Khet Ki Shayari In Hindi : खेतों में जो पसीना बहाता है, उसका दर्द कोई और कहाँ समझ पाता है. जिनके माँ-बाप खेतों में काम करते है, उनके बच्चे जीवन में बड़ा नाम करते है।
फूल खिलने का वक्त हो गया है, सूरज निकलने का वक्त हो गया है,मीठी नींद से जागो मेरे दोस्त, क्योंकि सपनों को हक़ीक़त में बदलने का वक्त हो गया है।सुप्रभात
किसान के छोटे-छोटे सपने होते हैंपर वो कब अपने होते हैं गरीबी में.#Kisan
मेरी नींद को दिक्कत नाभजन से ना अजान से है,मेरी नींद को दिक्कत पिटतेहुवे जवान और खुदखुशी करते किसान से है
“जब मनुष्य प्रकृति से दूर जाता है तो उसका हृदय कठोर हो जाता है।”
“ यहाँ मौसम रंग बदलते हे मगर गाँव के लोग नहीं..!!
ये चार फ़िल्मी सितारे नहीं ये लाखों किसान हमारी शान है।
कोई परेशान है गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के रिश्तो मेंकिसान परेशान हैं अपने कर्ज की किस्तों में#Kisan
प्यार सबको आजमाता हैं,सोलह हज़ार एक सौ आठ रानियों से मिलने वाला श्याम,एक राधा को तरस जाता हैं।
कोशिश तो सब करते हैं, लेकिन सब को हासिल ताज नहीं होता, शोहरत तो कोई भी कमा ले, पर जाटों वाला अंदाज नहीं होता ।।
सुनो अपनी मां से कहकर नजर उतरवा लेना, तुम्हारी DP देख रहा हूँ !!
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी बड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ
जीवन भावनाओं से चलता है,पर हम भावनाओं में भीकारणों को ढूंढने की कोशिश करते हैं…!!
क्या हुनर है तेरा पगली, हमारे बेग से कोई पेंसिल नहीं चुरा पाया, और तूने हमारे सीने से दिल चुरा लिया !
हम बंजर बनने को भी तैयार है पगली,शर्त बस ये है कि तुम बारिश बन कर आओ !!fb status barish
आज फिर #अखबार की खबर पढ़ दिल भर गया, एक किसान #मौसम की मार से मर गया।
ग़रीब के बच्चे भी खानाखा सके त्योहारों में,तभी तो भगवान खुदबिक जाते हैं बाजारों में.
ताश के पत्तो मे ईक्का औरजिन्दगी मे जाट का सिक्का,जब चलता हे तो सलामसारी दुनिया ठोकती है..!!
पापा की परी औरबॉयस की गर्लफ्रेंड बनने वालों में सेहम नहीं हैंशेरनी हु मै मुझे तो कोईशेर ही झेल सकता है
सूखे बंजर खेत जैसी जिंदगी बेहाल है घटाएं घिर तो आती है मगर बरसात नहीं होती..
“ गाँव नाप आते थे पूरा नंगे पाँव,पैर जलने लगे जबसेडिग्री सेल्सियस समझ आया…!!
वहां की हवा से परेशान लगते हैये परिंदे अब सहर में नजर नहीं आते।
दुश्मन के सितम का खौफ नही हमको, हम तो दोस्तो के रूठ जाने से डरते है।
गाँव के खेतों में अब भूख उगने लगी है, किसानों ने अब शहरों में नौकरी कर ली.
किस्मत तै ठाडे कर्म बणा लोतैयार चिलम बणा लोमाहौल गर्म बणा लोLife Story इसी Jaat कीबेशक पूरी फिल्म बणा लो
“खुशी पृथ्वी में फैल गई है भटके हुए उपहारों के द्वारा जो कोई भी दावा करेगा।”
मैं मर भी जाऊं तो मेरी एक पहचान लिख देना मेरेकफन के किसी कोने पे जाट लिख देना
कीमतें बढ़ रही हैं अनाज कीफिर भी हो ना सकी विदा बेटी किसान की#Kisan
“ बाहर आकर पैसा कमाया बहुत,गाँव का घर भीयाद आया बहुत….!!!
दीवाने है तेरे नाम के इस बात से इंकार नहीं,कैसे कहें कि तुमसे प्यार नहीं,कुछ तो कसूर है आपकी आँखों का कन्हैया,हम अकेले तो गुनाहगार नहीं।
जितनी पूरे पाकिस्तान की जनसंख्या है,,,,उतने जाट तो हमारा फ़ेसबुकिया भाई एक फोटो में टैग कर देता है..और ये हमसे युध्द करेंगे….!!
जाति से जाट हूं, जाट ही रहूंगा, Hello-Hiiनहीं सीधा “जय श्रीराम” ही बोलूंगा
किसानों की कौन सुनता हैकौन मुलाकात करता हैसभी किसानों को ख्वाबों में सजाएं रखते हैंजमीन पर कोई नहीं उतारता है#Kisan
चार मण के 4 पाये, चालिस मण की खाटअस्सी मण का कोठडा, सौ मण का जाट
अपनी जिंदगी से कभी नाराज मत होनाक्या पता आप जैसे जिंदगी किसी का सपना हो
जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में, जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रहे !!
भीग जाऊँ मैं तेरे साथ,कोई बारिश ऐसी भी हो !!
