43+ Manoj Muntashir Shayari On Maa In Hindi | Best Manoj Muntashir shayari on maa in Hindi

Manoj Muntashir Shayari On Maa In Hindi , Best Manoj Muntashir shayari on maa in Hindi
Author: Quotes And Status Post Published at: July 20, 2023 Post Updated at: December 6, 2023

Manoj Muntashir Shayari On Maa In Hindi : आज आग है कल हम पानी हो जायेंगे,आखिर में सब लोग कहानी हो जायेंगे.मनोज मुंतशिर लपक के चलते थे बिल्कुल सरारे जैसे थे,नये-नये थे तो हम भी तुम्हारे जैसे थे.मनोज मुंतशिर

ये गलत बात है कि लोग यहाँ रहते है,मेरी बस्ती में अब सिर्फ मकाँ रहते है,हम दिवानो का पता पूछना तो पूछना यूँजो कही के नही रहते वो कहाँ रहते है.

मैं अपनी गलियों से बिछड़ा मुझे ये रंज रहता है,मेरे दिल में मेरे बचपन का गौरी गंज रहता है.मनोज मुंतशिर

अँधेरी रात नहीं लेती नाम ढलने का,यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का.मनोज मुंतशिर

लपक के जलते थे बिलकुल शरारे जैसे थेनये नये थे तो हम भी तुम्हारे जैसे थे.

हवा में घर बनाया था कभी जो,उसकी के सामने बेबस पड़ा हूँ…तुम्हारे भीं दरीचा कौन खोलेकई जन्मो से मैं बाहर खड़ा हूँ…!!!मनोज मुंतशिर

अभी हाथ हाथों से छूटे नहीं हैं,अभी रोक लो तो ठहर जाऊँगा मैं,कहाँ ढूंढ़ोगे फिर, कहाँ फिर मिलूंगा,अगर वक्त बन के गुजर जाऊंगा मैं.

मैं तुझसे प्यार नहीं करतापर कोई ऐसी शाम नहीं जबआवारा सड़कों पर मैं तेराइंतज़ार नहीं करता

👩‍👧‍👦 पैसों से सब कुछ मिलता है परमाँ जैसा प्यार कहीं नहीं मिलता | 🤱

आज आग है कल हम पानी हो जायेंगे,आखिर में सब लोग कहानी हो जायेंगे.मनोज मुंतशिर

मैंने जिस पल तुझको सोचा ना याद किया,वक़्त तो गुज़रा मगर मैंने वो पल ना जिया.

तुम आज भी मेरी नहीं हो,कल भी नहीं थी,अफवाह है कि किस्मतेंएक दिन बदलती हैं.

“मैं वो बुलबुल, मोहब्बत है जिसे तेरी सलाख़ों से …तू पिंजरा खोल भी देगा तो मेरा उड़ना मुश्किल है

हमें प्यार अब दुबारा होना बहुत है मुश्किल,छोड़ा कहाँ है तुमने हमको किसी के काबिल.

जूते फटे पहनके आकाश पर चढ़े थे,सपने हमारे हरदम औकात से बड़े थे,सिर काटने से पहले दुश्मन ने सिर झुकायाजब देखा हम निहत्थे मैदान में खड़े थे.

तू किसी की भी रहे, तेरी याद मेरी है,अमीर हूँ मैं कि ये जायदाद मेरी है.मनोज मुंतशिर

अच्छा लिखने के लिए इश्क़हो जाना जरुरी है,बहुत अच्छा लिखने के लिए उसइश्क़ का खो जाना जरुरी है.

मैं अपनी गलियों से बिछड़ा,मुझे ये रंज रहता है,मेरे दिल में मेरे बचपन कागौरीगंज रहता है..!!

अँधेरी रात नहीं लेती नाम ढलने कायही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का

बेमक़सद-सा मैं गलियों मेंमारा-मारा फिरता हूंजिन रास्तों से वाकिफ़ हूं,वहीं ठोकर खा के गिरता हूं

मैंने लहू के कतरे मिटटी में बोये हैखुशबू जहाँ भी है मेरी कर्जदार है,ऐ वक़्त होगा एक दिन तेरा मेरा हिसाबमेरी जीत जाने कब से तुझ पे उधार है.मनोज मुंतशिर

हिसाब लगाकर देख लो,दुनिया के हर रिश्ते में,कुछ अधुरा आधा निकलेगा,एक माँ का प्यार है जो दूसरों सेनौ महीने ज्यादा निकलेगा..!!

