230+ Dr Kumar Vishwas Shayari In Hindi | कुमार विश्वास की प्रसिद्ध शायरी

Dr Kumar Vishwas Shayari In Hindi , कुमार विश्वास की प्रसिद्ध शायरी
Author: Quotes And Status Post Published at: July 20, 2023 Post Updated at: October 26, 2024

Dr Kumar Vishwas Shayari In Hindi : जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते हैं ,जब बाबा हमें बुलाते हैं , हम जाते हैं , घबराते हैं , जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह हैतुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है

बात ऊँची थी, मगर बात जरा कम आंकी, उसने जज्बात की औकात जरा कम आंकी, वो फरिश्ता कह कर मुझे जलील करता रहा, मैं इंसान हूँ, मेरी जात जरा कम आंकी।

रूह मे, दिल में, जिस्म में, दुनिया ढूंढता हूँ मगर नहीं मिलती |

जब बेमन से खाना खाने पर , माँ गुस्सा हो जाती है ,जब लाख मन करने पर भी , पारो पढने आ जाती है

कोशिशें मुझको मिटाने की भले हों कामयाब मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मजा ले जाऊँगा

मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी हैमेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी हैसुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग सेमेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है

तुम अगर नहीं आयी गीत गा न पाउगासांस साथ छोड़ेगी, सुर सजा न पाउगातान भावना की है, शब्द शब्द दर्पण हैबांसुरी चली आओ, होठ का निमंत्रण है

सितम की मारी हुई वक्त की इन आँखों में, नमी हो लाख मगर फिर भी मुस्कुराएंगे,

आसमाँ चूमे मेरे पँख तेरी रहमत से, और किसी पेड़ की डाली पर रिहाइश भी रहे |

कोई भी बात हमने न की रात-भर प्यार की धुन कोई गुनगुनाते रहे देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे

इश्क की फितरत रंग से मलंग घोले, बाजी थी इशारों की, जुबान क्या बोले। Ishq ki fitrat ran se Malang ghole baaji thi isharo ki, jubaan kya bole

शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त-दुश्मन हो गए सब यहीं रह जाएंगी मैं साथ क्या ले जाऊँगा

इक नशा सा अजब छा गया था की हम खुद को खोते रहे तुमको पाते रहे देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे

मुझको मालूम है मेरा है वो मै उसका हूँ उसकी चाहत है की रस्मों की ये बंदिश भी रहे

तुम्हें जीने में आसानी बहुत है, तुम्हारे ख़ून में पानी बहुत है |

हम ने समझा है प्यार पर तुम तो जान-पहचान कर रही हो ना |

जिस्म का आखिरी मेहमान बना बैठा हूँ, एक उम्मीद का उन्वान बना बैठा हूँ, वो कहाँ है ये हवाओं को भी मालूम है मगर, एक बस में हूँ जो अनजान बना बैठा हूँ।

दीदी कहती हैं उस पगली लड़की की कुछ औकात नहीं,उसके दिल में भैया तेरे जैसे प्यारे जज्बात नही..!!

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है, तीर पार कान्हा से दूर राधिका – सी है |

मिलते रहिये कि मिलते रहने से, मिलते रहने का सिलसिला हूँ मैं।

याद उसे इंतिहाई करते हैंसो हम उस की बुराई करते हैं

जिंदगी भर की कमाई तुम थे, इस से ज्यादा ज़कात कौन करे |

मेहफिल-महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है,खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता हैउनकी आँखों से होकर दिल जाना.रस्ते में ये मैखाना तो पड़ता है..

हमने जीवन की चौसर पर दाँव लगाए आँसू वाले |

हम ने क्यूँ ख़ुद पे एतिबार किया,सख़्त बे-ए’तिबार थे हम तो..!!

अजब है कायदा दुनिया ऐ इश्क का मौला,फूल मुरझाए तब उसपार निखार आता हैं,आजिब बात हैं तबियत खराब है जाब से,मुझको तुम पे कुछ ज्यादा प्यार आता हैं..!!

नस – नस के पहले ज्वार ! मुझे तू याद न आया कर |

हम अगर गुनगुना भी देंगे तो वो सब के सब हम को कागज पे हरा के भी हार जायेंगे

बस प्यार अमर है दुनिया में, सब रिश्ते आने – जाने हैं,  चेहरे पर चँचल लट उलझी, आँखों मे सपन सुहाने हैं |

रात थी, क्या गज़ब रात थी दंश सहते रहे, मुस्कुराते रहे देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे

रात की उदासी को याद संग खेला है, कुछ गलत ना कर बैठें मन बहुत अकेला है |

दूरियाँ समझती हैं दर्द कैसे सहना है? आँख लाख चाहे पर होठ को ना कहना है|

कबूतर इश्क का उतरे तो कैसे, तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है |

क़ोशिशें मुझको मिटाने की मुबारक़ हों मगर मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मज़ा ले जाऊँगा

