Kafan Shayari In Hindi : कफ़न बांध कर रोज चलता हूँ मैं अपनी मौत को ढूंढने, पर जिंदगी हर रोज कहती हैं की अभी तो तुझे और तड़पना हैं इस जालिम दुनिया के आगे। यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए।
सौ जिंदगी निसार करूँ ऐसी मौत पर, यूं रोये ज़ार-ज़ार तू अहल-ए-अज़ा के साथ.
न उड़ाओ यूं ठोकरों से मेरी खाके-कब्र ज़ालिम, यही एक रह गई है मेरे प्यार की निशानी.
प्यार को तेरे ठुकरा न सके दिल ही ऐसा था बे मौत मारे गए हम वो यार ही ऐसा था एक आंधी में हम प्यार का धोका खा बैठे यारो उनकी सूरत का चाँद ही ऐसा था…
मौत एक सच्चाई है इसमें बात में कोई एक नहीं, क्या लेके जाओगे दोस्तों, कफ़न में कोई जेब नहीं।
वादे तो हजारों किये थे उसने मुझसे,काश एक वादा उसने निभाया होता,मौत का किसको पता कि कब आएगी,पर काश उसने जिंदा दफनाया न होता।
चंद साँसे बची हैं आखिरी दीदार दे दो,झूठा सही एक बार मगर प्यार दे दो,ज़िन्दगी तो वीरान थी पर मौत तो गुमनाम न हो,मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हज़ार दे दो।
दिल से बात करना और दिल रखने के लिए बात करना दोनों में बहुत फर्क होता है।
ज़िंदगी बैठी थी अपने हुस्न पे फूली हुई,मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया।
साथ छोड़ने वालो को एक बहाना चाहिए। वरना निभाने वाले तो मैत के दरवाजे तक। नहीं छोड़ते।
कम्बख्त मरना कौन चाहता है हमें तो बस जीने की ख्वाहिश नहीं रही। Kambkht Marna Kon Chahta Hai Hume To Bas Jine Kee Khwahish Nehi Rah
आईना कहता है, कहना तो नहीं चाहिए था, तू अभी ज़िंदा है, ज़िंदा रहना तो नहीं चाहिए था।
मैं उस पल में भी संभल सा गया, जिसमे लोग मौत के गले लग जाते है।
इंतज़ार है हमें तो बस अपनी मौत का, उनका वादा है कि उस दिन मुलाकात होगी.
“लम्बी उम्र की दुआ मेरे लिए न माँग, ऐसा न हो कि तुम भी छोड़ दो और मौत भी न आये !😒
अब तलक हम मुन्तजिर हैं जिनके,उनको हमारा ख्याल तक न आया,उनके प्यार में हमारी जान तक चली गयी,और उनको हमारी मौत का मलाल तक न आया।
ऐ मौत तुझे एक दिन आना है भले, आ जाती शब्-ए-फुरकत में तो एहसान होता.
हद तो ये है कि मौत भी तकती है दूर से हमें , लेकिन उसको इंतजार है मेरी खुदकुशी का है ।
कितना दिल फरेब होगा वो मेरी मौत का मंज़र,मुझे ठुकराने वाले मेरे लिए आँसू बहायेंगे।
इजाजत ना मिली पास आने कीतेरी दुनियां से मैं गुजर जाऊंगाहसरत दिल की दिल में रहेगीमैं दो गज कफन में सिमट जाऊगा
तमन्ना थी कि कोई टूट कर चाहे हमें, मगर हम खुद ही टूट गए, किसी को चाहते चाहते।
एक दिन हम भी कफ़न ओढ़ जायेंगे, सब रिश्ते इस जमीन के तोड़ जायेंगे, जितना जी चाहे सता लो मुझको, एक दिन रोता हुआ सबको छोड़ जायेंगे.
ना चाँद अपना था और ना तू अपना था, काश दिल भी मान लेता की सब सपना था, कोई नही आएगा मेरी ज़िदंगी मे तुम्हारे सिवा, एक मौत ही है जिसका मैं वादा नही करता.
