Fursat Shayari In Hindi : लम्हे नही मिलते ऐसे फुरसत के, किसी की शादी मे जा भी लिया करो, शायद किसी के नजरो से नजर मिल जाये, और जाने अनजाने मे प्यार ही हो जाये। तुम्हें जब कभी मिले फ़ुरसतें मेरे दिल से बोझ उतार दो,मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो.
इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया ए ज़िन्दगी, ~ चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आ गया।
तुम्हारी आँखों की गहराई में,मैंने अपना सब कुछ खो दिया है.तुम्हारी हंसी की लहर में,मैंने अपना जीवन खो दिया है.
इश्क-ऐ-दरिया में हम डूब कर भी देख आये, वो लोग मुनाफे में रहे जो किनारे से लौट आये.
तुम ये कैसे जुदा हो गए ~ अब हर तरफ हर जगह हो गए!!!
बार बार दिन ये आए, बार बार यह दिल गाये, तू जिए हजारो साल, यही है मेरी आरजू। जन्मदिन की शुभकामनाये।
बस इन्सान ही है जो किसी से मिलता जुलता नहीं, … वरना ज़माना तो भरपूर मिलावट का चल रहा है……
वो जो ख़ामोशी की एक पतली लकीर उभरी थी न.. अब ~ ~ सरहद बन चुकी है.. तेरे मेरे दरमियाँ…..
हर तमन्ना जब दिल सेरूख्सत हो गई,यकीन मानिये फिरफुरसत ही फुरसत हो गई.
आखिर कैसे भुलादे हम उसे ~ मौत इन्सानो को आती है यादों को नहीं!
वो जो ख़ामोशी की एक पतली लकीर उभरी थी न.. ~ अब सरहद बन चुकी है.. तेरे मेरे दरमियाँ…..
फुरसत से मिला करो,ये वक़्त नही है मिलने का,बाहर अंधेरा बहुत छाया है,ये वक़्त नही है long drive पर जाने का।
एक सुकून की तलाश मेजाने कितनी बेचैनियां पाल ली,और लोग कहते है हम बडे हो गएहमने जिंदगी संभाल ली।
कभी बैठो फुर्सत में छोड़ो ये तामझाम,ढल ना जाये देखो कही एक और शाम.
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है।
हर नक्श हीरे सा तराशा गया है,सच सनम तुम्हे बड़ी फुर्सत में बनाया गया है।
पेट्रोल जैसी महंगीहो रही है तुझको मेरी यादें..तू मुझे फुरसत में याद करेअब कैसे करू ये फरियादें..
किसी के लिये किसी की अहमयित खास होती है,और एक दिल की चाबी दूसरे के पास होती है.
किताब के मुड़े हुए पन्ने कहते हैं अक्सर ~ बहुत कुछ रह गया तुम से कहे बगैर
आज सुबह से ही हिचकिया आ रही हैं“मन” लगता हैंआज उन्हें फुर्सत मिल ही गयी,मुझे याद करने की।।
जिसे पा नहीं सकते जरूरी नहीं ,कि उसे प्यार करना भी छोड़ दिया जाए।।
👉अभी तो हम मैदान में उतरे ही नहीं ☝️ 👉और लोगों ने हमारे चर्चे शुरू कर दिये 😎
वो दिल ही क्या जो वफ़ा न करे,तुझे भूल कर जिए कभी खुदा न करे,रहेगी तेरी मोहब्बत जिंदगी बन कर,वो बात और है जिंदगी वफ़ा न करे.
ज़िन्दगी और जुबां तब तक शांत रहती जब तक सब कुछ बेहतर रहता है।
मंजिल पे पहुँचकर लिखूंगामैं इन रास्तों की मुश्किलों,का जिक्र अभी तो बसआगे बढ़ने से ही फुरसत नही।।
मेरा तुझसे लड़ना तो एक बहाना है,मुझे तो तेरे साथ सिर्फ वक्त बिताना है.
😘हमेशा Smile Kiya करो यार😃 😏ये Chuhe जैसा मुंह Bna कर रखने से😁 😩कौनसी Life की परेशानियां कम हो जाएंगी🤠
छुप-छुप के देखा है उन्हें ,उनके सामने अक्सर, ~ इज़हार-ए-इश्क़ भी होगा ज़रा बात तो होने दो
इतना जागा हूँ तेरी फ़ुर्क़त में ~ अब मेरी रात ही नहीं होती …
कुछ रिश्ते,जिंदगी बदल देते हैं, ~ मिले तब भी ना मिले तब भी
काश मेरी जिंदगी में भी वो दिन आये,मैं खोलूँ अपनी आँखे और तू नज़र आये.
एक पिता ने क्या खूब कहाकी मुझे इतनी फुर्सत कहाँ मैं तक़दीर का लिखा बदल सकू,बस मेरी बेटी की मुस्कुराहट देखकर समझ जाता हूँ,कि मेरी तकदीर बुलंद है।
बहुत ऊँची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी। मगर मज़दूर माँगेगा तो सिक्के बोल जाते हैं।।
सितारों से आगे भी कोई जहान होगा, जहां के सारे नजरों की कसम, आपसे प्यारा वहां भी कोई न होगा, जन्मदिन मुबारक हो !
“दौड़ने दो खुले मैदानों में , इन नन्हें कदमों को साहब .!
