Karbala Shayari In Hindi : सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला, तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है। ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू, सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।
रोज़ा रखने वालों में सबसे अच्छे वो हैं!!जो रोज़े में अल्लाह अज़्ज़ा वा जल को सबसे ज़्यादा याद करते हैं!!मुबारक हो आपको मुहर्रम!!
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर, कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर, दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत, जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।
जब भी कभी ज़मीर का सौदा हो दोस्तों,कायम रहो हुसैन के इंकार की तरह।
कौन भूलेगा वो सजदा हुसैन का!!खंजरों तले भी सिर झुका न था हुसैन का!!मिट गई नस्ल ए यजीद कर्बला की खाक में!!कयामत तक रहेगा ज़माना हुसैन का!!
¶¶→ अपनी_तो_एक_हि पेहचान_है. 😀 हस्ता_चेहरा_शराबी_आंखे_😉 ★_ नवाबी_शान 😎 और दोस्तो के लिये ,,, 🔫 ★ Jäãñ ★ 🔫 … 😎¶¶
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्याते,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन न,
प्यार करने की अपनी एक रीत है प्यार का दूसरा नाम ही तो प्रीत है इसलिए ट्राई मारो हर लड़की पर क्यों की डर के आगे जीत है
वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया,घर का घर सुपुर्दएखाक कर दिया,नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम,
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का, सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली, महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।
“कौन भूलेगा वो सजदा हुसैन का, खंजरों तले भी सर झुका ना था हुसैन का… मिट गयी नसल ए याजिद करबला की ख़ाक में, क़यामत तक रहेगा ज़माना हुसैन का…”
इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया ,अल्लाह के लिए उसका फर्ज ,आवाम को धर्म सिखा गया |
दुनिया-ओ-आखरत में रहना है!!चैन-ओ-सुकून से तो जीना अली से सीखे!!और मरना हुसैन से!!
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का,सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद लेमहंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का,
आया वो मेरे दिल में फिर एक नए ग़म की तरह, इस बार भी ईद गुज़री मेरी मुहर्रम की तरह.
“मुहर्रम को याद करो वो कुर्बानी, जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी, ना डिगा वो हौसलों से अपने, काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी.”
सजदे सेº कर्बला को बंदगी मिल गयी,सब्र से उम्मतº को ज़िन्दगी मिल गयी,एक चमन फातिमाº का उजड़ा मगरसारेº इस्लाम को जिंदगी मिला गयी.
तरीका मिसालº असी कोईº दोंड के लिए,सर तनº से जुड़ा भी हो मगर मौत न आये,सोचन मैं सबर ओ राजा के जो मफिल,एक हुसैन राº अब अली रा जैन मैं आये।।
खुशियों का सफ़र तो गम से शुरू होता है, हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है. Happy Muharram
आज तुमपे आंशुओं की बरसात होगी फिर वही कड़कड़ाती काली रात होगी एस मेस ना कर के तूने दिल दुखाया है मेरा जा तेरे बदन में खुजली सारी रात होगी
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने!!ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने!!लहू जो बह गया कर्बला में!!उनके मकसद को समझो तो कोई बात बने!!
दूसरों की बातों से कभी प्रभावित न हों!!खुद पर और अपने अल्लाह पर भरोसा रखें!!मुबारक मुबारक मुहर्रम!!
फलक पर शोक का बादल अजीब आया है, कि जैसे माह मुहर्रम नजदीक आया है.Muharram Shayari
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने!!रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने!!खुद को तो एक बूँद न मिल सका!!लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने!!
लफ़्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की, कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर।
चढ़ा है चांद फलक पर मनाओ आशूरा!!महीना गम का है मोमिनों मनाओ आशूरा!!बरस रही हैं ये आंखें तुम्हारे गम में हुसैन!!दिल कह रहा है तड़प कर मनाओ आशूरा!!
फ़ोन के रिश्ते भी अजीब होते है बैलेंस रखकर भी लोग गरीब होते है खुद तो मैसेज करते नहीं है मुफ्त के मैसेज पढ़ने के कितने शौक़ीन होते है
वो इश्क की राहों में क्या कमाल करती है वो इश्क की राहों में क्या कमाल करती है लिखती है आई लव यू और सैंड तो आल करती है
वो तुम्हे दूर से देख कर अपना दुपट्टा संभाल लेती है मैं हैरान हु इस बात से की वो इतनी दूर से तुम्हारा कमीनापन कैसे पहचान लेती है
सबसे अक्षम व्यक्ति वह है जो प्रार्थना नहीं कर सकता।
धोखा मिला है जब प्यार में जिंदगी में उदासी छा गयी सच्चा था छोड़ दे इस राह को कम्बखत मोहल्ले में दूसरी आ गयी
रिश्तेदारों से मिलने और उनके संपर्क में रहने से आपको लंबा और अधिक महत्वपूर्ण जीवन मिलेगा।
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने, सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने, नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें, कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
वो मुझे कह के चली गयी गो टू हेल वो मुझे कह के चली गयी गो टू हेल और मैं दिल पे हाथ रख के कहता रहा आल इज़ वैल आल इज़ वैल
न हिला पाया वो रब की मेहर कोभले जीत गया वो कायर जंगपर जो मौला के दर पर शहीद हुआवही था असली और सच्चा पैगम्बर
यूं ही नहीं जहां में चर्चा हुसैन का!!कुछ देखकर ही हुआ था जमाना हुसैन का!!सर देकर जो जहां की हुकूमत खरीद ले!!महंगा पड़ा यह जीत को सौदा हुसैन का!!
