Chai Par Shayari In Hindi : जैसे शाम ढलती जा रही है, तुम्हारे संग चाय की तलब, बढ़ती जा रही है। सर्दियों के बस दो ही जलवे, तुम्हारी याद और हाथ में वो चाय !
उजाले जुगनुओ से, फूलो से खुशबु चुराई है, वक़्त चुराया है ज़िन्दगी से तब ये चाय बनाई है।
कभी कभी लगता है यह दुनिया छोड़कर चलाजाऊं, लेकिन फिर कमबख्त चाय की याद आ जाती है.
सुहानी सुबह और बारिश के रिमझिम फुहारें !!हाथों में अदरक वाली चाय और दिल में याद तुम्हारें !!
हर रिश्ता प्यार वाला हो जरुरी नहीं,कुछ रिश्ते चाय वाले भी होते है।
जलाकर अपना कलेजा चाय को भरता है,कुल्हड़ जैसा इश्क़ भला कौन करता है.
उसने कहा हमें मनाना नहीं आता,हमने कहा चाय बनाना तो आता है ना।
जब इश्क चाय से हैतो सिगरेट के धुएं से अय्याशी क्यों????
माँ के हाथ की बनी चाय पीये हुए कई साल गुज़र गए,चाय का वो स्वाद तो मिल गया लेकिन वो प्यार नहीं।
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सर्दियों के बस दो ही जलवे,तुम्हारी याद और चाय।
आधी रात और गहरे साये,खाली कुर्सी मैं और चाय।
हलके में मत लेना तुम सावले रंग को दूध से कहीं ज्यादा देखे है मैंने शौक़ीन चाय के।
सायद नही भुला अब भी तेरी यादें, हर सुबह चाय की चुस्की के साथ तेरी कमी महसूस होती है।
हम खुश इसलिए रहते है !!क्योकि चाय पीते समय चर्चा !!और गर्लफ्रेंड बनाते वक्त खर्चा !!हम बिलकुल नहीं करते है !!
मिलो कभी चाय पर फिर क़िस्से बुनेंगे !!तुम ख़ामोशी से कहना हम चुपके से सुनेंगे !!
कभी हद की बात मत करना क्योकिचाय पीने की हमारी कोई हद नहीं है।
कौन कहता है कि शराब में ही नशा होता है।कभी चाय से मोहब्बत तो करके देखो
आज फिर चाय की मेज़ पर एक हसरत बिछी रह गयी, प्यालियों ने तो लब छू लिए केतली देखती रह गयी.
बन्दे तू कर बंदगी,तो पावै दीदार,जहाँ चाय ना मिले,वो जगह बेकार
एक तेरा ख़्याल ही तो है मेरे पास, वरना कौन अकेले में बैठे कर चाय पीता है..!!
कड़क ठंडक में कड़क चाय का मज़ाशराबी क्या जाने चाय का नशा।
हम तो निकले थे मोहब्बत की तलाश में, सर्दी बहुत लगी चाय पीकर वापस आ गये।
मोहब्बत ही मुकम्मल हुई है अभीउसके साथ चाय पीने का ख्वाब अधूराहै अभी…
तुम जिसे चखने के साथ लेते हो उसे शराब कहते हैहम जिसे सुकून के साथ पीते है उसे चाय कहते हैं
जब सुबह-सुबह तेरे प्यार के नग्में को गुनगुनाता हूँ,लब मुस्कुराते है जब चाय का कप उठाता हूँ.
एक कप चाय के साथ कहीं आराम तलाशता है… ये दिल उसके साथ एक शाम तलाशता है।
सांवला है रंग थोड़ा कड़क मिजाज है,सुनो तुम पसंद हो मुझे,तुम्हारा चाय जैसा स्वाद है।
शाम हसीं थी और में बहकता रहा,नशा चाय का था और वक्त गुजरता रहा।
ऐ खुदा मुझे मेरे महबूब से मिला दे,और उसके हाथों से एक कप चाय पिला दे.
नहीं जाएगी याद तेरी यूं दिल से मेरे, जब जब चाय बनेगी तब तब तेरी याद आएगी।
महफ़िल में रंग बिखेर जाती है, वो चाय है जनाब, जो लोगो को एक साथ बिठाती है।
नहीं है इसका वक़्त कोई, मैं पी लू तो मौज में रहता हूँ, ये चाय ☕️ है जनाब, इसे देखकर मैं बड़ा खुश खुश सा रहता हूँ
इंतजार का वक़्त इतना प्यारा ना होता,अगर साथ में चाय का सहारा ना होता.
कभी-कभी किसी बात परजब मूड खराब हो जाता है!..तो ऐसे में मूड बनाने काबस एक ही सहारा नजर आता है!..एक कप चाय
काश मेरी एक ख्वाहिश पूरी हो जाए,किसी शाम एक कप चाय आपके साथ हो जाए.
