Famous Shayari In Hindi : मुझे पसंद नहीं ऐसे कारोबार में हूँ ये जब्र है कि मैं ख़ुद अपने इख़्तियार में हूँ मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
अपनी तकदीर तोखुद ही लिखनी पड़ती हैचिट्ठी नहीं है जोकिसी और से लिखवा ले.
उन्होंने हमें पढ़ के इस तरह रख दिया जैसेलोग पुराने अखबार को रख देते है।
” अफवाहें नफरत करने वालों के द्वारा फैलाई जाती हैं,मूर्खों द्वारा फैलाई जाती हैंऔर एक IDIOT के द्वारा स्वीकार की जाती हैं “
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें है कितने,भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
बेवफा कह कर तोड़ दिए सब रिश्ते बीच के,हमें तलाश है मुद्दत से अपनी बेवफाई की.
दिल तमन्ना से डर गया जनाब, सारा नशा उतर गया जनाब। Dil tamanna se dar gaya janab, sara nasha utar gaya janab.
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया?
हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं,पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं।
कोई जान भी ले ले हराकर, मुझको मंज़ूर है, धोखा देने वालों को मैं दूसरा मौका नहीं देता।
कभी-कभी समझ नहीं आता कि क्या करू मैं,क्यूंकि ना तो किसी को हमारी,ख़ामोशी भाती है और ना हमारी बाते..
ख़बर सुन कर मिरे मरने की वो बोले रक़ीबों से ख़ुदा बख़्शे बहुत सी ख़ूबियाँ थीं मरने वाले में – दाग़ देहलवी
ज़रा-सी भूल क्या हुई,दुनिया सारी अच्छाइयां भूल गयी।
रात और रात में गूँजती एक बात एक ख़ौफ़, इक मुंडेर, इक दिया और मैं ~ इफ़्तिख़ार मुग़ल
सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या कहती है तुझ को ख़ल्क़-ए-ख़ुदा ग़ाएबाना क्या ~ हैदर अली आतिश
बोलने से पहले ज़रा सोच ले ज़ुबान मेरे पास भी है…
मोहब्बत की महकती हवा क्या चली,अपने साथ उड़ाकर मेरा सुख-चैन ले गयी।
इश्क़ करो आराम नहीं आए तो कहना ये बीमारी सबको अच्छा कर देती है ~शारिक़ कैफ़ी
मोहबब्त का खेल भी निराला है,जो मिल नही सकता,उसीके लिए पागल कर डाला है।
सोचने से कहाँ मिलते हैं तमन्नाओं के शहर,चलना भी जरुरी है मंजिल को पाने के लिए।
दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं,सब अपने चहेरों पर दोहरी नकाब रखते हैं..!!
ज़रा पाने की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता है, नदी का साथ देता हूं, समंदर रूठ जाता है.
अगर आप इस बार भी असफल हुए है तो, एक बार फिर दुगुने जोश से प्रयास करे,क्योंकि हम असफल तभी होते है, जब हम अपना 100% नहीं देते।
भूख तो एक रोटी से भी मिट जाती माँ,अगर थाली की वो रोटी तेरे हाथ की होती।
रात तो ख़ैर किसी तरह से कट जाएगी रात के बाद कई कोस कड़े और भी हैं ~ ख़लील-उर-रहमान आज़मी
सबको आजमा के देख लिया मैने अगर पैसा ना हो कोई साथ नहीं देता…
यही ख़याल तो दामन को थाम लेता है, हम उठ गए तो तेरी अंजुमन का क्या होगा.
दो-इक दिन नाराज़ रहेंगे, बाबूजी की फ़ितरत है, चांद कहां टेढ़ा रहता है सालों साल सितारों से.
ये रिश्ते अपनी चलाने नहीं देते,और अगर इनकी भी सुने,तो भी ये शिकायतें सुनाते है।
वक़्त आपको बता देता हैकि लोग कैसे थेऔर आप उन्हें क्या समझते थे.
जिसका तारा था वो आंखें सो गई हैं, अब कहां करता है मुझ पर नाज़ कोई.
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं – अल्लामा इक़बाल
बड़े गौर से सुन रहा था जमाना तुम्ही सो गये दास्तां कहते कहते
हर रोज़ खा जाते थे वो #🚶♀️कसम मेरे नाम की#,#आज पता चला की जिंदगी3 धीरे धीरे# ख़त्म क्यूँ# हो रही है😔|
काम की बात मैंने की ही नहीं, ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं। Kaam ki baat maine ki hi nahi, ye mera taur ye zindagi hi nahi.
