Majboori Shayari In Hindi : खामोशी समझदारी भी है और मजबूरी भी, कहीं नज़दीकियां बढ़ाती है और कहीं दूरी भी… बहाना कोई तो दे ए ज़िंदगी कि जीने के लिए मैं भी मजबूर हो जाऊँ।
किसी की मजबूरी का मजाक ना बनाओ यारों ज़िन्दगी कभी मौका देती है तो कभी धोखा भी देती है !!
कह दो के तुम मुझसे प्यार नहीं करते वैसे भी तुम कभी इज़हार नहीं करते दिल के बदले तुम हमारी जान मांगते हो इस तरह मोहब्बत में कारोबार नहीं करते
कितना अजीब है लोगों का अंदाज़-ए-मोहब्बत,रोज़ एक नया ज़ख्म देकर कहते हैं अपना ख्याल रखना।
यूँ रूठा ना कर तू यार मेरे,तुझसे ना मिलना मेरी मजबूरी है।
सब गुलाम है अपने हालातों के यहाँ, बेचैन आँखे सोती नहीं रातों में यहाँ।
किसी की याद दिल में आज भी है,वो भूल गए मगर हमें प्यार आज भी है।हम खुश रहने की कोशिश तो करते हैं मगर,अकेले में आंसू बहते आज भी हैं।
तन्हाई में अकेलापन सहा जायेगा,लेकीन महफ़िल में अकेले रहा न जायेगा।आपका साथ न हो तो भी जी लेंगे,पर साथ आपके कोई और हो तो सहा न जायेगा।
कुछ इस तरह पढे गए हम, जैसे पुराना अखबार थे,कुछ इस तरह छूट गए हम, जैसे गणित का सवाल थे।
बहुत अच्छे से वो अपना किरदार निभाते हैं बेईमान हैं बेईमानी से साथ निभाते हैं
मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही,ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नही।जिन्हें मिलती मंज़िल उंगलियों पे वो खुश है,मगर जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नही।
नाजुक होता है ये मोहब्बत का धागा टूटा तो फिर जुड़ नहीं पाता
प्यार उससे करो जो दिल से अच्छा हो,उससे नहीं जो केवल दिखने में अच्छे हो…Pyaar usse karo jo dil se accha ho,Usse nahi jo keval dikhne mein acche ho…
ये तो सच है ये ज़िन्दगानी उसी को रुलाती है,जिसके आँसू पोछने बाला कोई नही होता है।
कोई मजबूरी होगी जो वो यादनहीं करतेसम्भल जा ऐ दिल तुझे तो रोनेका बहाना चाहिए !!
अब तो मेरे दुश्मन भी मुझे ये कह कर अकेला छोड़ गये,की जा तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए।
जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं,वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं।झूठा ही सही मेरे यार का वादा,हम सच मान कर ऐतबार करते है।
हज़ारो बातें मिल कर एक राज़ बनता है,सात सुरों के मिलने से साज़ बनता है।आशिक़ के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलता,और हसीनाओ के मरने पर ताज़ बनता है।
नाकाम हैं असर से दुआएँ दुआ से हम !!मजबूर हैं कि लड़ नहीं सकते ख़ुदा से हम !!
यही हकीकत है के अब हम तनहा हैं कोई सहारा कोई हमारा है नहीं
कभी गम तो कभी ख़ुशी देखी, हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी, उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें, हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी.
बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे कि जीने के लिए मैं भी मजबूर हो जाऊँ।
तेरी ख़ामोशी अगर तेरी मजबूरी है, तो रहने दो इश्क़ भी कौन सा जरूरी है.
