Ilzaam Shayari In Hindi : फिक्र है सबको_खुद को सही साबित करने की, जैसे ये #जिन्दगी, जिन्दगी नही, कोई “इल्ज़ाम” है। खुदा_तूने भी क्या खूब #मुकम्मल ये दुनिया करी है, बेगुनाह “सजा” काट रहे हैं और गुनेहगार *बा-इज़्ज़त* बरी है।
जिंदगी तो मेरी भी सेटल ही थीलेकिन क्या करें किसी के धोखे नेपूरी जिंदगी को बिखेर कर रख दिया
मैंने अपने हिस्से के हर गम सहे देखना है रब को तरस कब आता है
कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते एक बार खैरियत पूछ कर तो देखोKon kehta hai Hum jhut nhi bolte Ek bar kheriyat Puch kar to dekho
तुम्हारे लिए खुद को बदलने से,,,अभी तो तुम खुश हो जाओगे...मगर ,कुछ साल बाद यही बदलाव देख के,,,अजनबी होने का इल्ज़ाम लगाओगे...
तेरे आंखो में कभी आंसू नहीं आने देंगे तू इतनी ख़ूबसूरत है तुझे दिल से नहीं जाने देंगे।
“इल्ज़ाम” हैहम पर कि हम तेरे_दीवाने हैंतुम जलता ‘चिराग’ हो,और हम तेरे परवाने हैं.
यूं भुला देनातेरे लिए आसान था!…मुझे समय चाहिएमुझे वक्त लगेगा!..
उनसे अकेले में कुछ बात हो गई,लोगों के बीच में शक की शुरुआत हो गई,हर गली-मोहल्ले में साथ होने की खबर पहुंच गई।
तो कभी हुआ नहीं, गले भी लगे और छुआ नहीं।।
कहीं अब #मुलाक़ात हो जाए हमसे,बचा कर के “नज़र” गुज़र जाइएगा…जो कोई कर जाए कभी ज़िक्र मेरा,हंसकर फिर सारे #इल्ज़ाम मुझे दे जाइएगा
आज आपके सामने बडो बड़ों की महफ़िल म्यूट है, वो बेचारे भी क्या करें, आप जो इतने क्यूट है।।
दिया था साथ तेरा हर मुसीबत में, फिर दोस्ती को अपनी क्यों अधूरा कर दिया, दुश्मन नहीं थे मेरे इस जहान में सुन ले, और तूने उस कमी को भी पूरा कर दिया।
मेरे सिर पर एक_इल्ज़ाम है मेरा #दिल किसी के नाम है
तुझे तो गैरों से दिल जोड़ना था दिल लगाया ही क्यों जब तोड़ना था इतने करीब आकर फिर जुदा हुए मिला मुझे क्यों जब छोड़ना था
इतने बेवफा नहीं है की तुम्हें भूल जाएंगे, अक्सर चुप रहने वाले प्यार बहुत करते हैं।।
मैंने जिंदगी में दोस्त नहीं ढूँढे, मैंने एक दोस्त में जिंदगी ढूँढी है.
सीधी सीधी बात करो बहाने बनाने से क्या मतलब आने वालों की बात करो जाने वालों से क्या मतलब
इश्क़ से बचिए जनाब सूना हैं धीमी मौत हैं ये ||
जिसका नाम शामिल, मेरी धड़कनों में था, जरूरत पड़ी तो वो शख्स, मेरे दुश्मनों में था।
हमें बदनाम करते हो बेवफाई हमारे नाम करते हो क्या करें तुमसे शिकायत तुम्हारी अजी आप तो कमाल करते हो
आप जैसी खूबसूरत अपसरा को नीचे भेज कर खुदा का भी आपके बगैर मन नहीं लगता होगा।
जो तुम्हें छोड़कर हम तो मर ही जाएंगेइस तरह के वादे करते थे…आज देखो हंस-हंसकरकिसी और को गले लगाते हैं!!
