Bina Galti Ki Saza Shayari In Hindi : खुदा ने पूछा क्या सजा दूँउस बेफ़वा को,दिल से आवाज़ आई मोहब्बत हो जाये उसे भी। इश्क़ के खुदा से पूछो उसकी रजा क्या है,इश्क़ अगर गुनाह है तो इसकी सजा क्या है।
जिंदगी नाव है तो गलतियां चपु और नाव को चलाने के लिए चपु तो चलना ही होगा।
.मोहब्बत हम.तुमसे.करके.सनाम, .न जाने.किस दुनिया में खो गए,shayari
मैंने आजाद किया अपनी वफाओ से तुझे,बेवफाई की सजा मुझको सुनाई जाए।
मांग भरने की सज़ा कुछ इस कदर पा राहा हूं,उसकी मांग पूरी करते करते मांग मांग कर खा राहा हू।
दिल में है जो दर्द वो दर्द किसे बताएं,हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ।कहती है ये दुनिया हमे खुश नसीब,मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं।
दिल पर लगी तेरी तस्वीर हटा दी है,दर्द तो बहुत हुआ पर मैंने खुद को ये सजा दी है।
बिना गलती की सजा भी,किसी गलती की सजा से कम थोड़ी है।
हम गलत नहीं हैइस बात की खाता हूं कसम,दूर मत जा मुझसे प्रिय तूतेरे बिना लड़खड़ा जाएंगे हमारे कदम।
जिंदगी से बड़ी सजा ही नहीं,और क्या जुर्म है पता ही नहीं।
बहुत दर्द देती है वो सजा,इश्क़ में वफ़ा करने के बाद जो मिलती है।
आँखों ने तुमकों चाहा इतना जरुर है,दिल को सजा मत देना ये बेकसूर हैं।
नित्या चुप थी, अविनाश ने बोला क्या हुआ तुम चुप क्यों हो कुछ बोलो, तुम्हे कोई परेशानी तो नहीं है ना।
सच्चे दिल से सॉरी कहने वालों को माफ कर देना क्योंकि आजकल हर कोई मेरी परवाह नहीं करता।sorry shayari
.नज़र से .मिलने को, .तो .फिर .क्यों नही .प्यार जताती हो
.पलभर में.टूट जाये वो.कसम नहीं,sorry .तुम्हे भूल.जाये वो हम नहीं, .तुम रूठी.रहो.हमसे इस.बात में दम नहीं.sorry
गलत लोगों के साथ रहकरगलत काम किया,सही गलत का एहसास हो गया मुझेजिंदगी ने यह एक मुझे अनुभव दिया।
हर किसी पर भरोसा ना करनायहां गलत सोच वाले भी रहते हैं,अपना मतलब पूरा हो जाएगाफिर आप यूं ही दर्द सहते हैं।
लगती और इश्क़ किया नहीं जाता हो जाता है,मलाल इस बात का है,गलती से इश्क़ और इश्क़ में गलती हो हीजाती है।
कितना भी अच्छा काम क्यों ना करेंलोग अपना काम निकाल भूल जाते हैं,बड़ी बेदर्दी दुनिया है यहसारे सिर्फ मतलब के लिए जीते हैं।
तुझे चाहना जैसे एक सजा है,पर दुआ है कि मुझे इसमें उम्र कैद मिले।
जिंदगी तू ही बता तेरी रजा क्या है,तू हर वक्त देती है सजा, तेरी वजह क्या है।
दिल में है जो दर्द वो दर्द किसे बताएं,हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ।कहती है ये दुनिया हमे खुश नसीब,मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं।
मोहब्बत की अदालत में इन्साफ कहाँ होता है, सजा उसी को मिलती है जो बेगुनाह होता है.
चाहे कुछ भी हो जाये,गुस्से में कभी भी गलत मत बोलना,मुंड तो सही हो जाता है,लेकिन बोली हुई बातें वापस नहीं आती।
.दिल से तेरी.याद को जुदा तो.नहीं किया, .रखा जो तुझे.याद कुछ.बुरा तो नहीं किया,
हम हैं कि क्या क्या सोचते हैं,गलतऔरों के फेर में,अफसोस कि खुद को भी,औरों कीनज़र से देखते हैं।
मेरी गलती को अब तू माफ़ कर,गले गलाकर फिर मुझसे प्यार कर।
दर्द तो तब हुआ जब उस गलती की सजा मिली हमें,जो हमने कभी की ही नहीं।
किस बात की सजा दे रहे हो, प्यार किया इसलिए, या तुमसे ज्यादा प्यार किया इसलिए।
एक छोटी गलती तेरी उस बड़ी काबिलियत पर उंगली उठा देगी जिसे तूने औरों की गलतियों को सूधार कर हासिल की थी।
सजा जो भी दोगी वो मंजूर होगी, पर तेरी बेरुखी ना मंजूर होगी।
इश्क़ में जो मिलती है वो सज़ा ही कुछ और है,कभी तन्हा रहके देखो तन्हाई का मज़ा ही कुछ और है।
सजा भी अब अदा बन गई है, लगता है उनसे मोहब्बत हो गई है.
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लोग कहते है मोहब्बत में,क्यों सिर्फ लोग दगा देते है।जरा नजदीक से देखों यारों,वो खुद को सजा देते है।
गलती को कभी मिटाया नहीं जा सकता हाँ मगर उसे ठीक कर भुलाया जरूर जा सकता है।
इश्क़ कोई गुनाह नहीं होता, फिर क्यों ये दिल है रोता, ये कैसी मोहब्बत करने की सजा पाई है, मेरे अंदर ये कैसी बेबसी और तन्हाई है.
