560+ Rahat Shayari In Hindi | राहत इंदौरी शायरी

Rahat Shayari In Hindi , राहत इंदौरी शायरी
Author: Quotes And Status Post Published at: October 4, 2023 Post Updated at: April 10, 2024

Rahat Shayari In Hindi : न हम-सफर न किसी हम नशीं से निकलेगा, हमारे पाँव का काँटा है हमीं से निकलेगा ! सूरज सितारे चाँद मेरे साथ में रहें, जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें !

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता हैचाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है

इश्क़ वो नहीं जो तुझे मेरा कर दे इश्क़ वो है जो तुझे किसी और का ना होने दे

फूलों की दुकानें खोलो खुशबू का व्यापार करो, इश्क खता है तो ये खता एक बार नहीं सौ बार करो !

याद आयेगी हमारी तो बीते कल की किताब पलट लेना, यूँ ही किसी पन्ने पर मुस्कराते हुए हम मिल जायेंगे।

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं.

“लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे, पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे।”

वो हिंदू, मैं मुस्लिम, ये सिक्ख, वो ईसाईयार ये सब सियासत है चलो इश्क़ करें

राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें रास्ते आवाज देते हैं सफर जारी रखो !

रोज पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है.

सभी का खून है शामिल इस मिटटी में,किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है.

सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें,शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें।

#किसने दस्तक दी दिल पे ये कौन हैं आप तो अन्दर हैं बाहर कौन हैं!!!

“उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं। ”

सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी मेंकिसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है

लवे दीयों की हवा में उछालते रहना,गुलो के रंग पे तेजाब डालते रहना,में नूर बन के ज़माने में फ़ैल जाऊँगा,तुम आफताब में कीड़े निकालते रहना।

मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं,यह क्या हमें उड़ने से खाक रोकेंगेकि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।

“मेरे अधूरे शेर में थी कुछ कमी मगर, तुम मुस्कुरा दिए तो मुझे दाद मिल गयी।”

“मेरे अंदर से एक एक कर के सब कुछ हो गया रुखसत मगर एक चीज बाकी है जिसे ईमान कहते हैं।”

जो छेड़ दे कोई नगमा तो खिल उठें तारे,हवा में उड़ने लगी रोशनी के फव्वारे,आप सुनते ही नजरों में तैर जाते हैं,दुआएं करते हुए मस्जिदों के मीनारें।

जिनका इरादा हो साथ निभाने का वो जनाज़े के पीछे जनाज़ा लगा देते है

“भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए, पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए।”

तू पास नहीं तो क्या हुआ मोहब्बत हम तेरी दूरियों से भी करते है

आग के पास कभी मोम को लाकर देखूँ,हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूँ,दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता हैसोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूँ।

“कवि हूं कि सितारों की ज़रा आंख लगे चांद को छत पे बुला लूंगा इशारा कर के।”

हमें कहां पता था मोहब्बत हो जायेगी तुमसे हमें तो बस तुम्हारा मुस्कुराना अच्छा लगता था

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यूँ हैं, इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं.

😍छू गया जब कभी ख़याल तेरा दिल मेरा देर तक धड़कता रहा। कल तेरा जिक्र छिड़ गया था घर में और घर देर तक महकता रहा।🌹🌹

साँसों की सीडियों से उतर आई जिंदगी,बुझते हुए दिए की तरह जल रहे हैं हम,उम्रों की धुप, जिस्म का दरिया सुखा गई,हैं हम भी आफताब, मगर ढल रहे हैं हम।

#तेरी कुछ बात ही अलग हैं वरना मैं अपने आप से भी कम ही मिलता हूँ!!!

जिसको वक्त दो वो कद्र नहीं करता और जिसकी कढद्र करो वो वक्त नहीं देता !!!

हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते-जाते,जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते।

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं, यह क्या हमें उड़ने से खाक रोकेंगे कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं.

“जो चक्की चल रही है उसके दोनों पाठ उल्टे हैं जो बेईमान है वो बेईमान कहते हैं।”

“अपना आवारा सर जुकाने को, तेरी देहलीज देख लेता हूं और फिर कुछ दिखाई दे के ना दे काम की चीज़ देख लेता हूं।”

हालात कह रहे है मुलाकात नहीं मुमकिन, उम्मीद कह रही है थोड़ा इंतज़ार और कर !!!

“आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर, लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के।”

फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए,जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए,भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए,पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए।

“ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे।”

सफ़र की हद है वहाँ तक की कुछ निशान रहे,चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे,ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल,मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे।

#हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते जाते जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता हैं उम्र गुजरी हैं तेरे शहर में आते जाते!!!

हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।

तुम्हें किसी की कहाँ है परवाह, तुम्हारे वादे का क्या भरोसा, जो पल की कह दो तो कल बना दो, जो कल की कह दो तो साल कर दो.

“बुलाती है मगर जाने का नहीं ,ये दुनिया है इधर जानेका नहीं मेरे बेटे किसीसे इश्क़ कर मगर हदसे गुज़र जानेका नहीं”

“मेरी सांसों में समाया भी बहुत लगता है और वही शख्स पराया भी बहुत लगता है।”

“फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए, जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए।”

दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी, निगरानी में सारा शहर लग गया।

तेरी नाराजगी जायज़ है मेरे दोस्त,मैं भी खुद से खुश नहीं आजकल..

लगता था कि उनसे बिछड़े तो मर जायेंगे कमाल का वहम था साहब बुखार तक नही आया!!

तन्हाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी, वही से शुरू होती है ज़िन्दगी हमारी, नहीं सोचा था चाहेंगे हम तुम्हे इस कदर, पर अब तो बन गए हो तुम किस्मत हमारी.

मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिनहमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है

“अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए, कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए। ”

तेरे बाद आँगन में चाँद तो बहोत आए,घर को रोशन करने के लिए,लेकिन हमने दरवाजे खोला ही नहीं।

शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए,ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए।

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैंरोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है…!!

सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवकूफ,सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए

तन्हाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी,वही से शुरू होती है ज़िन्दगी हमारी,नहीं सोचा था चाहेंगे हम तुम्हे इस कदर,पर अब तो बन गए हो तुम किस्मत हमारी।

जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगेअब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगेभुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशानतेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे

मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।

अब तो हर गली का पत्थर हमें पहचानता हैं उम्र गुजरी हैं तेरे शहर में आते जाते !!

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

दो गज सही यह मेरी मिल्कियत तो है,ऐ मौत तूने तो मुझे ज़मीदार कर दिया.

“ज़मीन भी सर पे रखनी हो तो रक्खो चले हो तो ठहर जाने का नहीं।”

लोग हर मोड़ पे रूक रूक के संभलते क्यूँ है,इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है।

मोहब्बत किससे और कब हो जाये अदांजा नहीं होता ये वो घर है जिसका दरवाजा नहीं होता…!!

किसने दस्तक दी, दिल पे ये कौन हैआप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है

है सादगी में अगर यह आलम,के जैसे बिजली चमक रही है,जो बन संवर के सड़क पे निकलो,तो शहर भर में धमाल कर दो।

ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे,नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो।

“हो वो जमुना का किनारा ये कोई शर्त नहीं मिट्टी मिट्टी में ही रखनी है, कहीं पर रख दो।”

“इस बार एक और भी दीवार गिर गयी, बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया।”

“सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें, जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें।”

फूंक डालुंगा मैं किसी रोज दिल की दुनियाये तेरा खत तो नहीं है जो जला ना सकूं

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