1403+ Khet Ki Shayari In Hindi | Kheti Shayari Status Quotes in Hindi

Khet Ki Shayari In Hindi , Kheti Shayari Status Quotes in Hindi
Author: Quotes And Status Post Published at: August 31, 2023 Post Updated at: February 8, 2025

Khet Ki Shayari In Hindi : खेतों में जो पसीना बहाता है, उसका दर्द कोई और कहाँ समझ पाता है. जिनके माँ-बाप खेतों में काम करते है, उनके बच्चे जीवन में बड़ा नाम करते है।

ये इत्तेफाक है या प्रकृति का कोप बरस रहा है गाव उजाड़ कर सहर बसे थे आज सहर ताज़ी हवा के लिए तरस रहा है ।

रोजगार का साधन: खेती एक मुख्य रोजगार स्रोत है और किसानों को आर्थिक स्वायत्तता प्रदान करती है।

“ शहर की तरह गाँव मेंभी मकानों के नंबर होते है,पर घर अक्सर बूढ़े-बुजुर्गोके नाम से पहचाने जाते है….!!

​​मेरी खिड़की पर एक सुबह-गौरव मुझे किताबों के तत्वमीमांसा से अधिक संतुष्ट करता है। -वाल्ट व्हिटमैन

“प्रकृति की सबसे सुंदर चीज, एक फूल, अभी भी पृथ्वी और खाद में अपनी जड़ें समेटे हुए है।”

श्याम की बंसी जब भी बजी है,राधा के मन में प्रीत जगी है।

“ चाहे कितना भी क्यों न हो जख्म घाव का अकेलापन कभी महसूस नहीं होता अगर में अपने गाँव हो…!!

किसान# के क़दम धुप में जले हैं, उसके कंधे झुके #क़र्ज़ के तले है।

अगर कोई जीवन में सफलता पाना चाहता है, तो उसे किसान जैसे मेहनती बनना होगा। – दिलीप सिंह जुड़ी

जिंदगी हो यां शतरंज मजातो तभी आता है…जब…” रानीमरते दम तक साथ हो…!Good Morning

वो लोग किसानी की कीमत क्या जानेदेखकर मोबाइल शहंशाह बन जाते हैंवो कड़कती धूप में पसीना बहाना क्या जाने.#Kisan

भीङ का शोर और जाट का जोर कभी काबू में नहीं आताऔर जो कोशिश करे वो वापिस नहीं आता

जब मैं बाहर जाता हूँ, भुना हुआ चना जरूर खाता हूँ.

बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा

दोस्ती कभी स्पेशल लोगो से नही होती है, जिनसे दोस्ती हो जाती है वह लोग ही स्पेशल हो जाते है।

दूसरों को सोता और मौज करता देख भी जोलोग पढ़ते है और मेहनत करते हैवो निश्चित ही एक दिन इतिहास रचते है

जाट हूँ किसी की हड्डी तोड़ सकता, हूँ लेकिन किसी का दिल नही !

तेज बारिश मेँ खड़ा रहा मैं, बस एक शब्द सुनने को, वो कह दे.....इधर आओ पागल, भीग जाओगे !!

जिसने धरती में अपना अधिकार किया हो,उसके पैरों तले जमीन के बदले अपना खून दे दिया होगा।कृषि एक धरोहर है, जो हमेशा आगे बढ़ती रहेगी।

ये आवाज नहीं जाट की दहाड़ है, अकेले भी सामने हो जाए तो पहाड़ है।

फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है

मेरी शान है किसानी, मेरी जान है कृषि।

“आग जो सबसे करीबी रखी जाती है वह सबसे ज्यादा जलती है।”

मुबारक हो उन लोगों को सीढ़ियांजिन्होंने जाना ही सिर्फ छत तक है।हमारी मंजिल तो आसमान है।रास्ता भी हमें खुद ही बनाना पड़ेगा।

बीज से उगना: बीज से पौधा उगना खेती का प्रारंभिक चरण होता है। इसमें खेती के संकल्प और उम्मीद छिपी होती है।

“ जब शहर में बीमार हो जाता हूँ,गाँव जाना चाहता हूँऔर माँ की याद आती है….!!

देशी दारू काअर jat की यारी कामज़ा ए अलग होवै स ..।।

हवाओं में ताजगी हर पल बचपना सा लगता है,सहारों से पहचान है अपनीमगर गाव अपना सा लगता है।

खेती करना जिसका काम है, मेहनत जिसकी पहचान है, दिल में छोटे-छोटे अरमान है, वो किसान ही है जो भारत की जान है.

दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे, जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आ गयी !!

अभी न निकली पहली किरण पूर्व की लालीपहचान,भौर से पहले ही , खाट छोड़ उठगया किसान.

सहर की मिटटी में वो जान कहाँ जनाबहम तो गाँव की मिट्टी पानी में खेलकर ठीक हो जाया करते थे।

एटीट्यूड तो अपना सबके पास होता ही हैलेकिन हमारे जैसा एटीट्यूड काअंदाज किसी के पास नहीं होता है।

हर पल आंखों में पानी हैंक्योंकि चाहत में रुहानी हैंमैं हूँ तुझसे, तू हैं मुझसे,अपनी बस यही कहानी हैं।

इस दुनिया को #खिलाने वाला बाप है मेरा, और मुझे अपने पिता के #किसान होने पर गर्व है।

हम जाट स रोला-राला नही करते,करना हो जब सीधा नाश करा करे…!!