दो गज़ ज़मीन सही मेरी मिल्कियत तो है,ऐ मौत तूने मुझको ज़मींदार कर दिया।
लम्हा लम्हा सांसें ख़त्म हो रही हैं जिंदगी मौत के आगोश में सो रही है उस बेवफा से न पूछो मेरी मौत के वजहवही तो कातिल है दिखाने को रो रही है
मौत मांगते है तो ज़िन्दगी खफा होजाती है जहर लेते है तो वो भी दवा हो जाती है तु बता ऐ ज़िन्दगी तेरा क्या करू जिसको भी चाहा वो बेवफा हो जाती है
मौत ख़ामोशी है चुप रहने से चुप लग जाएगी, ज़िंदगी आवाज़ है बातें करो बातें करो.
दिल की वसीहत मे नाम दफन हैजो आज हमारे लिए खड़े लिए कफन हैं
तुम समझते हो की मुझे जीने, की तलब हे, मगर मेतो जिन्दा इस आस में हु, की मरना कब हे.
मेरे चहरे से कफन को हटा कर,जरा दीदार तो कर लो,ऐ बेवफा बंद हो गई है वो आंखे,जिन्हे तुम रुलाया करते थे।
ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसा,मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं।
क्या कहूँ तुझे ख्वाब कहूँ तो टूट जायेगा,दिल कहूँ तो बिखर जायेगा,आ तेरा नाम जिन्दगी रख दूँ,मौत से पहले तो तेरा साथ छूट न पायेगा।
हमारी औकात सिर्फ एक सफ़ेद चादर है जिसे खुद ओढ़ने की ताक़त भी ना होगी.
दर्द की सारी सिलबटों पर कफन डाल आयी हूँ हाँ तन्ह़ा ही किस्ती को दरिया से निकाल लाई हूँ।
बहुत है शिकवा मुझसे कुछ लोगों को,एक दिन हम सारे शिकवे दूर कर जायेंगे,तड़प ज़िन्दगी से बंधी है मौत से नहीं,एक दिन हम इस तड़प से आज़ाद हो जायेंगे।
वो कर नहीं रहे थे मेरी बात का यकीन,फिर यूँ हुआ के मर के दिखाना पड़ा मुझे।
एक हद तक दर्द सहने के बाद इंसान खामोश हो जाता है और न फिर वो किसी से शिकायत करता है और ना ही किसी से उम्मीद रखता है
मौत से बचने का सबसे शानदार तरीका है, दूसरे के दिलों मे जिंदा रहना सीख लो !
मौत आये तो दिन बदलें शायद,ज़िंदगी ने तो मार ही डाला है।
मौत एक सच का नाम है,पर जिंदगी जीना भी हमारा काम है।
मौत की वादियों से मैं कभी, खुद को बचा तो न पाऊँगी, पर जब तक चली साँसे, कसम तेरी ये मोहब्बत निभाऊंगी !
मेरी ज़िंदगी तो गुजरी तेरे हिज्र के सहारे, मेरी मौत को भी कोई बहाना चाहिए।
जरा चुपचाप तो बैठो कि दम आराम से निकले, इधर हम हिचकी लेते हैं उधर तुम रोने लगते हो.
जान लेनी हैं तो एक बार में ले लो,यूं बार बार नजरो से घायल ना किया करो।
मौत की एक खास बात हैं की जब वो आती है तो अपने कफ़न में वो इंसान को खली हाथ ले जाती है।
जिसकी याद में सारे जहाँ को भूल गए, सुना है आजकल वो हमारा नाम तक भूल गए, कसम खाई थी जिसने साथ निभाने की यारो, आज वो हमारी लाश पर आना भूल गए.
अगर रुक जाये मेरी धड़कन तो मौतन समझना, कई बार हुआ है ऐसा तुझे याद करते करते !!