मुहर्रम के इस पवित्र महीने में!!अल्लाह आपको आशूरा के दिन मुहम्मद के पोते!!हुसैन इब्न अली के कष्टों को दोहराने की शक्ति दे!!मुहर्रम मुबारक!!
केवल उन लोगों पर भरोसा करें जो अल्लाह पर ईमान लाते हैं और क़यामत के दिन उसके सवाल से डरते हैं।
हुसैन आप ही से बाग़ ए उल्फ़त में बहार है, हुसैन आप ही से हर मोमिन के दिल को करार है, हुसैन आप ही से यज़ीदियत की हार है हुसैन आप की ही ज़माने पर सरकार है.
“करबला की शहादत इस्लाम बना गई, खून तो बहा था लेकिन हौसलों की उड़ान दिखा गई…”
आयाº वो मेरे दिलº में फिर एकº नए ग़म की तरह,इस बारº भी ईद गुज़रीº मेरी मुहर्रम की तरह.
सिर-ऐ-हुसैन मिला है ,यज़ीद को लेकिन शिकस्त यह है ,की फिर भी झुका हुआ ना मिला |
अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से!!खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से!!अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है!!हम नया साल मनाते है तेरे मातम से!!
फातिमा के लाल ने एहसान ऐसा कर दिया!!कर्बला को जिस के साज्दी ने मुअल्लाह कर दिया!!
दिल टूटा है मेरा पर अश्क़ नहीं उसका एहसास है पर वो पास नहीं जुदाई का दर्द जरूर है हमको लेकिन इतना भी ख़ास नहीं
चुप हो किस वजह से हमें मालूम नहीं है मगर दिल डूब सा जाता है जब तुम बकवास नहीं करते
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने ,सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने ,नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयतें ,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने |
खून से चरागएदीन जलाया हुसैन ने,रस्मएवफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिनकरबला को खून पिलाया हुसैन ने,
न हिला पाया वो रब की मैहर को!!भले जीत गया वो कायर जंग!!पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ!!वही था असली और सच्चा पैगम्बर!!
इमाम का होशाला!!इस्लाम बना गया!!अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़!!आवाम को धर्म सिखा गया!!
दयालुता मनुष्य को ऊपर उठाती है, और सच्चाई शालीनता की निशानी है।
मेरे लिए, जो सही है उसकी खातिर मौत, खुशी के अलावा और कुछ नहीं है, और अत्याचारियों के अधीन रहना और कुछ नहीं बल्कि नरक में रहना है
आप मन ही मन उन्हें चाहते रह गए उन्हें पटाने के प्लान बनाते रह गए पटाकर कोई और ले गया उन्हें और आप उनकी शादी के टैंट से कुत्ते भगाते रह गए
फलक🌺 पर शोक का बादल 🌫अजीब आया है!!कि जैसे 💦माह मुहर्रम 🗼नजदीक आया है!!
चाँद निकला जब मोहर्रम का कहीं ,चुप से दश्त-ए-कर्बला रोने लगा |
जो सही है उसकी ओर दृढ़ और दृढ़ रहें, भले ही आपकी यात्रा दर्द और चुनौतियों से भरी हो।
बारिश हुई भीग गए हम बारिश हुई भीग गए हम रजनीकांत ने फूँक मारी और फिर क्या सुख गए हम
इस्लाम के चिराग में खून-ऐ-हुसैन है, ता हश्र ये चिराग रहेगा जला हुआ…
सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला ,और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला ,इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन ,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला |
रोएं वो जो मुनकिर हैं शहादत-ए-हुसैन के!!हम जिंदा-ओ-जावेद का मातम नहीं करते!!
ख़ुदा का जिस पर रहमत हो वो हुसैन होता है, जो इन्साफ और सत्य के लड़ जाए वो हुसैन होता है. मुहर्रम शायरी
अपने दर्द को छुपाना सीख लिया हर बात पर मुस्कुराना सीख लिया बस ये दो लाइन बोलकर सुन्दर लड़कियों को पटाना सीख लिया
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का,सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद लेमहंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का,
"यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का.... "
ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहां!!सजदा किया तो सिर ना उठाया हुसैन ने!!सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया!!असग़र सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने!!
कर्बला की उस जमी पर खून बहा कत्लेआम का मंजर सजा दर्द और दुखो से भरा था जहा लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला
तेरी हसरत दुआ बन कर रह जाएगी तेरी किस्मत जुवा बनके रह जाएगी जिस पे तू ट्राई मारता है वो एक दिन तेरे बच्चो की बुआ बन कर जाएगी
सजदा से करबला को बंदगी मिल गईसबर से उम्मत को ज़िंदगी मिल गईएक चमन फातिमा का गुज़रामगर सारे इस्लाम को ज़िंदगी मिल गई.
दिल से निकली दुआ है हमारी ,मिले आपको दुनिया में खुशियां सारी ,गम ना दे आपको खुदा कभी ,चाहे तो एक खुशी कम कर दे हमारी |
मैंने विद्रोही या अत्याचारी के रूप में व्यर्थ विद्रोह नहीं किया; बल्कि, मैं इस्लाम राष्ट्र के लिए सुधार की मांग के लिए उठ खड़ा हुआ।
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई!!वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई!!नमाज़ 1400 सालों से इंतज़ार में है!!हुसैन की तरह मुझे फिर अदा करे कोई!!
जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर