Kafan Shayari In Hindi : कफ़न बांध कर रोज चलता हूँ मैं अपनी मौत को ढूंढने, पर जिंदगी हर रोज कहती हैं की अभी तो तुझे और तड़पना हैं इस जालिम दुनिया के आगे। यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए।
चल साथ कि हसरत दिल-ए-महरूम से निकले,आशिक का जनाजा है जरा धूम से निकले।
मैत मागते हैं तो ज़िन्दगी खफा हो जाती हैं, जहर लेते हैं तो वो भी दवा हो जाती हैं, तू बता ऐ ज़िन्दगी तेरा क्या करू, जिसको भी चाहा वो बेवफा हो जाती हैं,
अब तोह मौत भी नहीं आती हमें शायद वो तेरी दुआ झूटी ही सही पर ओबुल हो गयी।