Sad Shayari In Hindi : सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें। अच्छे होते हैं वो लोग जो आकर चले जाते हैं,थोड़ा ठहर कर जाने वाले बहुत रुलाते हैं !
दुनिया में सबसेबेहतरीन भीख मोहब्बत कीहोती हैऔर मैंने वो भी मांगी थी ।
कुछ तो कमी है मुझ में, शायद इस लिए तुझे भुला न सके, जब भी देखता हूं चांद को रातों में, याद आती है वो गुजरी हुई बातों में !
मैं एक बेक़सूर वारदात की तरह जहाँ की तहाँ रही,तुम गवाहों के बयानो की तरह बदलते चले गए।
वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो,वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो,कैसे कह दे कि लग जाए हमारी उमर आपको,क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो।
मेरा दिल एकदम सही है क्योंकि आप उसके अंदर हैं।in
प्यार में मौत से डरता कोन है,प्यार हो जाता है करता कोन है।आप जैसे यार पर हम तो क्या सारी दुनियां फिदा है,लेकिन हमारी तरह आप पर मरता कौन है।
भले ही आपको यह याद न हो, यह काम कर गया ..? भूलने की कोशिश मत करना मैं भी तेरे लिए दुनिया छोड़ने को तैयार हूँ …? मुझे किसी और के लिए मत छोड़ो।
मेरी आँखें ही बता देती हैं के,मैने अपने सपने गवां दिए हैं।
संभलकर चलना हम भी जानते थे,पर ठोकर भी लगी उसी पत्थर से जिसे हम अपना समझते थे।
अब ओर आँसुओं को आँखों में लाना नही है,अपने मासूम दिल को दुखाना नही है।अगर तकलीफ देने लगा है तुम्हे रिश्ता हमारा,तो इस रिश्ते को ओर निभाना नही है।
ग़म मेरी पहली ज़िंदगी है , ग़म मेरी आख़िरी है बस तुम अच्छे बनो ख़ुश रहो ।
तू मुझे माफ कर दे तो गलत मत समझना , दूर से ही मुहब्बत करुँगा, ना पास जाऊँगा, शायद इस ज़िंदगी में तू मेरा ना हो, तू कितनी भी दूर हो, ना भूलूँगा।
यूँ तो हर शख्स फिसल जाता है,अक्सर कर सम्भल जाता है।उठना गिरना तो ज़िन्दगी की कहानी है,जो गिरकर फिर ना सम्भला तब हैरानी है।
कहाँ मिलता है अब कोई समझने वाला,जोभी मिलता है समझा के चला जाता है।
हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे,कभी चाहा किसी ने खुद तुम कहोगे।हम ना होंगे तो ये आलम ना होगा,मिलेंगे बहुत से पर हम सा कोई पागल ना होगा।
.दिल में ग़म भरा है, .जो तुम्हे दिल का अरमान देता था
जिनके दिल परचोट लगती है ना…वो लोग आँखों से कम और दिल सेज्यादा रोते है…।
नदी से किनारे छूट जाते हैं,आसमान से तारे टूट जाते हैं,जिंदगी की राह में अक्सर ऐसा होता है,जिसे हम दिल से चाहते हैं वही हमसे रूठ जाते हैं।
मेरे हर दर्द की दवा हो तुम तुम मेरी खुशी का कारण हो मुझे बताओ तुम कौन हो केवल यह शरीर मेरा है, इसमें तुम आत्मा हो।न्यू सैड शायरी
बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे,इक शहर अब इनका भी होना चाहिए।
♥जो. वह .कभी दुनिया. को जो. भी भीड़ में. होता है. तू अपना .असली .चेहरा .भूल जाता है जब वह अकेला होता है तो .उसका असली .चेहरा उसके सामने होता है
” क्यूँ नहीं महसूस होतीउसे मेरी तकलीफ,जो कहते थे,बहुत अच्छे से जानते है तुझे “
शिकवा करूं भी तो करूं किस से,दर्द भी मेरा, और दर्द देने वाला भी मेरा ।
ताले लगा दिए दिल को अब उसका अरमान नहीं,बंद होकर फिर खुल जाए ये कोई दुकान नहीं।
तुमने समझा ही नहीं और ना समझना चाहा,हम चाहते ही क्या थे तुमसे तुम्हारे सिवा।
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया,जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया।“शकील बदायुनी”
गम मिला तो रो ना सके,खुशी मिली तो मुस्कुरा ना सके,मेरी जिंदगी भी क्या जिंदगी है,जिसे चाहा उसे पा ना सके।
झूठी हँसी से जख्म और बढ़ता गया,इससे अच्छा तो खुल कर रो लिए होते।
क़ाश कोई ऐसा हो, जो गले लगा करकहे…!! तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफहोती है
दोस्ती मुस्कुरानी चाहिए,दोस्ती रोना चाहिए,हर लम्हा खुल के जियो,,एक बिंदु पर उसे बहस करनी चाहिए,लेकिन इसे कभी नहीं बदलना चाहिए।
मैं उस किताब का आखरीपन्ना थामैं ना होता तोकहानी खत्म न होती ….।
आज़ाद कर देंगे तुझेअपनी मोहब्बत की क़ैद से,करे जो हमसे बेहतर कदरपहले वो शख्स तो ढूंढ़ !
गम इस बात का नही की तू बेबफ़ा निकली,बस अफ़सोस तो इस बात का है,वो सब सच्चे निकले जिससे तेरे लिये मैं लड़ता था.
ऐ मोहब्बत तू शर्म से डूब मर,तू एक शख्स को मेरा ना कर सकी।
मैं जिस शहर से तुम्हारी यादें लेकर आया था,वो शहर मुझे आज भी याद आता है…!
“जख्म ही देना तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था बे रहम तूने वार क्या वो भी दिल ही वार क्या।”
अपनी ही एक ग़ज़ल से कुछ यूँ ख़फ़ा हूँ मैं,ज़िक्र था जिस बेवफ़ा का, वही बेवफ़ा हूँ मैं।
मुद्दत के बाद आज उसे देख कर मुनीर,इक बार दिल तो धड़का मगर फिर सँभल गया।
ना वो सपना देखो जो टूट जाए,ना वो हाथ थामो जो छुट जाए,मत आने दो किसी को करीब इतना,कि उससे दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये।
मुझे पता था कि,आज नहीं तो कल तुम मेरासाथ छोड़ ही दोगे,लेकिन इतनी जल्दी छोड़ दोगे,ये नहीं पता था ।
दिल का तमाशा देखा नहीं जाता,टुटा हुआ सितारा देखा नहीं जाता,अपनी हिस्से की सारी ख़ुशी आपको दे दूँ,मुझसे आपका ये उदास चेहरा देखा नहीं जाता।
वक्त बदलता है जिंदगी के साथ,जिंदगी बदलती है मोहब्बत के साथ,लेकिन मोहब्बत नहीं बदलती अपनों के साथ,बस अपने बदल जाते हैं वक्त के साथ।
उठाकर कफ़नना दिखाना चेहरा मेरा उसकोउसे भी तो पता चले कीयार का दीदार ना हो तो कैसा लगताहै।
क्या बेमिसाल प्यार था, मेरे यार का,वादे किए मुझसे, निभाए किसी और के साथ।
कभी गम तो कभी वेबफाई मार गई,कभी उनकी याद आई तो जुदाई मार गई,जिसको हमने बेइन्तहा मोहब्बत की,आखिर में हमे उसी की वेबफाई मार गई.
