Insan Ki Pehchan Shayari In Hindi : आशिक इश्क में सब कुर्बान कर देते है, आँखों से आँसू ने निकले तो भी दर्द को पहचान लेते है. पहचान पाने के खातिर पूरा जीवन लगा दिया, चंद रूपयों के लालच में ईमान को दांव पर लगा दिया.
जो ठान लिया वो करके रहूंगाये मत सोच डर के रहूंगा । ।
कोहनी पर टिके हुए लोग टुकङों पर बिके हुए लोग करते हैं,बरगद की बातें ये गमले में उगे हुए लोग।
साहब हमारा फंडा ही अलग है, हम उनको कुछ नही समझते जो खुद को बहुत कुछ समझते है ..!
सिखा दिया है दुनिया ने येअपनो पर भी शक करना,वरना मेरी फ़ितरत में तोगौरो पर भी भरोसा करना था,
अंधेरी जिंदगी की राह दिखाने वाली मशाल हैं, जीवन की परेशानियों से बचाने वाली ढाल हैं, मेरे पापा मेरे लिए मिसाल हैं।
वैसे तो सभी लोग अच्छे होती है, पर लोगो की पहचान बुरे वक्त में होती है.
“ कोई हमारी तारीफ करेंये हमारी ख्वाहिश नही,पर हमारा गलत करें येभी हमें मंजूर नही…!!
पिता के लिए बेटी कभी-कभी मां,तो कभी छोटी-सी गुड़िया बन जाती है।
पिता के बिना जिंदगी वीरान है,सफर तन्हा और राह सुनसान है।वही मेरी जमीं वही आसमान है,वही खुदा वही मेरा भगवान है।
“हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते, हर तकलीफ़ में ताकत की दवा देते हैं।”
अभी चल रही है किस्मत थोड़ी फीकी इसमें थोड़ा रंग आने दे Haters के दिल में सुलगेगी आग अच्छे दिन आने दे
जो सोच लेते है की वह सही रास्ता चुन लिए है औरउस रस्ते पर चलने लगे है उन्हेंकिसी और रस्ते की फिर परवाह नहीं होती।
घटिया लोगों की वजह से ,सब मर्दों के प्यार पर ओर सब।औरतों की वफ़ा पर ,दाग लग जाते है।
राज़ खोल देते हैं नाजुक से इशारे अक्सर, कितनी खामोश मोहब्बत की जुबान होती है।
मामूली सा सवाल हूं मै फिर भीलोग कहते हैं तेरा कोई जवाब नहीं!
भीख माँगने से अच्छा हैअपना हक़ छीन लो !
ज़िन्दगी की उलझनों ने शरारतें कम कर दी !और लोग समझते हैं हम बड़े हो गए
मतलबी दुनिया के मतलबी नज़ारेअपने ही स्वार्थ के सभी यहां मारेअब विश्वास ना रहा अब किसी के सहारेइसलिए कहता हूँ …….इस छोटी सी जिंदगी को बस अकेले गुजरें।
कोई साथ हो या ना हो पर अपनी इज़्ज़त अपने साथ होनी बहुत ज़रूरी हैं।
मेरी फितरत में नहीं हैं किसी से नाराज होना,नाराज वो होतें हैं जिन्हें अपनेआप पर गुरूर होता है।
“दुनिया में कोई काम असंभव नहीं, बस हौसला और मेहनत की जरुरत है।”
कुछ नशा तिरंगे की आन का है,कुछ नशा मातृभूमि की मान का है,हम लहरायेंगे हर जगह ये तिरंगा,नशा ये हिन्दुस्तान की शान का है…
सिर्फ इज़्ज़त करना नहीइज्जत उखाड़ना भी आता हैं मुझकों…Sirf ijjat karna nhi,Ijjat ukhaadna bhi aata hain mujhko…
घूम फिर कर हर शख्स, उसी बात पर आ जाता है,मतलब निकल जाए तो अपनी औकात दिखा जाता है।
"तुम कब सही थे उसे कोई याद नहीं रखता,पर तुम कब गलत थे उसे कोई नहीं भूलता!!"galti status hindi
घटिया झूठ को भी इतनी सचाई के साथ बोलता है,जिसे पकड़ पाना हम जैसे भोले लोगों के बस की बात नहीं।
न जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की अब वजह नहीं मिलती,मुस्कुराने की मेरी तारीफ करे या मुझे बदनाम करे,जिसने जो बात करनी है सर-ए-आम करे।
रिश्ता कुछ ऐसा होना चाहिए की लड़ाई जबदो में हो तो तीसरे को पता नहीं चलना चाहिए।
“जिन्दगी में सफलता पाने के लिए, थोड़ा जोखिम उठाना पड़ता है, सीढ़ियाँ चढ़ते समय ऊपर जाने के लिए, नीचे की सीढ़ी से पैर हटाना पड़ता है। ”
विरासत में दौलत और शोहरत तो मिल जाया करती है, पर पहचान तो इंसान को खुद ही बनानी पड़ती है.
ज़िन्दगी तस्वीर और तक़दीर भी, फर्क तो सिर्फ रंगों का है मनचाहे रंगों से बने तो तस्वीर, और अनजाने रंगों से बने तो तक़दीर
कैसे करू भरोसा गैरो के प्यार पर,अपने ही मजा लेते अपनो की हार पर।
रोटी खाओ तो इज़्ज़त की खाओ वरना मत खाओं।
हर असंभव काम को करने का एक ही तरीका होता है सिर्फ कड़ी महेनत करते रहो।
हम भी नवाब है लोगों की अकड़ धूएँ की तरह उड़ाकर,औकात सिगरेट की तरह छोटी कर देते है.
आज गुमनाम हूँ तो जरा फासला रख मुझसे, कल फिर मसहूर हो जाऊ तो कोई रिश्ता निकाल लेना.,
कई बार इंसान इतना बेबस हो जाता है कि वो केवल सोच सकता है पर कर कुछ नहीं सकता।
मेरे लिए किस्मत से भी लड़ जाते हो, मेरे पास कोई दुःख आ न सके, कोई धुप मुझे मुरझा ना सके, मेरे साया बन के चले, मेरे पापा ..
एक एक करके सब जुदा हो जायेंगे मैं इंसान ही रहूँगा सब खुदा हो जायेंगे
जमाना ख़राब हैबुरा तो बनना ही पड़ेगा.
दोस्त चाहे कितने भी कमीने होते है, बुरे वक्त में वही साथ होते है।
मेरा दिल एक बेवफा को चाहता है,यह कमबख्त दिल भी घटिया लोगों पर आता है।
घटिया शब्द सुनने को तो बहुत बार सुना था,,मैंने पर मतलब तब जाना जब वो भरी महफि़ल में,,इशारा हमारी तरफ कर के चले गए।
सही गलत शायरी की बात नहीं, दिल की बात लफ़्ज़ों में बह जाए यही तो चाहिए।
बच बच कर चलता रहा कांटों से उम्र भर मालूम हुआ एक फूल दर्द देकर चला गया
माँ के बिना बेशक पूरा घर बिखर जाता है पर पापा के बिना पूरी दुनिया ही बिखर जाती है.!
दुश्मन बोला महंगी पड़ेगी तुझे ये दुश्मनी,मैंने बोला सस्ती तो मैं शराब भी नहीं पीता.
मेरी खोपड़ीकी झोपड़ी हिलाया न….तो तेरी हस्ती की बस्ती जला दूंगा….Meri khopdi ki jhopdi hilaya na…Toh teri hasti ki basti jala dunga…
तेरी दोस्ती ने बहुत कुछ सिखा दिया,मेरी खामोश दुनिया को जैसे हँसा दिया,कर्जदार है खुदा के जिसने आप,जैसा दोस्त से मिला दिया,
पहचान तो सबसे है हमारी, लेकिन भरोसा सिर्फ खुद पर है !
मतलबी झूठ को भी इतनी सचाई के साथ बोलता है,जिसे पकड़ पाना हम जैसे भोले लोगों के बस की बात नहीं।
कैसे कह दूं कि मुझे , जिस्म की , परवाह नहीं कभी , जब मैं जानता हूँ , दिल मेरा इसका , मेहमान है !
समय का खेल है छोटेजिसका आ गया वो छा गया!
तू मत देख कोई शक्स गुनहगार है कितनाबस यह देख वो तेरे साथ वफादार है कितना,हो सकता हैं उसे कुछ लोगो से नफरत होपर ये देख उसे तुझ से प्यार हैं कितना।
तुझसे प्यार करके ज़िंदा हूँ मैं अपने किये पर शर्मिंदा हूँ
ज़िन्दगी जीने का मज़ा तो आपसे मांगे हुए सिक्कों से था,“पापा” हमारी कमाई से तो ज़रूरतें भी पूरी नहीं होती..!!
मोहोब्बत के दम पर जो रिश्ते जोड़े दिए जाते हैवहीं केवल एक मतलब के लिए तोड़ दिए जाते है।
साथ रहने और साथ निभाने में बहुत फ़र्क होता है,और ये जो तुम्हारी आजकल मोहब्बत है,वो इस बात को कभी नहीं समझ पाएगी।
अब हम ऐसा काम करेंगेजलने वाले भी सलाम करेंगे.!
में टूटा हूँ जरूर मगर हारा नही हूँ,अकेला हूँ जरूर पर बेसहारा नही हूं ।
“ बचपन में सभी सिर्फअपनी परवाह करते है,इसलिए जरूरत से ज्यादा खुश रहते है….!!
मेरा वजूद, मेरी पहचान, मेरी जिंदगी सब आपसे ही है पापा।
ज़िंदगी देती बहुत कुछ है सबको लेकिन याद उसी को रखते है जो हासिल ना हो पाती है
वक़्त और हालात तय करते है, कि इंसान की कीमत क्या है.,
उसका टोकना ऐसा लगा मानो उसे फिक्र थी मेरी,मुझे क्या मालूम था धीरे धीरे पहचान छीन रहा था वो मेरी।•❅────✧❅✦❅✧────❅•
इंसान गलत नहीं होता, उसका ताकतवर सबूत है, बस ज़माने की भ्रांति को उजागर करने की ज़रूरत है।
भीड़ में खड़ा होना मकसद नहीं हैं मेरा, बल्कि भीड़ जिसके लिए खड़ा हो वो बनना है मुझे।
आन देश की, शान देश की, इस देश की हम संतान हैं !तीन रंगों से रंगा तिरंगा, अपनी ये पहचान है !!
तमन्ना जो आये ख्वाबो में,हकिकत बन जाए तो क्या बात है,कुछ लोग मतलब के लिए ढुढते हैं मुझे,बिन मतलब कोई आये तो क्या बात है
मयखाने की इज्ज़त का सवाल था हुज़ूर, सामने से गुजरे तो, थोड़ा सा लड़खड़ा दिए।
जब बात इज़्ज़त पर आती हैं तो रिश्तों में भी खट्टास अपने आप पैदा हो जाती है।
जीत का असली मज़ा तो तब है, जब दुश्मन भी तुमसे हाथ मिलाने को बेताब रहे।