Gulzar Shayari On Life In Hindi : जिन दिनों आप रहते थे,आंख में धूप रहती थीअब तो जाले ही जाले हैं,ये भी जाने ही वाले हैं. जबसे तुम्हारे नाम कीमिसरी होंठ लगाई हैमीठा सा गम है,और मीठी सी तन्हाई है.
ना जाने कितने दिलों को तोड़ती है यह कमबख्त फरवरी यू ही नही किसी ने इसके दिन घटाएं है
नफरत सी हो गई थीमुझे मोहब्बत सेऔर फिर एक दिन मेंतुमसे मिला
कैसे करें हम ख़ुद कोतेरे प्यार के काबिल,जब हम बदलते हैं,तो तुम शर्ते बदल देते हो
अजीब से लोग बसते है शहर में मेरे कांच की मरम्मत करते है पत्थर के औजारों से
दूसरा मौका सिर्फमोहब्बत को दिया जाता हे,जिस शख्स सेमोहब्बत थी उसे नहीं।
मुझे छोड़ कर वो खुश है तो सिकायत केसी,अब्ब मैं उससे खुश ना देखु तो मोहबात केसी।
दर्द की अपनी भी एक अदा है ,वह भी सहने वालो पे फ़िदा है |
देर से गूंजते हैं सन्नाटे,जैसे हमको पुकारता है कोई.कल का हर वाक़िया था तुम्हारा,आज की दास्ताँ है हमारी .
तेरी हर बात के लिए माने,😍🥰 ये मोहब्बत है कोई नौकरी नहीं..😟
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,😣 किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।💌
” महफ़िल में गले मिलकर वह धीरे से कह गए,यह दुनिया की रस्म है, इसे मुहोब्बत मत समझ लेना.”
बेहिसाब हसरते ना पालिए, जो मिला हैं उसे सम्भालिए ।
टूटी फूटी शायरी में!!लिख दिया है डायरी में!!आख़िरी ख्वाहिश हो तुम!!लास्ट फरमाइश हो तुम!!
“अपने उसूल कभी यूँ भी तोड़ने पड़े खता किसी और की थी और हाथ हमें जोड़ने पड़े। ”
इतने लोगों में कह दो अपनी आँखों से !!इतना ऊँचा न ऐसे बोला करे !! लोग मेरा नाम जान जाते हैं !!
आइना देख कर तसल्ली हुई !!हम को इस घर में जानता है कोई !!
ढाया खुदा ने ज़ुल्म हम दोनों पर, तुम्हें हुस्न देकर और मुझे इश्क़ देकर
~ अब ज़रा सी भर गई हो तुमये वजन तुम पर अच्छा लगता है।
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए, भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं
कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की
कितनी जल्दी फैसला कर लिया जाने का एक☝️ मौका भी नही दिया मनाने का
बोहोत तक़लीफ़ होती हैजब दानो तरफ सेप्यार हो लेकिनक़िस्मत में मिलना ना हो।
“तेरी तरह बेवफा निकले मेरे घर के आईने भी¸ खुद को देखूं तेरी तस्वीर नजर आती है”
~ जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया।हम सीख न पाये ‘फरेब’, और दिल बच्चा ही रह गया।।
शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है. दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले, नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
रुकिए, हम आपको यहा पर बताना चाहेंगे आपको यहा पर गुलजार साहब द्वारा लिखे गए कौन-2 qoutes और shayari पढ़ने को मिलेगी
दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई, जैसे एहसान उतारता है कोई।
वो बेपनाह प्यार करता था मुझे,गया तो मेरी जान साथ ले गया।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं
पतझड़ में सिर्फ पत्तेगिरते है नजरों से गिरनेका कोई मौसम नहींहोता. !!
कितने अज़ीब होते हैये मुहब्बत के रिवाज भी लोग आप से तुम, तुम से जानऔर जान से अंजान बन जाते है।
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं !!रात भी आयी और चाँद भी था मगर नींद नहीं !!
तुम शोर करते हो, सुर्खियों में आने के लिए, हमारी तो खामोशियां अखबार बनी हुई है।
सहम सी गयी हैं खवाइशें,जरूरतों ने शायद उनसे ऊंची आवाज में बात की होगी।
जिंदगी के किसी मोड़ पर अगर कुछ फैसला करना हो तो हमेशा अपने दिल की सुनो बेशक वह होता लेफ्ट में है मगर उसके फैसले हमेशा राइट होते हैं
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं, रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं
आज रात बहुत थमी-थमी सी है,शायद आज फिर आपकी कमी सी है।
सिर्फ शब्दों से न करना किसी के वजूद की पहचान,हर कोई उतना कह नहीं पता जितनावह समझते और महसूस करता है।
तुम ही आकर थाम लो मुझे औरों ने तो छोड़ दिया है तुम्हारा समझ कर
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफ़रत भी तुम्हारी थी,हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते…वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी।
~ दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई।जैसे एहसान उतारता है कोई।।
बहुत करीब से अनजान बनकेगुजरा है वो शख्स,जो कभी बहुत दूर सेपहचान लिया करता था..
तमाशा #जिंदगी का हुआ… #कलाकार सब #अपने ही निकले।
वो आज करते हैंनज़र अंदाज़ तो बुरा क्या मानु टूट कर पागलो की तरहमोहब्बत भी तो सिर्फ मैंने की थी।
एक कहानी कहते-कहते एक कहानी और मिलीदिल की डगर से जाते जाते एक निशानी और मिली
एक सौ सोलह चाँद की रातें एक तुम्हारे कंधे का तिल गीली मेहँदी की खुश्बू झूठ मूठ के वादे सब याद करा दो, सब भिजवा दो मेरा वो सामान लौटा दो
मैंने अपनी ज़िन्दगी के सारे महंगेसबक सस्ते लोगों से ही सीखें है।
मेरी बहादुरी के किस्से मशहूर थे शहर में तुझे खो देने के डर ने मुझे कायर बना दिया
फूल ने टहनी से उड़ने की कोशिश की इक ताइर का दिल रखने की कोशिश की
वह किसी और की खातिर हमें भूल भी जाएं तो कोई बात नहीं हम भी तो भूल गए थे सारा जहां उनके खातिर।
सुरमे से लिखे तेरे वादेआँखों की जबानी आते हैंमेरे रुमालों पे लब तेरेबाँध के निशानी जाते हैं
चांदी उगने लगी है बालों मेंउम्र तुम पर हसीन लगती है..
दिल में कुछ जलता है शायद,धुआँ धुआँ सा लगता है,आँख में कुछ चुभता है शायद,सपना सा कोई सुलगता है।
ग़ज़ल भी मेरी है पेशकश भी मेरी है मगरलफ्ज़ो में छुप के जो बैठे है वो हर बात तेरी है..!
जरा जरा सी बात पर तकरार करने लगे हो लगता है मुझसे बेइंतहा प्यार करने लगे हो।
इस दौर रिश्ते भी कुछ ऐसे हो गए हैं…अगर तुम आवाज ना दो तोवह भी बोलते नहीं!
लोग तलाशते है कि कोई फिक्र मंद हो वरना कौन ठीक होता है हाल पूछने से
मुस्कुराने से शुरू और रुलाने पर खत्म यह जुल्म है जिसे लोग मोहब्बत कहते है
मेरे दिल में एक #धड़कन तेरी है, उस धड़कन की कसम तू जिंदगी मेरी है, मेरी तो हर #सांस में एक #सांस तेरी है, जो कभी #सांस रुक जाए तो #मौत मेरी है।
~ जाना किसका ज़िक्र है इस अफ़साने में।दर्द मज़े लेता है जो दुहराने में।।
मुझे किसी के बदल जाने का कोई गम नहीं बस कोई था जिससे ये उम्मीद नहीं थी
वो दौर भी आया सफर मै, जब मुझे अपनी पसंद से भी नफरत हुई…!!
दिल के जख्म अगर किराए पर दिए जाते तो हमसे ज्यादा अमीरी उनके पास नही होती
“कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की। ”
इश्क वो नहीं जो तुम्हे मेरा कर दे, इश्क वो है जो तुम्हे किसी और का न होने दे।
“दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई जैसे एहसान उतारता है कोई। ”
तक़दीर ने यह कह कर बड़ी तसल्ली दी है मुझे की,वे लोग तेरे काबिल नहीं थे,जिन्हे तुझसे दूर किया मैंने।
आज खुदा ने मुझसे कहा भुला क्यों नहीं देते हो उसे मैंने कहा इतनी फिक्र है तो मिला क्यों नहीं देते।
फितरत यु ना किसी आजमाया कर, हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है।
कही किसी रोज़ यु भी होता ,हमारी हालत तुम्हारी होती जो रात हमने गुजारी मरके ,वो रात तुमने गुजारी होती