Ghar Shayari In Hindi : मकाँ है क़ब्र जिसे लोग ख़ुद बनाते हैं मैं अपने घर में हूँ या मैं किसी मज़ार में हूँ मुनीर नियाज़ी गलतियाँ करने से मैं अब घबराने लगा हूँ, जिम्मेदारियाँ घर की मैं जब से उठाने लगा हूँ.
खरीद पायें ना सुकून पैसा वो बेकार का,घर को घर बनाया नहीं इन्सान वो किस काम का।
रोशनी सिर्फ चिरागों से ही नहीं होतीघर में उजाला बेटियों से भी होता है।
घर और परिवार के बिना जिंदगी नीरस रह जाती है सिर्फ दौलत कहाँ किसी शख्स के काम आती है.
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है।
उम्र जाया कर दी लोगो नेऔरों में नुक्स निकालते निकालतेइतना खुद को तराशा होतातो फरिश्ते बन जाते
“ बरबाद होकर यार के दिल में मिली जगह,आबाद कर गई मेरी बरबादियाँ मुझे…!!
# अपना घर अपना होता हैं, सुखा तिनका या स्वर्ण निर्मित महल हो, जन्म हो या मरण हो उसी में सबका सपना होता है!!!
हम गरीब लोग हैं किसी को मुहब्बत के सिवा क्या देंगे। एक मुस्कुराहट थी वो भी बेवफ़ा लोगो ने छीन ली।
इस जीवन में सबसेबड़ा मां का ही प्यार हैवही मंदिर वही पूजाऔर वही सारा संसार है..
उलझी शाम को पाने की ज़िद न कीजियेजो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद कीजिये
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
जब मां होती थी,तब मकान घर होता था।मुसीबत हमारा बाल भी बांका नहीं कर पाती,सचमुच मां की दुआओं में असर होता था।
मुमकिन है हमें माँ-बाप भी पहचान न पायें,बचपन में ही हम घर कमाने निकल आयें।
हर किसी के दिल में घर के लिए खास जगह होती है,घर के बिना कहाँ जीवन की कोई जंग फतह होती है।
मुझे रख दिया छाँव में खुद जलते रहे धूप में,मैंने देखा है ऐसा एक फरिश्ता अपने पिता के रूप में।
अपने मेहमान को पलको पे बिठा लेती हैं। गरीबी जानती हैं घर में बिछौने कम हैं।
हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं,पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं।
घर की जरूरतें और घरवालों की जरूरतें,हर किसी का सुकून छीन लेती है।
तोड़ दिए मैंने घर के आईने सभी,प्यार में हारे हुए लोग मुझसे देखे नहीं जाते।
गली गली में हम तिरंगा लहराएगें, आजादी का पर्व हम शान से मनाएगें. Gali gali me hum tiranga lehrayenge azadi ka parw hum shaan se manayenge.
“ सज़दे कीजिये,या माँगिये दुआयें,जो आपका है ही नही,वो आपका होगा भी नही….!!
ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डरबस अपनी ही धुन बस अपने सपनो का घरकाश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर
“माँ” की एक दुआ जिन्दगी बना देगी, खुद रोएगी मगर तुम्हे हँसा देगी… कभी भुल के भी ना “माँ” को रूलाना, एक छोटी सी गलती पूरा अर्श हिला देगी…!!
बड़ी चोट खायी जमाने से पहले,जरा सोचिये दिल लगाने से पहले।मुहब्बत हमारी नहीं रास आई,लगी आग घर को बसाने से पहले।
आज जो व्यवहार आप अपने, माता पिता के साथ कर रहे हो, कल वही व्यवहार आपके बच्चे आपके साथ करेंगे !
शौक Nahi हैं Mujhe मशहुर होने का पर Kiya करु, लोग #Personality देखते ही पहचान जाते है कि ये Koi, बिगड़ा हुआ #Shehzaada हैं.
मां की दुआ को क्या नाम दूं, उसका हाथ हो सर पर तो मुकद्दर जाग उठता है।
अपने घर के लोग अगर दुश्मनी करें,किस आसरे पे यारों बसर जिन्दगी करें।
ये सर्द रात ये तन्हाईयाँ ये नींद का बोझ,हम अपने शहर में होते तो घर गए होते।
हर रिश्ते में मिलावट देखी, कच्चे रंगो की सजावट देखी, लेकिन सालों साल देखा है मां को उसके चेहरे पर ना कभी थकावट देखी, ना ममता में कभी मिलावट देखें!
एक हस्ती है जो जान है मेरी,जो जान से भी बढ़ कर शान हे मेरी, रब हुक्म दे तो कर दू सजदा उसे, क्यूँ की वो कोई और नही माँ है मेरी
मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा झुक कर करू,तेरा सजदा तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए ना कर कभी मुझे माँ से जुदा!
लोग कहते है कीखुश रहोमगर मजाल हैकी रहने देLog Kehte Hain Ki khush rahoMagar majal hai ki Rahane De
भूल जाता हूँ परेशानियां ज़िंदगी की सारी, माँ अपनी गोद में जब मेरा सर रख लेती है।
वो शाख है न फूल, अगर तितलियाँ न हो,वो घर भी कोई घर है जहाँ बच्चियाँ न हो।
घर से दूर है मस्जिद क्या चला जाएँ,किसी रोते हुए बच्चे को हँसा दिया जाएँ।
बाज़ार जा के ख़ुद का कभी दाम पूछना,तुम जैसे हर दुकान में सामान हैं बहुत.
जरा ठहरो तो नजर भर देखु,ज़मीं पे चांद कहां रोज-रोज उतरता है।।
चलो आओ कुछ जीवन में नया रंग भरते हैंमाँ-बाबा के लिए अपने जीवन को सर्वस्त्र करते हैंसब करते हैं दुनिया के लिएआओ हम कुछ माँ-बाबा के लिए करते हैं।
वो कौन है दुनिया में जिसे गम नहीं होता,किस घर में ख़ुशी होती है, मातम नहीं होता।
घर अंदर ही अंदर टूट जाते है, मकान खड़े रहते है बेशर्मों की तरह.
खुशिया जहाँ की सारी मिल जाती है,जब पापा की गोद में झपकी मिल जाती है।
जब लाइफ की सब #होप्स डूब रही हो पानी में, ”फॅमिली” की नाव, कही आस पास ही मिलेगी.
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता हैअपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं“निदा फ़ाज़ली”
जिसकी मुस्कुराहट देखकरमेरी आंखों में चमक आ जाती है!…वह बेटी ही तो है जो सबकेदुख समेट कर जी जाती है!..
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था, आज की दास्ताँ हमारी है।
मौत न आई तो अगली छुट्टी में घर जाएँगे।“मोहम्मद अल्वी”
तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते,इसलिए तो तुम्हे हम नजर नहीं आते।
उसके रहते जीवन में कभी कोई गम नहीं होता,दुनिया साथ दे या ना दे पर माँ का प्यार कभी कम नहीं होता.
अंधेरी जिंदगी की राह दिखाने वाली मशाल हैं,जीवन की परेशानियों से बचाने वाली ढाल हैं,मेरे पापा मेरे लिए मिसाल हैं।
ये तेरी मुझसे बात ना करने वाली बात दिल में घर कर गई है।
छोटे-छोटे फैसलों सेजीवन कितना बदल जाता है,किसी का दिल टूट जाता हैतो किसी का घर बस जाता है.
हसीना ने मस्जिद के सामने घर क्या खरीदा,पल भर में सारा शहर नमाज़ी हो गया।
यू न झाँका करो किसी गरीब के दिल में। के वहा हसरतें वेलिबास रहा करती है।
हर कोई हर किसी का दर्दनहीं समझ सकतासिर्फ भूखे को ही पता हैरोटी की अहमियत।
एक शख्स बनाता है,दीवारों से घर,औलादें बना देती हैघरों में दीवार।
पहले बारिश में मिट्टी की खुसबू सहर में नहीं आतीजो मन और तन दोनों को निर्मल कर जाती है।
“ कौन कहता है, मोहब्बत बर्बाद करती है…निभाने वाला मिल जाये तो दुनिया याद करती है…!?…!!
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोईशिकवा तो नहींतेरे बिना पर ज़िन्दगी भी लेकिनज़िन्दगी तो नहीं
तेरे बगैर किसी और को देखा नहीं मैंने,सूख गया वो तेरा गुलाब लेकिन फेंका नहीं मैंने।।
हो सके तो समझना,वरना गलत समझ,मुझे भूल जाना…Ho sake toh samajhna,Warna galat samajh,Mujhe bhool jana..
रोटी तो बोहोत से लोगकमा कर खाते हैंमगर बोहोत कम होत हैजो परिवार के साथ खाते हैं।
नज़र की चोट जिगर में रहे तो अच्छा है,ये बात घर की है, घर में रहे तो अच्छा है.दाग देहलवी
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंजिल, कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा.
“ बाद-ए-हिज्र जमाने और मयखाने दोनो से मिला था,कुछ यूँ मैने अपनी जिंदगी को बर्बादी का हवा दिया था…!!
न जाने कितनी बुरी परिस्थितियां आती हैजब परिवार साथ हो तो हर बुरी घड़ी निकल जाती है
सब का ख़ुशी से फ़ासला एक कदम है,हर घर में बस एक ही कमरा कम है।
खुद को मनवाने का मुझको भी हुनर आता है,मैं वह कतरा हूँ समन्दर मेरे घर आता है।
खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी… जब मैंने मुस्कराती हुई माँ देखी..
सुकून की तलाश में हम कई दर घूम आए,लेकिन घर जैसा सुकून कहीं और नहीं पाया।
जिंदगी में उसके लिए हर रास्ता खुला हुआ है ! जो रहा परिवार के संग उसका हमेशा भला हुआ है !
वह पापा ही तो है,जो बचपन में हमें हंसाने के लिए कभी हाथी,तो कभी घोड़ा बन जाते थे।