Karbala Shayari In Hindi : सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला, तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है। ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू, सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।
ऐसे काम करने से बचें जिनसे आपको माफी मांगनी पड़े; क्योंकि एक आस्तिक कोई गलत कार्य नहीं करेगा जिससे उसे खेद हो।
ज्ञान प्राप्त नहीं होगा, जब तक कि सही मार्ग पर चलने से नहीं।
शदीदन-ए-कर्बला के हौसले थे दीद के क़ाबिल,वहां पर शुक्र करते थे जहाँ पर सब्र मुश्किल था.
वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया, घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया, नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम, उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम।
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दिनº रोता है रात रोती है..हर मोमिनº की जात रोती है,जब भी आता है मुहर्रमº का महिना,खुदा की कसम ग़म-ए-हुसैन,सारीº कायनात रोती है
लफ़्जों में क्या लिखूं मैं शहादतº हुसैन की,कलमº भी रो देताº है कर्बला का मंजर सोचकर.
“सबसे अच्छी दौलत वह है जिससे कोई अपनी कीर्ति और ख्याति की रक्षा करे।”
वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया!!घर का घर सुपुर्द-इ-खाक कर दिया!!नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम!!उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम!!
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने, लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने। Muharram Ki Shayari
हे लोगों! मेरे शब्दों को सुनो और युद्ध शुरू करने की जल्दी मत करो, ताकि मैं अपनी क्रांति के पीछे का कारण स्पष्ट कर सकूं
दुनिया ने देखी शान वो कर्बोबला में ज़ो आख़री सज़दा किया मेरे हुसैन ने
गुरूरº टूट गया कोई मर्तबा नाº मिला,सितमº के बाद भी कुछº हासिल जफा ना मिला,सिर-ऐ-हुसैन मिलाºहै यजीद को लेकिनशिकस्त यह है की फिर भीº झुका हुआ ना मिला।
जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है ,लोग जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने |
ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहाँ!!सज़दा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने!!सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया!!असगर सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने!!
ऐ अल्लाह! जिसने तुझे नहीं पाया उसे क्या पाया और जिसने तुझे पाया उसे क्या खोया?
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने!!रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने!!खुद को तो एक बूँद न मिल सका!!लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने!!
जन्नतº में तो जन्नत के हकदारº ही जायेंगे,कसम आल्लाहº की अली के खुब्दार जायेंगे,दर-ए-जन्नत पे खरीº जेहरा कहती है,जन्नत में मेरे लाल के अजादारºजायेंगे।।
इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया, अल्लाह के लिए उसका फर्ज आवाम को धर्म सिखा गया।
जन्नत में तो जन्नत के हकदार ही जायेंगे!!कसम आल्लाह की अली के खुब्दार जायेंगे!!दर-ए-जन्नत पे खरी जेहरा कहती है!!जन्नत में मेरे लाल के अजादार जायेंगे!!
सजदे में सर, गले पे खंजर और तीन दिन की प्यास ऐसी नमाज़ फिर ना हुई……. कर्बला के बाद Faiz ali
🎂 wish me on 17 August 💕कहते हैं लोग अक्सर मुझे कि बावली हूँ मैं.. उनको क्या पता कि अपने महाँकाल की लाडली हूँ मैं जय_महाकाल बाबा🚩
” अज्ञानता के संकेतों में तर्कहीन लोगों के साथ बहस करना है।”
“जो दर्पण की नाईं तेरे दोषों को तुझ पर प्रगट करे वही तेरा सच्चा मित्र है, और जो तेरी चापलूसी करे और तेरे दोषों को छिपाए वह तेरा शत्रु है।”
लड़खड़ाते हैं कदम हालाते!!रोजे में थोड़ा चलने के बाद!!कैसे चला होगा काफिला!!कर्बला में हुसैन की शहादत के बाद!!
ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू, सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।Karbala Shayari
कभी तुम गौर से देखो आइना कभी तुम गौर से देखो आइना खुद ही हँसकर कहोगे मेड इन चाइना मेड इन चाइना
सीता जी वनवास जाने में बहुत बड़ी सीख है सीता जी वनवास जाने में बहुत बड़ी सीख है घर में तीन तीन सास हो तो जंगल ही ठीक है
आंखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे,ताबीर में इमाम का जलवा दिखायी दे,ए! इब्न-ऐ-मुर्तजा,सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।
एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी जमीन है मेरे नसीब में परचम हुसैन का फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का
सजदों में इबादत में उनका ही तो शोर है.आज तो इस्लाम है उनका ही तो जोर है. क़यामत तक या हुसैन तुमको याद करेंगे. क़र्बला में आज भी आपका ही शोर है।
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्याते,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन न,
मेरी हंसी का हिसाब कौन करेगा मेरी गलती को माफ़ कौन करेगा ऐ दोस्त मेरे दोस्त को सलामत रखना वरना मेरी शादी पे लुंगी डांस कौन करेगा
खून ºसे चराग-ए-दीन जलाया हुसैन नेरस्म-ए-वफ़ा को खूब निभायाº हुसैन नेखुद कोº तो एक बूँद न मिल सका लेकिनकरबला को खून पिलाया हुसैन ने
ऐसी वाणी बोलिए जमकर झगड़ा होए ऐसी वाणी बोलिए जमकर झगड़ा होए पर उससे ना बोलिए जो आपसे तगड़ा होए
“करबला की उस जमीन पर खून बहा, कत्त्लेआम का मंजर सजा, दर्द और दुखों से भरा था जहाँ, लेकिन फौलादी हौसलों को शहीद का नाम मिला.”
