Bina Galti Ki Saza Shayari In Hindi : खुदा ने पूछा क्या सजा दूँउस बेफ़वा को,दिल से आवाज़ आई मोहब्बत हो जाये उसे भी। इश्क़ के खुदा से पूछो उसकी रजा क्या है,इश्क़ अगर गुनाह है तो इसकी सजा क्या है।
तुम्हारे बिना बढ़ जाती हैजिंदगी में लाखों मजबूरियां,खुद से ज्यादा प्यार करते हैं तुम्हेंमत रखो हम से ज्यादा दूरियां।
अपना काम पूरा हुआलोग बदल लेते हैं अपना सफर,एक-दूसरे को भूल जाते हैंदिल पर रखकर पत्थर।
इश्क में खता हो तो बेसक उसे सजा दो,पर दिल पर पत्थर रखकर उसे बुला मत दो।
लगती और इश्क़ किया नहीं जाता हो जाता है,मलाल इस बात का है।गलती से इश्क़ और इश्क़ में गलती हो ही जाती है।
नित्या उसका ये वव्ह्यार चुप चाप सेहन कर रही थी, उसने अपने घर पर भी इसके बारे में कुछ नहीं बताया था, वो अपने घर वालो से नाराज़ थी।
जिनके लिए हमनेअपनी पूरी दुनिया को त्याग दिया,आज उन लोगों ने ही हमें भुला दिया।
आजकल तुम मुझे बेवजह नजरअंदाज करने लगे हो,सच बताओ।कोई गलती हुई मुझसे या किसी और,से प्यार करने लगे हो।
लोगो भला इस शहर में कैसे जिएँगे हम जहाँ,हो जुर्म तन्हा सोचना लेकिन सज़ा आवारगी।
नाराज होना, लड़ना-झगड़ना, मगर भूल कर भी कभी खामोश मत हो जाना, क्योंकि इश्क में ख़ामोशी से बड़ी कोई सजा नहीं।
किसी ने पूछा,गुस्सा क्या है,मेने कहा,,किसी की गलती की सजा खुद को देना।
दो लोग जब एक-दूसरे की गलतियों को माफ़ नहीं कर पाते हैं,तो ऐसे कमजोर रिश्ते कुछ दिनों में टूटकर बिखर जाते हैं।
कभी कभी बिना गलती के भी हम सॉरी बोल देते हैं,ताकि तुम मुझसे नाराज ना हो जाओ।
माँ का दिल हर गलतियों को भुला देता हैं,जब बच्चा प्यार से मुस्कुरा देता हैं।
प्यार करते हो तुम या सजा देते हो, जब हँसने का वक़्त होता है रुला देते हो.
इश्क में खता हो तो बेसक उसे सजा दो, पर दिल पर पत्थर रखकर उसे बुला मत दो.
इश्क़ वो खता है, जो अपने आप हो जाती है, गलती दिल करता है, और सजा आँखों को दी जाती है.
सजा भी अब अदा बन गई है,लगता है उनसे मोहब्बत हो गई है।
इश्क तो बेपनाह किया था उनसे मगर मेरी छोटी-सी गलती को उन्होंने प्यार में धोखा समझ लिया।
गलतियों को गुनाह मत बनाया करो,छोटी-छोटी बातों को बस भूल जाया करो।
.मुड़के. देखोगे तो..तन्हाई .होगी, .अगर .महसूस .करोगे .तो हमें .पाओगे
इंसान में गलतियाँ हरदम मिलती नहीं हैं,मोहब्बत हो तो ये गलतियाँ दिखती नहीं हैं।
कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है, कोई कहता है प्यार सजा बन जाता है, पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से तो प्यार जीने की वजह बन जाता है.
कभी-कभी सॉरी बोलना धरती पर सबसे कठिन पतला होता है लेकिन इसकी सबसे सस्ती चीज सबसे महंगे उपहार को सहेजना होता है जिसे रिश्ता कहा जाता है..!!!
