Mehndi Par Shayari In Hindi : किस्मत की लकीरें भी आज इठलाई है, तेरे नाम की मेहँदी जो हाथों अपर रचाई है. तेरे मेहँदी लगे हाथों पे मेरा नाम लिखा है, ज़रा से लफ्ज़ में कितना पैगाम लिखा है.
वो मुस्कुरा रही थी हाथो में मेहँदी लगाकर,मेरे अरमानो को दफन कर वो,नया घर बसा रही थी !
हमारी गलतियों से कभी टूट मत जाना,हमारी शरारत से रू ठ मत जाना,आपकी चाहत ही हमारी जिंदगी है,जिंदगी में कभी हमे भूल मत जाना।Good Morning Shayari for Love
“ ज़ुल्फ बिखेरे उसकीमोहब्बत मुझे नुमाइश सी लगती हैउसके हाथों पे लगीमेहंदी मुझे पराई सी लगती है….!!
रोज मेरे लिए सजती थी मेरी जान ऐ वफ़ा !!उसके हाथो की वो मेहंदी भी रंग लाती थी !!
कंकरियाँ जिनकी सेज सुघर, छाया देता केवल अम्बर,विपदाएँ दूध पिलाती हैं, लोरी आँधियाँ सुनाती हैं।जो लाक्षा-गृह में जलते हैं, वे ही शूरमा निकलते हैं।
मेहंदी रचाई थी मैने इन हाँथोंमें जाने कब वो मेरी लकीर बन गई..!!
गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर,मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो।बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है।
इन हाथों में लिख के मेहँदी से सजना,का नाम जिसको मैं पढ़ती हूँ सुबह शाम।
भीतर ही भीतर चिल्लाई होगी,हाथों में जब मेहन्दी सजाई होगी।मैंने उजाड़ दी जिन्दगी उसकी,ये बात उसने खुद को समझाई होगी।
ये हाथो की लकीरे भी आज बहुत खुश है, क्योंकि इसमें भी आज तेरा नाम लिखा जा रहा है।
मैं तेरे हाथों पर रच जाऊँगा मेहँदी की तरह, तू मेरा नाम कभी हाथों पर सजा कर तो देख.
हमने भी तुम्हारे नाम की मेहँदी लगा ली है, अब बस आपका हमारे घर में आना बाकी है।
क्षमाशील हो रिपु-समक्षतुम हुये विनत जितना हीदुष्ट कौरवों ने तुमकोकायर समझा उतना ही।
मेहँदी अपने हाथों में सजा कर बड़े नाज़ से इन्तिज़ार करे गई वो किसी ग़ैर की बरात का
हरि ने भीषण हुंकार किया,अपना स्वरूप-विस्तार किया,डगमग-डगमग दिग्गज डोले,भगवान कुपित होकर बोले-‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
छाया करती रहे सदातुझको सुहाग की छाँह,सुख-दुख में ग्रीवा के नीचेरहे पिया की बाँह।
“ वो जो सर झुका के बैठे हैंहमारा दिल चुराये बैठे हैंहमने उनसे कहा हमारा दिल हमे लौटा दोतो बोले हम तो हाथो मेंमेहँदी लगा के बैठे हैं…!!
दूरियों को भी सबक सिखाएंगे एक दिन, जब हमेशा के लिए करीब हो जायेंगे उनके.
हँसकर हृदय पहन लेता जबकठिन प्रेम-ज़ंजीर,खुलकर तब बजते न सुहागिन,पाँवों के मंजीर।
रिश्ते की गहराई नापनी हो तो, रूठ कर देख लो एक बार तुम.
बहुत गहरा रंग… चढा हैमेहंदी …काशायद तुमने भी शिद्दत सेचाहा …है हमे ..
आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख,मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में?देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे,देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में ।
अब कहाँ वो गए तेरे वादे सईद यह किस की है मेहँदी देखा हाथ से
“ उन आँखों की दो बूंदों सेसातों सागर हारे हैंजब मेहँदी वाले हाथों नेमंगल-सूत्र उतारे हैं….!!
भींग रहा मीठी उमंग सेदिल का कोना-कोना,भीतर-भीतर हँसी देख लो,बाहर-बाहर रोना।
“ वो मेहंदी के हाथों मेंक्या तराशेंगे नाम हमारा,जब नाम ही छुपा लिखा हैउनके हाथों में….!!
मेहंदी के पत्तों सा मुक़द्दर भी नहीं अपना !!रंग उतना भी नहीं आया जितना पीसा गया !!
वो मेहंदी तेरे नाम कीखुशबू तेरे प्यार कीअपने आंचल से बांध लीहर तस्वीर तेरे दीदार की..
“ मेहरबानी होगी आपकी मुस्कान दिख जाएचेहरे पर सजे आपके पैगाम दिख जाएपर्दों में न छिपाओ आँखों का तुम काजलकाश कि मेहँदी में तुम्हारी हमार नाम दिख जाए….!!
पहले तो मोहब्बत कीआजमाईश होगीबाद में उसके नाम के मेहँदीकी ख़्वाहिश होगी !!
“ उनके हाथों पे मेहंदीका हम ये फायदा हुआ,के रातभर उनके चेहरेसे जुल्फे हम हटाते रहे…..!!
सहनशीलता, क्षमा, दया कोतभी पूजता जग हैबल का दर्प चमकता उसकेपीछे जब जगमग है।
तुम्हारी थी शरारत मेहंदी से हथेली पे नाम लिखना,और मुझे रुसवा कर दिया तुम ने यूंही खेलते खेलते।
#तेरे मेहंदी लगे हाथों पे मेरा नाम लिखा हैं जरा से लफ्ज में कितना पैगाम लिखा हैं!!!
मेहंदी के पत्तों सा मुक़द्दर भी नहीं अपना !!रंग उतना भी नहीं आया जितना पीसा गया !!
मेहेंदी का है ये कहना, अपने पिया के संग रहना, मेहंदी के रंग का है ये कहना रंग छूटे पर पिया का संग ना छूटे।
तेरे हाथों के मेहंदी का रंग गहरा लाल है,क्योंकि मेरे इश्क़ का चाहत बेमिसाल है..!!
अल्लाह-रे नाज़ुकी कि जवाब-ए-सलाम में,हाथ उस का उठ के रह गया मेहंदी के बोझ से..!!
घाटे और मुनाफे का, बाजार नही है, इश्क़ इबादत है, कारोबार नही है.
कंगना खनक रहा है,पिया तेरे इजहार का।सजा है मेहंदी का रंग,बस तुम्हारे प्यार का।
तीज है उमंगो का त्यौहारफूल खिले है बागों में बारिश की है फुहारदिल से आप सब को हो मुबारकप्यारा ये तीज का त्यौहार
मेहँदी है रचने वाली, हाथों में गहरी लाली, कहे सखियाँ हाथों में अब कालिया खिलने वाली है तेरे मन को तेरे जीवन को नयी खुशियाँ मिलने वाले है.
#वो जो सर झुकाए बैठे हैं हमारा दिल चुराए बैठे हैं हमने कहा हमारा दिल लौटा दो वो बोले हम तो हाथों में मेहंदी लगाये बैठे हैं!!!
मेहँदी वाले हाथ वो तेरे पायल वाले पांव,याद बहुत आते हैं मुझको तू और अपना गाँव।
मेहंदी हाथो पे लगा कर, वो मुस्करा रहीं थीं, मेरे अरमानों को दफन कर, वो नया घर बसा रही थी… सुमित परिहार
शादी के सात फेरों के वक्त खामोश खड़ा एक शख्स था,दुल्हन की मेहंदी में आज भी बस उसका ही अक्स था।
#वैसे तो ये इल्जाम अपने नाम कर दूँ हाथों में मेहंदी लगा लू और तुझे सरेआम कर दूँ!!!
“ मेहँदी जो मिट करहाथों पर रंग लाती हैदो दिलों को मिलाकरकितनी खुशियाँ दे जाती है….!!
मेहंदी की यह खुशबू कर रही है दिल से गुफ्तगू,महक उठा है मेरा आंगन दिलों में प्यार की है जुस्तजू।
अगर मुहब्बत उनकी कमान की न होती, तो मेरे हाथों की मेहँदी भी यूँ लाल न होती।
#तू कितना चाहता हैं मुझे ये मेरे हाथों पर लगी मेहंदी ने मुझे बताया हैं!!!
“ हाथों की मेहंदी गालोंपर निखर कर आई हैंतेरे लबों की लाली नेयह महफ़िल सजाई हैं…!!
“ खुदा ही जाने क्यूँ हाथो पेतुम मेहँदी लगाती होबड़ी ही नासमझ हो फूलों परपत्तों के रंग चढ़ाती हो….!!
सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैंस्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैंबँधा हूँ, स्वप्न हूँ, लघु वृत हूँ मैंनहीं तो व्योम का विस्तार हूँ मैं
“ इन हाथों में लिख के मेहँदीसे सजना का नामजिसको मैं पढ़ती हूँ सुबह शाम….!!!
हाथों की मेहंदी अपना रंग छोड़ जाती है,दिल में किसी अजीज की एक याद उमड़ आती है।
चुरा के दिल मेरा मुठ्ठी में छिपाए बैठे है,और बहाना ये है कि मेहंदी लगाए बैठे है।
मल रहे हैं वो अपने घर मेहंदी,हम यहाँ एड़ियाँ रगड़ते हैं।लाला माधव राम जौहर
“ मेहँदी लगा लो उसके नाम की,जो मोहब्बत हो आप की….!!
एक तेरा दीदार मेरे सारे गमो को भुला देता है, जिंदगी मेरी जिंदगी बना देता है.
तेरे तसव्वुर में एक छोटा आशियाना चाहिए, मुझे फिर से वो गुज़रा जमाना चाहिए.
करतूतें तो देखियें मेहंदी की,तेरा नाम क्या लिखी शर्म से लाल हो गई..!!
मेहँदी वाले हाथ वो तेरे पायल वाले पांव, याद बहुत आते हैं मुझको तू और अपना गाँव।
दोनों का मिलना मुश्किल है दोनों हैं मजबूर बहुत,उस के पाँव में मेहंदी लगी है मेरे पाँव में छाले हैं।अमीक़ हनफ़ी
वाटिका और वन एक नहीं, आराम और रण एक नहीं।वर्षा, अंधड़, आतप अखंड, पौरुष के हैं साधन प्रचण्ड।वन में प्रसून तो खिलते हैं, बागों में शाल न मिलते हैं।
इश्क ने हमसे कुछ ऐसी साजिशें रची हैं, मुझमें मैं नही हूं अब बस तू ही तू बसा है.
नजर न लगे मेरी भांजी को किसी की भी, ईश्वर से यही प्रार्थना है कि खुश रहें मेरी भांजी हर क्षण हर घड़ी।
शादी के सात फेरों के वक्त !!खामोश खड़ा एक शख्स था !!दुल्हन की मेहंदी में आज भी !!बस उसका ही अक्स था !!
“ पहले तो मोहब्बत कीआजमाईश होगीबाद में उसके नाम केमेहँदी की ख़्वाहिश होगी….!!
जिस रोज तुमसे गले मिले हैं….मुर्शाद ….मेरा दिल तुम्हारा नाम लेना लग गया है
मेहंदी से सजे हाथनव-विवाहितों की खनकती चूड़ियों और घेवर की मिठास इन सब के बीच हरियाली तीज की अनेकानेक शुभकामनाएं
भू के मानचित्र पर अंकित त्रिभुज, यही क्या तू है ?नर के नभश्चरण की दृढ़ कल्पना नहीं क्या तू है ?