ये शुभ दिन आपके जीवन में आये हजार बार और हम आपको यूँही विश करते रहें बार बार आपको जन्मदिन मुबारक हो !
दो हिस्सों में बंट गए मेरे दिल के सब अरमान ~ कुछ तुझे पाने निकले तो कुछ मुझे समझाने निकले…
हर राह आसान हो हर राह पे खुशियाँ हो, हर दिन खुबसूरत हो यही हर दिन मेरी दुआ हो, ऐसा तुम्हारा हर जन्मदिन हो !
किस किस का नाम लूँ अपनी बर्बादी में, कई अपनों की दुआएं भी हैं मेरे साथ
एक सुकून की तलाश मे जाने कितनी बेचैनियां पाल ली और लोग कहते है हम बड़े हो गए हमने जिंदगी संभाल ली
सब कुछ कितना ठहरा हुआ है.. मै भी , वक्त भी ,हालात और रुकी हुई है ज़िन्दगी भी बस तुम ही आगे निकल गये…
एक दीवाने को जो आए हैं समझाने कई पहले मैं दीवाना था और अब हैं दीवाने कई
दिल मिले तभी प्यार करना,दिन में कुछ पल बात करना,वफ़ा को हमेशा साथ रखना,जब फुर्सत मिले तब याद करना।
साक़ी मेरे मोहब्बत की शिद्दत तो देखना, ~ फिर आ गया हूँ रोज़ मर्रा के ग़मों को टालकर
बचपन चवन्नी से हरे नोट में बदल गया… ~ मगर…बाज़ार बंद हो गया खुशियों का….
सारी रात जागता रहा मै, चाँद की एक झलक के खातिर… पर कमबख्त बादलों को तरस भी ना आया, मेरी बेचैनियों पर…….
कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।
हर कोई पूछता है ‘करते क्या हो तुम . ~ कि जैसे..मोहब्बत कोई काम ही नही..!
तेरी औक़ात ही क्या….. सुन ले ~ शहर के शहर ज़मीनों के तले दब गए हैं
तेरे इश्क से मिली है मेरे बजूद को शोहरत,वरना मेरा ज़िक्र ही कहाँ था तेरी दास्तां से पहले.
मान लेता हु तेरे वादों को, ~ भूल जाता हूँ में की तू ह वही.
रोक कर बैठे हैं कई समंदर आँखों में दगाबाज़ हो सावन तो क्या हम खुद ही बरस लेंगे!!!
परछाई से कभी मत डरिए क्यूंकि परछाई होने का मतलब रौशनी कहीं आस पास ही है।
दिन भर सिर्फ काम करतानहीं होती उसे जरा फुरसत..मोहब्बत क्या ख़ाक होगी उससेमशीन जैसी है उसकी हरकत..
जी भर गया है तो बता दो, ~ हमें इनकार पसंद है….इंतजार नहीं…!
लगता है आज ज़िन्दगी कुछ ख़फ़ा है, ~ चलिए छोड़िये कौन सी पहली दफ़ा है..
तमन्ना है के वो यादकर ले हमें फुर्सत में..उनके सिवा कोई औरनहीं है इस जिंदगी में..
तुझ से रूठने का हक है मुझ को.. ~ पर मुझ से तुम रूठो यह अच्छा नहीं लगता|
कुछ पेड़ भी बे-फ़ैज हैं इस राह-गुज़र के ~ कुछ धूप भी ऐसी है के साया नहीं होता
रात खोले थे कुछ पुराने ख़त, ~ फिर मुहब्बत दराज़ में रख दी
मैंने मौत को देखा तो नहीं, पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी। कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,जीना ही छोड़ देता हैं।।
तबीबों का एहसान क्यूँ-कर न मानूँ ~ मुझे मार डाला दवा करते करते
बहुत रोया हूँ मैं जब से ये मैं ने ख़्वाब देखा है कि आप आँसू बहाते सामने दुश्मन के बैठे हैं
मांग लुंगी तुझे अब तकदीर से,क्योंकि अब मेरा मन नही भरता है तेरी तस्वीर से.
चलो छत से ही सही,मेरे जनाजे को देखनेकी फुर्सत उन्हें मिली।।
तुम्हें जब कभी मिले फुरसत,मेरे दिल से बोझ उतार दो,मैं बहुत दिनों से उदास हूँमुझे कोई शाम उधार दो.
अगर एहसास है तो करलो मोहब्बत को महसूस,ये वो ज़ज़्बा है जो लवज़ो में बया नही होता है.
पतंग उड़ा के खुली रील छोड़ देता है ~ खुदा खफा हो तो फिर ढील छोड़ देता है!!!
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया?
आ थोड़ी देर बैठ के बाते करे यहाँ… ~ तेरे तो यार लहजे में अपना -सा दर्द है
वो झरना वही हसीन शाम दे दो वही प्याला वही झूठा जाम दे दो फुरसत में बस तुम याद आते हो मुझे फिर से कोई नया काम दे दो।
तेरा ख़याल तेरी तलब और तेरी आरज़ू, ~ इक भीड़ सी लगी है मेरे दिल के शहर में…
मुझे दिल से भुलाने वाले,कभी फुर्सत से बैठना फिर सोचना,मेरा कसूर क्या था?