सुनो कोई टूट रहा है तुम्हे एहसास दिलाते दिलाते,सीख भी जाओ किसी की चाहत की कदर करना।
तुम्हारी फिक्र करने के लिए रिश्ता होना जरुरी तो नहीं,एहसास की ही तो बात है तुम्हारी इजाजत भी जरुरी नहीं।
कब तुमको उससे मोहब्बत हुयी कब उसने मुझसे चुराया तुम्हें कब उसने तुमपे ये जादू किया कब उसने अपना बनाया तुम्हें
नफरत है मुझे उस मोहब्बत से,जो मैंने कभी तुमसे की थी।
मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम न दे,मुझे याद रख बेशक मेरा नाम न ले,तेरा वहम है कि मैंने भुला दिया तुझे,मेरी एक भी साँस ऐसी नहीं जो तेरा नाम न ल !
यादो में कभी आप खोये होंगे;खुली आँखो से कभी आप भी रोये होंगे;माना हमे आदत हैं, गम छुपाने की;पर हँसते हुए कभी आप भी रोये होंगे.
लिखते हैं सदा उन्ही के लिए,जिन्होंने हमे कभी पढा ही नही।
फ़र्ज़ थे जो मेरा निभा दिया मैंने, उसने मनाग जो वो सब दे दिया मैंने, वो सुनके गैरों की बातें बेवफा हु गए, समझ के खुवाब उसके आखिर भुला दिया मैंने.,
पढ़े लिखे नहीं थे वो शायद गलतियों को हुनाह का नाम देते रहे मुझे बदनाम करना पसंद था उन्हें और हम उन्हें ये काम देते रहे
जो लोग आपकी मजबूरी को समझते है, वही आपके मजबूरी का फायदा उठाते है.
तुझे चाहा था इस तरह गर्मी में कोई चाहे बारिश जिस तरह और जो इन आँखों में बारिशें है सिर्फ तेरी साज़िशें हैं
चेहरों को बेनक़ाब करने में,ए बुरे वक़्त तेरा हज़ार बार शुक्रिया।
होले होले कोई याद आया करता है,कोई मेरी हर साँसों को महकाया करता है।उस अजनबी का हर पल शुक्रिया अदा करते हैं,जो इस नाचीज़ को मोहब्बत सिखाया करता है।
तेरे बदलने का दुःख नहीं है मुझको,मैं तो अपने यकीन पर शर्मिंदा हूं।
किसी की मजबूरी का मजाक नाबनाओ यारों,जिन्दगी कभी मौकादेती है तो कभी धोखा भी देती है.
बहोत जालिम है.. औरजुल्म भी बहोत करते है..मज़बूरी है हमारी जो उनसेबेपनाह मोहब्बत करते है…
क्या खूब मजबूरी है गमले में लगे पेड़ों की…हरा भी रहना है और बढ़ना भी नहीं….
राज की गहराई आँखों में उतर आई, कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई, ये जो पलकों से बह रहे है हल्के हल्के कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफ़ाई.
बोझ उठाना शौक़ कहाँ है,मजबूरी का सौदा है,रहते रहते स्टेशन पर लोग क़ुली हो जाते हैं…!!
किसी की मजबूरी समझने से पहले !!खुद की भी मजबूरी को समझो !!ज़िंदगी की राहों में सिर्फ !!खुद ही खुद को तुम ढूंढो !!
किसी की मजबूरी कोई समझता नहीं, दिल टूटे तो दर्द होता है मगर कोई कहता नहीं.
उन्हें चाहना हमारी कमजोरी है, उनसे नहीं कहे पाना हमारी मजबूरी है, ओ क्यों नही समझते हमारी ख़ामोशी को क्या प्यार का इजहार करना जरूरी है.
न जाने अब मुलाकात हो न हो, जिंदगी में फिर बहार हो न हो, जाते-जाते मुस्कुरा दो कम से कम, दोबारा इस मुस्कराहट का दीदार हो न हो।
वो छोड़ के गए हमें,न जाने उनकी क्या मजबूरी थी,खुदा ने कहा इसमें उनका कोई कसूर नहीं,ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी.
दिलासे पे कहाँ तक जी सकोगे,दिलासा झूठ का इक रूप है बस।
हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमने,तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने।तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला,बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।
खामोशी समझदारी भी है और मजबूरी भी…कहीं नज़दीकियां बढ़ाती है और कहीं दूरी भी…!!