बेवजह अब जिंदगी में प्यार का बिज न बोये कोई,मोहब्बत के पेड़ हंमेशा गम की बारिश ही लाते है !!
किसान वो हे जो दुनिआ के खाने के बाद ही अपना पेट भरता हे !
दोस्ती सच्ची होनी चाहिए, पक्की तो सड़क भी होती है।
दुश्मनी तो हम सिर्फ औकात देखकर करते हैं।बड़ों को तोड़ देते हैं और बालकों को छोड़ देते हैं।
ढूँडता फिरता हूँ मैं ‘इक़बाल’ अपने आप को आप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं
दीवार क्या गिरी किसानके कच्चे मकान की,नेताओ ने उसके आँगनमें रस्ता बन दिया
गर्ल्स एटीट्यूड के साथ जन्म नहीं लेतीलेकिन दुनिया में जीने के लिएएटीट्यूड रखना पड़ता है।
किसान खुल के हँस तो रहा हैं फ़क़ीर होते हुए,नेता मुस्कुरा भी न पाया आमिर होते हुए.
बंजर ज़मीनों में भी दरख़्त उगते हैं हौंसला चाहिए बस कलेजे भर का! सय्यद अहमद अफ़्ज़ाल
भोले के भगतहनुमान के ३चेलेजिस दिन दिमाग घूम गया नासिस्टम हिला देंगे अकेले!
दरवाजों से छुपकर देखती हैफिर अनजान बन जाती हैगाँव का इश्क है जनाबसहर की नौटंकियाँ नहीं।
जादू के फ़र्श सेहर के सब सक़्फ़-ओ-बाम थे दोश-ए-हवा पे परियों के सीमीं ख़ियाम थे
हमारे पास Janu-Baby बोलने वाली गर्लफ़्रेंड नहीं हैहमारे पास तो “जाट जी” कहने वाली है
बरसती बारिश में याद रखना,तुम्हें सताएगी मेरी भीगी आँखें !!
इल्म में भी सुरूर है लेकिन ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं
इस #धरती परअगर किसी को #सीना तानकर चलने का #अधिकार हो,तो वह धरती# से धन-धान्य पैदा करने वाले #किसान को ही है.
स्वस्थ रहना है तो रोज खाओ चना, शहर का आबादी है बहुत ही घना।
थी ठण्डे-ठण्डे नूर में खोई हुई निगाह ढल कर फ़ज़ा में आई थी हूरों की ख़्वाब-गाह
बारिश का #मुड देखकर लगता है,इस बार #रावण जल कर नहीं डूब कर मरेगा !!
“राधा” के सच्चे प्रेम का यह ईनाम हैं,कान्हा से पहले लोग “राधा” का लेते नाम हैं।
किसे कहते है दोस्ती ये मेरे यार ने सिखाया, कोई भी मुश्किल वक़्त हो साथ वो निभाया।
“ मेरी चाहत शहर हे मगर मेरी मोहब्बत तो आज भी गाँव ही हे…!!
र बेटे, तेरी पाँख तो म कदे का पाड़ देतान्यू ए सोचू हू, नया नया परिंदा ह, उड़ ले जितना उड़ना हैबैठना तो मेरे मंडरे ए आके है बेटे
दिल में कुछ ऐसे घाव थे तीर-ए-मलाल के रो-रो दिया था खिड़की से गर्दन निकाल के
इतनि अकड ना दिखावै छोरी, जै जाट ने अकङ दिखा दी,तो BP की गोली खा के सोया करैगी..!!
हर तलवार पे जाट की कहानी हैतभी तो दुनिया जाट की दीवानी हैमिट गये जाट को मिटाने वाले क्यूंकिदहकती आग मे तपी जाट की जवानी है
भीड़ बाढ़ का शोर और जाटों कीताकत कभी भी काबू में नहीं आती..!!
#बिना गाँव और बिना किसान किसी भी #देश का संपूर्ण होना संभव नहीं है।
मैं जितनी सीधी देखती हूंउतनी सीधी हो नहीं औरआप हमें जितना बुरा समझते होइतनी बुरी भी नहीं हूं।
परिश्रम की मिशाल हैं, जिस पर कर्जो के निशान हैं,घर चलाने में खुद को मिटा दिया, और कोई नही वह किसान हैं
“ गाँव में कई लोगो का पेट भरता है.वो शहर में दिन रात मेहनत करता है,कई बार उसी उदासी घेर लेती है,दोस्तों का साथ उसे कुछ हौसला देती है….!!!
लिफाफे में पड़े वो खत अब पुराने हो गए, सच्चे दोस्तो से मिले अब हमे जमाने हो गए।
यह मत भूलो कि पृथ्वी आपके बालों के साथ खेलने के लिए आपके नंगे पैर और हवाओं को महसूस करने के लिए प्रसन्न करती है। -खलील जिब्रान
जब #भोजन की थाली सामने आ जाए, तो भोजन के समय ईश्वर# को नहीं उस महान किसान को धन्यवाद देना,
भगवान का सौदा करता हैं,इंसान की क़ीमत क्या जाने?जो “धान” की क़ीमत दे न सक,वो “जान ” की क़ीमत क्या जाने?
“ बिना बुलाये आ जाते थे गांव में रोज मिलने ये परिंदे शहर के मसरूफ बड़े हे…!!