Dar Shayari In Hindi : जिसे डर ही नहीं था मुझे खोने का, वो क्या अफ़सोस करता मेरे न होने का. डर का एहसास मर जाता है, जब दिल में कोई और घर कर जाता है.
सुना है वो जाते हुए कह गये,के अब तो हम सिर्फ़ तुम्हारे ख्वाबो मे आएँगे, कोई कह दे उनसे के वो वादा कर ले, हम जिंदगी भर के लिए सो जाएँगे..
बस यही दो मसले जिंदगी भर ना हल हुए,ना नीद पूरी हुई ना ख्वाब मुकम्मल हुए।
कभी कभी सबके सामने हँसना, तनहा रोने से ज्यादा तकलीफ देता है !!
मुझको आते हैं माेहब्बत के सारे वज़ीफ़े मैं चाहूं ताे तुम्हे पागल कर सकता हूं.
उदासियाँ हैं जो दिन में तो शब में तन्हाई बसा के देख लिया शहर-ए-आरज़ू मैं ने
मै पत्थर हू जो मेरे सर पर इल्जाम आता है।कही भी आइना टूटे, मेरा ही नाम आता है।
एक महबूब लापरवाह एक मोहब्बत बेपनाह दोनों काफी हैं सुकून बरबाद करने को!!!
बहुत तकलीफ देते हैवो ज़ख़्मजो बिना कसूर केमिले हो ।
वैसे तो कई शिक़वे हैं तुम्हारे हमसे, पर सुनो! शिक़ायत करती हो तो बहुत प्यारी लगती है…
न कर तू इतनी कोशिसे,मेरे दर्द को समझाने की।पहले इश्क कर फिर जख्म खा,फिर लिख दावा मेरे दर्द की।
तुमसे मोहब्बत करने से डर लगता है तुम्हारे करीब आने से डर लगता है, तुम्हारी वफाओं पर भरोसा है पर अपनी नसीब से डर लगता है.
साथ रहना था ही नहीं तो, तुमने हमसे नाता क्यों जोड़ा, हमे धोका देकर तुमने, हमे कही का नहींछोड़ा।
डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे सेलेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा.
तकदीर के आईने में मेरी तस्वीर खो गई, आज हमेशा के लिए मेरी रूह सो गई, मोहब्बत करके क्या पाया मैंने, वो कल मेरी थी आज किसी और की हो गई !!
कौन क्यूं गया ये जरूरी नहीं क्या सीखा कर गया वह जरूरी है.
एक नया दर्द मेरे दिल में जगा कर चला गया, कल फिर वो मेरे शहर में आकर चला गया, जिसे ढूंढते रहे हम लोगों की भीड़ में, मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया।
वो करीब तो बहुत हैंमगर कुछ दूरियों के साथहम दोनो जी तो रहे हैंमगर मजबूरियों के साथ.!
वक़्त चाहे कितना भी बदल जाए,पर मेरी मोहब्बत तेरी लिए कभी नही बदलेगी..Waqt chahe kitna bhi badal jaye,Par meri mohabbat tere liye kabhi nahi badlegi…
तुझे पाने की तमन्ना दिल से निकाल दी मैंने, मगर आँखों को तेरे इंतज़ार की आदत सी बन गयी है !
लोग मुझसे पूछते हैं कि तुम्हारीआंखें हमेशा लाल क्यूं रहती हैहम भी हंसकर कह देते हैंहम नशा करते हैं किसी की यादों का ।
डर रहा हैं दिल मेराएक छोटी सी बात से,बदल ना दे हमारी कहानी कोईप्यार की खूबसूरत झूठी मिठास से |
हम जानते हैं आप रूठे हो हमसे इस लिए इतना दूर होमगर लौट आओ हम बेताब है आपको मनाने के लिए।
अक्सर वो छोडकर चले जाने की बात कहते थे हम ही ना समझ थे जो उनके दिल की बात ना जान सके।
नहीं कोई साथ मेरे बिखरे जज़्बात मेरे कैसे समझाऊं मैं क्या हैं हालात मेरे
कभी सोचा न था के वो मुझे तनहा कर जायेगा, जो अक्सर परेशां देख कर कहता था मैं हूँ ना !!
अँधेरा था तो पत्थरों का कोई डर नहीं था, उजाला होते ही डर और पत्थर दिखाई देने लगे.
ख़त्म हो रहा हूँ अपने ही अन्दर, ~ तुम्हें इतना ज़्यादा कर लिया है…
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता;रोता है दिल जब वो पास नहीं होता;बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में;और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता
न जाने इतना दर्द क्यों देती हैये मोहब्बतहँसता हुआ इंसान भीदुआओ में मौत मांगता है ।
हम न पा सके तुझे मुद्दतो चाहने के बाद,और किसी ने तुझे अपनाबना लिया चन्द रस्मे निभाने के बाद।
आँखों मे आँसू तभी आते हैजब आप सच्चे होआपको समझने वाला कोई ना हो ।
अगर कोई अपना हो तो आइनेजैसा हो,हंसे भी साथ और रोए भीसाथ..!
भूल जाने की कोई तो वजह दे दोदूरिया ऐसे ही कबूल नहीं होती।
चलो खतम हुआ तुम्हे अपना बनाने काजुनून वैसे भी तुम मेरे हुए ही कब थे…!!.
उनकी नज़रों से दूर हो जायेंगे हम ,कहीं दूर फ़िज़ाओं में खो जायेंगे हम ,मेरी यादों से लिपट के रोयेंगे वो ,ज़मीन ओढ के जब सो जायेंगे हम.
आदत बदल सी गई है वक़्त काटने की, हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की
आईना मेरा मेरे अपनों से बढ़कर निकला, जब भी मैं रोया कमबख्त मेरे साथ ही रोया !
