2728+ Self Respect Shayari In Hindi | सेल्फ रिस्पेक्ट शायरी हिन्दी मे

Self Respect Shayari In Hindi , सेल्फ रिस्पेक्ट शायरी हिन्दी मे
Author: Quotes And Status Post Published at: August 9, 2023 Post Updated at: August 22, 2024

Self Respect Shayari In Hindi : कीमत तो हर चीज की चुकानी पड़ती है,इंसान हो या वस्तु,मिलने से पहले भी और खोने के बाद भी,इसलिए हर चीज का सम्मान करें। ज्यादातर लोग आसानी सेमिली हुई चीजो की कद्र नहीं करते,और फिर बाद में खो देते हैं।

खुद को वक्त देना अब जस्री समझा है मेंनेदूसरों को जीदगी भी दो फिर भीवो कम ही है।

अगर खुद का सम्मान करोगे,तो दूसरे भी आप का सम्मान करेंगे..!!

किसने कहा गरीब का आत्म-सम्मान नहीं होता, वो फटे कपड़ों में भी अपने हाल बढ़िया बताता है।

जिंदगी में अपने आत्मसम्मान सेबढ़कर कोई भी चीज नहीं होती।

जीवन का सबसे बड़ा पछतावा वह है,जो दूसरे आपको बना देते है,और आप खुद को खो देते है।

आत्मसम्मान बढ़ाने के लिए आपको सर्वप्रथम लोगो की सहायता करनी होगी।

जहाँ कद्र नहीं होती !!वहाँ से धीरे धीरे से सब चला जाता है !!

आत्म-सम्मान का अर्थ दूसरों को नीचेदिखा कर खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करना नहीं है।

आत्मा से साफ रखो खुद को लोग अक्सर सम्मान मरने के बाद देते हैं।

“💐👩‍💼💐 सिर्फ एक वादा अपने आप से ज़िन्दगी भर निभाना… जहाँ आप गलत ना हो, वहाँ सिर मत झुकाना… 💐👩‍💼💐”

रिश्तो को लेकर समझौते करने ठीक हैं, लेकिन आत्मसम्मान को लेकर समझौता करना बिलकुल ठीक नहीं।

कभी-कभी यह भूल जाना बेहतर है की हम क्या महसूस करते हैं, और यह याद रखना बेहतर है की हम किस चीज़ के योग्य हैं।

इंसान कितने भी branded कपडे पहनता है!!उससे उसकी कोई value नही होती!!वो दूसरो के साथ कैसा रहता है!!ये imporfant है!!

“ आत्मविश्वास यह जानना है कि आप कौन हैंऔर इसे किसी के भी कहने में नहीं बदलना है।क्योंकि किसी के वास्तविकता का संस्करणआपकी वास्तविकता नहीं है..!!

हम जैसे भी हैं अच्छे हैं,बेईमानी की शानो-शोकत की चकाचौंध से दूर बेनामी ही अच्छे हैं..!!

अगर आप अपना सम्मान बढ़ाना चाहते हैं तो पहले ऐसे कर्म कीजिए जिनकी वजह से आप दूसरों का सम्मान करते हैं।

आत्म-सम्मान को खो कर अगर कुछ मिल भी जाता है तो उसका मोल न के बराबर हो जाता है।

मैं अपनी तारीफ खुद ही कर लेती हूँ क्योंकि जमाने को रोक ही नहीं सकती अपनी बुराई करने से।

अपने आप को पर्याप्त सम्मान दें कि किसी भी चीज़ को जाने दें जो आपके उच्चतम अच्छे की सेवा नहीं करता है.

उसकी इज़्ज़त करने का एक मौका मत छोड़ो जो तुम्हे बेइज़्ज़त करने का मौका नहीं ढूंढते।

दूसरी ओर, सकारात्मक दृष्टिकोण का हमारे स्वास्थ्य, रिश्तों और जीवन में समग्र सफलता के संदर्भ में हमारे जीवन में कई लाभ हैं।

खुद के लिए सम्मान हमारी नैतिकता का मार्गदर्शन करता है;

जो टूट जाता है अंदर से !!वही गजब का मुस्कुराता है !!

जीवन में सबसे बड़ा पछतावा वैसा बनने में है,जो दूसरे चाहते हैं बजाए उसके जो आप बनना चाहते हैं।– शैनन ए. एल्डर

इस दुनियां में हर चीज सेसमझौता कर सकते हैअपने आत्म सम्मान से नहीं।

आप जितने विनम्र दूसरों के साथ रहेंगे आपका सम्मान लोग उतना ही अधिक करेंगे।

जहाँ आप दूसरों की सलाह को सुन कर बेझिझक मान लेते हैं, वहां सोच कर लिए गए अपने फैसले पर कभी शक मत करना।

अपने आत्मसन्मान के साथ समझौता करके, किसी भी रिश्ते को नहीं निभाना चाहिए!

आजकल दुनिया में वजह हो तो कद्र होती है,वरना बेवजह कद्र कोई नहीं करता,और बहुत कम लोग हैं जो बेवजह कद्र करते हैं..!!

इज़्ज़त वस्तु-विनिमय प्रणाली की तरह है,इज़्ज़त दो इज़्ज़त पाओ।

सम्मान उनका करना चाहिए,जो लोगों का सम्मान करता है,उन लोगों का नहीं जो,हर वक्त लोगों का अपमान करते हैं..!!

समझदारी यही होती है कि आप खुद को वो इंसान समझें जिसे आप दूसरों से चाहते हो कि वो आपके साथ व्यवहार करें।

अगर गलती पर भी आप झुक नहीं पा रहे, तो समझ लेना यह आपका आत्म-विशवास नहीं आपका घमंड आप से बात कर रहा है।

परवाह ना करो चाहे सारा जमाना खिलाफ होचलो उस रस्ते पर जो सच्चा और साफ हो।

हमे किसी पैमानो मे ना तोलो यारो,हम तो यहा खुद पैमाना बनने आये है..!!