मैंने लहू के कतरे मिटटी में बोये हैंखुशबू जहाँ भी है मेरी कर्जदार है,ऐ वक़्त होगा एक दिन तेरा मेरा हिसाबमेरी जीत जाने कब से तुझ पे उधार है.

न दिन है न रात है कोई तन्हा है न साथ हैजैसी आँखें वैसी दुनिया बस इतनी सी बात है.

👩‍👧‍👦 माँ खुद भूकी होती है मुझे खिलाती हैखुद दुखी होती है मुझे चैन की नींद सुलाती है | 🤱

आज आग है कल हम पानी हो जायेंगे,आखिर में सब लोग कहानी हो जायेंगे.

जूते फटे पहनके आकाश पर चढ़े थे,सपने हमारे हरदम औकात से बड़े थे,सिर काटने से पहले दुश्मन ने सिर झुकायाजब देखा हम निहत्थे मैदान में खड़े थे.मनोज मुंतशिर

बयान सच के तराज़ू में तोलता हूँ मैंतेरी ख़ुशी के लिए थोड़ी बोलता हूँ मैं.

👩‍👧‍👦 मुश्किल घड़ी में ना पैसा काम आयाना रिश्तेदार काम आएआँख बंद की तो सिर्फ माँ याद आई | 🤱

लपक के चलते थे बिल्कुल सरारे जैसे थे,नये-नये थे तो हम भी तुम्हारे जैसे थे.मनोज मुंतशिर

तुम अपनी आँखों को हँसना सिखाओ,मेरी आँखों में बादल रहने दो न..मुबारक़ हो तुम्हे ये दुनियादारी,मैं पागल हूँ तो पागल रहने दो न..

अच्छा लिखने के लिए इश्क हो जाना जरूरी है,बहुत अच्छा लिखने के लिए उस इश्क का खो जाना जरूरी है.मनोज मुंतशिर

कश्तियाँ हमने जला दी है भरोसे पर तेरेअब यहाँ से नहीं लौट कर जाने वाले।मनोज मुंतशिर

हवा में घर बनाया था कभी जो,उसकी के सामने बेबस पड़ा हूँ…तुम्हारे भीं दरीचा कौन खोलेकई जन्मो से मैं बाहर खड़ा हूँ…!!!

👩‍👧‍👦 कहीं भी चला जाऊँ दिल बेचैन रेहता हैजब घर जाता हूँ तो माँ के आंचल में ही सुकून मिलता है | 🤱

सवाल एक छोटा सा था,जिसके पीछे पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर ली,भुलाऊं किस तरह वो दोनों आंखें,किताबों की तरह जो याद कर ली..!!

तू किसी की भी रहे, तेरी याद मेरी है,अमीर हूँ मैं कि ये जायदाद मेरी है.

दिल पर ज़ख्म खाते हैं और मुस्कुराते हैंहम वो हैं जो शीशों को टूटना सिखाते हैं

बयान सच के तराज़ू में तोलता हूँ मैं…तेरी ख़ुशी के लिए थोड़ी बोलता हूँ मैं ..!!!मनोज मुंतशिर

👩‍👧‍👦 हर गली, हर शेहेर, हर देश-विदेश देखालेकिन माँ तेरे जैसा प्यार कहीं नहीं देखा | 🤱

कभी खुद्दारी की सरहद ही नहीं लांघते हैं,भीख तो छोड़िये हम हक़ भी नहीं मांगते हैं.

न दिन है न रात है…कोई तन्हा है न साथ है…जैसी आँखें वैसी दुनिया..बस इतनी सी बात है.मनोज मुंतशिर

साफ दिखने लगेगी ये दुनियाऐनक आंखो से उतर जाएगीकिसी बच्चे को खेलते देखोआंखो की रोशनी बढ़ जाएगी

कभी खुद्धारी की सरहद ही नहीं लांघते है,भीख तो छोड़िये, हम हक़ भी नहीं मांगते है.मनोज मुंतशिर

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