Murshid Shayari In Hindi : मुरशद हाल सुनना मुश्किल है,इसलिए शेर सुनता रहता हूं। इश्क़ जिंदा भी छोड़ देता है मुरशद,मैं तुम्हे अपनी मिसाल देता हूं।
तुम रक्स में डूबा हुआ कलंदर तो देख रहे हो,तुम नहीं जानते लज्जते इश्के हकीकी क्या है?
आपके जीवन को केवलएक ही आदमी बदल सकता है,वह है आप खुद।
तुम जानते नहीं मेरे दर्द का कमालआप को जहा मिला सारा और मुझे बस खुदा.
आज फिर से जो मुर्शिद को याद कियाऐसा लगा जैसे दिल के आईने को ही साफ़ किया.
पास रह कर मेरे मौला दे सज़ा जो चाहे मुझको,तेरे वादे पूरे हों मेरी तलब भी करना पूरी।
हमें भी हुई थीमुर्शद मोहब्बत किसी सेहम भी तड़पे थेइक शख़्स के लिए
खुश नहीं हूँ मजबूर हूँ तेरी ख़ुशी के लिए तुझसे दूर हूँ. Khush nahi hun majbur hun teri khushi ke liye tujhse dur hun.
के काश कोई ऐसा हो, जो गले लगा कर कहेमुर्शद, रोया ना कर तेरे रोने से मुझे भी दर्द होता है |
जो दिल से करीब हो उसे रुसवा नही करते, यूँ अपनी मोहब्बत का तमाशा नही करते, खामोश रहेंगे तो घुटन और बढ़ेंगी, अपनो से कोई बात छुपाया नही करते.
तेरे बाद कोई है ना तुझसे पहले ही,अब बिछड़ के तुझसे मौला जाऊं भी कहां।
यह दुविधा हमेशा रहती है और हर मुसलमान के दिमाग में कुछ बातें होती है जैसे कि
मुझसे मोहब्बत पर मश्वरे मांगते हैं लोगहाय मुर्शद, तेरा इश्क़ कुछ इस तरह से तजर्बे दे गया मुझे
हर बात पे जो कर लेते है ऐतबार आप का मुर्शिद,हमारी मोहब्बत को हमारी बेकफूफी ना समझो।
मैं अपने सैयाँ संग साँचीअब काहे की लाज सजनी परगट होवे नाचीदिवस भूख न चैन कबहिन नींद निसु नासी
भगवा भी है रंग उसका सूफी भी,इश्क की होती है ऐसी खूबी ही।
हम आपकी हर चीज़ से प्यार कर लेंगे आपकी हर बात पर ऐतबार कर लेंगे, बस एक बार कह दो कि तुम सिर्फ मेरे हो, हम ज़िन्दगी भर आपका इंतज़ार कर लेंगे।
जब न “मंदिर” थे न मस्जिद थीं न #गिरजाघर कहीं तब हर जगह इंसान थे, सब के एक #भगवान थे।।
के रात भी गुज़र गयी, उम्मीद का सूरज डूब गयावादा करके जाने वाला मुर्शद, लौट कर आना भूल गया
एक शाम आती है तुम्हारी याद लेकर, एक शाम जाती है तुम्हारी याद देकर, पर मुझे तो उस शाम का इंतेज़ार है, जो आए तुम्हे अपने साथ लेकर.
हमें कोई तरकीब बताएआप मुस्कराने की मुर्शदउनके जाने सेहम हंसना भूल गए है
इन दूरियों की ना परवाह कीजिये, दिल करे जब हमे पुकार लीजिये, ज्यादा दूर नहीं हैं हम आपसे, बस एक कॉल करके हमे बुला लीजिये।
हमें कोई तरकीब बताएआप मुस्कराने की मुर्शदउनके जाने सेहम हंसना भूल गए है |
बल्कि फातिहा के बाद पढ़ी जाने वाली दुआओं की भी अहमियत होती है ऐसे में हर मुसलमान को फातिहा - इसाले सवाब में क्या दुआ करना पढ़ना चाहिए।
आवाज़ नहीं होती दिलटूट फिर भी जाता है मुर्शदख्यालों में खोया आशिक़चलते चलते गिर भी जाता है मुर्शद
सच्ची मोहब्बत भी हम करते है, वफ़ा भी हम करते है,भरोसा भी हम करते है,और आखिर में तन्हा जीने की सजा भी हमे ही मिलती है.
