Gaon Shayari In Hindi : जहाँ सीधे-सादे लोगो का है डेरा,खुशहाली से भरा वो गाँव है मेरा. गाँव में, पैसे से जेब हल्की और दिल के बड़े होते है,गैरों के मुसीबत में भी अपनों की तरह खड़े होते है.
अपनी जवानी से लड़कपन लौटा देने की फरियाद करता हूं,मेरी गांव की मिट्टी है तुझे रोज याद करता हूं ।।
“ कितना तकलीफ उठाकर कमाते है,जब गाँव से कम उम्रके बच्चे शहर जाते है….!!
जिन्दगी कैद हो गई शहर के ऑफिस और मकानों में,कितना हम खेला करते थे गाँव के खेत-खलिहानों में……!!
तेरे क़दमों में ये सारा जहान होगा एक दिन,माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले।
गाँव की गलियाँ मिलती है किसी अंजान की तरह,शहर से मैं अपने घर जाता हूँ एक मेहमान की तरह।
जमाने भर का गम अपने कंधो पर उठा रखा हैनज़रों का कहर दिल में दबा रखा हैअपने मौसम को तो तूने सुहाना बना रखा हैहमारे मौसम को धुंए में जला रखा है
“ जहां कुदरत की अपनी छांव है,जिसे अपना कहसकूं वह अपना गांव है…!!
जब घाव दिल पर नही हाथ-पैरों पर हुआ करते थे,
मेरे दिल को तोड़कर तू मिलने का बहाना न कर,दर्द हमने बहुत सहे है, इस मौसम को सुहाना न कर.
उसने समुन्दर को अपनी बाँहों में समेटना चाहा समुन्दर उसकी बाँहों में नहीं समा पाया उसने नाराज़ होकर समुन्दर से मुँह मोड़ लिया
बनारस की शाम सबसे सुंदर होती है,जब माँ गंगा की आरती शुरू होती हैतो मन मन्त्र मुग्ध हो जाता है औरहृदय में अध्यात्म जागृत हो जाता है.
सुलझा रहा हूँ एक एक करके सारी उलझनें, ~ जाने क्या होगा जब इश्क से सामना होगा ..!!!
वो आज करते है नज़र अंदाज़ तो बुरा क्या मानू ~ टूट कर मोहब्बत भी तो सिर्फ़ मैंने की थी
घर के बाहर ढूँढ़ता रहता हूँ दुनिया,घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।
सुकून की तलाश में हम कई दर घूम आए,लेकिन घर जैसा सुकून कहीं और नहीं पाया।
खाली हाथों को कभी गौर से देखा है, लोग किस तरह लकीरों से निकल जाते हैं
इलाही क्यूँ नहीं आती क़यामत माजरा क्या है, ~ हमारे सामने पहलु में वो दुश्मन के बैठे है.
कुदरत ने लिखा था तुमको मेरी तमन्नाओं में ख्यालों में मगर मेरी किस्मत में तुम न थे ये और बात है!!!
जीतने से पहले सरपंच नाचने वाली की तरह होता है, जिसे पैसे के लिए सबकी पसंद के गाने पर नाचना पड़ता है।
इश्क-ऐ-दरिया में हम डूब कर भी देख आये, वो लोग मुनाफे में रहे जो किनारे से लौट आये.
गांव में विकास नहीं पहुंचा मगर विशवास बहुत पहले से गांव वालों के बाइक रहता है।
मेरी मोहब्बत की हद न पूछो,मैं दुनिया छोड़ सकता हूँ पर तुम्हे नहीं..Meri mohabbat ki hadd na pucho,Main duniya chod sakta hoon par tumhe nahi..
गांव में भी निवेश हो गांव का भी विकास हो, पक्की सड़कें हो पक्के निवास हों।
बेख़बर हो गये हैं कुछ लोग, जो हमारी ज़रूरत तक महसूस नही करते, कभी बहुत बातें किया करते थे हमसे, अब ख़ैरियत तक पूछा नही करते…
बदला जो रंग उसने हैरत हुयी मुझे।मौसम को भी मात दे गयी फ़ितरत जनाब की।।
बहुत ऊँची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी। मगर मज़दूर माँगेगा तो सिक्के बोल जाते हैं।।
ज़िंदगी से ये ही गिला है मुझे ~ तू बहुत देर से मिली है मुझे
दिल की लगी में वक़्त-ए -तन्हाई ऐसा भी आता है ~ कि रात चली जाती है मगर अँधेरे नहीं जाते!
कितना तकलीफ उठाकर कमाते है,जब गाँव से कम उम्र के बच्चे शहर जाते है.
भीड़ के ख़ौफ़ से फिर घर की तरफ़ लौट आया,घर से जब शहर में तन्हाई के डर से निकला।“अलीम मसरूर”
विचार हो जैसा वैसा मंजर होता है,मौसम तो इंसान के अंदर होता है.
शहर में लाखों का माकन है मेराफिर कु याद आता हैगाँव बाले घर का आँगन मेरा
होती है बड़ी ज़ालिम एक तरफ़ा मोहब्बत ~ वो याद तो आते हैं मगर अफसोस हमें याद नहीं करते…
मौसम अच्छा हो गया है,लगता है मेरी जिंदगी मेंतुम आने वाले हो।।
गाँव के अनपढ़ बेरोजगारों को नौकरी देता है शहर,कमियों के बावजूद गाँव पर उसका बड़ा एहसान है.