आना तुम मेरे घर, अधरों पर हास लिए |

लोग कहते रहें इस रात की सुबह ही नहीं, कह दे सूरज कि रौशनी का तजुर्बा ही नहीं,

हम ने क्यूँ ख़ुद पे ए’तिबार कियासख़्त बे-ए’तिबार थे हम तो

सारी बाधाएँ तज, बल खाती नदिया बन, मेरे तट आना एक भीगा उल्लास लिए |

चेहरे पर चँचल लट उलझी, आँखों मे सपन सुहाने हैं ये वही पुरानी राहें हैं, ये दिन भी वही पुराने हैं

मेरे गीतों के सार मुझे तू याद न आया कर |

एक चेहरा था ,दो आखें थीं ,हम भूल पुरानी कर बैठे , एक किस्सा जी कर खुद को ही, हम एक कहानी कर बैठे …

बस उस पगली लड़की के संग जीना फुलवारी लगता है,और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है..!!

अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा

महफिल-महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है,खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है,उनकी आँखों से होकर दिल जाना.रस्ते में ये मैखाना तो पड़ता है..!!

हुए पैदा तो धरती पर हुआ आबाद हंगामा जवानी को हमारी कर गया बर्बाद हंगामा हमारे भाल पर तकदीर ने ये लिख दिया जैसे हमारे सामने है और हमारे बाद हंगामा

हम सितारे तुम्हें बुलाते हैं, चाँद ना हो तो रात कौन करे |

आँखों ने पुनः पढ़ी आँखें, न शिकवे हैं न ताने हैं, चेहरे पर चँचल लट उलझी, आँखों में सपन सुहाने हैं |

नयन हमारे सीख रहे हैं, हँसना झूठी बातों पर |

जिन नज़रों ने रोग लगाया गजलें कहने का , आज तलक उनको नजराना चलता रहता है

लोग कहते हैं रुह बिकती है, मै जिधर हूँ उधर नहीं मिलती |

हमारे ज़ख़्म-ए-तमन्ना पुराने हो गए हैं,कि उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं..!!

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा

एक दो दिन मे वो इकरार कहाँ आएगा ,हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा ,आज जो बांधा है इन में तो बहल जायेंगे ,रोज इन बाहों का त्योहार कहाँ आएगा…!!

आँखें की छत पे टहलते रहे काले साये,कोई पहले में उजाले भरने नहीं आया…!कितनी दिवाली गयी, कितने दशहरे बीते,इन मुंडेरों पर कोई दीप न धरने आया…!!

वो पगली लड़की नौ दिन मेरे लिए भूखी रहती है ,छुप -छुप सारे व्रत करती है , पर मुझसे कभी ना कहती है ,

तुमको पथ में कुछ मर्यादाएँ रोकेंगी, जानी – अनजानी सौ बाधाएँ रोकेंगी |

कंचनी कसौटी को खोट ना निमन्त्रण है| बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है|

जब बासी फीकी धुप समेटें , दिन जल्दी ढल जाता है ,जब सूरज का लश्कर , छत से गलियों में देर से जाता है ,

लोग-बाग़ भी वक़्त बिताने आते रहते हैं , अपना भी कुछ गाना-वाना चलता रहता है !

तुम अलग हुयीं मुझसे साँस की खताओं से,भूख की दलीलों से, वक़्त की सजाओं ने|

ये नही की तीर कमान नही मेरी खामोशी से बढ़कर कोई बयान नही Ye nahi ki teer kaman nahi meri khamoshi se badhkar koi bayan nahi

कंचनी कसौटी को खोट ना निमन्त्रण है|बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है|

औषधी चली आओ, चोट का निमन्त्रण है, बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है|

तान भावना की है, शब्द-शब्द दर्पण है, बाँसुरी चली आओ, होट का निमन्त्रण है|

वो जो खुद में से कम निकलतें हैंउनके ज़हनों में बम निकलतें हैंआप में कौन-कौन रहता हैहम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।

जब तुम आओगी तो घर आँगन नाचेगा, अनुबन्धित तन होगा लेकिन मन नाचेगा |

मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ

मैं तुम्हें अधिकार दूँगा एक अनसूंघे सुमन की गन्ध सा मैं अपरिमित प्यार दूँगा मैं तुम्हें अधिकार दूँगा

लेकिन तुम चन्दन सी, सुरभित कस्तूरी सी, पावस की रिमझिम सी, मादक मजबूरी सी |

तुम अगर राग माला बनो तो सही, एक पावन शिवाला बनो तो सही, लोग पढ़ लेंगे तुमसे शबक प्यार का, प्रीत की पाठशाला बनो तो सही।

कोमल-कोमल, श्यामल-श्यामल, अरूणिम-अरुणिम पायल की ध्वनियों में गुजित मधुमास लिए |

जिसने खुद को बाँधा लेकिन मेरे सब बंधन खोल दिए |

तुम से मिलने की कोशिश में, किस किस से मिलना पड़ता है। Tum se milane ki koshish me kisi kis se Milana padta hai

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