उनकी वज़ाहत क्या लिखूँ,जो भी है बे-मिसाल है वो,एक सूफ़ी का तसव्वुर,एक आशिक़ का ख़्याल है वो।
ग़ुमान था उन्हें हमारेजैसे कई मिलेंगे मुर्शदहमने भी कह दिया जाओढूंढ लो हम तुम्हें अब नहीं मिलेंगे
सुना है ईद आने वाली है, यानि सब ख़ुशियाँ मनाएंगेमुरशद तेरे ठुकराए हुए हम, बताओ ना? किधर जाएंगे
मोहब्बत कैद है, इस कैद के आदि ना बन जानामुरशद सलाखें टूट जाएं तो रिहाई मार देती है
मेरे दिल की नाज़ुक धड़कनों को, तुमने धड़कना सिखा दिया, जब से मिला है प्यार तेरा, ग़म में भी मुस्कराना सिखा दिया.
सदगरी नहीं ये इबादत खुदा की हैओ बेखबर जाजा की तमन्ना भी चोर दे
मंजिलो की खबर खुदा जाने ,इश्क़ है रहनुमा फ़कीरो का
जाम हाथ में हो और होंठ सूखे हुये,मुआफ करना यारो इतने सूफी हम नहीं हुये।
छूकर भी जिसे छू ना सकेवो चाहत है (इश्क़)कर दे फना जो रूह कोवो इबादत है (इश्क़)
तुमको अच्छा नहीं लगता तो हम भी मुलाकात नहीं करेंगे अब जब तक i love you नहीं बोलोगी हम भी बात नहीं करेंगे।
सरकारे मदीना के तवस्सुत से तमाम अम्बियाए किराम : तमाम सहाबए किराम तमाम औलियाए इज़ाम की जनाब में नज्र पहुंचा ।
इश्क़ जिंदा भी छोड़ देता है मुरशद,मैं तुम्हे अपनी मिसाल देता हूं।
मुर्शद बातें उनकी ऐसी के वफ़ा पे खत्मजब निभाने की बात आई वो मजबूर निकले |
सर झुकाने की खूबसूरती भीक्या कमाल की होती है..धरती पर सर रखो और दुआआसमान में कबूल हो जाती है..
हम आपकी हर चीज़ से प्यार कर लेंगे, आपकी हर बात पर ऐतबार कर लेंगे, बस एक बार कह दो कि तुम सिर्फ मेरे हो, हम ज़िन्दगी भर आपका इंतज़ार कर लेंगे।
जरा करीब से गुजरा तो हमने पहचानावो अजनबी भी कोई आशना पुराण था.
हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ, दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे, ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर, जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे।
यह तो परिंदों कीमासूमियत है मुर्शिदवरना दूसरों के घरों मेंअब यु कौन आता जाता है
*कोई हिर कोई ‘रांझा’ बना है, इश्क़ वे विच #बुल्लेशाह हर कोई फरीर क्यों बना है.*
उसे लिखा गयाकिसी और के नसीब में मुर्शदवो शख़्स जिसे दुआओं मेंमैंने माँगा था
वो मुझसे ज्यादा चाहेगा इसे कुछ दिनों में ये भरम टूट जायेगा ,मैं ज़रूर याद आऊंगा उस बेवफा को जब उसका साथ बेवजह उस से रूठ जायेगा।
काँटे तो नसीब मेंआने ही थे मुर्शदफूल जो गुलाबदिना था ना हमने.
