468+ Nadi Shayari In Hindi | नदी शायरी

Nadi Shayari In Hindi , नदी शायरी
Author: Quotes And Status Post Published at: September 19, 2023 Post Updated at: August 29, 2024

Nadi Shayari In Hindi : आग को बुझाता पानी हैप्यास को बुझाता पानी हैपानी है या इश्क मानोबढ़ता जाता पानी है। बस चारों तरफपानी की चादर ओढ़ऐसे खुशनुमामहक रहा है अंबर ।

थोड़ा लिखा और ज़्यादा छोड़ दिया आने वालों के लिए रस्ता छोड़ दिया तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुज़री तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया

जिसमे उबाल हो ऐसा खून चाहिये, जीत के खातिर ऐसा जुनून चाहिए, ये आसमान भी आएगा जमीन पर, बस इरादों में ऐसी गूंज चाहिये.

लम्हे पल भर के होते हैं,पर यादें उम्र भर की होती हैं…Lamhe pal bhar ke hote hain,Par yaadein umra ki hoti hain…

भोले बाबा औघड़ दानी। सृष्टि में कोई नहीं है शानी। शिव भक्तों से जो भी उलझे। हो जाती उसकी खत्म कहानी।

प्रकृति से मिलें है हमको शुद्ध आहार, मत करो प्रकृति के साथ दुर्व्यवहार !

निर्वचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी, पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है।

जहा कदर न हो वहाँ जाना फिजूल हैं। चाहे किसी का घर हो या किसी का दिल ।

मेरा ज़िक्र बंद करो मैं कोई आयत नहीं हु,दुनिया फरेबी मैं खुद वफ़ा के लायक नहीं हु बन,सवाल चलेंगे तो हाथ इनके काँपेगे..!!

जो सुधर जाये वो हम नहीं और कोई हमे सुधार दे इतना किसी में दम नहीं ।

दुःख-पाप नाशिनी माँ गंगा सबकी मित्र है, गंगा का जल दुनिया में सबसे ज्यादा पवित्र है.

प्रकृति में कोई WI-FI नही होता है, पर हृदय से इसका CONNECTION बहुत मजबूत बनता है !

पढ़ने जाता हूँ तो तस्मे नहीं बाँधे जाते घर पलटता हूँ तो बस्ता नहीं रक्खा जाता

नदी जल देती हैजल यानी जीवनजीवन यानी सबकुछनदी सबकुछ देती हैधरती को अपने जल से निर्मल करने वालीनर्मदा जयंती की आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।

जिनके मिजाज दुनिया से अलग होते हैं, महफ़िलो में चर्चे उनके गजब होते हैं !

जब प्रकृति को कोई काम कराना होता है, तो वो किसी प्रतिभा को जन्म दे देती है !

वो जिगर ही नहीं मुझमें, जिसमे दम न हो, बेटा अगर तू बदमाश है, तो हम भी सरीफ नही ।।

मैं स्वर्ग की अभिलाषा छोड़ देता, अगर मेरे न नहाने से गंगा पवित्र हो जाती।

जब व्यक्ति के हो जाए पाप ज्यादानर्मदा के जल से व्यक्ति हो जाता है सादानर्मदा जयंती की आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।

मन भ्रमित होदिल दुखी होरूठी हो तकदीरक्षण भर में आराम मिलेगाआओ बैठो संगम के तीर ।।वेद प्रकाश ‘वेदांत’

जल जंगल जमीन जीवो को जगत में जिंदा रखते हैं, और यह सब प्रकृति की गोद से उत्पन्न होते हैं !

जो पेड़ बहती नदी के साथ होता है, वह ज्यादा फल देता है !

पाप को नाश करसुख समृद्धि प्रदान करने वालीमाँ नर्मदा की जयंती पर आप सभी को बधाई

सीढीयाँ उन्हें मुबारक हो, जिन्हें छत तक जाना हो, हमारी मंजिल तो आसमान है, और रास्ता हमें खुद बनाना है.

अजीब चलन है दुनिया का;दीवारों में दरार आती है तो दीवारें गिर जाती हैं;पर रिश्तों में दरार आये  तो दीवारे बन जाती हैं !

अगर कोई आपकी कीमत ना समझे तो निराश मत होना क्योंकि कबाड़ के व्यापारी को कभी भी हीरे की परख नहीं होती ।

क्यूँ डरें जिन्दगी में क्या होगा, कुछ न होगा तो तजरबा होगा.

अब तेरी हर बात का जबाब मेरी खामोसी देगी क्योंकि मेरे लफ्ज तुझे समझाते-समझाते थक गए है ।।

ज़मज़म का पानी हो या गंगा की धार, पवित्र दोनों ही है फिर क्यों मजहबी दीवार.

दोस्तों, मंजर ही हादसे का अजीबो गरीब था,वो आग से जल गया जो नदी के करीब था

एक दिल ही तो हमेशा जवान रहता है, वरना उमर और कमर तो बढती ही रहती है,

ना जाने क्यों कोई माँ का ख्याल नही रखता,गंगा का जल दूषित हो रहा है पर कोई सवाल नही करता.

कुछ लोगों को बहुत गुरूर है अपने आप पर लेकिन उन्हें पता नहीं बादशाह तो वक्त होता है, इन्सान तो यूंही गुरुर करता है!

गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता!

कुदरत को समझो, उस से प्यार करो, उसके पास रहो, यह आपको कभी भी निराश नहीं करेगी !