एक दिन हम भी कफ़न ओढ़ जायेंगे,सब रिश्ते इस जमीन से तोड़ जायेंगे,जितना जी चाहे सता लो तुम मुझे,एक दिन रोता हुआ सबको छोड़ जायेंगे।
इश्क कहता है मुझे इक बार कर के देख, तुझे मौत से न मिलवा दिया तो मेरा नाम बदल देना।
Har Ghar Tiranga Shayari Hindiलहराएगा तिरंगा अब नीले आसमान परभारत का नाम होगा सबकी जुबान परले लेंगे उसकी जान या दे देंगे
मौत का नही खौफ मगर एक दुआ है रब से, कि जब भी मरु तेरे होने का एहसास मेरे साथ मर जाये.
उम्र तमाम बहार की उम्मीद में गुजर गयी, बहार आई है तो पैगाम मौत का लाई है.
अब मौत भी मुझे उसी दिन आएगी, जिस दिन तू मेरे लिए मौत का कफ़न लाएगी।
इजाजत ना मिली पास आने की तेरी दुनियां से मैं गुजर जाऊंगा हसरत दिल की दिल में रहेगी मैं दो गज कफन में सिमट जाऊगा।
मेरे बाद किधर जाएगी मेरी तन्हाई मैं जो मरा तो मर जाएगी मेरी तन्हाई जब मैं रो रो कर दरिया बन जाऊंगा सनम उस दिन यार उतर जाएगी मेरी तन्हाई…
ऐ मैत जरा पहले आना गरीब के घर। कफन का खर्च दवाओं में निकल जाता हैं।
वादे तो हजारों किये थे उसने मुझसे,काश एक वादा ही उसने निभाया होता,मौत का किसको पता कि कब आएगी,पर काश उसने ज़िन्दा जलाया न होता।
अब थक गया हु ज़िन्दगी जीते-जीते,काश खुदा को कह सकते अपनी,ज़िन्दगी का हिसाब करने के लिए.
मैं कोई आवारा नहीं, मैं दिल का मरीज हूँ, छोड़ दो मुझे मेरे हालत पे, मैं मौत के करीब हूँ।
वो कर नहीं रहे थे मेरी बात का यकीन, फिर यूँ हुआ के मर के दिखाना पड़ा मुझे.
ओढ़ कर मिटटी कि चादर बेनिशान हो जायेंगे,एक दिन आएगा हम भी दास्तान हो जायेंगे।
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे,मर के भी चैन न पाया तो किधर जायेंगे।
से ज्यादा बढ़ जाता है.. तो इंसान रोता नहीं, बस खामोश हो जाता है..
तमन्ना यही है बस एक बार आये, चाहे मौत आये चाहे यार आये !
इश्क कहता है मुझे इक बार कर के देख,तुझे मौत से न मिलवा दिया तो मेरा नाम बदल देना।
अगर साथ हो तेरा तो मोत भी मंज़ूर है, जो तेरे बिना चले वो सांसे किस काम की।
इन हसीनो से तो कफ़न अच्छा हैजो मरते दम तक साथ जाता हैये तो जिंदा लोगो से मुह मोड़ लेती हैंकफ़न तो मुर्दों से भी लिपट जाता है
तकदीर बदलने की हिम्मत किसमें होती है ! सुना है मौत हाथों की रेखा में लिखी होती है !
वो ढूंढ रहे थे हमें शायद उन्हें हमारी तलाश थी,पर जहाँ वो खड़े थे वही दफ़न हमारी लाश थी।
कोई कहे कि हम आपका साथ देंगे तो पूछ लेना कि कब तक… क्योंकि यहाँ लोग अपना बनाकर पराया करने में देर नहीं लगाते…
जब इंसान की मौत आती हैं तब उसके ना चाहने वालो की तदाद भी उसके उप्पर खफन उड़ाने आती है।
चंद साँसे बची हैं आखिरी दीदार दे दो,झूठा सही एक बार मगर प्यार दे दो,ज़िन्दगी तो वीरान थी पर मौत तो गुमनाम न हो,मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हज़ार दे दो।
मेरी और उसकी मोहब्बत ,जिंदगी और मौत जैसी हैं,दोनो कभी मिल नही सकते पर,दोनो के बिना कहानी अधूरी है।