न से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने, रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने, खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने।
सिरº गैर के आगे न झुकाने वालाऔर नेजे पर भीº कुरान सुनाने वाला,इस्लामº से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,हुसैन है इस्लामº को इस्लाम बनाने वाला।
कत्ल-ए-हुसैन असल में मार्ग-ए-यजीद है ,इस्लाम ज़िंदा होता है हर करबला के बाद |
साल तो पहले भी कई साल बदले, दुआ है इस साल उम्मत का हाल बदले। #मुहर्रम
आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे, ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे, ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।
अपने प्रयासों और सफलताओं से लोगों की प्रशंसा प्राप्त करें, और आलस्य और सुस्ती के माध्यम से लोगों के दोषारोपण के लिए खुद को उजागर न करें।
ना पूछ वक़्त की इन बेजुबान किताबों से ,सुनो जब अज़ान तो समझो के हुसैन ज़िंदा है |
कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी, खून तो बहा थालेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी।
कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी ,खून तो बहा था लेकिन ,कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी |
उस पर ज़ुल्म करने से बचना, जिसका तुम पर कोई समर्थक नहीं, वरन सर्वशक्तिमान परमेश्वर को छोड़।
ना पूछ वक़्त की इन बेजुबान किताबों से!!सुनो जब अज़ान तो समझो के हुसैन जिंदा है!!
दुनिया करेगी जिक्र हमेशा हुसैन का, इस्लाम जिन्दा कर गया सजदा हुसैन का.
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर, कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर, दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत, जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।
कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था, खुदा के बन्दे ने दी कुर्बानी जो आनेवाली नस्लों के लिए एक पैगाम था. मुहर्रम शायरी
अगर मंजिल को पाना है तो हौसला साथ रखना अगर मंजिल को पाना है तो ऐतबार साथ रखना अगर हमेशा मुस्कुराना है तो दांत साफ रखना
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई, वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई, नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है, हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।
ख़ुदा का जिस पर रहमत हो वो हुसैन होता है,जो इन्साफ और सत्य के लड़ जाए वो हुसैन होता है,
कत्ल-ए-हुसैन असल में मार्ग-ए-यजीद हैइस्लाम ज़िंदा होता है हर करबला के बाद
कौन भूलेगा वो सजदा हुसैन का!!खंजरों तले भी सिर झुका न था हुसैन का!!मिट गई नस्ल ए यजीद कर्बला की खाक में!!कयामत तक रहेगा जमाना हुसैन का!!
मिटकर भी मिट सके ना ऐसा वो हामी-ओ-यावर नेज़े की नोंक पर था फिर भी बुलंद था सर. एहतिशाम आलम
लड़खड़ाते हैं कदम हालाते "रोजे" मे थोड़ा चलने के बादकेसे चला होगा काफ़िला #कर्बलामे "हुसेन" की शहादत के बाद !!
“सबसे उदार व्यक्ति वह है जो उन लोगों की मदद करता है जो उससे मदद की उम्मीद नहीं करते हैं”
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई नमाज़ 1400 सालों से इंतज़ार में है हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई
आंखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे!!ताबीर में इमाम का जलवा दिखायी दे!!ए! इब्न-ऐ-मुर्तजा!!सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे!!
“एक विद्वान व्यक्ति के संकेतों में से एक अपने स्वयं के शब्दों की निंदा करना और विभिन्न दृष्टिकोणों से अवगत होना है।
दिल में आते ही ख़ुशी साथ ही इक ग़म आया,ईद आई तो मैं समझा कि मोहर्रम आया।
सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गई!!सब्र से उम्मत को ज़िंदगी मिल गई!!एक चमन फातिमा का गुज़रा!!मगर सारे इस्लाम को ज़िंदगी मिल गई!!
एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी ज़मीन!!ऐ मेरे नसीब में परचम हुसैन का!!फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख!!होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का!!
यह दिन मुसलमानों के लिए एक विशेष दिन है और इस दिन को बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. इस दिन के दसवें दिन को असुर कहा जाता है ।
जवानी के दिन चमकीले हो गए और हुस्न के तेवर नुकीले हो गए हम इजहार करने में थोड़े ढीले हो गए है और उनके हाथ पीले हो गए
किस कदर रोया मैं सुन के दास्ताने कर्बला, मैं तो हिन्दू ही रहा आँखे हुसैनी हो गयी. Muharram Shayari
सभी प्रशंसा और धन्यवाद अल्लाह के लिए हो!!जिसके पास वह सब कुछ है जो आकाश और पृथ्वी में है!!एक धन्य मुहर्रम है!!
सभी लोग महान हैं!!हमें केवल उनके व्यवहार पर ध्यान देना है!!न कि किसी की शारीरिक बनावट पर!!
ज़िंदगी अपनी मस्ती में जिया कर इश्क बहुत बुरी चीज है ना किया कर तू अपना पूरा ध्यान करियर पे मोड़ दे इश्क और अपनी गर्लफ्रेंड मेरे लिए छोड़ दे
सरकार ने लगा दिया पोलीथीन पे बेन सरकार ने लगा दिया पोलीथीन पे बेन तेरे मस्त मस्त दो नैन मेरे दिल का ले गए चैन
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का!!कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का!!सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली!!महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का!!