Karbala Shayari In Hindi : सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला, तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है। ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू, सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।
मुहर्रम और इस्लामिक नव वर्ष की शुभकामनाएं!!उम्मीद है कि इस साल हम अपने इस्लाम को और मजबूत कर पाएंगे!!और ईश्वर के करीब आ पाएंगे!!
की रूठी है ऐसे वो हमसे जैसे हम सच में उन्हें मना लेंगे इतना वक़्त कौन बेकार करे इतने में तो हम दूसरी पटा लेंगे
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला, तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने!!ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने!!लहू जो बह गया कर्बला में!!उनके मकसद को समझो तो कोई बात बने!!
इंसानियत का वजूद और हर दिल का वो चैन है!!याद करो कुर्बानी उनकी नाम जिनका हुसैन है!!
इमाम ºका हौसला इस्लाम जगा गया,अल्लाह के लिएº उसका फर्ज आवाम कोº धर्म सिखा गया।
ख्याल तो किसी आहट की आस रहती है निगाह को किसी सूरत की तलाश रहती है तेरे बिन कोई कमी तो नहीं है दोस्त बस गली वाली जमदार्नी उदास रहती है
अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से ,खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से ,अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है ,हम नया साल मनाते है तेरे मातम से |
शहादत सब के हिस्से में कहां आती है ,दुनिया में, मैं तुझ पे रशक करता हूँ ,तिरा मातम नहीं करता |
न हिला पाया वो रब की मैहर को,भले जात गया वो कायर जंगपर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआवही था असली और सच्चा पैगम्बर।
ईश्वर उस व्यक्ति की मदद करेगा जो इस दुनिया और परलोक दोनों में अन्य लोगों की जरूरतों की परवाह करता है।
ऐसी नमाज़🙍♀️ कौन पढ़ेगा जहां 💦में!!सजदा💧 किया तो सर ना 💢उठाया हुसैन ने!!सब कुछ💯 खुदा की राह में कुर्बान🌺 कर दिया!!असग़र सा फूल 🥀भी ना बचाया हुसैन 🕌ने!!
"वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया..घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया..नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम..उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम... "
खून से चरागएदीन जलाया हुसैन ने,रस्मएवफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिनकरबला को खून पिलाया हुसैन ने,
मुझे मेकप की जरूरत नही, क्योंकि मुझे मेरी स्माइल ही क्यूट बना देती है।
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने!!रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने!!खुद को तो एक बूंद भी मिल न सका पानी!!लेकिन कर्बला को खून पिलाया हुसैन ने!!
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का ,कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का ,सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ले ,महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का |
लेटा तमाम काम वो अपने वाली से है!!निस्बत हर एक इमाम को नूर-ए-जली से है!!कुल इख्तियार से दिए हसन ओ हुसैन को!!देता खुदा ज़ोर है मिलता अली से है!!
लंबे और अनगिनत अनुभव आपके दिमाग को मजबूत करते हैं।
गुरूर था यज़ीद को तख़्त-ओ-ताज का. चाहता है हुसैन से अपनी बैयत कराना. ख़ून बहता रहा कर्बला की ज़मीं पर. आज भी संभव नहीं मुसलमां को हराना।
इश्क के ख्याल बहुत है इश्क के चर्चे बहुत है सोचते है हम भी कर ले इश्क पर सुनते है इश्क में खर्चे बहुत है
दिन रोता है रात रोती है!!हर मोमिन की जात रोती है!!जब भी आता है मुहर्रम का महिना!!खुदा की कसम ग़म-ए-हुसैन सारी कायनात रोती है!!
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर,कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहतजालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर,
आँखों में नमी थी और विटामिन की कमी थी आँखों में नमी थी और विटामिन की कमी थी जिससे रात भर चैटिंग की वो गर्लफ्रेंड की मम्मी थी
यदि आप किसी धर्म को नहीं मानते हैं तो कम से कम अपने कार्यों में स्वतंत्र और ईमानदार रहें
इस अल-हिजरी पर अल्लाह आपको हमेशा बहादुरी!!सब्र और सेहत से नवाजे!!इस्लाम का नया साल मुबारक हो!!
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सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन, हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
आज वो पागल बोला, – महँगी पड़ेगी तुझे ये दुश्मनीमैंने भी कहा सस्ती तो मैं काजल भी नहीं लगाती !!
“यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का, सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली, महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का.”
वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम
एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी ज़मीन, ऐ मेरे नसीब में परचम हुसैन का, फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख, होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का।
दुनिया करेगी जिक्र हमेशा हुसैन का!!इस्लाम जिन्दा कर गया सजदा हुसैन का!!
करें जो याद कुर्बानी को चमके हाथों की तकदीर!!कर्बला में शहीद होने वाला हुसैन ही था सच्चा वीर!!
ज़िक्रे शब्बीर को फ़तवाओं से दबाने वाले!!कितने नादान हैं सूरज को चुपके वाली!!ग़ैब से आती है सदा मेहदी!!ज़िकरी शब्बीर को हम हैं बचने वाली!!