जहाँ सीधे-सादे लोगो का है डेरा,खुशहाली से भरा वो गाँव है मेरा.
मुझे यक़ीन है वो राह देखता तो होगा, ~ मैं सोचता हूँ मगर सोचने से क्या होगा….
इस मरज़ से कोई बचा भी है ~ चारागर इश्क़ की दवा भी है
जब मैं एक मुद्दत बाद शहर से घर आता हूँ,मैं अपनों के बीच में खुद को पराया पाता हूँ।
हम गांव वाले शहर आकर भी शहर वालों से दूर और गांव वालों के नज़दीक रहते हैं।
गिरते ही संभल गये, मंजिंल थी हैं आखों में,नहीं था इतना डैम इन दो आँधियों में,,चिराग भी जल जाता हैं इन हवाओं में।
दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो, इंतजार उसीका है जिसको अहसास तक नहीं !
जिन्दगी कभी धूप में तो कभी छाँव में है,जीवन जीने का असली मजा तो गाँव में है.
“ पेड़ में धागा बांधकरपूरी होती है मुरादे,कितनी प्यारी-प्यारीसजोकर रखते है यादें….!!
कोई बतायेगा, कैसे दफ़नाते हैं उनको, वो ख़्वाब, जो दिल में ही मर जाते है
‘“ शहर की मक्कारीगाँव में आने लगी,सीधे-सादे लोगो कोठग कर जाने लगी….!!
उदास ज़िन्दगी, उदास वक्त, उदास मौसम।कितनी चीज़ों पे इल्ज़ाम लग जाता है तेरे बात न करने से।।
शहर की बारिश किसे रास आती है,गाँव की बारिश में मिट्टी से महक आती है.
जिन्दगी की हर सुबह कुछ शर्ते लेकर आती हैंऔर जिन्दगी की हर शाम कुछ तजुर्बे देकर जाती हैं
यादो का ”समूह” होता है घर का बरामदा जंहा खड़े होक #गांव का नजारा लिए करते थे उसकी याद अभी_सीने से निकल ही जाती है,
“ बिना बुलाये आ जाते थे गांव में रोज मिलने ये परिंदे शहर के मसरूफ बड़े हे…!!
अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है,मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन।“साक़ी फ़ारुक़ी”
“ कितना तकलीफ उठाकर कमाते है,जब गाँव से कम उम्रके बच्चे शहर जाते है….!!
तमन्ना उसके वजूद की होती तो दुनिया से छीन लेता इश्क उसकी रूह से है इसलिये खुदा से माँगता हुँ!!!
विकास के मुद्दे को अहम बनाने का वक़्त आ गया, शहर के लोगों को अब वापस गाँव बुलाने का वक़्त हो गया है।
#Single रहना भी कोई #आसान बात नहीं है✖️😍जिसे देखो उसीसे #प्यार हो जाता है 😝😜
हुकुमत वही करता है जिसका दिलों पे राज होता है, वरना युं तो गली के मुर्गो के सर पर भी ताज होता है..
करीब आने की उन्हें फ़ुरसत नहीं.. ~ और मुझपे इलज़ाम लगा है दूरियाँ बनाने का..!!
इस कदर प्यार से मत बोला कर दुश्मनी का अहसास होता है!!!
गाँव के लोगो के हालात खराब होते है,मगर वो दिल के खराब नही होते है.
शहर जूतों में घूम रहा है और शहर नंगे पांव बैठा है, शहर बड़े घरों में रहता है और गांव सुकून में रहता है।
हर मर्ज़ का इलाज नहीं ,दवाख़ाने में… ~ कुछ दर्द चले जाते हैं ,सिर्फ़ आपके मुस्कुराने में
एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं,
शहर में जाकर लग गई ज़िन्दगी दाव में, बड़े मेहफ़ूज़ थे जब तक थे हम अपने गांव में।
कुछ नहीं मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर.. ~ मेरा अपना साया भी धूप में आने से मिला…
बुत भी रक्खे हैं नमाज़ें भी अदा होती हैं, ~ दिल मेरा दिल नहीं अल्लाह का घर लगता है
जो चलना भी नही जानते थें,आज घर की जिम्मेदारियों ने दौड़ना सिखा दिया।
“🔥🔥 तेरी दिमाग से सारे वहम निकालूगा, और साले जो आग लगी है ना तेरे पीछे उसपे तो अभी ओर पेट्रोल डालूगा. 🔥🔥”
तेरी याद में बर्बाद नाजाने कितनी शाम की है मैंने,कुछ यूँ ही अपनी ज़िन्दगी तमाम की है मैंने।
“ गाँव में जब भूख सताता है,तो शहर का रास्ता नजर आता है,वो हर तरह के दर्द को सह लेता हैजब घर की याद आये तोअकेले में रो लेता है….!!
सहर ही हलचल से दूरयहाँ मन को आराम हैघर तो अपना गाव में ही है जनाबसहर में तो बस मकान है।
आकाश में उड़ रहे पंछी को भी घर की याद सताती है,चाहे हो दूर कितने भी घर की याद आती है।