अहंकार गुस्सा और आत्म सम्मान की वजह से,प्यार करने वालों को दूर होना पड़ता है..!!

आपके स्वभाव और संस्कार पर निर्भर होता है,कि आपको कितना सम्मान मिलना चाहिए..!!

हमें सबसे पहले खुद स्वयं कामान करना आना चाहिएउसे ही स्वाभिमान कहते हैं…

खैरात के साथ सेइज़्ज़त का अकेलापन बेहतर है।

“ कभी भी सिर्फखुद की आत्म-सम्मान के लिए,किसी और के आत्मसम्मान कोठेस नहीं पहुँचाना चाहिए…!!!

अगर आत्मसम्मान को मार कर जीना पड़ेतो ऐसे जीने से मर ही जाना बेहतर है.

आत्म सम्मान की रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म हैं.

एक पेड़ को प्यार करने के लिए सीधे होना जरूरी नहीं है,नाही तुमने किया।-मैक्सिमे लगैसे

जो लोग स्वाभिमानी होते है वो अपने इच्छित वस्तु या लक्ष्य कोअपने परिश्रम (कर्म) के द्वारा प्राप्त करते है… और वे जीवन पर्यन्तकर्म करते रहते है.

तिनका हूँ तो क्या हुआ,वजूद है मेरा भी।उड़ उड़ कर हवा का,रुख तो बताता हूँ।

पहले खुद से प्यार कर लें ताकिआप यह जान सकें कौन प्यार के लायक है।

सम्मान उसका करना चाहिए जो उसके लायक हो। उसका नहीं जो सम्मान मांगता हो

वह जो खुद का सम्मान करता है वह दूसरों से सुरक्षित है। वह मेल का कोट पहनता है जिसे कोई भेद नहीं सकता।” – हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो

किसी और की आँखों से अपनी ख़ूबसूरती का अंदाजा मत लगाना खुदा ने तुम्हे कुछ सोच समझ कर ही ऐसा बनाया होगा।

जब भी हम खुद को नीचा महसूस करते हैं!!तो वास्तव में हम अपने आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं!!

घर को स्वर्ग बनाती नारी !!घर की इज्जत होती नारी !!देव भी करते पूजा जिसकी !!ऐसी प्यारी मूरत नारी !!

“ आत्म-नियंत्रण-आत्म-सम्मान औरसाहस के मुख्य तत्व है….!!!

“अगर आपको आपके स्वाभिमान की कीमत नहीं होगी तो दूसरा क्या ख़ाक़ कीमत करेगा।”

दूसरों को दबाने से आपके आत्म-सम्मान में नहीं,अपितु आपके कुकर्मों में वृद्धि होती है।

एक वक़्त पर आकर दौलत की भूख मिट जाती है पर !!आत्म सम्मान की भूख इंसान को ज़िन्दगी भर रहती है !!

बेज्जती का जवाब बड़ी इज्जत से देकर देखो!!सामने वाला खुद शर्मिंदा हो जाएगा!!

“मेरे आत्म-मूल्य की एक बूंद भी आपकी स्वीकृति पर निर्भर नहीं करती है।”

जो खुद की नज़रों में लायक है वही सबसे बड़ा नायक है।

बहर से ज्यादा अपने अंदर की आवाज सुनो !!

आपके स्वभाव और संस्कार पर निर्भर होता है, कि आपको कितना सम्मान मिलना चाहिए।

जब भगवान कचरा बाहर निकालता है,तो उसके माध्यम से वापस खुदाई न करें,,उस पर विश्वास करो।अमाका इमानी नकोसज़ाना

अपनी इज़्ज़त का ख्याल खुद ही रखना पड़ता है, वर्ण बेबस को तो सभी बेइज़्ज़त करते हैं।

वो जो आपका अपने मुँह से अनादर करते हैं,उनकी बातें आपके कानो की हकदार नहीं हैं।– कर्टिस टिरोन जोन्स

खुशी आत्म-सम्मान का सर्वोच्च रूप है,एक व्यक्ति जो खुद को खुश रहने की अनुमति देता है,,वह अपना स्वाभिमान दिखाता है।– मार्टी रुबिन

मेरी नरमी को मेरी कमजोरी मत समझो!!मै सर झुककर चलता हूँ, तो सिर्फ खुदा के डर से!!

दिल पर जब गहरी ठेस पहुँचती है तब या तो इंसान चुप हो जाता है या फिर रोकर अपने दर्द को कम करने की कोशिश करता है।

आत्म सम्मान ऐसा होना चाहिए की किसी की मदद करते वक़्त हमेश आगे रहे, और मदद लेते वक़्त हमेशा पीछे।

दूसरों पर हर काम के लिए निर्भर मत रहिए,क्योंकि अगर आप हमेशा ऐसा करेंगे,,तो धीरे-धीरे आपका आत्मसम्मान कम होता जाएगा।

खुद से कभी झूठ न बोलना यह सच्चा आत्म-सम्मान है।

क्रोध व्यक्ति के आत्मसम्मान को निचे गिराने में ज्यादा समय नहीं लगाता।

सम्मान उसका करना चाहिए जो उसके लायक हो। उसका नहीं जो सम्मान मांगता हो“Respect is for those that deserve it not for those that demand it.”

“ कीमत तो हर चीज की चुकानी पड़ती है,इंसान हो या वस्तु,मिलने से पहले भी और खोने के बाद भी,इसलिए हर चीज का सम्मान करें…!!!

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