Mausam Shayari In Hindi : विचार हो जैसा वैसा मंजर होता है,मौसम तो इंसान के अंदर होता है. रुका हुआ है अज़ब धुप छाँव का मौसम,गुज़र रहा है कोई दिल से बादलों की तरह..!!
सर्दी में दिन सर्द मिलाहर मौसम बेदर्द मिलामोहम्मद अल्वी
मंजर भी बेनूर थेऔर फिजायें भी बेरंग थी,तुम्हारी याद आयी औरमौसम सुहाना हो गया।।
लगता है ये बादल भी इश्क़ में पड़ गया है,तभी बेवजह बेमौसम बूंदें बरसा रहा है।
की कहा पूरी होती है दिल की सभी ख्वाहिशेकी बारिश भी हो यार भी और वो पास भी हो
उस को भला कोई कैसे गुलाब दे,जिसके आने से बारिश का मौसम और गुलाबी हो जाता है..!!
तेरे प्यार की जरूरत है मुझे,ये मौसम मुझे तेरी ओर खींचता है…!
मस्त मौसम दिल में बहार लता हैबिछड़े हुआ जोड़े को फिर से मिलता है
ये जीवनधारा तो रंग बदलती है,प्यार का रंग तो बसंत की बहारो सा है।
वो मेरे रूबरू आया भी तो बरसाद के मौसम में !!मेरे आंसू बह रहे थे और वो बरसाद समझ बैठा !!
आज बारिश में तुम्हारे संग नहाना है, सपना ये मेरा कितना सुहाना है,बारिश के कतरे जो तेरे होंठों पे गिरे, उन कतरों को अपने होंठों से उठाना है..
इश्क़ में सुहाना लगता है हर मौसम,हर मौसम टूटे दिल को देता है सिर्फ़ गम.
मौसम अच्छा हो गया है लगता है !!मेरी जिंदगी में तुम आने वाले हो !!
नीचे गिरे पत्ते भी सुख जाया करते है !!सर्दी के मौसम में जोड़े भी रूठ जाया करते है !!
कोई रंग नही होता बारिश के पानी मेंफिर भी फ़िज़ा को रंगीन बना देता है!
बारिश की बूंदों में हम दोनों बह जाएं, प्यार की ये बरसात हमें और नजदीक लाएं।
मौसम है बारिश का,और याद तुम्हारी आती है…!
आती जाती है जा-ब-जा बदली,साक़िया जल्द आ हवा बदली..!!
उदास ज़िन्दगी उदास वक्त उदास मौसम !!कितनी चीज़ों पे इल्ज़ाम लग जाता है तेरे बात न करने से !!
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था !!इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था !!
जो मजा आपके इन्तजार में है !!वो कहाँ मौसम-ए-बहार में है !!
बरसती बारिशों से बस इतना ही कहना हैके इस तरह का मौसम मेरे अंदर भी रहता है
आदत ना डाल मुझे बारिश में नहाने की,या तो ऊब जाऊंगा या डूब जाऊंगा…!
शहर देखकर ही अब हवा चला करती है !!अब इंसान की तरह होशियार मौसम होते हैं !!
तुम्हारा तो पता नही,पर मेरा दिल तरसता है तुमसे मिलने के लिए…!
कहानी बस इतनी सी थी तेरी मेरी मोहब्बत की !!मौसम की तरह तुम बदल गए !!और फसल की तरह हम बरबाद हो गए !!
आते जाते मौसम का सिलसिला जारी रहे हर रोज हम मिलते रहे और फासला बाक़ी रहे।
मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं.
कहा पूरी होती है दिल की सभी ख्वाहिशे !!की बारिश भी हो यार भी और वो पास भी हो!!
सर्द मौसम में छनी हुयी धुप सी लगते हो।कोई बादल हरे मौसम का फ़िर ऐलान करता है।।
भूली यादों को याद कर के आज रोया हूँभूले जख्मो को आज फिर से म भिगोया हूँतभी ठंडी के मौसम में भी लंबी चदर को तान सोया हूँ।
बारिश के मौसम मेंकिसान खुश होता है,अगर उससे उसके खेतोंकी सिचाई होती है. भलेही घर की छत टपकती है.
हमें इस सर्द मौसम में तेरी यादें सताती हैं !!तुम्हें एहसास होने तक दिसंबर बीत जायेगा !!
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल, वरना शौक तो आज भी है बारिश में भीगने का !
हर किसी के जीवन में एक ऐसा वक़्त आता है !!जिसे दिल से चाहों वो मौसम की तरह बदल जाता है !!
बनके सावन कहीं वो बरसते रहे इक घटाके लिए हम तरसते रहेआस्तीनों के सायेमें पाला जिन्हें,साँप बनकर वही रोज डसते रहे!
जब भी होगी पहली बारिश, तुमको सामने पायेंगे,वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पायेंगे।
आते जाते मौसम का सिलसिला जारी रहे !!हर रोज हम मिलते रहे और फासला बाक़ी रहे !!
सच्चे प्यार को छोड़कर जो अकेले चले तुम !!बदला है अब मौसम तो क्यों ना बदले हम !!
बलखाने दे अपनी जुल्फों को हवाओं में,जूड़े बांधकर तू मौसम को परेशां न कर.
इश्क़ में सुहाना लगता है हर मौसम, हर मौसम टूटे दिल को देता है सिर्फ़ गम
आज है वो बहार का मौसम !!फूल तोड़ूँ तो हाथ जाम आए !!
ये बारिश ये हसीन मौसम और ये मदमस्त हवाये !!लगता है आज मोहब्बत प्यार की बाहो में हैं !!
चिलगोज़ी की खुश्बू, मूंगफली की बहार; सर्दी का मौसम आने को बेक़रार; थोड़ी सी मस्ती थोडा सा प्यार; मफलर, स्वेटर रखो तैयार; हैप्पी विंटर सीजन मेरे यार।
अरे इतना भी मत सताओमौसम सुहाना है……थोड़े नखरे कम करोदूर क्यूँ हो ,थोड़ा पास आजाओ।
किसने कहा इश्क़ बेवफा होता है,किसने कहा इश्क़ सजा देता है,किसी के इश्क़ में पूरी तरह डूब कर देखोउसकी यादों का मौसम भी मजा देता है
सुहाने मौसम से मैं आज भी डरता हूँ,उसे भूलने की कोशिश आज भी करता हूँ.
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने, किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है.
कल रात मैंने सारे ग़म आसमान को सुना दिए, आज मैं चुप हूँ और आसमान बरस रहा है !
हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती हैं,कभी बादल बरसते हैं, कभी आँखे बरसती हैं.
मौसम को मौसम की बहारों ने लूटा,हमे कश्ती ने नहीं किनारों ने लूटा।।
मेरे दिल की जमीन बरसों से बंजर पडी हैमै तो आज भी बारिश का इन्तेजार कर रहा हूँ
भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती हैदर्द बरसात की बूँदों में बसा करता है
रुका हुआ है अज़ब धुप छाँव का मौसम,गुज़र रहा है कोई दिल से बादलों की तरह..!!
मुझे ऐसा ही जिन्दगी का हर एक पल चाहिए !!प्यार से भरी बारिश और संग तुम चाहिए!!
बारिश की बुंदे भीक्या वफ़ा निभाती हैदूर आसमा से निकल करजमी में मिल जाती है।
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था.- क़तील शिफ़ाई
तेरी घनी काली ज़ुल्फ़ें मुझे बारिश के मौसम की याद दिलाती है, मैं पीता नहीं मुझे तेरी आँखें पिलाती है।
ये मौसम कितना प्यार है,खूबसूरत कितना यह नजारा है,इश्क़ करने का गुनाह हमारा है,मेरे सीने में धड़कता दिल तुम्हारा है.
कितना कुछ धुल गया आज इस बारिश में, हाँ तुम्हारी यादों के पन्ने भी धुल गए इस बारिश में।
कभी जोर से बरसती कभी गूम सी हैये बरिश भी ना कुछ तुम सी है।Kabhi jorse barasti Kabhi goom si hai Ye barish bhi naa Kuch tum si hai
मौसम की मिसाल दूँ या नाम लूँ तुम्हारा,कोई पूछ बैठा है बदलना किसको कहते हैं।
दुनिया में अच्छे आदमी की तलाश में मत निकलना, . . . . . . . . . . बाहर बहुत ठण्ड है और मैं घर पर ही हूँ।
सर्द मौसम में बहुत याद आते है !!धुँध में लिपटे हुए वादे तेरे !!
मोहब्बत करने का कोई मौसम नही होता है !!इस जमाने में कोई बेवफा हो जाएँ तो गम नही होता है !!
बारिश के मौसम में रंग बदलते है, हर एक चेहरा हँसी से जगमगाते है।
काश तुझे सर्दी के मौसम मे लगे मुहब्बत की ठंड !!और तू तड़प कर माँगे मुझे कम्बल की तरह !!
सुना है बहुत बारिश हुई तेरे शहर में !!ज्यादा भीगना मत !!धुल गयी अगर सारी गलतफहमियां !!तो बहुत याद आएंगे हम!!
आया ना कोई सक्स तेरे बाद भीगने,बारिश यूंही होती रही बरबाद रात भर…!
मौसम की तरह इंसान नही बदलते है !!मौसम बदलने का पता चल जाता है !!मगर इंसान के बदलने का पता !!बड़ी देर में चलता है !!
क्या किसी के पास उधार स्वरूप् थोड़ी धूप सप्लाई करने की व्य्वस्था है? मई जून तक दोगुने भाव से लौटा दूंगा।
रहने दो अब तुम भी मुझे पढ़ ना सकोगे,बरसात में भीगे कागज़ की तरह भीग गया हूँ मैं।
सुनो ये बादल जब भी बरसता है,मन तुझसे ही मिलने को तरसता है।