ कर कुछ और भी हसीन लगते हो,बस यही सोच कर तुमको खफा रखा है।।

तेरी आँखों मैं बहुत देर तक कोई अक्स नहीं रहता.. तेरा तो पता नहीं तुझसे मिल कर मैं मुझसा नहीं रहता..!!

है होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे,ऊँगली रखो तो आगे पढ़ने को जी करता है..!!

हमारा क़त्ल करने की उनकी साजिश तो देखो,गुजरे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया।

जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नजरें,ईद के चांद का दीदार बहाने ही सही।

सरक गया जब उसके रुख से पर्दा अचानक,फ़रिश्ते भी कहने लगे काश हम भी इंसान होते।

तुझे मेरी जरूरत कहु या हसरत तुझे देखे बग़ैर रहा नहीं जाता।

कैसे ना हो इश्क, उनकी सादगी पर ए-खुदा, ख़फा हैं हमसे, मगर करीब बैठे हैं…

प्यार से जो मैंने घूँघट चाँद पर से हटाया था,प्यार का रंग भी उतरकर उसके चेहरे पर आया था।

कुछ मौसम रंगीन है कुछ आप हसीन हैं,तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।

अपने दर्द की गाथा गाना बहुत आसान हैमगर खुद सब सहकर, दूसरों का दर्द बांटना.ज़रा मुश्किल काम है.

पलकों 🌹को जब-जब आपने झुकाया है, बस एक ही ख्याल दिल🥀 में आया है, कि जिस खुदा ने तुम्हें बनाया है, तुम्हें धरती पर भेजकर💐 वो कैसे जी पाया है।

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