उदास “जिन्दगी”, उदास वक्त,उदास मौसम, कितनी_चीजो पे “इल्ज़ाम” लगा हैतेरे ना होने से।
रात का गहेरा अंधेरामेरे ख्वाबों पर छा गया है…तेरी बेवफाई के गम मेंबस आंसू बहाए जा रहे हैं…
ये ज़िन्दगी सिर्फ पल दो पल है जिसमें ना तो आज ना कल है जी लो ज़िंदगी का हर पल इस तरह जैसे ये ज़िन्दगी का आखरी पल है
नाराज हो क्या मुझसे इतना तो बता दो,बिना मेरी गलती की मुझे न सजा दो,इतना क्यों शक करती हो मुझपर,मेरा चक्कर किसके साथ है ये तो बता दो…!!
झूठे “इल्ज़ाम” मेरी जान लगाया ना करो,दिल हैं नाजूक इसे तुम_ऐसे दुखाया ना करो,झूठे “इल्ज़ाम” मेरी जान लगाया ना करो…
मैं जानना चाहता हूँ, हम में क्या अच्छा हैं चल दोस्त, मरने चलते हैं ||
जो नजरें कभी इन नजरों मेंदेखते थकती नहीं थी…आज इन आंखों को हमारी ओरदेखने की फुर्सत तक नहीं है!!
कुछ अल्फाज कहे नही जाते,कुछ इल्जाम दिए नही जाते,दुनिया का दस्तूर है,कभी-कभी बिना कुछ किये ही ,इल्जाम है दिए जाते।
तुम एक ख़ूबसूरत गुलाब जैसी हो रातों को जगाए उस खवाब जैसी हो तेरे होंटो पर ऱखकर प्यार का प्याला पी जाऊ तुम सर से पांव तक शराब जैसी हो।
अक्सर दिमाग कहता है कि शक कर,चुपके से दिल कहता है कि भरोसा रख।
ज्यादा वो नहीं जीता जो ज्यादा सालों तक ज़िंदा रहता है, बल्कि ज़्यादा वो जीता है जो ख़ुशी से जीता है।
मैंने अपनी ज़िन्दगी के रस्ते बदल दिए हैं अब जो हमारे साथ खड़े हैं, वही हमारे साथ चलेंगे !
जीना सीख लिया बेवफाई के साथ अब तो, खेलना सीख लिया अब दर्द से हमने, दिल किस कदर टूटा है क्या बताएं मरने से पहले कफ़न ओढ़ना सिख लिया हमने !
बस यही सोच कर कोई सफाई नहीं दी हमने, कि इल्ज़ाम झूठे ही सही पर लगाये तो तुमने हैं ।
अजीब सी दुनिया है यह साहब,यहां लोग मिलते कम एक दूसरे में झांकते ज्यादा है।।
कम्बख्त हुई करामात सब हाथों का काम था, पर गलती वक़्त की बता कर हालातों पर इलज़ाम था।
इस मिलावट के जमाने मेंइश्क भी मिलावटी निकला!!बेवफाई दिल में भरी हुई थीप्यार का तो बस दिखावा निकला!!
उसको बेवफा कैसे कह दूँ, जिसको चुना था हमने, दिल उदास हो जाता है उसकी बेवफाई पे जो प्यार था अपना और पसंद थी अपनी..!!
हँस कर #कबूल क्याकर ली सजाएँ मैंनेज़माने ने दस्तूर ही बना लियाहर “इलज़ाम” मुझ पर मढ़ने का
वो पूछते है शायरी क्यू लिखते हो जैसे उन्होंने कभी शीशे को देखा ही नहीं।
चिराग जलाने का सलीका सीखो साहबहवाओं पे इल्ज़ाम लगाने से क्या होगा
बेवफाई मैंने नहीं की हैमुझे इल्ज़ाम मत देना,मेरा सुबूत मेरे अश्क हैंमेरा गवाह मेरा दर्द है ।
तुम्हारे लिए खुद को #बदलने से,,, अभी तो तुम “खुश” हो जाओगे… मगर ,कुछ साल बाद यही #बदलाव देख के,,, अजनबी होने का इल्ज़ाम लगाओगे…
निगाह-यार पे पलकों की लगाम न हो बदन में दूर तलक ज़िन्दगी का नाम न हो, वो बेनकाब फिरती है गली कूचों में तो कैसे शहर के लोगो में कतले आम न हो।।
खामोशी रिश्ते में दरार लाती है,शक आपस में दूरी बढ़ाता है,प्यार करो तो इनसे दूर ही रहना,वरना प्यार की कहानी अधूरी रह जाती है।
मैं कितना पागल था के भटका बादल था मैं गरजा भी नहीं मैं बरसा भी नहीं
प्यार के उजाले में गम का अंधेरा आता क्यों है जिसको हम चाहे वही रुलाता क्यों है अगर वह मेरा नसीब नही तो खुदा ऐसे लोगों से मिलाता क्यों है
“इल्ज़ाम” लगा दो लाख चाहे,लेकिन सच तुम_खुद निगल नही पाती।अगर उस दिन मैं छू देता तो,फिर तुम आज इस #कदर जल नही पाती।
अभी पास है तो ठोकर मारकर bewafa बना देते हो, जब दूर हो जाएंगे, तो प्यार जाताओगे!
कभी सिसकने का, कभी आह भरने का समय ही नही है,,,,,,,, जीने का न सही, कह ना पाओ गे इक दिन, आज मरने का समय ही नही है,,,,,,,
मुश्किल इतनी है कि हमें जताना नहीं आताइल्जाम ये लगा है कि हमें निभाना नहीं आता
मोहब्बत में ऐसा क्यों होता है, बेवफाई में वो रोते हैं और वफ़ा में हम रोए हैं।
शक की बीमारी का कोई इलाज नहीं,इससे जो जूझते हैं उनके कोई खास नहीं।
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने मेंएक पुराना ख़त खोला अनजाने में
साज़-ए-दिल को महकाया इश्क़ ने, मौत को ले कर जवानी आ गई.
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
कद में जो बहुत छोटे हैं, वो दुश्मनी क्या निभाएंगे, औकात कर लो हमसे भिड़ने की, तब दुश्मनी हम भी निभाएंगे।
दौलत नहीं, शोहरत नहीं, न वाह वाह चाहिए, कैसे हो..? बस दो लफ्ज़ों की परवाह चाहिए !
लेकर गई मोहब्बत को एक ऐसे मोड़ पर जिंदगी ना लौटना मुमकिन था ना बिछड़ना
अपनी मौत भी क्या मौत क्या मौत मौत होगी एक दिन यु ही मर जाएंगे तुम पर मरते मरते |
मयखाने सजे थे, जाम का था दौर; जाम में क्या था, ये किसने किया गौर; जाम में गम था मेरे अरमानों का; और सब कह रहे थे एक और एक और।
इस इश्क में वफा करके भी हम बदनाम हो गए!..और वह प्यार में बेवफाई करके भी मशहूर हो गए!..
हवाओं को चूमती जुल्फों को मत बांधा करो तुम, ये मदमस्त हवाएं नाराज़ होती हैं।।
सब छोड़ गए साथ जिनकादिल पर बहुत पहरा था,आखिर में रहे साथ वो हीजिन पर शक बहुत गहरा था
ये “मिलावट” का दौर हैं“साहब”..यहा“इल्ज़ाम” लगायें जाते हैं‘तारिफों’ के लिबास में..।।
यही हकीकत है के अब हम तनहा हैं कोई सहारा कोई हमारा है नहीं
इस #जमाने के ना जानेकितने “इलज़ाम” सहे हमनेपर कभी भी तेरे नहोने का #अहसास होने न दिया।
मैंने मौत को देखा तो नहीं, पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी। कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,जीना ही छोड़ देता हैं।।
जब ख़यालो में आता है उनका चहरा तब होंटो पर एक फ़रियाद आती है हम भूल जाते है सारे गम बस उनकी मोह्ब्बत की याद आती है।
दिल में शक हो तो एतबार न करना,परखकर देख लो मुझे,अगर मेरे बारे में कुछ बुरा सुनो,तो मुझसे प्यार न करना।