Khet Ki Shayari In Hindi : खेतों में जो पसीना बहाता है, उसका दर्द कोई और कहाँ समझ पाता है. जिनके माँ-बाप खेतों में काम करते है, उनके बच्चे जीवन में बड़ा नाम करते है।
खेती के व्यवसाय में भी फायदा होता हैं, पर खेती करने का एक कायदा होता हैं.
कह दो किस्मत से हमन तुम्हें कभी पुकारेंगे न हम हारे थेन हम कभी हारेंगेकहाँ ले जाओगे किसान के हक का दाना,इस दुनिया को एक दिन तुमको भी है छोड़ जाना
मीठी बोली ही सान थीएकता से लोगों की पहचान थी,पर अब गाँव बड़ा परेशान दिखायहाँ घरों के बिच में मुझे कुछ मकान दिखा।
तेज़ी से जंगलों में उड़ी जा रही थी रेल ख़्वाबीदा काएनात को चौंका रही थी रेल
दुनिया को जाटों से बहुत गिले हैंक्योंकि उन्हें जाटों से सिर्फ जख्म और दर्द ही मिले हैंलेकिन जाट भी क्या करें उन्हें हथियार ही विरासत में मिले हैं ..।।
चीर# के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ… | मैं #किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ… ||
अपनी लड़ाई हमें खुद लड़नी पड़ती है क्योंकिलोग सिर्फ भाषण देते हैं साथ कभी नहीं।
“ क्या जमाना था जब एक खत पूरा गांव पढ़ता था आज हर एक मोबाईल लेकर ‘मतलबी हो गया हे….!!
दिल सच्चा कर्म अच्छाबाकि सब भगवान की इच्छा…!!सुप्रभात
चीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ.मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ.
हाम जाट उन हालाता म जिया कराजित लोग दम तोड़ दिया करै
देशी दारू अर जाट की यारी का मजा ए अलग होवे स !
“यदि आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले सूरज की तरह जलें।”
“जन्म, जीवन और मृत्यु – प्रत्येक एक पत्ते के छिपे हुए भाग पर हुआ।”
रो-रोकर दिन गुजार लेते हैं किसानना कोई नेता काम आते नाही उनकी झूठी उम्मीद है.#Kisan
एक खरपतवार भेस में एक फूल से अधिक नहीं है। —जेम्स रसेल लोवेल
“हमारे समाज में नए मूल्यों की शुरूआत की बहुत आवश्यकता है, जहां जरूरी नहीं कि बेहतर बेहतर हो, जहां धीमी गति अधिक हो, और जहां कम अधिक हो सकता है।”
पल एक नहीं लगता है गगरी को आधा होने मेंकि बिगड़ जाती हैं बातें भी अक्सर ज़्यादा होने में
ये मौसम बारिश का अब पसंद नहीं मुझे ए खुदा, मेरे अपने आंसू ही बहूत है भीग जाने के लिये !!
“ कुछ मजबूरियां होती हे साहब वरना यहाँ कौन अपने गाँव को छोड़कर शहर जाना चाहता हे…!!
“गर्मियों की धुंध रोमांटिक और शरद ऋतु की धुंध सिर्फ उदास क्यों है?”
बहुत देर कर दी तुमने लौटने में,बरबाद फसलों को बारिश की दुआएँ नहीं लगती !!
जाट हूं मैं और दबंग पहचान रखता हूं ,बाहर शांत हूं अंदर तूफान रखता हूं।
देता रहा तुझको अनाज, चुका कर खून पसीने का ब्याज।
बंजर जमीनों को शहर बनाने के बाद, हमें एहसास हुआ कि वो गाँव अच्छा था।
“आइए हम अपने आज का बलिदान करें ताकि हमारे बच्चों का कल बेहतर हो सके।”
कितना सुकून था जब हम साथ थे,आज तो सिर्फ अश्कों की बारिश है !!
हमारा स्टेटस देख करये मत समझना कि हम किसी गम में हैंये तो अच्छा लगा इसलिए रखा हैबाकी हम तो 24 घंटे एटीट्यूड में ही हैं
खेत खलिहान पर शायरीखेती करना जिसका काम हैमेहनत जिसकी पहचान हैदिल में छोटे-छोटे अरमान हैवो किसान ही है जो भारत की जान है
अपनी औकात में रहनावरना बेहिसाब देना मैं जानती हूं
तन के कपड़े# भी फट जाते है, तब कहीं एक फसल# लहलहाती है। और लोग कहते है #किसान के जिस्म से पसीने की बदबू आती है।
फितरत कुछ ऐसी है इन्सान की,बारिश ख़तम हो जाए तो छत्री बोझ लगती है !!
जो देश के लिए खेती करते हैं, वे असली राष्ट्रनिर्माता होते हैं। 🇮🇳👨🌾
कभी हमारी भी ऐसी मुलाकात हो जाए, मैं बंजर जमीं बनूँ तू मौसम-ए-बरसात हो जाए।
हर मुश्किलें आसान हो जाती है.वर्षों के तजुर्बेआज भी बुजुर्गों से लिए जाते है।
“ शहर जाकर बस गया हर शख्स पैसे के लिए ख्वाहिशों ने मेरा पूरा गाँव खली कर दिया…!!