वहीं दूसरों की गलतियों को माफ़ करते हैं,जो लोग अपना दिल हमेशा साफ़ रखते हैं।
वक्त रहते समझ जाओहर कोई निकाल रहा है अपना मतलब,यह दुनिया बड़ी बेशर्म हैपता ही नहीं चलताकौन क्या कर जाए कब।
जुदाई में दर्द सहने की सजा सीख ली, तेरी मोहब्बत में हमने वफ़ा सीख ली.
क्यूँ करते हो मुझसे,इतनी ख़ामोश मुहब्बत।लोग समझते है,इस बदनसीब का कोई नहीँ।
मुझे मंजूर थे वक़्त के सब सितम मगर,तुमसे मिलकर बिछड़ जाना ये सजा ज़रा ज्यादा हो गयी।
हर किसी के जीवन में गलत लोग आते हैं,समझदार लोग हमेशा इस बात से कुछ सीख जाते हैं।
कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है,कोई कहता है प्यार सजा बन जाता है।पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से,तो प्यार जीने की वजह बन जाता है।
सजा जो भी दोगी वो मंजूर होगी,पर तेरी बेरुखी ना मंजूर होगी।
.दुश्मनो में.भी दोस्त.मिला.करते है, .जन्नतो.में भी.फूल.खिला करते है,
ऐसी क्या गलती कर दी हमने की तुम खफा हो गए,उम्र भर साथ निभाने का वादा करने वाले बेवफा हो गए।
सीख लेना गलतियों से, निराश मत होना,बार-बार अपनी गलतियों को सोचकर उदास मत होना।
लाइफ समझदारी का नाम नहीं उसमे,गलतियां भी करनी भी जरुरी है।क्युकी अक्सर गलतियों से अपनों की पहचान,हो जाया करती है।
.हमको कांटा.समझ कर.छोड़ न देना, .कांटे ही.फूल की.हिफाज़त.किया करते है
इश्क में कभी कोई ऐसी खता न हो, मिले तो बिछड़ने की सजा न हो.
तरस जाओगे एक दिन महफ़िल-ए-वफ़ा के लिए,किसी से प्यार ना करना खुदा के लिए।जब लगेगी इश्क़ की अदालत,तुम ही चुने जाओगे सजा के लिए।
हर किसी की यही कहानी है,अपनी गलती ढूंढे नहीं मिलनी है,,दूसरे की गलती यूँ हीं नजर आनी है।
बिना गलती के भी तुम्हारा दिलमुझे गलत कह देता है,यह मेरा हौसला ही हैजो हर सजा को सह लेता है।
सूरज निकलने के बाद, धीरे-धीरे ढलता ही रहेगा,गलतियों का सिलसिला सारी उम्र चलता ही रहेगा।
.कर दो.माफ़ गर.हुई कोई खता हमसे. ♥अलग .तुमसे होकर.और अब.रहा नहीं.जाता हमसे
सजा-ए-इश्क़ में दर्द, यादें और तन्हाई मिली थी, अकेले में बैठकर अक्सर सोचता हूँ कि मैंने क्यों मोहब्बत की थी.
सुनो ना तुम बार बार गलती करती हो,तुम इश्क़ करती हो या नर्सरी में पड़ती हो।
तेरी हर गलतियों को माफ़ी है बस अब आगे के लिए इतना काफी है।
नित्या तो अविनाश से प्यार करती ही थी और अब उसे मौका मिला था अपने प्यार के साथ पूरी ज़िन्दगी बिताने का, उसने हा कह दिया।
.देखा है.आज मुझे भी.गुस्से की.नजर से, .मालूम.नहीं आज वह.किस किस.से लदे हैं
खुलकर दिल से मिलो तो सजा देते है लोग, इश्क़ की छाँव में बैठे दो परिंदों को भी उड़ा देते है लोग.
वो जिंदगी मेरे लिए सजा होगी,अगर तू मेरे साथ नहीं होगी।
शहर में ज़िंदा रहने की सजा काट रहा हूं,जहाँ जज्बातों की कोई कदर ही नहीं।
नित्या वहां से जाने लगी, उसने अविनाश को बोला कि मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी तुम चले जाओ।
तरस जाओगे एक दिन महफ़िल-ए-वफ़ा के लिए, किसी से प्यार ना करना खुदा के लिए, जब लगेगी इश्क़ की अदालत, तुम ही चुने जाओगे सजा के लिए.
अच्छे बुरे आदमी की परख होतीतो तू ना देती आज मुझे यह सजा,इश्क करने की ऐसी क्या गलती थीजो हम रोएं और तुम करो मजा।
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अगर सजा दे चुके हो,तो किसी से मेरा जिक्र मत करना।अगर मैं बेगुनाह निकला तो,तुम्हे जिदंगी भर अफ़सोस होगा।
जितनी शिद्दद से तुम मेरी गलतियां याद रखते हो,सुनो वक़्त निकल कर मेरी मोहब्बत याद कर लेना।
दुश्मनों को सज़ा देने की एक तहज़ीब है मेरी,मैं हाथ नहीं उठाता बस नज़रों से गिरा देता हूँ।
तुझे चाहना जैसे एक सजा है,पर दुआ है कि मुझे इसमें उम्र कैद मिले।