आसान सा कुछ करना होता तो पहाड़ तोड़ लेते,हम तो कमबख्त इश्क करना था..!!

अपने जल से धरती को पावन करने वालीनर्मदा माता की जयंती की ढेर सारी शुभकामनाएं।

जिसके घाट का पानी पीकरपापी राक्षस भी तर जाता हैवो गंगा यमुना सरस्वती मिलनही पावन संगम तट कहलाता है.वेद प्रकाश ‘वेदांत’

कितनी भी कोशिश करोमन में पाप है आ ही जाताअब तुम्हीं मेरे पाप सुधारोओ नर्मदा मातानर्मदा जयंती की शुभकामनाएं।

बद्दुआ कैसे दूँ उस शहर कोजो भूखे पेट को भरता है,मगर पीने का पानी औरमाँ गंगा को दूषित करता है.

जैसी हूँ वैसी हीं नजर आती हूँ, यें दिखावे नहीं होते मुझ से यार !!

वो इंसान दुनिया में सबसे धनवान है, जो कम से कम में भी संतुष्ट है, क्योंकि संतुष्टि ही प्रकृति की दौलत है !

वो झूठे वादे करते है, मगर मिलने नहीं आते,हम भी कमबख्त इश्क से बाज नहीं आते..!!

बहते पानी सा तूबहते पानी सा इश्क तेराजब से समझा है इसकोदुनिया अलग सी लगने लगी है ।

दिखावे के लिए शरीफ बनने की आदत नही हमारी, शब्द चाहे जैसे भी हो खुलेआम बोलता हूं !!

कोई ठोकर खाके बैठा था, कोई गम में डूबा था,किसी ने बड़े दर्द सहे थे तो कोई बरबाद हुआ था..!!

गंगा का जल जितना दूषित होगा,इंसान का जीवन भी उतना दूषित होगा.

चलो आज फिर थोड़ा मुस्कुराया जाए, बिना माचिस के ही कुछ लोगो को जलाया जाए।

गंगा चाहे नहा लो कितना, मन का मैल न जाएगा, प्रेम अश्रु में भीग का देखना आत्मा तक पावन हो जाएगा.

इस गलतफहमी में मत रहना कि पहले जैसे है हम, बहुत कर ली लोगों की परवाह अब जो जैसा है उसके लिए वैसे है हम ।।

माँ का प्रेम गंगा जैसी होती है,जो बच्चों के पापों को धो देती है.

गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है और माता के समान कोई गुरू नहीं है.

मेरी कलम मेरी खुव्वत चाहे मंज़िल लिख दूं,मेरी हुकूमत में, लहरों पे समंदर लिख दू,दम इतना मे मस्त रहता खुद ही मे,खुद की ही पेशानी पे कलंदर लिख दू..!!

खुद की तुलना नहीं करता मे किसी और से, हमारे जैसा कोई नहीं इस दौर में ।

रुतबा कम हैं मगर लाजवाब हैं मेरा, हर किसी के दर पर दस्तक दें वों किरदार नहीं मेरा ।

हमे जमाना मिटा सकें इस जमाने में दम नही,हमसे जमाना खुद हैं जवाने से हम नहीं ।

गम नहीं किसी बात का जिंदगी में, जो लिखा होगा वही होगा ।

एक तरफा मोहब्बत के किस्से मुझे मत सुनाओ,मेने उसके बाद खुद से मोहब्बत नहीं की..!!

अच्छे बुरे सब लोग यहाँश्रद्धा की डुबकी लगाते हैंपावन संगम के तट परपाप सभी धुल जाते हैंवेद प्रकाश ‘वेदांत’

तन को साफ़ करो गंगा में नहा के, मन को साफ करो ईश्वर को हृदय में बसा के.

एक चिनगारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों, इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है।

साहब हमारा फंडा ही अलग है, हम उनको कुछ नही समझते जो खुद को बहुत कुछ समझते है ..!

वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे, इंसान वही जो अपनी तकदीर बदल दे.

मुझसे कल वक़्त पूछा किसी ने कह दिया के बुरा चल रहा है उसने शादी भी की है किसी से और गाँव में क्या चल रहा है

सदा अपना आशीर्वादहम भक्तों पर बनाए रखनाहमारे दुख भरे रास्तों परअपनी कोमलता की चादर बिछाए रखनानर्मदा जयंती की शुभकामनाएं।

हम अपना दर्द किसी को कहते नही वो सोचते हैं की हम तन्हाई सहते नही

हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को, स्वस्थ और प्रदूषण रहित प्रकृति देनी है !

में भी वक्त की तरह हूं जो कदर ना करें, उससे दोबारा नहीं मिलती !!

कुछ रास्ता लिख देगा कुछ मै लिख दूंगा,वो लिखते जाए मुश्किल मै मंज़िल लिख दूंगा..!!

आप खुद से मिलते हैं जब आप, प्रकृति को करीब से देखते हैं !

नदी ने धूप से क्या कह दिया रवानी मेंउजाले पाँव पटकने लगे हैं पानी में

जब अपने प्यार का इज़हार करना होता हैं तो उस समय हमलोग अपने प्यार को रोमांटिक शायरी सुनाकर impress करने की कोशिश करते हैं।

नदी के किनारों सी लिखी उसने तकदीर हमारी,ना लिखा कभी मिलना हमारा, ना लिखी जुदाई हमारी।

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