हमने ख़ामोशी के लिफाफे में भेजे थे दिले जजबात,वे करते रहे किसी और से अपने दिल की बात।
तेरी आरज़ू.मेरा ख्वाब है, .जिसका रास्ता.बहुत.खराब है, मेरे ज़ख्म का.अंदाज़ा न लगा,दिल.का हर पन्ना.दर्द की.किताब है
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है,हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है।“क़ैसर-उल जाफ़री”
एक कब्र पर लिखा थाकिस को क्या इलज़ाम दूँ दोस्तो,जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थे,और दफनाने वाले भी अपने थे।
दुख भरी मेरी ज़िन्दगी को उसने,खुशियों से भरी जन्नत बना दिया।खुदा ने सुनी मेरी ऐसी पुकार,मेरे दोस्त को मेरी मांगी हुई मन्नत बना दिया।
बुला रहा है कौन मुझको उस तरफ,मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है।
यादो में कभी आप खोये होंगे;खुली आँखो से कभी आप भी रोये होंगे;माना हमे आदत हैं, गम छुपाने की;पर हँसते हुए कभी आप भी रोये होंगे.
ना जाने किस बात पे वो नाराज हैं हमसे, ख्वाबों मे भी मिलता हूँ तो बात नही करती।
तुम भी कर के देख लो मोहब्बत किसी से,जान जाओगे कि हम मुस्कुराना क्यों भूल गए।
अब न खोलो मेरे घर के उदास दरवाज़े,हवा का शोर मेरी उलझनें बढ़ा देता है।
मैं जानता हूँ, तेरी नज़रों में मेरी कोई क़ीमत नहीं। लेकिन मेरी कीमत उन लोगों के लिए समझो जिन्हें मैं पीछे मुड़कर भी नहीं देखता।
मेरा इश्क़ बस इसलिए नाकाम हो गया,एक छोटा सा घर था जिसमें मैं रहता था…!
खबर मरने की जन आये, तो यह न समझना हम दगाबाज थे,किस्मत ने गम इतने दिए, बस ज़रा से परेशान थे।
बरसो गुजर गए रोकर नहीं देखा,आँखों में नींद थी सोकर नहीं देखा,आखिर वो क्या जाने दर्द मोहब्बत का,जिसने किसी को कभी खोकर नहीं देखा.
मेरी तक़दीर बनाने के लिए वो आये थे,रुख़्सत हुए तो और भी तबाह कर दिया…!
मैंने तेरे बाद किसी के साथ जुड़कर नही देखामैने तेरी राह तो देखी पर तूने मुड़कर नही देखा
तुम्हारा मुझे छोड़ के जाना,तुम्हारी यादों में समुंदर में खो जाना।मेरी रातों में नींद ना आना,प्यार किया था या था बहाना।
चंद्रमा, क्या तुम मेरे मन की सुनोगे ?” सच कहूं तो मैं तुम्हारी तरह अकेला हूँ
हम उसके चेहरे को कभी कभी रुख से उतार देते है,कभी कभी तो हम खुद को ही मार देते है.
मुझे समझने वाले नहीं,कुचलने वाले लोग मिले।
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखतेपर वो तारा नहीं टूटता ,जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ
दिल की धड़कनो को एक लम्हा सब्र नहीं,शायद उसको अब मेरी ज़रा भी कदर नहीं।हर सफर में मेरा कभी हमसफ़र था वो,अब सफर तो हैं मगर वो हमसफ़र नहीं।
सिर्फ सहने वाला ही जानता है,की दर्द कितना गहरा है।।
वो आएगी नहींमैं फिर भी इंतेज़ार करता हूँएक तरफ ही सही पर सच्चा प्यार करता हूँ ।
इश्क की हमारे बस इतनी सी कहानी है,तुम बिछड गए हम बिख़र गए।तुम मिले नहीं और,हम किसी और के हुए नही।
मोहब्बत कभी झूठी नही होती है,झूठे तो कसमे, वादे और लोग होते हैं.
“हम तुमसे दूर कैसे रह पाते, दिल से तुमको कैसे भूल पाते, काश तुम आईने में बसे होते, ख़ुद को देखते तो तुम नज़र आते।”