हमे खिलाने वाले वो किसान अन्नदाता ना जाने कितनी रात साल में कितनी बार भूखे सोते हैं।

बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ में कान्हा, जब से हुआ है कोई और दूसरा दर्द ही नहीं भाता!

“ जो लोग गाँव का मज़ा शहर में ढूंढते हे वो लोग जीने का मज़ा ज़हर में ढूंढते हे…!!

दोस्त को दौलत की निगाह से मत देखो, वफा करने वाले दोस्त अक्सर गरीब हुआ करते हैं।

मैं उससे तूफानो में साथ निभाने की उम्मीद करता रहा,जो निकल ना सकी घर से बारिशों का बहाना करके !!

सभी प्रकृति के लिए कम से कम आंदोलन का महत्व है। संपूर्ण महासागर एक कंकड़ से प्रभावित होता है। -ब्लेस पास्कल

हमें हाथ जोड़ना भी आता है औरवक्त आए तो उन्ही हाथों को तोड़ना भी आता हैं।

होती है मुझ पर रोज तेरी रहमतों के रंगों की बारिश, मैं कैसे कह दूँ मेरे मालिक कि होली साल में एक बार आती है !!

जो लोग अपनी सफलता की कहानी कुछ और बताते है, हकीकत में वो रोज सुबह गुड़ के साथ चना खाते है।

टूटा फूटा #घर मेरा, बस दो वक़्त की #रोटी है साहब,,, हम बुरे #हालातों से लडने वाले Eकिसान, ज़िन्दगी हमारी बहुत #छोटी है…..!!!!!!!!

ना कोई मतलब ना कोई प्रेम व्यवहार हैअनजान है लोग अपनो से सहर में…. ना जाने पड़ोस में किसका मकान है।

“ ख़ुशी से कब हमअपना गाँव छोड़कर आते है,पैसे कमाने के लिएअपने दिल को तोड़कर आते है….!!

खिलाड़ी तो हम आपसे भी अच्छे हैंलेकिन रिश्तो में खेल खेलनाये हमारे संस्कारों में नहीं है

दीवार क्या गिरी किसान के कच्चे मकान की, नेताओ ने उसके आँगन में रस्ता बन दिया।

“तूफान में एक अनमना पेड़ टूट जाता है।”

किसान से ही तो हम सब जीते हैं, तो क्यों उनका सम्मान नहीं करते।

मतलबी लोगो और तेरे आराम से अच्छा हैथोड़ी तकलीफ सहीपर अपना गाँव, सहर से अच्छा है।

उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना करे, हमने बारिश मैं भी जलते हुए मकान देखे है !!

दोस्ती तो वो है जो तेज़ बारिश मे भी, चेहरे पर गिरे हुये आँसू पहचान लेती है।

कान्हा को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा,पुरे खत में सिर्फ कान्हा कान्हा नाम लिखा।

कल धुप से परेशान थे आज शिकायत है बारिश से,शिकायतें बेशुमार है इन्सान की आदत में !!

हाँ दिखा दे ऐ तसव्वुर फिर वो सुब्ह ओ शाम तू दौड़ पीछे की तरफ़ ऐ गर्दिश-ए-अय्याम तू

जाट का छोरा सूकुछ ख़ास करूँगालड़ाई जगड़े म के राख्या ससीधा नाश करूँगा ..।।

प्याज की खेती पर शायरीआलस्य के खेत में जो ख़्वाबों के फसल बोता हैवक्त की मार पड़ने पर वो अकेले में खूब रोता है

इस किसान प्रधान देश में किसान बस एक नौकर है और एक सेवक नेता प्रधान है।

जिंदगी म घणी कमाई ते कोन्या करी लाडल्योबस इतणा क कमाया सैजे एक ब घर ते लिकड़ ल्युंफेर उल्टा 5-7 राम राम लेकै बड़या करुं

गधे हुक्म का इंतजार करते हैं…और जाट मूड के हिसाब से काम करते हैं!!

एक तो महबूब से दूरी और ऊपर से बारिश का ये जुल्म,कुछ तो तरस खाया करो आशिकों पे मेरे खुदा !!

ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें जो हो ज़ौक़-ए-यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़ंजीरें

किसान के लड़के ने अपनेनाम के आगे “डाक्टर” जोड़ लिया,गाँव में हल ने कोने मेंपड़े-पड़े दम तोड़ दिया

“यह उन मार्च दिनों में से एक था जब सूरज गर्म होता है और हवा ठंडी होती है: जब यह गर्मियों में रोशनी और गर्मियों में छाया में रहता है।”

किसान खेतों में अक्सर अपने ख़्वाबों को बोता है, और बदले में भूख की फसल काटता है.

बुझा गया है कोई, मैं चिराग था पहले, जो जगह आज बंजर है बाग़ था पहले, बदल दी करवट कुछ इस कदर तकदीर ने डरता हूँ आज धुएं से, मैं आग था पहले। साजन

अर्थव्यवस्था को स्थायी बनाए रखना: खेती देश की अर्थव्यवस्था को स्थायी बनाए रखने में मदद करती है।

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा

हां मैं सब से कुछ अलग हूंक्योंकि औरों की तरह मैंचक्कर नहीं चलाती मैं सिर्फअपने काम पर ध्यान देती हूं।

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