800+ Mehndi Par Shayari In Hindi | मेहंदी शायरी इन हिंदी

Mehndi Par Shayari In Hindi , मेहंदी शायरी इन हिंदी
Author: Quotes And Status Post Published at: September 20, 2023 Post Updated at: August 24, 2024

Mehndi Par Shayari In Hindi : किस्मत की लकीरें भी आज इठलाई है, तेरे नाम की मेहँदी जो हाथों अपर रचाई है. तेरे मेहँदी लगे हाथों पे मेरा नाम लिखा है, ज़रा से लफ्ज़ में कितना पैगाम लिखा है.

ऐसे नज़रे चुरा रही थी वो,अपनी मेहँदी छुपा रही थी वो।

“ कैसे भूल जाऊँ मैं उसको,जो चाहता है इस कदर,हथेली की मेहंदी में लिखा है,उसने मेरा नाम छिपाकर….!!

दिल की गहरियां बड़ी अजीब हैइस की यादों में जो खो जाता हैअसली दुनिया को बड़ी शिद्दत से भूल जाता है

जला अस्थियाँ बारी-बारीचिटकाई जिनमें चिंगारी,जो चढ़ गये पुण्यवेदी परलिए बिना गर्दन का मोलकलम, आज उनकी जय बोल।

देख मेरे हाथों पे तेरे नाम की मेहंदी का रंग जचता तो बुहत हे मेहकता भी खूब है

लड़की के हाथों पर जब मेहँदी रचाई जाती है, तो बहुत सारे रिश्तों की अहमियत बताई जाती है.

उसकी हाथों की मेहँदी का रंग बड़ा गहरा है, फिर भी आँखों में कुछ बूँद आंसू ठहरा है.

जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरतेऔर लाखों बार तुझ-से पागलों को भीचाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।

उसे शक है हमारी मोहब्बत पर लेकिन गौर नहीं करती मेहँदी का रंग कितना गहरा निखरा हैं

जहां भी मेरी भांजी अपने कदम रखती है, वहां पर खुशियां दुगुनी हो जाती है।

बनी फिरेगी कौन बोलतीप्रतिमा हरियाली की?कौन रूह होगी इस धरतीफल-फूलों वाली की?

करतूतें तो देखियें मेहंदी की,तेरा नाम क्या लिखी शर्म से लाल हो गई।

क्या बात है,,, थोडा जोर से बोलना है ,,, वाकई में इतनी शानदार डांस परफॉरमेंसदेखने के बाद मुझे तो बस एक ही बात बार बार दिल में रही है, की ,,,,,,

#कैसे भूल जाऊ मैं उसको जो चाहता हैं इस कदर हथेली की मेहंदी में लिखा हैं उसने मेरा नाम छिपाकर!!!

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,आदमी भी क्या अनोखा जीव हैउलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।

कैसे भूल जाऊँ मैं उसको !!जो चाहता है इस कदर !!हथेली की मेहंदी में लिखा है !!उसने मेरा नाम छिपाकर !!

#नाम यूँ ही मेहंदी का आता हैं रंग सारे पिया के होते हैं!!!

#इक सुबह थी जो शाम में तब्दील हो गयी इक रंग हैं जो रंग ऐ हिना हो नहीं रहा!!!

तेरे मेहँदी लगे हाथों पे मेरा नाम लिखा है, ज़रा से लफ्ज़ में कितना पैगाम लिखा है.

“ हम चाहत के अफसाने लिखते रहे,वो भी हमे दूर से देखते रहे,जब हमने इजहार करने को हाथ थामा,तो मेंहदी से रंगा उनका हाथ पाया….!!

“ खुदा-ऐ-रेहमत तू मेरा हो जायेवरना अंजाम मेरा बहुत बुरा होगारचाये जो अगर तूने मेहंदी से हाथ अपनेवो मेहंदी नहीं मेरे दिल का खून होगा…!!

बहुत गहरा चढ़ा होगा मेहंदी का रंग, जिस मेहंदी में उसने मेरा नाम छुपाया होगा.

हर्षकारक रक्तगर्भा रक्तरंगा मेहंदी मनभावन मनोरंजक रंजक हृदय प्रीत भरा लगता सावन

पिया तेरे इजहार का कंगना खनक रहा हे,सजा हे मेहँदी का रंग बस तुम्हारे प्यार का।

दिल को हर घड़ी खलती है बस कमी तेरी, शायद इसीलिए आँखों में नमी है मेरी.

पहले तो मोहब्बत की आजमाईश होगी,बाद में उसके नाम के मेहँदी की ख़्वाहिश होगी।

शादी के सात फेरों के वक्त, खामोश खड़ा एक शख्स था। दुल्हन की मेहंदी में आज भी बस उसका ही अक्स था।

मोहब्बत भी हाथों में लगी मेहँदी की तरह होती हैकितनी भी गहरी क्यों ना हो फीकी पड़ ही जाती है।Mahendi Pe Shayari

पल-पल मंगल-लग्न, ज़िंदगीके दिन-दिन त्यौहार,उर का प्रेम फूटकर होआँचल में उजली धार।

इश्क़ के मौत का मैंने मातम मनाया है, उन्होंने अपनी हाथों में आज मेहँदी लगाया है,

“ पीपल के पत्तों जैसा मत बनो,जो वक्त आने पर सूख कर गिर जाते है,बनना है तो मेहँदी के पत्तों जैसा बनो,जो पिसकर भी दूसरोंकी जिंदगी में रँग भर देते है….!!

मोहब्बत का भी एक वसूल होता है, वो जो है, जैसा है, कुबूल होता है.

दोस्ती और मेहंदी में फर्क नही होता,दोनो एक काम कर जाती है, जिंदगी मैं खुशियों के रंग देती है, और खुद फना हो जाती है।

मेरे हाथों की लकीरों में वो नहीं, उसके हाथों की मेहँदी में मैं नहीं।

यह तो मेहँदी की फ़क़त लाज रखी जाती है वरना वो हाथ ज़रुरत नहीं रखते कोई

मेहँदी के पत्ते जैसा हो जाना चाहता हूँ, मिटकर भी खुशियाँ दे जाना चाहता हूँ.

मेहंदी का रंग तो कुछ दिनों में मिट जाता है इश्क़ का रंग तो मौत के साथ ही जाता है।

उनकी कातिल अदाएं देख कर , ख्याल बदला हमने मोहब्बत का.

नाव में बैठ कर धोये थे,हाथ उसने कभीपूरे तालाब में मेहंदी की महक आज भी है

क्या सूरमा भरि आंखें से आंसू नहीं बहते !!क्या मेहंदी लगे हाथन से मातम नहीं रहाता !!

“ अगर मुहब्बत उनकीकमान की न होती,तो मेरे हाथों कीमेहँदी भी यूँ लाल न होती….!!

मेहँदी का रंग तो एक समय बाद उतर ही जाता है लकिन इश्क़ का रंग सालो साल तक नहीं उतर पाता।

रखना ओ मेरे पिया तुम मुझे तारों की तरह,मेहंदी का लाल रंग खिला है फूलों की तरह।-Santosh

किस्मत की लकीरें भी आज इठलाई हैं,तेरे नाम की मेहँदी जो हाथों पर रचाई हैं !!

“ किस्मत की लकीरेंभी आज इठलाई है,तेरे नाम की मेहँदीजो हाथों अपर रचाई है….!!

तुझे देख लूँ तो दिन सवर जाता हैजो तू बन जाये हमसफ़र तोये ज़िन्दगी भी सवर जायेGood Morning Meri Jaan

चुरा के दिल मेरा मुठ्ठी में छिपाए बैठे है,और बहाना ये है कि मेहंदी लगाए बैठे है !!

पहले उस की पाज़ेब जान लेवा थी, अब ऊपर से जामिल ने पैरों पर मेहंदी रचाई है

तेरे माथे की बिंदिया चमकती रहे तेरे हाथों की मेहँदी महकती रहे तेरे जोड़े की रौनक सलामत रहे तेरी चूड़ी हमेशा खनकती रहे।

चाँद नहीं चांदनी हो तुमराग नहीं रागिनी हो तुममेरी ज़िन्दगी को ज़िन्दगी बनाने वालेकोई गैर नहीं अपनी हो तुमGood Morning Love Shayari

मेहँदी जब तुम मेरे नाम का लगाती हो,तो क्या इसे तुम अपने सहेलियों को भी दिखती हो !!

उत्तर में जब एक नाद भीउठा नहीं सागर सेउठी अधीर धधक पौरुष कीआग राम के शर से।

“ मेहंदी रचाई थीमैने इन हाँथों में,जाने कब वो मेरी लकीर बन गई…!!

आज उसके नाम की मेहँदी लगा रही हूँ मैं,जिससे सबसे ज्यादा महोब्बत करती हूँ मैं।

“ मुझे भी फ़ना होना था,तेरे हाथों की मेहँदी की तरह,ये गम नहीं मिट जाने का,तू रंग देख निखरा हूँ किस तरह….!!

“ अपने हाथों की लकीरोंमे मुझको बसालेये मुमकिन नहीं तोमेहंदी मे मुझको रचाले…!!

तू कितना चाहता हैं मुझे ये मेरे हाथों,पर लगी मेहंदी ने मुझे बताया हैं।

घड़ी गिनी जाती तब निशिदिनउँगली की पोरों पर,प्रिय की याद झूलती हैसाँसों के हिंडोरों पर।

पाना और खोना तो किस्मत की बात है, मगर चाहते रहना तो अपने हाथ में है.

“ पूछे जो कोई मेरी निशानी रंग हिना लिखनाआऊं तो सुबह जाऊ तो मेरा नाम सबा लिखनाबर्फ पड़े तो बर्फ पे मेरा नाम दुआ लिखना…!!

यू भी कभी तूफान से हम लड़ झगड़ गए,हाथो की मेहंदी देख कर पर हम बिखर गए।

हाथों की लकीरों में उनका नाम नहीं, फिर भी हम मेहँदी से लिख लिया करते है.

सब से विराट जनतन्त्र जगत का आ पहुँचा,तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तय करोअभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है,तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो ।

कुछ रिश्तें मेहँदी के रंग की तरह होते है !!शुरुवात में चटख बाद में फीके पड़ जाते है !!

दो न्याय अगर तो आधा दो,पर, इसमें भी यदि बाधा हो,तो दे दो केवल पाँच ग्राम,रक्खो अपनी धरती तमाम।हम वहीं खुशी से खायेंगे,परिजन पर असि न उठायेंगे!

उजली उजली धूप की रंगत भी फीकी पड़ जाती है, आसमान के हाथों में जब शाम की मेहंदी रच जाती है

मानो,जनता ही फूल जिसे अहसास नहीं,जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों मेंअथवा कोई दूध-मुँही जिसे बहलाने केजन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में ।

महँ-महँ कर मंजरी गले सेमिल किसको चूमेगी?कौन खेत में खड़ी फ़सलकी देवी-सी झूमेगी?

कुश और भी जज़्बों को बे ताब किया उस ने, आज मेहंदी लगे हाथों से आदाब किया उस ने

मेहँदी लगा लो उसके नाम कीजो मोहब्बत हो आप की..!!

मेहंदी लगाए बैठे हैं कुछ इस अदा से वोमुट्ठी में उनकी दे दे कोई दिल निकाल के..!!

समर शेष है, शपथ धर्म की लाना है वह कालविचरें अभय देश में गाँधी और जवाहर लाल

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