मुस्कुराते हुए चेहरे पर निराशा आने लगती हैं, ये मजबूरियां इंसान की जिंदगी में सिर्फ दुखो का भार लाती है।
अगर तेरी मजबूरी हे ख़ामोशी तो रहने दे इश्क कौनसा जरुरी हैं।
जितनी इज्जत दे सकते थे ,तुमने मुझे दी अब तुम देखोगे,मेरी ख़ामोशी और मेरा सब्र का इम्तिहान ..!!
बुला रहा है कौन मुझको उस तरफ,मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है।
इंसान हँसता तो सबके सामने हैलेकिन रोता सिर्फ उसी के सामने हैजिससे वो खुद से ज्यादा भरोशा औरप्यार करता है.
हिम्मत इतनी थी समुन्दर भी पार कर सकते थे,मजबूर इतने हुए कि दो बूँद आँसुओ ने डुबो दिया.
क्या थी मजबूरी तेरी जो रस्ते बदल लिए तूने !!हर राज कह देने वाले क्यों इतनी सी बात छुपा ली तूने !!
साथ तुम्हारा हरदम चाहते थे,तुम्हारा अहसास हर पल चाहते थे।तुम्हारी यादों के सहारे काट दी ज़िन्दगी हमने,तुम्हें कहानियों के ज़िक्र में अक्सर पाते हैं।
“आईना टूट जाने पर चेहरा नहीं बदलता,अक्स बदल जाते हैं ।जब ख्यालात मिल नहीं पाते,लोग बुरे नहीं होते बस हालात बदल जाते हैं । “
मसला ये नहीं की गम कितना है मुद्दा ये है की परवाह किसको है। Masla ye nahi ki gam kitna hai mudda ye hai ki parwah kisko hai.
मैं मजबूरियां ओढ़ कर निकलता हूँ घर से आज कल,वरना शौक तो आज भी है बारिशों में भीगने का !
जब बुरा वक़्त का साया किसी शक्श पर पड़ता है, तब उसकी मज़बूरी का फायदा उठाने के लिए उससे हर शक्श मिलता है।
मिलना एक इत्तेफ़ाक हैऔर बिछड़ना मजबूरी हैचार दिन की इस जिन्दगी मेंसबका साथ होना जरूरी है !
यार बेकार बेज़ार हम हुए बर्बाद इश्क़ में बर्बाद हम हुए
मिलना एक इत्तेफ़ाक है, और बिछड़ना मजबूरी है, चार दिन की इस जिन्दगी में, सबका साथ होना जरूरी है.,
“ना हँसना किसी के बुरे वक्त पे दोस्तों,ये वक्त है जनाब चेहरे याद रखता है।। “
कभी गम तो कभी ख़ुशी देखी, हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी, उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें, हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी.,
हर प्यार में एक एहसास होता है,हर काम का एक अंदाज होता है,जब तक ना लगे बेवफाई की ठोकर,हर किसी को अपनी पसंद पे नाज़ होता है !
उन्हें चाहना हमारी कमजोरी है, उनसे नहीं कहे पाना हमारी मजबूरी है, ओ क्यों नही समझते हमारी ख़ामोशी को, क्या प्यार का इजहार करना जरूरी है.,
दुनिया वालो ने तो बहुत कोशिश की हमें रुलाने की, मगर श्री राम ने जिम्मेदारी उठा राखी है हमें हँसाने की !!
अगर दर्द की जुबान होती तो वो खुद बता देता,अब भला मैं वो ज़ख्म कैसे दिखाऊं जो दिखते ही नही.
तेरे जाने की खुशी में बीच सड़क पैमाना भर लिया, उतने में ही कहीं से पुलिस आई और मुझे धर लिया।
गिर के खुद ही सम्भल जाता हूँ,अपनी किस्मत के धागों को बीनता पिरोता हूँ।रोज़ वही कुछ पाने की कश्मकश,रोज़ कुछ खोकर घर आता हूँ।