हम अपनी म्यार ज़माने से जुदा रखते हैं,दिल में दुनियां नहीं इश्क़ -ए- ख़ुदा रखते हैं।
इक उमर बीत गईपूरी की पूरी मुर्शदउन्हें देखने की खवाहिशमगर अधूरी ही रही |
अल्फाज तो जमाने के लिये हैं,तुम आना, तुम्हें हम दिल की धडकनें सुनायेंगे. Alfaj to jamane ke liye ha tum aana tumhe hum dil ki dhadkane sunayenge.
वो तो अब पासभी नहीं आते मुर्शदना जाने पासकिसके अब जाने लगे है
होने दो तमाशा मेरी भी जिंदगी का..मैंने भी बहुत तालिया बजाई है मेल में…
ऐसा है रिश्तातेरा मेरातू है मुर्शिदमैं हु मुरीद तेरा
उन्हें हँसते हुएदेखा मुर्शदहम रोक ना पाए खुद कोहमारी भी हंसी निकल पड़ी
आज फिर जो मुर्शीद को याद किया,यूं लगा जैसे दिल के आईने को साफ किया।
तुम मेरे दिल की उस गली में रहते हो मुर्शिद,जहाँ पहला घर खुदा का है।
जब कमान तेरे हाथों में होफिर कैसा डर मुझे तीर से,मुर्शिद मैं जानता हूँतुम इश्क़ करती हो मुझ फ़क़ीर से।
ज़िंदगी सबको हंसाये जरुरी तो नहीं, मोहब्बत सबको मिल जाए जरुरी तो नहीं, कुछ लोग बहुत याद आते हैं ज़िंदगी में, वो भी हमें याद करे जरुरी तो नहीं।
इश्क़ में आराम हराम है,इश्क़ में सूफ़ी के सुल्फ़े कीतरह हर वक़्त जलनाहोता हैं,
एक ऐसी रात भी हैजो कभी नहीं सोती ये सुन करसो न सका रात भर नमाज़ पढ़ी हमने
कभी रूबरू तकनहीं हुए थे उनसे मुर्शदतो बात दिल कीकैसे बताते उन्हें |
वो जबउनका हाथ छूटा थायूं लगाकुछ टुटा था मुर्शद
मुर्शीद निकले हैं वो लोग मेरी शख्सियत बिगाड़ने,किरदार जिनके खुद मरम्मत मांग रहे हैं।
भरोसा तो जिंदगीका भी नहीं मुर्शिदऔर तुम इंसानोपर कर लेते हो
रिश्ता-ए-दिल तेरे ज़माने में रस्म ही क्या निबाहनी होती मुस्कुराए हम उससे मिलते वक्त रो न पड़ते अगर खुशी होती
साथ ना रहने से रिश्ते टूटा नहीं करते वक़्त की धुंध से लम्हे टूटा नहीं करते लोग कहते हैं कि मेरा सपना टूट गया, टूटी नींद है , सपने टूटा नहीं करते.
जिसकी ख्वाहिशहोती है हमें मुर्शदवो शख़्स हमेंमिलता क्यूँ नहीं
धोखा दिया था जब तूने मुझे. जिंदगी से मैं नाराज था,सोचा कि दिल से तुझे निकाल दूं.मगर कंबख्त दिल भी तेरे पास था.
नाम तेरा ऐसे लिख चुके है अपने वजूद पर, कि तेरे नाम का भी कोई मिल जाए तो भी दिल धड़क जाता है।
उसने किया था याद हमे भूल कर कहीपता नहीं है तबसे अपनी खबर कही
बस इतना करीब रहो की बात न भी हो तो दूरी ना लगे। i miss you my love. BAs itna karib raho ki baat na bhi ho to duri na lage..
वो जो कभी हमसेमोहब्बत करते थे मुर्शदवो हम परहँसते है अब