मैं कुल्हड़ की चाय जैसातुम Mac D की Latte चाय सी
कभी हमारे गाँव आओ,तुम्हें एक सैर कराएंगे,हमारी स्पेशल वाली चायतुम्हें अपने हाथों से पीलायेंगे।
जीभ जलने पर जब चाय छोड़़ी नही जातीतो दिल ज़लने पर इश्क क्या खाक छोड़ेंगे..
वो पुराने दोस्त, वो कुल्हड़ की चायवो पल लौट आये तो मजा आजाये..!!
मिलो कभी चाय पर फिर किस्से बुनेंगेतुम ख़ामोशी से कहना हम चुपके से सुनेंगे..!!
इश्क़ से हारे लोग या तो मयखानों में,मिलते है या चाय के ठिकानों में
जिसका हक है उसी का रहेगामौहब्बत चाय नही जो सबको पिला दी जाए।
अब तो चाय को भी खुद पर गुरुर होता है,बखूबी जानती है वो हम पर उसका सुरूर होता है।
तेरे हाथों की चाय के बिनाकोई भी चाय चाय नहीं लगती है!..तेरे हाथ की बनी हुई चाय पीने कीइतनी आदत लग गई है!…
काली चाय भी खुद पर विश्वास रखती है क्युकी उसे पता है की कभी अधूरा नहीं होता चाहे वक़्त थड़ा लगे पर दूध ढूंढ़ते ढूंढ़ते उसके पास आ ही जाता है।।
कुछ ख्वाब आसमानी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी, बादलों-सा उड़ता मन, एक प्याला चाय का, और तलब तुम्हारी।
यादों में आप और हाथ में चाय हो, फिर उस सुबह की क्या बात हो !
कड़क ठंडक में कड़क चाय का मज़ा शराबी क्या जाने चाय का नशा।
सुनो सुबह खड़ी है चौखट पर !!तुम रात को ठीक से रवाना तो कर दो !!चाय भी तैयार है सज धज के !!तुम बस आने का कोई बहाना तो कर दो !!
उसे पसंद नही मेरा चाय से रिश्ता, इसलिए अब चाय और मै छुप छुप के मिला करते है..!!
मोहब्बत हो या चाय,एकदम कड़क होनी चाहिए।
फीकी😊😏 सी जिंदगी🤟🤗 में शक्कर 🧂मिलाते🤗 है। आओ🤗 चाय☕ के साथ👩❤️👨 शाम🌌 सजाते😜 है
हलके में मत लेना तुम सावले रंग कोदूध से कहीं ज्यादा देखे है मैंने शौक़ीन चाय के
लहुजा थोड़ा ठड़ां रखे साहब.गर्म तो हमें सिर्फ चाय पसदं है।
ये मुसीबत के दिन भी गुजर जायेगे, फिर एक मुलाकात रखेंगे चाय पर।
कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं होती जिसे चाय ☕️ से सुलझाया न जा सके
ज्यादा बड़ा शायर नहीं हूँ मेंबस चाय को मोहब्बतलिख दिया करता हूँ।
किसी गरीब संग पी लो एक चायनही लगेगी कभी किसी की हाय ।।– वेद प्रकाश वेदांत
बिना शृंगार भोली सी सूरतहर बात पर सच्ची लगती हो,हाँ तुम हो बिलकुल मेरी चाय के जैसीमुझे सांवली ही अच्छी लगती हो।
अदाए तो दिखिए बदमाश चायपत्ती की, थोडा सा दूध में क्या डाली शर्म से लाल हो गयी
बैठे चाय की प्याली लेकर पुराने किस्से गरम करने,चाय ठंडी होती गई और आँखे नम !
शिकायतें वहां होती हैं, जहाँ हिसाब होते हैं,चाय तो मोहब्बत है, जिसका प्यार बेहिसाब है।
जैसे जैसे इन सर्दियों में कोहरा हुआ,चाय के साथ मेरा इश्क ओर गहरा हुआ।।
अक्षर में तेरे प्यार के नगमे गुनगुनाता हूं होट मुस्कुराते हैं जब चाय का कप उठता हूं।
तुम्हारा जादू है या फिर तुम्हारा प्यारचाय के साथ याद तुम्हारी आ ही जाती है ❤️🙏🏻☕️☕️
उसकी💁😇 याद सताए 😚जब सीने 🤗में चाय ☕पी जाती हूं अकेले😚💁 में
खुद के लिए कुछ दिन अकेले ही जी लेना,किसी ओर के हाथ की नहीं,अपने हाथ की चाय बनाकर पी लेना।
प्यार उसी से करो जो तुम्हेंहर मुलाक़ात पर चाय पिलाये।
मैंने साजिशें तो बहुत रची !!चाय की आदत छोड़ने के लिए !!मगर ये चाय हमारे खून में इतना घुल चुकी थी !!इसे अगर हम छोड़ देते तो हम मर ही जाते !!
कैसे कहे कोई नहीं है हमारा, शाम की चाय रोज बेसब्री से इंतज़ार जो करती है।
जैसे शाम ढलती जा रही है,तुम्हारे संग चाय की तलब,बढ़ती जा रही है।
गरम चाय सा है प्यार तेरा!कप से उठते धुंए में भी होता है दीदार तेरा!!