मैं चंद्रमुखी तू सूरजमुखी मैं तुझसे दुखी तू मुझसे दुखी एक काम कर दे बिल्डिंग से कूदकर मरजा तू भी सुखी मैं भी सुखी
दिल दिया था जिसको दीवानी समझ कर खा गयी वो ब्रियानी समझ कर एक कतरा भी ना छोड़ा खून का पी गयी उसको भी निम्बू पानी समझ कर
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयते,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने,
कर्बला की जमीं पर खून बहा, कत्लेआम का मंजर सजा, दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला।
चढ़ा है चांद फलक पर मनाओ आशूरा,महीना गम का है मोमिनों मनाओ आशूरा,बरस रही हैं ये आंखें तुम्हारे गम में हुसैन,दिल कह रहा है तड़प कर मनाओ आशूरा |
आरज़ू में तेरे दीवाने हो गए तुझे दोस्त बनाते बनाते और बेगाने हो गए कर दे अब एक एस मेस इस नाचीज़ को तेरे बकवास एस मेस पढ़े ज़माने हो गए
कौन भूलेगा वो सजदाº हुसैन का,खंजरों ºतले भी सर झुका ना था हुसैनº कामिट गयी नसल ए याजिद करबला की ख़ाक में,क़यामत तक रहेगाº ज़माना हुसैन का
कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था, खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना।
मेरी क्रांति का उद्देश्य समाज को सुधारना और इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं को पुनर्जीवित करना है।
👉दिल ❤ 👉दोस्ती 👬 👉दुनियादारी 🏃 👉अनुभव☝ 👉प्रेम💏 👉धोखा 💔 follo me
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर!!कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर!!दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत!!जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया!!
मुहर्रमº को याद करो वो कुर्बानी,जो सिखा गया सहीº अर्थ इस्लामी,नाº डिगा वो हौसलों से अपने,काटकर सर सिखाईº असल जिंदगानी.
जब भी कभी ज़मीर का सौदा हो ,कायम रहो दोस्तों ,हुसैन के इंकार की तरह |
किसी और के करीब आने से पहले अल्लाह के करीब जाओ!!आदमी के बिना अल्लाह अब भी अल्लाह है!!लेकिन अल्लाह के बिना आदमी कुछ भी नहीं है!!
अपनी तक़दीरº जगाते है तेरे मातम सेखून ºकी राह बिछाते हैं तेरे मातम सेअपने इज़हार-ए-अक़ीदतº का सिलसिला ये हैहम नया साल मनाते ºहै तेरे मातम से
ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू, सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।
सिर गैर के आगे न झुकाने वालाऔर नेजे पर भी कुरान सुनाने वालाइस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन?हुसैन है इस्लाम को बनाने वाला
मुहर्रम पर याद करो वो कुर्बानी!!जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी!!ना डिगा वो हौसलों से अपने!!काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी!!Happy Muharram!!
दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया, जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया। हर जर्रे को नजफ का नगीना बना दिया, हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया।
जब भी ज़मीर का सौदा हो दोस्तो हुसैन का इंकार समझ कर रखना!!नया हिजरी वर्ष मुबारक हो!!
दश्त-ए-बाला कोº अर्श का जीना बना दियाजंगल कोº मुहम्मद का मदीना बना दियाहर जर्रे को नज़फ काº नगीना बना दियाहुसैन ºतुमने मरने को जीना बना दिया
“सर गैर के आगे ना झुकाने वाला, और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन, हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला.”
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ले महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का
न हिला पाया वो रब की मैहर को!!भले ही जीत गया वो कायर जंग!!पर जो मौला के डर पर बैखोफ शहीद हुआ!!वही था असली और सच्चा पैगंबर!!
सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला,और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला,इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
ज़िंदा रहेगी मुहब्बत हुसैन की. पढ़ते रहेंगे हम भी बाते हुसैन की. ख़्वाब में या मुस्तफ़ा आप आते हो. जाया कभी गई कभी शहादत हुसैन की ।
तरीका मिसाल असी कोई दोंड के लिए!!सर तन से जुड़ा भी हो मगर मौत न आये!!सोचन मैं सबर ओ राजा के जो मफिल!!एक हुसैन रा अब अली रा जैन मैं आये!!
कमाल का हौसला थाकर्बला के शहीदों का वहां पर शुक्र करते थे जहां पर सब्र करना मुश्किल था.
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयते,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने,
रिश्ते भले ही कम ही बनाओ लेकिन दिल से निभाओ, क्योंकि आज कल इंसान अच्छाई के चक्कर में अच्छे खो देते है।
दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया हर जर्रे को नज़फ का नगीना बना दिया हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया
“वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया.. घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया.. नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम.. उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम…”
सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
हशर तक कोई यजीदी सर्र उठा सकता नहीं!!जिस का मतलब जिंदगी भर दीन चूका सकता नहीं!!
गरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला!!सितम के बाद भी कुछ हासिल जफ़ा ना मिला!!
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने!!रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने!!खुद को तो एक बूँद न मिल सका!!लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने!!
जो आपके दोषों को दर्पण की तरह आपके सामने प्रकट करता है वह आपका सच्चा मित्र है, और जो आपकी चापलूसी करता है और आपके दोषों को ढकता है वह आपका दुश्मन है।