Mausam Shayari In Hindi : विचार हो जैसा वैसा मंजर होता है,मौसम तो इंसान के अंदर होता है. रुका हुआ है अज़ब धुप छाँव का मौसम,गुज़र रहा है कोई दिल से बादलों की तरह..!!
ऊपर से तो सूरज की गर्मी ने सता रखा है !!नीचे इस लड़की की अग्नि ने जला रखा है !!
झूठी मोहब्बत के साथ तनहाई भी लाया है !!भीगा मौसम तेरी भीगी यादें लेकर आया है !!
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल,वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का।
मौसम-ए-इश्क़ है तू एक कहानी बन के आ, मेरे रूह को भिगो दें जो तू वो पानी बन के आ !
कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं !!सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ? “मौसम” की या “अपनों” की !!
मत पूछ इश्क़ में दर्द कितना है,आँखों से सैलाब बहाते आशिक़ नजर आते है।
हो रही है बारिश, पूरा शहर ये वीरान है, एक हम ही तो उदास नहीं, सारा शहर परेशान है।
आज कुछ और नहीं बस इतना सुनो,मौसम हसीन है लेकिन तुम जैसा नहीं…!!
मौसम इस कदर खुमारी मे है मेरा शहर !!भी शिमला होने की तैयारी में है !!
ये सुहाना मौसम, ये हल्की हवायें. फरवरी आ रही हैं।बोलो, पट रहे हो तुम या हम किसी और को पटाये।।
आज मौसम ने मूड सुहावना बना रखा है !!चलो अंदर चलते है बेफ़िजूली बातों में क्या रखा है !!
जरा ठहरो की बारिश हे यह थम जाये तो फिर जाना !!किसी का तुम को छू लेना मुझे अच्छा नहीं लगता !!
कितने अजब रंग समेटे है ये बे-मौसम बारिश खुद में; अमीर पकौड़े खाने की सोच रहा है तो किसान जहर।
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ थातेरा ख़याल भी,दिल को ख़ुशी केसाथ साथ होता रहा मलाल भी।
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल,वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का।
भीगी मौसम की भीगी सी रात भीगी सी याद भुली हुई बात भुला हुआ वक्त वो भीगी सी आँखें वो बीता हुआ साथ मुबारक हो आप को साल की पहली बरसात…
कुछ तो मौसम-ए-हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख्याल भी !!दिल को खुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी !!
यूँ ही शाख से पत्ते गिरा नहीं करते बिछड़ के लोग भी ज्यादा जिया नहीं करते जो आने वाले हैं मौसम उनका इंतज़ार करो जो दिन गुजर गए उनको गिना नहीं करते।
फिर से तेरी यादों का मेरे दिल में बवंङर हैवही मौसम वही सर्दी वही दिलकश नवम्बर है!
बारिश के मौसम में क्या आपका दिल मचलता है; क्या पानी में भीगने का भी आपका दिल करता है; इसमें आपकी गलती नहीं है; इस मौसम में हर मेंढक ऐसे ही फुदकता है।
आ जा अभी सर्दी का मौसम नहीं गुजरा; पहाड़ों पर अभी भी बर्फ़ जमी है; सब कुछ तो है मेरे पास; सिर्फ एक तेरी ही कमी है।
बारिश की खुशबू दिलों को सजाती है, मोहब्बत की भावना जमीन पर ले आती है।
सुहाने मौसम से मैं आज भी डरता हूँ,उसे भूलने की कोशिश आज भी करता हूँ.
ए बादल इतना बरस की नफ़रतें धुल जायें,इंसानियत तरस गयी है प्यार पाने के लिये..!!
बारिश की बूंदों में झलकती है उसकी तस्वीर !!आज फिर भीग बैठे है उसे पाने की चाहत में !!
ये हंसी मौसम ये नज़ारे ये बारिश ये हवाएं,लगता है मोहब्बत ने फ़िर किसी का साथ दिया है..!!
चलती हैं 🌿दिल के शहर में ,यूँ हुकूमत उनकी,बस जो भी उसने कह दिया,दस्तूर हो गया
एक हम ही हे जो इश्क कीबारिश करते हे,और एक वो हे जो भीगनेको तैयार ही नहीं।
आज है वो बहार का मौसम !!फूल तोड़ूँ तो हाथ जाम आए !!
छू कर निकल जाते है बिना बरसे हीबादल भी आदमी जैसा होने लगा है
अभी तो खुश्क़ है मौसम,बारिश हो तो सोचेंगे हमें अपने अरमानों को,किस मिट्टी में बोना है.
बरस रही थी बारिश बहारऔर वो भीग रही थी मुझ मे
अरे बारिश का मौसम भी कुछ बता रहा हैखुले बाल कर उनका यूँ मेरी तरफ चले आनाओह अरे……. मुझे शता रहा है।
बारिश की बूंदें गीत गाती है, मेरे दिल की तन्हाई को भुलाती है।
बारिश की बूंदो में झलकती हेउसकी तस्वीरआज फिर भीग बैठे उसेपाने की चाहत में
कुछ मीठी सी ठंडक हैं आज इन हवाओं मेंशायद मौसम भी किसी की याद में सर्द हैं!!!
मौसमी रंग भी कितना रंगीन होता हैठहरता है बस कुछ वक्त के लिएपर फिर भी ये मौसम हसीन होता है
क्या रोग दे गई है ये नए मौसम की बारिश,मुझे याद आ रहे हैं, मुझे भूल जाने वाले…!
बारिश हुई और भीग गये हम,रजनीकांत ने फूँक मारी सूख गये हम.
हम कि रूठी हुई रुत को भी मना लेते थे।हम ने देखा ही न था मौसम-ए-हिज्राँ जानाँ।।
कैसे कह दूँ की वो मौसम की तरह बदलता था, मौसम तो सिर्फ चार ही बार बदलते हैं।
जैसा मूड़ हो वैसा मंजर होता है !!मौसम तो इंसान के अंदर होता है !!
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश है,न चाहते हुए भी कोई शिद्दत से याद आता है!
पहले मौसम पे तब्सिरा करनाफिर वो कहना जो दिल के अंदर है
दिल खुश हो जाता था जिसके मुस्कुराने से !!ये मौसम बेरंग हो गया है उसके छोड़ जाने से !!
विचार हो जैसा वैसा मंजर होता है,मौसम तो इंसान के अंदर होता है.
रोज मिलने को कोन कहता है,बारिश रोज थोड़ी होती है…!
छुप जाएँ कहीं आ कि बहुत तेज़ है बारिशये मेरे तिरे जिस्म तो मिट्टी के बने हैं
माना है अपना इश्क रुठा अभी, अधूरी दास्तान भी मुकम्मल होगी कभी। एक रोज उस इश्क़ की बारिश हम पर भी होगी कभी।
मौसम का खुमार ऐसा है,कि दिल बस यही कहे जाये,एक कप चाय के साथ,एक प्लेट पकोड़े हो जाये..!!
गर्मी के मौसम का भी एक पल आता हैजिसमे आधे कपड़े और ठंडे पानी का नल भाता है
मौसम अच्छा हो गया है,लगता है मेरी जिंदगी मेंतुम आने वाले हो।।
मौसम का खुमार कुछ ऐसा चढ़ता !!कितनी कोशिश करू !!दिल पढाई में नहीं लगता !!
मौसम का रुख बदल रहा है मेरा मन मचल रहा है !!कहता है मेहबूब से मिल ले अब दिल नहीं संभल रहा है !!
आते जाते मौसम का सिलसिला जारी रहे !!हर रोज हम मिलते रहे !!और फासला बाक़ी रहे !!
आज मौसम कितना खुश गंवार हो गया !!ख़त्म सभी का इंतज़ार हो गया !!बारिश की बूंदे गिरी इस तरह से !!लगा जैसे आसमान को ज़मीन से प्यार हो गया !!
मौसम का रुख BADAL रहा है, मेरा मन मचल रहा है। कहता है मेहबूब से मिल ले , अब DIL नहीं संभल रहा है।
अभी दो चार ही बूँदें गिरीं हैंमगर मौसम नशीला हो गया है
कहानी बस इतनी सी थी तेरी मेरी मोहब्बत की,मौसम की तरह तुम बदल गए और फसल की तरह हम बरबाद हो गए.
जिनके पास सिक्के थे वोमज़े से भीगते रहे बारिश मेंजिनके पास नोट थेवो छत तलाशते हुए रह गए।
सुनो ये बादल जब भी बरसता है !!मन तुझसे ही मिलने को तरसता है !!
तेरी जुल्फों के साये में कई मौसम गुजरे हैं हम तो मर ही गए थे लेकिन जिए तेरे उस मौसम के सहारे हैं।
जब बारिश के बादल आसमान को छू लेते है, हम तेरी बाहों में खुद को भर लेते है।
मौसम का कुछ ऐसा खुमार है मन करता चीख कर कह दूँ हमको तुमसे बहुत प्यार है।
कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते,अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है…!!
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था, इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
हार को जीत की इक दुआ मिल गई !!तप्त मौसम में ठंडी हवा मिल गई !!आप आये मेरे सनम तो यूँ लगा !!जैसे दिल के दर्द को कुछ दवा मिल !!
मौसम का मिजाज समझ में नही आता है,यह भी इंसानों की तरह बेवफा हो जाता है.
हँसाना नहीं बस रुलाना जनता है !!हाय ये गर्मी का मौसम बस जलाना जानता है !!
बारिश की बूंदें जब झूम कर गिरती है, हमारे दिल को नयी खुशियाँ मिलती है।
बारिश थम सी गई है तेज रात में,ये किसने रक्खे है कदम बरसात है…!
हल्की सर्दी का ज़माना है; मौसम भी सुहाना है; 1-2 प्यारे sms तो कर दो; क्या बैलेंस को अगले जन्म तक चलाना है।