दिल में हो तुम दिमाग में हो तुम,बस एक कमी है मेरे पास नहीं हो तुम..!
उसने एक ही बार कहा दोस्त हूं फिर मैंने कभी नहीं कहा व्यस्त हूं।।
तुमको लेकर मेरा ख्याल नही बदलेगा,साल बदलेगा मगर दिल का हाल नहीं बदलेगा।
बिखरी नहीं हु में हमेशा निखरी हूँ, जब भी किसी से बिछ्ड़ी हु.
मेरी ज़िंदगी की जितनी भी सांसे बची हैवो तेरे साथ लेना चाहता हूंग़म मिले या ख़ुशी ज़िंदगी मेंतेरे साथ ही हंसना तेरे साथ ही रोना चाहता हूं ..!
हम गम छुपाते जरूर है मगर किसी को दिखाने के लिए नही, हम मुस्कुराते जरुर है दुसरो के चेहरे पर मुस्कान देखने के लिए।
एक फ़साना सुन गए एक कह गए, मैं जो रोया तो मुस्कुराकर रह गए
ज़रा सी ज़िंदगी है, अरमान बहुत हैं,हमदर्द नहीं कोई, इंसान बहुत हैं,दिल के दर्द सुनाएं तो किसको,जो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत है.
मुझे बहुत प्यारी है तुम्हारी दी,हुई हर एक निशानी।अब चाहे वो दिल का दर्द हो या,आँखों का पानी।
मुझे वहम था कि वो मेरा हमसफ़र हैवह चलते तो हमारे साथ थे,मगर किसी और की तलाश में.!
ना कर तू इतनी कोशिशे, मेरे दर्द को समझने की, पहले इश्क़ कर, फिर ज़ख्म खा, फिर लिख दवा मेरे दर्द की।
कहाँ का वस्ल तन्हाई ने शायद भेस बदला है तिरे दम भर के मिल जाने को हम भी क्या समझते हैं
मिलता भी नहीं तुम्हारे जैसे इस शहर में,हमको क्या मालूम था के तुम भी किसी और के हो।
यूँ सांसें अब भी चलती हैं क्या जिंदा हूँ मैं ? पता नहीं !
क्या जरुरत है आपको हमसे दूर जाने कीआप तो पास रहकर भी दूरिया बना लेते हो।
अब दर्द उठा है तो गज़ल भी है जरूरी, पहले भी हुआ करता था इस बार बहुत है।
किस दर्द को लिखते हो इतना डूब कर, एक नया दर्द दे दिया है उसने ये पूछकर!!!
छुपाने लगा हु कुछ राज अपने आप से, जबसे मोहब्बत हुई है हमे आप से। Chhupane laga hu kuch raaj apne aap se, jabse mohabbat hui hai hume aap se.
कितना भी खुश रहने की कोशिश कर लो,जब कोई याद आता है तो बहुत रुलाता है।
ज़माना हवा सा है उसे क्या फिकर जाने कितने पत्तों को पेड़ों से जुदा किया है
रात को कह दो कि ज़रा धीरे से गुजरे, काफी मिन्नतों के बाद आज दर्द सो रहा है,
हौंसला मत हार,गिरकर ऐ मुसाफिर..!अगर दर्द यहाँ मिलता है तो,दवा भी यहीं मिलेगी..!!
किसी का साथ तभी तक होता है जब तक आप खास होते है Kisi ka sath tabhi Tak hota hai jab tak aap khas hote hai
उसकी दर्द भरी आँखों ने जिस जगह कहा था,अलविदा” आज भी वही खड़ा है,,दिल उसके आने के इंतज़ार में।
आप से दूर हो कर हम जायेंगे कहा,आप जैसा दोस्त हम पाएंगे कहा,दिल को कैसे भी संभाल लेंगे,पर आँखों के आंसू हम छुपायेंगे कहा।
जख्म जब मेरे सीने से बहार आयेंगे,आंसू भी मोती बनकर बिखर जायेंगे।ये न पूछों कि किसने कितना दर्द दिया है,वर्ना कई अपनो के चेहरे उतर जायेंगे।
दुखो का आसमान मुझ पर टूट पड़ा,जब तूने मुझे अकेला छोड़ दिया,दिल तेरे ही प्यार में फिर भी कूद पड़ा,लेकिन तूने हर बार मुझे इंकार कर दिया.
बहुत मुश्किलो के बाद पत्थर का बना हुँ, मैं जीना चाहता हुँ यारो मुझे मोम ना करो !!
तेरी यादों में खोए रहते हैं अब दुनिया से दूरी सी लगती है, हो सके तो लौट आ मेरे दोस्त, तेरे बिना अब ये जिंदगी अधूरी लगती है।
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम;हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम;अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला;ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम.
कठपुतली के दर्द को भला किसने जाना है ! डोर नचाती है, खुश होता जमाना है !
मौत के बाद याद आ रहा है कोई,मिट्ठी मेरी कबर से उठा रहा है कोई।या खुदा दो पल की मोहल्लत और दे दे,उदास मेरी कबर से जा रहा है कोई।
दिल की लगी में वक़्त-ए -तन्हाई ऐसा भी आता है ~ कि रात चली जाती है मगर अँधेरे नहीं जाते…
अजीब सी दुनिया है यह साहब,यहां लोग मिलते कम एक दूसरे में झांकते ज्यादा है।।
दर्द देने का अंदाज कुछ ऐसा है,दर्द दे कर कहते है अब हाल कैसा है।ज़हर दे कर कहते है अब पीना होगा,जब पी लिए तो कहते है अब जीना होगा।