दिल तुमसे लगा बैठे है,प्रेम की राह पर सपने सजाएं बैठे है,हर किसी ने तोड़े है सपने हमारे,एक तू ही है कन्हैया जिससे हर उम्मीद लगाए बैठे है।
नसीब में कुछ रिश्ते अधूरे ही लिखे होते हैंलेकिन उनकी यादें बहुत खूबसूरत होती है।
जब खेतों में मैं अकेला रहता हूँ, तब दाना खा रहे पक्षियों में बात करता हूँ.
बाहर बारिश होती रही,अंदर ख़्वाहिश रोती रही !!
अक़्ल अय्यार है सौ भेस बदल लेती है इश्क़ बेचारा न ज़ाहिद है न मुल्ला न हकीम
जब खेतो में मेरे किसान का पसीना बिखरता हैतब जा कर रंग आपके बाजारों का निखरता है
यह तो मां-बाप के संस्कार हैजो हमें रोक रहे हैंअपने स्वार्थ के लिए किसी कोदुख नहीं पहुंचाना चाहिएबाकि जवाब देना हमें भीअच्छे तरीके से आता है
इतनि अकड ना दिखावै छोरी, जै जाट नेअकङ दिखा दी तो BP की गोली खा के सोया करैगी
“ नैनों में था रास्ता, हृदय में था गांवहुई न पूरी यात्रा, छलनी हो गए पांव…!!
पता नहीं कब होगी वो बारिश सनम,जो हम दोनों को करीब लायेगी !!
बारिश में भीगती हुई तुम,मोती भेंस लगती हो !!
“ शहरों में कहां मिलता हैवो सुकून जो गांव में था,जो मां की गोदी औरनीम पीपल की छांव में था…!!
अगर में जन्म लूं दोबारा इंसान में,भगवान देना मिट्टी हिंदुस्तान की!होठों पर गंगा का नाम हो,हाथों में तिरंगा बाप जाट हो!!
ना छोड़ा हुक्काना छोड़ी खाटना गई चौधरऔर ना बदला यो जाट!
तेरा यो Ego तो दो दिन की कहाणी सैअर महारा Attitude तो बचपन त खानदानी सै
मैं गाँव का ठहरा,सहरों में रहने की आशा थी,जब सहर पंहुचावहां अपनों की तलाश थी !!
“ नैनों में था रास्ता, हृदय में था गांवहुई न पूरी यात्रा, छलनी हो गए पांव…!!
कोहरे में था ढके हुए बाग़ों का ये समाँ जिस तरह ज़ेर-ए-आब झलकती हों बस्तियाँ
जाटों के गांव में आतंक इसीलिए भी कम होता है, क्योंकि वहां दरवाजा नहीं लठ मजबूत होता है।
कहा रख दू अपने हिस्से की शराफ़तजहाँ देखूं वहां बेईमान ही खडे हैक्या खूब बढ़ रहा है वतन देखियेखेतों में बिल्डर सड़क पे किसान खड़े है
दे के दर्शन कर दो पूरी प्रभु मेरे मन की तृष्णाकब तक तेरी राह निहारूं,अब तो आओ कृष्णा।
कुशादा दस्त-ए-करम जब वो बे-नियाज़ करे नियाज़-मंद न क्यूँ आजिज़ी पे नाज़ करे
किसान की समस्या खत्म नही होती,नेताओ के पास पैकेज अस्सी हैं,अंत में समस्या खत्म करने के लिए,किसान चुनता रस्सी हैं.
कृष्णा के कदमो पे कदम बढाते चलो,अब मुरली नही तो सीटी बजाते चलोराधा तो घर वाले दिलाएंगे ही,मगर तब तक गोपियाँ पटाते चलो।
ना कोई Ex है, ना कोई Next है, ज़िन्दगी जीता हूं शान से क्योंकि मेरे लिए तो मेरे दोस्त ही बेस्ट है।
“ ख़ुशी से कब हम अपनागाँव छोड़कर आते है,पैसे कमाने के लिएअपने दिल को तोड़कर आते है….!!
“ शहर के बच्चे किताब के पेड़ मेंपड़े झूले को देख सकते है,मगर गाँव के बच्चे उस झूले में झूल करएक अनमोल ख़ुशी महसूस कर सकते है….!!
दरियादिली रहती हर घर में, तेरे महल से लाख अच्छा है।
संसार के लोगो की आशा न किया करना,जब भी मन विचलित हो तो राधा-कृष्ण नाम लिया करना।
मेहनत जिसकी शान है, वह मेरे हिंदुस्तान का किसान है।।
ये बारिश का मौसम ये सुहानी हवाएँ,बोलो पट रही हो तुम या किसी और को पटाये !!first barish status
“सुबह आँख खुलते ही आ गई याद तुम्हारी दिमाग में घूम गया तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा औरहो गई मुस्कुरा कर दिन की शुरुआत हमारी – सुप्रभात”
हम दिखावे की दोस्ती औरदिखावे का प्यार नहीं करतेहम जो करते हैं वो दिल से ही निभाते हैं।
“जिस दिन मैं एक पत्ती देखता हूं वह एक दिन का चमत्कार है।”
मैं तुझ को बताता हूँ तक़दीर-ए-उमम क्या है शमशीर-ओ-सिनाँ अव्वल ताऊस-ओ-रुबाब आख़िर
एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरीजैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी