Death Shayari In Hindi : “मौत पर भी यकीन है उस पर भी एतबार है ! देखते हैं पहले कौन आता है दोनो का इंतज़ार है !😒 अब नाराजगी खत्म कर दे मौत से कह दो, वो बदल गया है जिसके लिए हम जिन्दा थे !
शिकायत मौत से नहीं अपनों से थी मुझे, जरा सी आँख बंद क्या हुई वो कब्र खोदने लगे..!!
अपनी मौत भी क्या मौत होगी एक दिन यूँ ही मर जायेंगे तुम पर मरते मरते.|
मौत की हिम्मत कहां थी मुझसे टकराने की,कमबख्त ने मोहब्बत को मेरी सुपारी दे डाली।
जाने वाले कभी नहीं आतेजाने वालों की याद आती है।
“जहर पीने से कहाँ मौत आती है, मर्जी खुदा की भी चाहिए मौत के लिए !
क्या कहूँ तुझे… ख्वाब कहूँ तो टूट जायेगा, दिल कहूँ, तो बिखर जायेगा, आ तेरा नाम ज़िन्दगी रख दूँ, मौत से पहले तो तेरा साथ छूट न पायेगा.
माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आजहम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले।
शुक्र है कि मौत सबको आती है,वरना अमीर तो इस बात का भी मजाक उड़ाते,कि गरीब था इसलिए मर गया।
लम्बी उम्र की दुआ मेरे_लिए न माँग, ऐसा न हो कि तुम भी छोड़ दो और #मौत भी न आये..!!
मंज़िल तोह तेरी यही थी बस ज़िन्दगीगुजर गयी तेरी यहाँ आते आते क्यामिला तुझे इन् दुनिया वालो से अपनोंने ही जला दिए तुझे जाते जाते।
चले आओ मुसाफिर आख़िरी साँसें बची हैं कुछ, तुम्हारी दीद हो जाती तो खुल जातीं मेरे आँखें..!!
हद तो ये है कि मौत भी तकती है दूर से, उसको भी इंतजार मेरी खुदकुशी का है.
मोहब्बत के नाम पे दीवाने चले आते हैं, शमा के पीछे परवाने भी चले आते हैं, तुम्हें याद न आये तो चले आना मेरी मौत पर, उस दिन तो बेगाने भी चले आते हैं ।
आसमान को पड़े मुकाम मिल जाएखुदा को ये मेरा पैगाम मिल जाएथक गयी हैं धड़कने अब तो चलते चलतेठहरे सासें तो शायद आराम मिल जाए
जरा चुपचाप तो बैठो कि दम आराम से निकले,इधर हम हिचकी लेते हैं उधर तुम रोने लगते हो।
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोईतुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं।
जिसकी याद में सारे जहाँ को भूल गए, सुना है आजकल वो हमारा नाम तक भूल गए, कसम खाई थी जिसने साथ निभाने की यारो, आज वो हमारी लाश पर आना भूल गए.
जब जान प्यारी थी तब दुश्मन हजार थे, अब मरने का शौक है तो कातिल नहीं मिलते..!!
मोहब्बत और मौत दोनों बिन बुलाये मेहमान होते हैंकब आ जाए कोई नहीं जानता लेकिन दोनों काएक ही काम हैं एक को दिल चाहिए दूसरी को धड़कन
हद तो ये है कि मौत भी तकती है दूर से,उसको भी इंतजार मेरी खुदकुशी का है।
कम्बख्त मरना कौन चाहता है हमें तो बस जीने की ख्वाहिश नहीं रही।
मौत तू तो जवाब दे, लोगों की भीड़ में अकेला हूँ, कम से कम तू तो मेरा हाथ थाम ले.
साज़-ए-दिल को महकाया इश्क़ ने, मौत को ले कर जवानी आ गई.|
मिल जाएँगे कुछ हमारी भी तारीफ़ करने वाले, कोई हमारी मौत की अफवाह तो उड़ाओ यारों..!!
पहले ज़िन्दगी छीन ली मुझसे,अब मेरी मौत का फायेदा उठाती है,मेरी कब्र पे फूल चढ़ाने के बहाने,वो किसी और से मिलने आती है।
जिन्दगी जख्मो से भरी है वक्त को मरहम बनाना सीख लो, हारना तो है एक दिन मौत से फिलहाल जिन्दगी जीना सीख लो..!!
मौत से क्या डरना ये तो मिनटों का खेल है आफत तो ये ज़िन्दगी है.|
जिसमे ज़िन्दगी लम्बी है वो उम्र मुझे नहीं चाहिए, तुम अगर साथ नहीं मेरे तो वो संसार मुझे नहीं चाहिए।
जहर के असरदार होने से कुछ नही होता साहब खुदा भी राजी होना चाहिये मौत देने के लिये.
ओढ़ कर मिट्टी की चादर बेनिशान हो जायेंगे,एक दिन आएगा हम भी दास्ताँ हो जायेंगे।
हाथ पढ़ने वाले ने तो परेशानी में डाल दिया मुझे, लकीरें देख कर बोला तू मौत से नहीं, किसी की याद में मरेगा !
एक दिन जब हुआ इश्क़ का एहसास उन्हें,वो हमारे पास आकर सारा दिन रोते रहे,और हम भी इतना खुदगर्ज निकले यारो,आँखें बंद कर के कफन में सोते रहे,
चले आओ मुसाफिर आख़िरी साँसें बची हैं कुछ,तुम्हारी दीद हो जाती तो खुल जातीं मेरे आँखें।
आई होगी किसी को हिज्र में मौतमुझ को तो नींद भी नहीं आती।
तू बदनाम ना हो इसलिए जी रहा हूँ मैं, वरना मरने का इरादा तो रोज होता है.
अगर रुक जाये मेरी धड़कन तो मौतन समझना, कई बार हुआ है ऐसा तुझे याद करते करते !!
लोग कहते हैं किसी एक के चले जाने से जिन्दगी अधूरी नहीं होती,लेकिन लाखों के मिल जाने से उस एक की कमी पूरी नहीं होतीतुम बहुत याद आओगे भाई!
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगी, मैं तो नदी हूँ समुंदर में उतर जाऊँगी.|
आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई,आँसुओं में भीग जाने की हवस पूरी हुई,आ रही है जिस्म की दीवार गिरने की सदा,एक अजब ख्वाहिश थी जो अबके बरस पूरी हुई।
कोई नही आऐगा मेरी जिदंगी मे तुम्हारे सिवा,एक मौत ही है, जिसका मैं वादा नही करता।
मृत्यु से इंसान का शरीर मरता हैं,लेकिन आत्मा नहीं।
सौ जिंदगी निसार करूँ ऐसी मौत पर, यूं रोये ज़ार-ज़ार तू अहल-ए-अज़ा के साथ.
वो ढूंढ रहे थे हमें शायद उन्हें हमारी तलाश थी, पर जहाँ वो खड़े थे वही दफन हमारी लाश थी !
लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैंइक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं।
महफ़िल भी रोयेगी, हर दिल भी रोयेगा,डूबी जो मेरी कश्ती तो साहिल भी रोयेगा,इतना प्यार बिखेर देंगे हम इस दुनीया में,कि मेरी मौत पे मेरा कातिल भी रोयेगा।
अब नहीं लौट के आने वालाघर खुला छोड़ के जाने वाला।
मौत से क्या डर मिनटों का खेल है, आफत तो ज़िन्दगी है जो बरसो चला करती है.|
एक दिन जब हुआ इश्क का एहसास उन्हें, वो हमारे पास आ कर सारा दिन रोते रहे, और हम भी इतने खुदगरज निकले यारों कि, आँखे बंद कर के कफन में सोते रहे !
हद तो ये है कि मौत भी तकती है दूर से,उसको भी इंतजार मेरी खुदकुशी का है।
तमाम उम्र जो हमसे बेरुखी की सबने,कफ़न में हम भी अजीज़ों से मुँह छुपा के चले।
ना जाने मेरी मौत कैसी होगी, पर ये तो तय है की तेरी बेवफाई से तो बेहतर होगी।
लम्बी उम्र की दुआ मेरे लिए न माँग, ऐसा न हो कि तुम भी छोड़ दो और मौत भी न आये।
अच्छाई अपनी जिन्दगी, जी लेती हैं,बुराई अपनी मौत, खुद चुन लेती है।
“वो कर नहीं रहे थे मेरी बात का यकीन, फिर यूँ हुआ की मर के दिखाना पड़ा मुझे!😭
किसी दिन तेरी नजरों से दूर हो जायेंगे हम,दूर फिजाओं में कहीं खो जायेंगे हम,मेरी यादों से लिपट कर रोने लगोगे,जब ज़मीन को ओढ़ कर सो जायेंगे हम।
एक व्यक्ति ने बहुत कुछ सीखा हैजिसने सीखा है कि कैसे मरना है।
शिकायत मौत से नहीं अपनों से थी मुझे जरा सी आँख बंद क्या हुई वो कब्र खोदने लगे.|
लम्बी उम्र की दुआ मेरे लिए न माँग, ऐसा न हो कि तुम भी छोड़ दो और मौत भी न आये..!!
दिल दे दिया था उसे फिर भी नहीं समझा उसने मेरे प्यार को, शायद मेरे मौत की खबर से ही ख़ुशी मिल जाये मेरे यार को।
न उड़ाओ यूं ठोकरों से मेरी खाके-कब्र ज़ालिम, यही एक रह गई है मेरे प्यार की निशानी..!!
मेरी ज़िन्दगी तो गुजरी तेरे हिज्र के सहारे,मेरी मौत को भी प्यारे कोई चाहिए बहाना।
शहादत कुछ ख़त्म नहीं करती,ये एक महज़ शुरुआत है।
वादे तो हजारों किये थे उसने मुझसे, काश एक वादा ही उसने निभाया होता, मौत का किसको पता कि कब आएगी, पर काश उसने ज़िन्दा जलाया न होता।’
उससे बिछड़े तो मालूम हुआ मौत भी कोई चीज़ है,ज़िन्दगी वो थी जो उसकी महफ़िल में गुज़ार आए।
अब तलक हम मुन्तजिर रहे हैं जिनके,उनको हमारा ख्याल तक न आया,उनके प्यार में हमारी जान तक चली गयी,उनको हमारी मौत का मलाल तक न आया।
इस कदर तन्हा बना देती है की, हमे ज़िन्दगी से मौत अच्छी लगने लगती है|
करूँ क्यों फ़िक्र मौत के बाद जगह कहाँ मिलेगीजहाँ होगी दोस्तों की महफिलें, मेरी रूह वहाँ मिलेगी।
ये जमीं जब खून से तर हो गई है, जिन्दगी कहते हैं बेहतर हो गई है, हाथ पर मत खींच बेमतलब लकीरें, मौत हर पल अब मुकद्दर हो गई है !
एक मुर्दे ने क्या खूब कहा है,ये जो मेरी मौत पर रो रहे है, अभी उठ जाऊं तो जीने नहीं देंगे।
वादे तो हजारों किये थे उसने मुझसे, काश एक वादा ही उसने निभाया होता, मौत का किसको पता कि कब आएगी, पर काश उसने जिन्दा न जलाया होता !
ढूढ़ोगे कहाँ मुझको मेरा पता लेते जाओ,एक कब्र नई होगी एक जलता दिया होगा।
जनाजा मेरा उठ रहा था फिर भी तकलीफ थी उनको आने में बेवफा घर में बैठे पूछ रहे थे और कितनी देर है दफनाने में.|