दुश्मनों को सज़ा देने की एक तहज़ीब है मेरी,मैं हाथ नहीं उठाता बस नज़रों से गिरा देता हूँ।
हम बोल नहीं रहेइसका मतलब हम गलत नहीं है,रिश्तों की अहमियत रख रहे हैहम जानते हैंहम हमारी जगह सही है।
बहुत रुलाते हो ना,तुम मुझे अपनी याद में।गलती मेरी ही थी,की माँगा था तुझे,खुदा से अपनी फर्याद में।
समाज में कुछ लोग खुद कठघरे में खड़े है,और हमें हमारी गलती की सजा सुनाया करते है।
खुद का स्वार्थ पूरा हो गयाहम पर रख दिया अकेलेपन का दबाव,कभी सोचा नहीं थाआपकी सोच भी होगी इतनी खराब।
दो लोग जब एक-दूसरे की गलतियों को माफ़ नहीं कर पाते हैं,तो ऐसे कमजोर रिश्ते कुछ दिनों में टूटकर बिखर जाते हैं।
मुझे मंजूर थे वक़्त के सब सितम मगर,तुमसे मिलकर बिछड़ जाना ये सजा ज़रा ज्यादा हो गयी।
सजा-ए-इश्क़ में दर्द, यादें,और तन्हाई मिली थी।अकेले में बैठकर अक्सर सोचता हूँ,कि मैंने क्यों मोहब्बत की थी।
.पता नहीं कितना.नाराज.है वो मुझसे. ♥ख्वाबों में भी मिलता है तो बात नहीं करता.
मैं मानता हूं इस बात कोइंसान होता है गलतियों का पुतला,पर इस बार यह आपकी गलतफहमी हैमैं सिर्फ सही रास्ते की ओर चला।
.अगर तुम .को हम पे .गुस्सा है तो .घंटाघर .तोड़ दो .रिंग रोड .मोड़ दो .शहीद .गेट फोड़ .दो
रिश्तें निभाते-निभाते,हम ख़ुद के ही गुनाहगार हो गए।बिना खता के ही हम,सजा के हकदार हो गए।
हाँ हो गयी गलती मुझसे में जानता हूँ पर फिर में तुझे अपनी जान मानता हूँ। - अज्ञात
माँ-बाप हीं हमारी सब गलतियों को भूला देते हैं,जमाने वाले तो जरा सी बात का तमाशा बना देते हैं।
लाइफ समझदारी का नाम नहीं उसमे,गलतियां भी करनी भी जरुरी है,क्युकी अक्सर गलतियों से अपनों की पहचानहो जाया करती है।
मन में था सच्चाई और अच्छाई का भावपर गलत चीज का कर लिया था चुनाव,बेशक गलती है मेरी पर मत करना हमेशा सदा भेदभाव। 😋😂
बहुत ही उदास है कोई शक तेरे जाने से, हो खातिर तो लूट के आज कोई कहने से, भले तू लाख खफा हो पर एक बार तो देख ले कोई बिखर गया है तेरे जले जाने से..
मैंने आपको अनजाने में चोट पहुंचाई, मैं मानता हूं कि यह मेरी गलती है। बस एक ही उम्मीद है की आप मेरी गलती माफ़ कर देंगे दिल से माफ़ कर देना
कई सपने ऐसे होते है, जो दीखते तो सुहाने है,पर हक़ीक़त का राज़ होता है छुपा हुआ।प्यार का जोश भी कुछ ऐसा ही है,मंज़िल तो हसीं होती है, पर मुकाम दर्द भरा।
कत्ल तुम्हारी नशीली आँखों ने किया,सजा-ए-इश्क़ के जख़्म पर मरहम लगा रहा हूँ।
अगर कोई बाहर से अच्छा दिख रहा है, इसका मतलब यह नहीं कि उसकी सोच गलत नहीं होगी।
अपनी गलती की सजा सिर्फ माफ़ी नहीं।हर रोज़ खुद में टूटना, क्या इतना काफी नहीं।।
हम तुम्हें भूल कर भी भुला ना पाए,तुम हमें एक पल में छोड़ गए,यह कैसी वफा की आपने हमसेइस दिल को तड़पता छोड़ गए।
बड़ी सब्र से सहने की कोशिश कर रहा हु,खुद से की गई गलतियों की सजा को।
ऐ खुदा मोहब्बत को इतनी अता दे,जिसका दिल सच्चा हो उसे सजा न दे।
गलतियों का हवाला देकर कोई भी,किसी को भी छोड़ जाता है,अब तो बेवफाई का यही अंदाज,हर ओर नजर आता है।
रिश्तो में तकरार ख़तम करनी पड़ती है,कभी बिना गलती के गलती की सजा भुगतनी पड़ती है।
नाराज होना, लड़ना-झगड़ना,मगर भूल कर भी कभी खामोश मत हो जाना,,क्योंकि इश्क में ख़ामोशी से बड़ी कोई सजा नहीं।
तू साथ है तो फिर कोई गम नहीं,पर तेरा रूठना भी किसी सजा से कम नहीं।
कानों से सुने हर बात सच नहीं होतीआप मान लो मेरी विनती,क्यों गलत कह रहे हो मुझेमैंने नहीं की है कोई गलती।*
कैसे भूल जाऊं तेरा यह मासूम सा चेहरा,इस चेहरे के आगे मुझे कुछ नज़र नहीं आया।कितना प्यार है तुमसे दुनिया समझ गई,बस एक तुझे ही समझ नहीं आया।।
लोग कहते है गलतियां ना किया कर पछतायेगा जीवन के किसी मोड़ पर तू गुम होकर कहीं और ही चला जायेगा।
मेरा गुनाह था जो मैंने उनसे प्यार किया,सजा काट रहे है क्योंकि कभी इजहार नहीं किया।
मोहब्बत की अदालत में इन्साफ कहाँ होता है,सजा उसी को मिलती है जो बेगुनाह होता हैं।
दिल पर लगी तेरी तस्वीर हटा दी है, दर्द तो बहुत हुआ पर मैंने खुद को ये सजा दी है.
किसी का कभी इतना भी दिल ना दुखाओ,के खुदा के सामने वो तुम्हारा नाम लेके रो पड़े।
.गलती होई .हमेस.मान .हमने लिया .गलत हम .थे जान.हमने.लिया
सीख लेना गलतियों से, निराश मत होना,बार-बार अपनी गलतियों को सोचकर उदास मत होना।
मैं थोड़ा खामोश क्या हुआलोग मुझसे दूर हो गए,सारे रिश्ते नाते तोड़ दिएलोग भूलने पर मजबूर हो गए।
गलतियों पर पर्दा तो बस खुदा डालता है,वरना यहाँ तो लोग बिना गलती के भी सजा दे देते हैं।
दूसरों की खामियों बता कर तुम अपना छिपा रहे हो कितने बद्तमीज हो तुम ये असल में तुम खुद ही दिखा रहे हो।
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की,मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई।
हम वह नहीं जो सिर्फ मतलब से याद करते हैंपर आप वह हो जो सिर्फ मतलब की बात करते हैं।
हम हैं कि क्या क्या सोचते हैं, गलतऔरों के फेर में,अफसोस कि खुद को भी, औरों कीनज़र से देखते हैं।
ना जिद है ना कोई गुरुर है हमें,बस तुम्हे पाने का सुरूर है हमें।इश्क गुनाह है तो गलती की हमने,सजा जो भी हो मंजूर है हमें।
जब वो मुझे इक गलती की वजह से छोड़ गया,तो ऐसा लगा जैसे सदियों से वो मेरी गलती की तलाश में था।
तुम तो दुनिया से निराली ही सजा देते हो,कितने चालाक हो क़ातिल दुआ देते हो।
कोई तुम्हें देखकर मुस्कुरा दे तो उसे प्यार मत समझो,किसी की छोटी-सी गलती पर, उसे गुनहगार मत समझो।
इश्क़ करने की सजा काट रहा हूँ, मुझसे दूर रहना क्योंकि मैं दर्द बाँट रहा हूँ.