अच्छा तो कुछ भी नहीं,पर जो भी हैं सही हैं..Accha to kuch bhi nahi,Par jo bhi hain sahi hain..
तूने दर्द दिया तकलीफे दी,इतना सब दिया ज़िन्दगी,फिर भी मैं तुझसे मोहब्बत ना करू।
सादगी तो हमारी ज़रा देखिए,ऐतबार आपके वादे पर कर लिया।इश्क़ में उलझने पहले ही कम न थीं,और पैदा नया दर्दे सर कर लिया ।
कितनी भी सजा दो काफी नहीं होती, कुछ गलतियां ऐसी होती है जिनकी माफी नहीं होती।
Chehro Pe Hasi Fuhar Hai लेकिन दिल किस कदर उदास है… पता नहीं
हम खुशियों में मां को भले ही भूल जाए,जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है मां।
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
ज़िंदगी जब जख्म पर दे जख्म तो हँसकर हमें,आजमाइश की हदों को आजमाना चाहिए।
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं, यह क्या हमें उड़ने से खाक रोकेंगे कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं.
मंजिल तो मिल ही जाएगी, भटक के ही सही,गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं।
देख कर इंसान की बेचारगी शाम से पहले परिंदे सो गए ~ इफ़्फ़त ज़र्रीं
आज से हम भी अकेले हो गए इस भीड़ में ध्यान में था जो भरा सा आसमाँ ख़ाली हुआ ~ शहराम सर्मदी
जिन्दगी है मगर गर्मिए-रफ्तार का नाम,मंजिलें साथ लिये राह पे चलते रहना।
जरा दरिया की तह तक तू पहुंच जाने की हिम्मत कर,तो फिर ऐ डूबने वाले किनारा ही किनारा है।
ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया,झूठी क़सम से आपका ईमान तो गया।Khatir Se Ya Lihaaz Se Main Maan To Gaya,Jhoothhi Qasam Se Aapka Imaan To Gaya.
जिन लोगों का शौक उनका काम ही हैउन्हें किसी और शौक की क्या ज़रूरत !!
“तुम्हारी नज़रों में हम बेसबब नहीं होते, दिल तो जलता है मगर शिकवा नहीं होता”
मुश्किलों से कह दो उलझा ना करे हम से,हर हालात में जीने का हुनर आता है हमें।
समन्दर की तरह है अपनी पेहचान उप्पर से खामोश अंदर से तूफान .!!
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा – साहिर लुधियानवी
बाबूजी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक़सीम हुईं, तब- मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा.
तू रख यकीन बस अपने इरादों पर,तेरी हार तेरे हौसलों से तो बड़ी नहीं होगी।
मंजर भी बेनूर# था औरफिजायें# भी बेरंग थीं#बस# फिर तुम याद आये#और# मौसम सुहाना# हो गया😶😶।
ना ज्यादा न कम जैसी आपकी सोच वैसे हम…
तू तो मेरी जान थी,पर क्यों तेरी यादे,मेरी जान ले रही हैं…Tu toh meri jaan thi,Par kyu teri yaade,Meri jaan le rahi hain…
एक बार वक्त को बदलने दोतुने सिर्फ बाजी पलटी हैमैं Life ही पलट दुँगा.
ये वक़्त जो तेरा है ये वक़्त जो मेरा है हर गाम पे पहरा है फिर भी इसे खोना है ~ निदा फ़ाज़ली
ये जिस्म क्या है कोई पैरहन उधार का है, यहीं संभाल के पहना, यहीं उतार चले.
यहाँ अपनी पड़ी है, तुझ से ऐ ग़म-ख़्वार क्या उलझूँ ये कौन आराम है मर जाऊँ तब आराम आएगा ~ शाद अज़ीमाबादी
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यूँ हैं,इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं।
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए,ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए।
चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है – शहाब जाफ़री
★ऐसे मत देख पगली जानता हूँ…✌🏻मैं #Cute हूँ तू दिल हार जाएगी…बस कर अब और मत देख…😉वरना #मेरी_वाली से मार_खाएगी…!★
राह संघर्ष की जो चलता है, वो ही संसार को बदलता है,जिसने रातों से जंग जीती है, सूर्य बनकर वही निकलता है।
आज कोहरा बहुत ज्यादा है मतलबी लोग दिख नही रहे है
खुदकुशी हराम है साहब, मेरी मानो तो इश्क़ कर लो
रोटी से विचित्र कोई चीज़ नहीं ए दोस्त,इंसान पाने के लिए भी दौड़ता है…और पचाने के लिए भी॥
मैंने जब छोड़ दी दुनिया तो अकेला ही रहाकौन देता मेरा होने का पता मेरे बाद